कुल पेज दृश्य

गुरुवार, 16 अप्रैल 2015

तू जिंदगी को जी उसे समझने की कोशिश न कर

तू जिंदगी को जी
उसे समझने की
कोशिश न कर

सुन्दर सपनो के
ताने बाने बुन
उसमे उलझने की
कोशिश न कर

चलते वक़्त के साथ
तू भी चल
उसमे सिमटने की
कोशिश न कर

अपने हाथो को फैला,
खुल कर साँस ले
अंदर ही अंदर घुटने की
कोशिश न कर

मन में चल रहे
युद्ध को विराम दे
खामख्वाह खुद से
लड़ने की कोशिश न कर

कुछ बातें
भगवान् पर छोड़ दे
सब कुछ खुद सुलझाने की
कोशिश न कर

जो मिल गया
उसी में खुश रह
जो सकून छीन ले
वो पाने की कोशिश न कर

रास्ते की सुंदरता का
लुत्फ़ उठा
मंजिल पर जल्दी
पहुचने की कोशिश न कर।

बुधवार, 15 अप्रैल 2015

फ़ुर्सत

फ़ुर्सत नही घर से मंदिर तक इंसान को आने की,
और
ख़्वाहिशें शमशान से सीधा स्वर्ग तक जाने की रखते हैं !

बुलंदी

"बुलंदी की उडान पर हो तो जरा सबर रखो;
परिंदे बताते है कि आसमान में ठिकाने नही होते |"

सोमवार, 13 अप्रैल 2015

मकान चाहे कच्चे थे

मकान चाहे कच्चे थे
लेकिन रिश्ते सारे सच्चे थे…

चारपाई पर बैठते थे
पास पास रहते थे…

सोफे और डबल बेड आ गए
दूरियां हमारी बढा गए….

छतों पर अब न सोते हैं
बात बतंगड अब न होते हैं..

आंगन में वृक्ष थे
सांझे सुख दुख थे…

दरवाजा खुला रहता था
राही भी आ बैठता था…

कौवे भी कांवते थे
मेहमान आते जाते थे…

इक साइकिल ही पास था
फिर भी मेल जोल था…

रिश्ते निभाते थे
रूठते मनाते थे…

पैसा चाहे कम था
माथे पे ना गम था…

मकान चाहे कच्चे थे
रिश्ते सारे सच्चे थे…

अब शायद कुछ पा लिया है
पर लगता है कि बहुत कुछ गंवा दिया

जीवन की भाग-दौड़ में –
क्यूँ वक़्त के साथ रंगत खो जाती है?
हँसती-खेलती ज़िन्दगी भी आम हो जाती है।

एक सवेरा था जब हँस कर उठते थे हम
और
आज कई बार
बिना मुस्कुराये ही शाम हो जाती है!!

कितने दूर निकल गए,
रिश्तो को निभाते निभाते

खुद को खो दिया हमने,
अपनों को पाते पाते

Beautiful poem by
–हरिवंशराय बच्चन

पानी तेरे कितने नाम..........

पानी तेरे कितने नाम..........
पानी आकाश से गिरे तो........
बारिश,
आकाश की ओर उठे तो.............
भाप,
अगर जम कर गिरे तो...............
ओले,
अगर गिर कर जमे तो..............
बर्फ,
फूल पर हो तो...............
ओस,
फूल से निकले तो................
इत्र,
जमा हो जाए तो...............
झील,
बहने लगे तो...........................
नदी,
सीमाओं में रहे तो..................
जीवन,
सीमाएं तोड़ दे तो....................
प्रलय,
आँख से निकले तो................
आँसू,
शरीर से निकले तो................
पसीना,
और
श्री हरी के चरणों को छू कर निकले तो...........
चरणामृत

इन्सान की पहचान

अगर इन्सान की पहचान करनी है तो

सुरत से नहीं, सिरत से करो

क्योंकि सोना अक्सर लोहे की तिजोरी मे ही
रखा जाता है

नफरत

एक  नफरत ही है जिसे दुनिया चंद लम्हो मे जान लेती है ...

