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शनिवार, 30 मई 2015

फिर वही शायरी ,फिर वही इश्क फिर वही तुम........

हुए बदनाम मगर,फिर भी न सुधर पाए हम.
फिर वही शायरी ,फिर वही इश्क फिर वही तुम.........!.......।
बारिश मे चलने से एक बात याद आती है,
   कभी फिसलने के खौफ़ से वो मेरा हाथ थाम लेती थी...............।
अगर चाहते हो की खुदा मिले;
तो वो करो जिससे दुआ मिले..!........।
तकलीफें तो हज़ारों हैं इस ज़माने में,
बस कोई अपना नज़र अंदाज़ करे तो बर्दाश्त नहीं होता..!...........।
कास तुम भी हो जाओ तुम्हारी यादो की तरह,
न वक़्त देखो न बहाना,बस चली आओ!...........।
♛ हम दोस्ती करते है तो अफसाने लिखे जाते है
और दुश्मनी करते है तो तारीखे
लिखी जाती है ...........।♛
तेरी दुआओ का दस्तुर भी अजब है मेरे मौला;
मुहब्बत उन्ही को मिलती है जिन्हे निभानी नही आती..!...........।
तेरा ये जुलम हि हमे अच्छा लगने लगा है सोचता हूँ कि इस जुलम को तुम कभी बंद तो नहीं करोगी। क्यों कि जुलम के बहाने हम तुमे भी देखा करते हैं समजी पगली............।  
नम पलकों के संग मुस्काते है हम,लम्हा लम्हा दिलको बहलाते हैं हम, आप दूर हैं हमसे तो क्या हुआ,अपने धडकते दिल में आपकी आहात पाते है हम...............। 
आखिर किस कदर खत्म कर सकते है, उनसे रिश्ते जिनको सिर्फ महसूस करने से, हम दुनिया भूल जाते है...!!..........।♥
अगर इतनी नफरत है हमसे तो एक सच्चे दिल से ऐसी दुआ कर दो
के तुम्हारी दुआ भी पूरी हो जाये और हमारी ज़िन्दगी
भी.................।
यादें अकसर होती हैं सताने के लिए,
कोई रूठ जाता है फिर मान जाने के लिए,
रिश्ते निभाना कोई मुश्किल तो नहीं,
बस दिलों में प्यार चाहिए उसे निभाने के लिए

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