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गुरुवार, 28 मई 2015

ऐसी फ़िज़ा

काश मेरे मुल्क में ऐसी फ़िज़ा बने ,
मंदिर जले तो दर्द मुस्लमान को भी
हो....
और बेइज़्ज़त हो न पाये किसी
मस्ज़िद की आरज़ू.....
यह फ़िकर मंदिर के पुजारी को भी
हो ।.

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