"'''वरना"""

प्यार  का यकींन दिलाने मे तो जिंन्दगी बीत जाती है ...!!

निरंतर जिंदगी में दुःख के दिन नहीं होते, चमन में फूल भी है, केवल कांटे नहीं होते |

समय ऐसा भी आता है इस जिंदगानी में, कि जब साथ में खुद के ही साये नहीं होते ||

रविवार, 12 अप्रैल 2015

Friendship दोस्ती

"दोस्ती तो एक झोका हैं हवा का,

दोस्ती तो एक नाम हैं वफ़ा का...,

औरो के लिए चाहे कुछ भी हो,

हमारे लिए तो दोस्ती हसीन तोफा हैं खुदा का."

शनिवार, 11 अप्रैल 2015

बड़ा महत्व है

बड़ा महत्व है एक बार पढ़ के तो देखो

ससुराल में साली का
बाग़ में माली का
होंठो में लाली का
पुलिस में गाली का
मकान में नाली का
कान में बाली का
पूजा में थाली का
खुशी में ताली का------बड़ा महत्व है

फलों में आम का
भगवान में राम का
मयखाने में जाम का
फैक्ट्री में काम का
सुर्ख़ियों में नाम का
बाज़ार में दाम का
मोहब्ब्त में शाम का-------बड़ा महत्व है

व्यापार में घाटा का
लड़ाई में चांटा का
रईसों में टाटा का
जूतों में बाटा का
रसोई में आटा का-----बड़ा महत्व है

फ़िल्म में गाने का
झगड़े में थाने का
प्यार में पाने का
अंधों में काने का
परिंदों में दाने का-----बड़ा महत्व है

ज़िंदगी में मोहब्ब्त का
परिवार में इज्ज़त का
तरक्की में किसमत का
दीवानो में हसरत का------बड़ा महत्व है

पंछियों में बसेरे का
दुनिया में सवेरे का
डगर में उजेरे का
शादी में फेरे का------बड़ा महत्व है

खेलों में क्रिकेट का
विमानों में जेट का
शारीर में पेट का
दूरसंचार में नेट का-----बड़ा महत्व है

मौजों में किनारों का
गुर्वतों में सहारों का
दुनिया में नज़ारों का
प्यार में इशारों का------बड़ा महत्व है

खेत में फसल का
तालाब में कमल का
उधार में असल का
परीक्षा में नकल का-----बड़ा महत्व है

ससुराल में जमाई का
परदेश में कमाई का
जाड़े में रजाई का
दूध में मलाई का -----बड़ा महत्व है

बंदूक में गोली का
पूजा में रोली का
समाज में बोली का
त्योहारों में होली का
श्रृंगार में चोली का-----बड़ा महत्व है

बारात में दूल्हे का
रसोई में चूल्हे का-------बड़ा महत्व है

सब्जियों में आलू का
बिहार में लालू का
मशाले में बालू का
जंगल में भालू का
बोलने में तालू का-------बड़ा महत्व है

मौसम में सावन का
घर में आँगन का
दुआ में दामन का
लंका में रावन का-------बड़ा महत्व है

चमन में बहार का
डोली में कहार का
खाने में अचार का
मकान में दीवार का-----बड़ा महत्व है

सलाद में मूली का
फूलों में जूली का
सज़ा में सूली का
स्टेशन में कूली का------बड़ा महत्व है

पकवानों में पूरी का
रिश्तों में दूरी का
आँखों में भूरी का
रसोई में छूरी का ----बड़ा महत्व है

माँ की गोदी का
देश में मोदी का ----- बड़ा
महत्व है

LAST ONE

खेत में साप का
सिलाई में नाप का
खानदान में बाप का
और
whatsapp पर आप का----
बड़ा महत्व है

