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रविवार, 16 अगस्त 2015

प्यास लगी थी गजब की...

प्यास लगी थी गजब की...


प्यास लगी थी गजब की...मगर पानी मे जहर था...


पीते तो मर जाते और ना पीते तो भी मर जाते...


बस यही दो मसले, जिंदगीभर ना हल हुए!!!


ना नींद पूरी हुई, ना ख्वाब मुकम्मल हुए!!!


वक़्त ने कहा.....काश थोड़ा और सब्र होता!!!


सब्र ने कहा....काश थोड़ा और वक़्त होता!!!


सुबह सुबह उठना पड़ता है कमाने के लिए साहेब...।। 


आराम कमाने निकलता हूँ आराम छोड़कर।।


"हुनर" सड़कों पर तमाशा करता है और


 "किस्मत" महलों में राज करती है!!


"शिकायते तो बहुत है तुझसे ऐ जिन्दगी,
 
पर चुप इसलिये हु कि, जो दिया तूने,


वो भी बहुतो को नसीब नहीं होता"...

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