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शुक्रवार, 1 मई 2015

माना कि तुम लफ़्ज़ों के बादशाह हो

बस एक करवट ज्यादा ले लूं किसी रोज़ सोते
वक़्त,
माँ आज भी आकर पूछ लेती है "बेटा, तबियत
तो ठीक है
_______________

रूठ कर तुम चली गइ हो तो जरा इतना बता दो
ख्वाबों में आने का अधिकार तुम्हे किसने दे दिया है

माना कि तुम लफ़्ज़ों के बादशाह हो,मगर हम भी खामोशियों पर राज़ करते हैं!

तकलीफें तो हज़ारों हैं इस ज़माने में….
बस कोई अपना नज़रअंदाज़ करे तो बर्दाश्त नहीं होता…

इत्र से कपड़ो का महकना बड़ी बात नही
मजा तब है जब खुशबू आपके किरदार से आए

रख लो दिल में सम्भालकर थोङी सी याद मेरी..!
रह जाओ जब तन्हा बहुत काम आएगें हम…!!

मजबूरियॉ ओढ के निकलता हूं घर से आजकल, वरना शौक तो आज भी है बारिशों में भीगनें का

ना शौक दीदार का… ना फिक्र जुदाई
की, बड़े खुश नसीब हैँ वो लोग जो…
मोहब्बत नहीँ करतेँ

फ़र्क़ नहीं पड़ता माला को,
गर कोई मोती टूट जाये।
पर धागे का हाल पूछना ,
सब खाली खाली सा हो जाता है।

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