कोई ना दे हमें खुश रहने की दुआ

कोई ना दे हमें खुश रहने की दुआ, तो भी कोई बात
नहीं वैसे भी हम खुशियाँ रखते नहीं, बाँट दिया करते
है...!!!..............।
मोहब्बत को जो निभाते हैं उनको मेरा सलाम है,
और जो बीच रास्ते में छोड़ जाते हैं उनको, हुमारा ये पैगाम
हैं,
“वादा-ए-वफ़ा करो तो फिर खुद को फ़ना करो,
वरना खुदा के लिए किसी की ज़िंदगी ना तबाह करो..............।
तक़दीर ने चाहा जैसे ढल गए हम
बहुत सँभल के चले फिर भी फिसल गए हम
किसी ने विश्वास तोड़ा किसी ने दिल
और लोगों को लगता है के बदल गए हम..................।
छुपा लूंगा तुझे इसतरह से बाहों में;हवा भी गुज़रने
के लिए इज़ाज़त मांगे;हो जाऊं तेरे इश्क़ में मदहोश
इस तरह;कि होश भी वापस आने के इज़ाज़त
मांगे....................।
ख्वाइश बस इतनी सी है की तुम मेरे
लफ़्ज़ों को समझो,
आरज़ू ये नही की लोग वाह वाह करें!.................।
अगर दीदार की तम्मन्ना हो तो नजरें जमाये रख.
चिलमन हो या नक़ाब सरकती जरूर है...................।
अंदाज़ कुछ अलग हैं मेरे सोचने का,,
सब को मंजिल का शौक है और मुझे
रास्तों का
ये दुनिया इसलिए बुरी नही के यहाँ बुरे
लोग ज्यादा है।
बल्कि इसलिए बुरी है कि यहाँ अच्छे
लोग खामोश है......

गुरुवार, 9 अप्रैल 2015

जो चाहा कभी पाया नही

जो चाहा कभी पाया नहीं,
जो पाया कभी सोचा नहीं,
जो सोचा कभी मिला नहीं,
जो मिला रास आया नहीं,
जो खोया वो याद आता है
पर
जो पाया संभाला जाता नहीं ,
क्यों
अजीब सी पहेली है ज़िन्दगी
जिसको कोई सुलझा पाता नहीं...

जीवन में कभी समझौता करना पड़े तो कोई बड़ी बात
नहीं है,
क्योंकि,
झुकता वही है जिसमें जान होती है,
अकड़ तो मुरदे की पहचान होती है।

ज़िन्दगी जीने के दो तरीके होते है!
पहला: जो पसंद है उसे हासिल करना सीख लो.!
दूसरा: जो हासिल है उसे पसंद करना सीख लो.!

जिंदगी जीना आसान नहीं होता; बिना संघर्ष कोई
महान नहीं होता.!

जिंदगी बहुत कुछ सिखाती है;
कभी हंसती है तो कभी रुलाती है; पर जो हर हाल में
खुश रहते हैं; जिंदगी उनके आगे सर झुकाती है।

चेहरे की हंसी से हर गम चुराओ; बहुत कुछ बोलो पर
कुछ ना छुपाओ;

खुद ना रूठो कभी पर सबको मनाओ;

राज़ है ये जिंदगी का बस जीते चले जाओ।

"गुजरी हुई जिंदगी को
                   कभी याद न कर,

तकदीर मे जो लिखा है
               उसकी फर्याद न कर...

जो होगा वो होकर रहेगा,

तु कल की फिकर मे
           अपनी आज की हसी                          बर्बाद न कर...

हंस मरते हुये भी गाता है
और
      मोर नाचते हुये भी रोता है....

  ये जिंदगी का फंडा है बॉस

दुखो वाली रात
              निंद नही आती
  और
       खुशी वाली रात
                     .कौन सोता है...

ईश्वर का दिया कभी अल्प नहीं होता;
जो टूट जाये वो संकल्प नहीं होता;
हार को लक्ष्य से दूर ही रखना;
क्योंकि जीत का कोई विकल्प नहीं होता।

जिंदगी में दो चीज़ें हमेशा टूटने के लिए ही होती हैं :
"सांस और साथ"
सांस टूटने से तो इंसान 1 ही बार मरता है;
पर किसी का साथ टूटने से इंसान पल-पल मरता है।

जीवन का सबसे बड़ा अपराध - किसी की आँख में आंसू आपकी वजह से होना।
और
जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि - किसी की आँख में आंसू आपके लिए होना।

जिंदगी जीना आसान नहीं होता;
बिना संघर्ष कोई महान नहीं होता;
जब तक न पड़े हथोड़े की चोट;
पत्थर भी भगवान नहीं होता।

जरुरत के मुताबिक जिंदगी जिओ - ख्वाहिशों के मुताबिक नहीं।
क्योंकि जरुरत तो फकीरों की भी पूरी हो जाती है;
और ख्वाहिशें बादशाहों की भी अधूरी रह जाती है।

मनुष्य सुबह से शाम तक काम करके उतना नहीं थकता;
जितना क्रोध और चिंता से एक क्षण में थक जाता है।

दुनिया में कोई भी चीज़ अपने आपके लिए नहीं बनी है।
जैसे:
दरिया - खुद अपना पानी नहीं पीता।
पेड़ - खुद अपना फल नहीं खाते।
सूरज - अपने लिए हररात नहीं देता।
फूल - अपनी खुशबु अपने लिए नहीं बिखेरते।
मालूम है क्यों?
क्योंकि दूसरों के लिए ही जीना ही असली जिंदगी है।

मांगो तो अपने रब से मांगो;
जो दे तो रहमत और न दे तो किस्मत;
लेकिन दुनिया से हरगिज़ मत माँगना;
क्योंकि दे तो एहसान और न दे तो शर्मिंदगी।

कभी भी 'कामयाबी' को दिमाग और 'नकामी' को दिल में जगह नहीं देनी चाहिए।
क्योंकि, कामयाबी दिमाग में घमंड और नकामी दिल में मायूसी पैदा करती है।

कोई व्यक्ति कितना ही महान क्यों न हो, आंखे मूंदकर उसके पीछे न चलिए।
यदि ईश्वर की ऐसी ही मंशा होती तो वह हर प्राणी को आंख, नाक, कान, मुंह, मस्तिष्क आदि क्यों देता?

पानी से तस्वीर कहा बनती है,
ख्वाबों से तकदीर कहा बनती है,
किसी भी रिश्ते को सच्चे दिल से निभाओ,
ये जिंदगी फिर वापस कहा मिलती है
कौन किस से चाहकर दूर होता है,
हर कोई अपने हालातों से मजबूर होता है,
हम तो बस इतना जानते है,
हर रिश्ता "मोती"और हर दोस्त "कोहिनूर" होता है।

अच्छा लगा तो share जरुर करे

उलझनों और कश्मकश में..

उलझनों और कश्मकश में..
उम्मीद की ढाल लिए बैठा हूँ..

ए जिंदगी! तेरी हर चाल के लिए..
मैं दो चाल लिए बैठा हूँ |

लुत्फ़ उठा रहा हूँ मैं भी आँख - मिचोली का ...
मिलेगी कामयाबी, हौसला कमाल का लिए बैठा हूँ l

चल मान लिया.. दो-चार दिन नहीं मेरे मुताबिक..
गिरेबान में अपने, ये सुनहरा साल लिए बैठा हूँ l

ये गहराइयां, ये लहरें, ये तूफां, तुम्हे मुबारक ...
मुझे क्या फ़िक्र.., मैं कश्तीया और दोस्त... बेमिसाल लिए बैठा हूँ...

मंगलवार, 7 अप्रैल 2015

मुक़द्दर का सिकंदर

तेरी इस दुनिया में ये मंज़र क्यों है
कहीं ज़ख्म तो कहीं पीठ में खंजर क्यों है

सुना है तू हर ज़र्रे में है रहता, फिर
ज़मीं पर कहीं मस्जिद कहीं मंदिर क्यों है

जब रहने वाले दुनियां के हर बन्दे तेरे हैं,
फिर कोई दोस्त तो कोई दुश्मन क्यों है..

तू ही लिखता है हर किसी का मुक़द्दर, फिर
कोई बदनसीब, कोई मुक़द्दर का सिक्कंदर क्यों है..

मेरी आदत नही

www.salekart.blogspot.in

कुछ चंद पंक्तिया आज मेरे बारे में।।।

किसी को तकलीफ देना मेरी आदत नही,
बिन बुलाया मेहमान बनना मेरी आदत नही…!

मैं अपने गम में रहता हूँ नबाबों की तरह,
परायी खुशियो के पास जाना मेरी आदत नही…!

सबको हँसता ही देखना चाहता हूँ मै,
किसी को धोखे से भी रुलाना मेरी आदत नही…!

बांटना चाहता हूँ तो बस प्यार और मोहब्बत,
यूँ नफरत फैलाना मेरी आदत नही…!

जिंदगी मिट जाये किसी की खातिर गम नही,
कोई बद्दुआ दे मरने की यूँ जीना मेरी आदत नही…!

सबसे दोस्त की हैसियत से बोल लेता हूँ,
किसी का दिल दुखा दूँ मेरी आदत नही…!

दोस्ती होती है दिलों से चाहने पर,
जबरदस्ती दोस्ती करना मेरी आदत नही..!

सोमवार, 6 अप्रैल 2015

अगर बिकी तेरी दोस्ती...

हरिवंशराय बच्चनजी की सुन्दर कविता---

अगर बिकी तेरी दोस्ती...
तो पहले ख़रीददार हम होंगे..!
तुझे ख़बर न होगी तेरी क़ीमत ..
पर तुझे पाकर सबसे अमीर हम होंगे..!!
दोस्त साथ हो तो रोने में भी शान है..
दोस्त ना हो तो महफिल भी समशान है!

सारा खेल दोस्ती का है ऐ मेरे दोस्त,
वरना जनाजा और बारात एक ही समान है !! ....

बैठ जाता हूं मिट्टी पे अक्सर...

बैठ जाता हूं मिट्टी पे अक्सर...
क्योंकि मुझे अपनी औकात
अच्छी लगती है..




मैंने समंदर से सीखा है जीने का सलीक़ा,
चुपचाप से बहना और अपनी मौज में
रहना ।।





चाहता तो हु की
ये दुनिया
बदल दू
पर दो वक़्त की रोटी के
जुगाड़ में फुर्सत नहीं मिलती
दोस्तों



महँगी से महँगी घड़ी पहन कर देख ली,
वक़्त फिर भी मेरे हिसाब से
कभी ना चला ...!



युं ही हम दिल को साफ़ रखा करते थे ..
पता नही था की, 'किमत
चेहरों की होती है!!'




अगर खुदा नहीं हे तो उसका ज़िक्र
क्यों ??
और अगर खुदा हे तो फिर फिक्र
क्यों ???


"दो बातें इंसान को अपनों से दूर कर
देती हैं,
एक उसका 'अहम' और
दूसरा उसका 'वहम'......



" पैसे से सुख कभी खरीदा नहीं जाता
और दुःख का कोई खरीदार नहीं होता।"


मुझे जिंदगी का इतना तजुर्बा तो नहीं,
पर सुना है सादगी मे लोग जीने नहीं देते।

माचिस की ज़रूरत यहाँ नहीं पड़ती...
यहाँ आदमी आदमी से जलता है...!!"




दुनिया के बड़े से बड़े साइंटिस्ट,
ये ढूँढ रहे है की मंगल ग्रह पर जीवन है
या नहीं,
पर आदमी ये नहीं ढूँढ रहा
कि जीवन में मंगल है या नही


ज़िन्दगी में ना ज़ाने कौनसी बात
"आख़री" होगी,
ना ज़ाने कौनसी रात "आख़री" होगी ।
मिलते, जुलते, बातें करते रहो यार एक
दूसरे से,
ना जाने कौनसी "मुलाक़ात"
आख़री होगी ....।।।।

अगर जींदगी मे कुछ पाना हो तो
तरीके बदलो,....ईरादे नही....||

ग़ालिब ने खूब कहा है :
ऐ चाँद तू किस मजहब का है !!
ईद भी तेरी और करवाचौथ भी तेरा!!

इंसान और कमियाँ

लाजवाब लाईन

  एक बार इंसान ने कोयल से कहा
         "तूं काली ना होती तो
           कितनी अच्छी होती"

              सागर से कहा:-
     "तेरा पानी खारा ना होता तो
           कितना अच्छा होता"

              गुलाब से कहा:-
        "तुझमें काँटे ना होते तो
           कितना अच्छा होता"

        तब तीनों एक साथ बोले:-
         "हे इंसान अगर तुझमें
  दुसरो की कमियाँ देखने की आदत
   ना होती तो तूं कितना अच्छा होता"

गुरुवार, 2 अप्रैल 2015

जज्वात की कलम से

जज्वात की कलम से जिगर के पास लिखा कर
मायूसियाँ छोड़, रोज एक नयी आस लिखा कर
  ऐब को हुनर समझ के जो इतराता रहा उम्र भर
  ये दिलफरेबी छोड़ ,कुछ दिलखराश लिखा कर
बड़े शौक से गया था सुनाने उसको नई गजल
कहने लगा वो, लफ़्ज छोड़ अहसास लिखा कर
फूल खुशबू हुस्न ओ ईश्क रंज ओ गम मय साकी
ये चलन अब आम है छोड़ ,कुछ खास लिखा कर
उतर जा अन्दर तक अँधेरों में तलाश कोई रोशनी
कशमकश ये छोड़ कुछ सुनहरे कयास लिखा कर
किस किस की तस्दीक में यूं जाया करेगा जिन्दगी
खुदासनासी छोड़ और  खुदसनास लिखा कर
अक्ल ओ खिरद दानिशवरी से  क्या हुआ हासिल
ये होशियारी छोड़ अब तू बदहवास लिखा कर

ए दोस्त तू जिंदगी को जी

"ए दोस्त तू जिंदगी को जी,
उसे समझने की कोशिश न कर।

सुन्दर सपनो के ताने बाने बुन,
उसमे उलझने की कोशिश न कर।

चलते वक़्त के साथ तू भी चल,
उसमे सिमटने की कोशिश न कर।

अपने हाथो को फैला,
खुल कर साँस ले,
अंदर ही अंदर घुटने की कोशिश न कर।

मन में चल रहे युद्ध को विराम दे,
खामख्वाह खुद से लड़ने की कोशिश न कर।

कुछ बाते भगवान् पर छोड़ दे,
सब कुछ खुद सुलझाने की कोशिश न कर।

जो मिल गया उसी में खुश रह,
जो सकून छीन ले वो पाने की कोशिश न कर।

रास्ते की सुंदरता का लुत्फ़ उठा,
मंजिल पर जल्दी पहुचने की कोशिश ना कर ।

अंधेरो के माथे पर

अंधेरो के माथे पर रोज उजाले लिखता हूँ
मंजिलो के नाम पैरों के छालै लिखता हूँ

ज़माना तो महज़ लफ्ज़ों का दिवाना है
मैंअहसास के मुख पर ताले लिखता हूँ

वाद ए सबा के साज़ पर मखमली आवाज़ में
दिल जिसे गा सके वो गीत निराले लिखता हूँ

कि  पार उतरना ही सबका मुक्कद्दर नहीं होता
इन कश्तियों को समन्दर के हवाले लिखता हूँ

कब तक तू मुझे यूं आजमाएगी ए जिन्दगी
मैं दिल के नाम दर्द के निवाले लिखता हूँ

(रतन सिंह चम्पावत कृत)