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रविवार, 8 मार्च 2015

जय नारी

माँ है वो, बेटी है वो, बहन है वो तो कभी पत्नी है वो;
जीवन के हर सुख दुःख में शामिल है वो;
शक्ति है वो, प्रेरणा है वो!
नमन है उन सब नारियों को जीवन के हर मोड़ पे हमारा साथ देती हैं।

शुक्रवार, 6 मार्च 2015

गुरुवार, 5 मार्च 2015

जवानी  एक  ड्रीम  था...

जब  बचपन  था,  तो  जवानी  एक  ड्रीम  था...
जब  जवान  हुए,  तो  बचपन  एक  ज़माना  था... !!

जब  घर  में  रहते  थे,  आज़ादी  अच्छी  लगती  थी...

आज  आज़ादी  है,  फिर  भी  घर  जाने  की   जल्दी  रहती  है... !!

कभी  होटल  में  जाना  पिज़्ज़ा,  बर्गर  खाना  पसंद  था...

आज  घर  पर  आना  और  माँ  के  हाथ  का  खाना  पसंद  है... !!!

स्कूल  में  जिनके  साथ  ज़गड़ते  थे,  आज  उनको  ही  इंटरनेट  पे  तलाशते  है... !!

ख़ुशी  किसमे  होतीं है,  ये  पता  अब  चला  है...
बचपन  क्या  था,  इसका  एहसास  अब  हुआ  है...

काश  बदल  सकते  हम  ज़िंदगी  के  कुछ  साल..

.काश  जी  सकते  हम,  ज़िंदगी  फिर  एक  बार...!!

जब हम अपने शर्ट में हाथ छुपाते थे
और लोगों से कहते फिरते थे देखो मैंने
अपने हाथ जादू से हाथ गायब कर दिए
|

✏जब हमारे पास चार रंगों से लिखने
वाली एक पेन हुआ करती थी और हम
सभी के बटन को एक साथ दबाने
की कोशिश किया करते थे |❤

जब हम दरवाज़े के पीछे छुपते थे
ताकि अगर कोई आये तो उसे डरा सके..

जब आँख बंद कर सोने का नाटक करते
थे ताकि कोई हमें गोद में उठा के बिस्तर तक पहुचा दे |

सोचा करते थे की ये चाँद
हमारी साइकिल के पीछे पीछे
क्यों चल रहा हैं |

On/Off वाले स्विच को बीच में
अटकाने की कोशिश किया करते थे |

फल के बीज को इस डर से नहीं खाते
थे की कहीं हमारे पेट में पेड़ न उग जाए |

बर्थडे सिर्फ इसलिए मनाते थे
ताकि ढेर सारे गिफ्ट मिले |

फ्रिज को धीरे से बंद करके ये जानने
की कोशिश करते थे की इसकी लाइट
कब बंद होती हैं |

  सच , बचपन में सोचते हम बड़े
क्यों नहीं हो रहे ?

और अब सोचते हम बड़े क्यों हो गए ?⚡⚡

ये दौलत भी ले लो..ये शोहरत भी ले लो

भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी...

मगर मुझको लौटा दो बचपन
का सावन ....☔

वो कागज़
की कश्ती वो बारिश का पानी..
..............
एक बात बोलू इंकार मत करना आपको आप जिसे चाहते हे उनकी कसम हे।

ऐ मौत तूने मुझे ज़मीदार कर दिया

कश्ती तेरा नसीब चमकदार कर दिया
इस पार के थपेड़ों ने उस पार कर दिया

अफवाह थी की मेरी तबियत ख़राब हैं
लोगो ने पूछ पूछ के बीमार कर दिया

रातों को चांदनी के भरोसें ना छोड़ना
सूरज ने जुगनुओं को ख़बरदार कर दिया

रुक रुक के लोग देख रहे है मेरी तरफ
तुमने ज़रा सी बात को अखबार कर दिया

इस बार एक और भी दीवार गिर गयी
बारिश ने मेरे घर को हवादार कर दिया

बोल था सच तो ज़हर पिलाया गया मुझे
अच्छाइयों ने मुझे गुनहगार कर दिया

दो गज सही ये मेरी मिलकियत तो हैं
ऐ मौत तूने मुझे ज़मीदार कर दिया

ICU में होश आया

बैठ कर मेहबूबा कि बाहो में ऐसा जोश आया

वाह वाह!
वाह वाह!

बैठ कर मेहबूबा कि बाहो में ऐसा जोश आया
फिर…
फिर क्या हुआ?

बीबी ने देख लिया और ICU में होश आया!

valentine 'pati' ke saath

Arz kiya jai.....gaurr farrmaiye:

Lamha-lamha waqt guzar jayega,
Kuch hii dino mein 'Valentine Day'  aa jayega,
Abhi bhi tym hai kisi se 'affair' kar lo,
Varna yeh valentine bhi 'pati' ke saath hii guzar jayega !!!!!

Dedicated to all female friends

जिन्दगी ने बहुत कुछ सीखा दिया

प्रत्येक लाइन गहराई से पढ़े-

✅ गरीब दूर तक चलता है.....
खाना खाने के लिए......।
✅ अमीर मीलों चलता है.....
खाना पचाने के लिए......।
✅ किसी के पास खाने के लिए.....
एक वक्त की रोटी नहीं है.....
✅ किसी के पास खाने के लिए.....
वक्त नहीं है.....।
✅ कोई लाचार है....
इसलिए बीमार है....।
✅ कोई बीमार है....
इसलिए लाचार है....।
✅ कोई अपनों के लिए....
रोटी छोड़ देता है...।
✅ कोई रोटी के लिए.....
अपनों को छोड़ देते है....।
✅ ये दुनिया भी कितनी निराळी है।
कभी वक्त मिले तो सोचना....
✅ कभी छोटी सी चोट लगने पर
रोते थे....
आज दिल टूट जाने पर भी
संभल जाते है।
✅ पहले हम दोस्तों के साथ रहते थे...
आज दोस्तों की यादों में रहते है...।
✅ पहले लड़ना मनाना रोज का काम था....
आज एक बार लड़ते है,
तो रिश्ते खो जाते है।
✅ सच में जिन्दगी ने बहुत कुछ
सीखा दिया,
जाने कब हमकों इतना बड़ा बना दिया।

जिँदगी का "RINGTONE"

जिंदगी बहुत कम है,
प्यार से जियो
रोज सिर्फ इतना करो -

गम को        "Delete"

खुशी को       "Save"

रिश्तोँ को      "Recharge"

दोस्ती को      "Download"

दुश्मनी को      "Erase"

सच को         "Broadcast"

झूठ को         "Switch Off"

टेँशन को     "Not   Reachable"

प्यार को        "Incoming"

नफरत को       "Outgoing"

हँसी को          "Inbox"

आंसुओँ को       "Outbox"

गुस्से को          "Hold"

मुस्कान को        "Send"

हेल्प को              "OK"

दिल को करो      "Vibrate"

फिर देखो जिँदगी का
"RINGTONE" कितना प्यारा बजता है!

ज़िंदगी में दो बातें हमेशा याद रखना

उसने मेरा दिल तोड़ दिया और मैंने उसका...
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iPhone 6,
अब खुद ही हिसाब लगा लो कौन ज्यादा रोया होगा

उसको आना होगा तो अपने आप ही चली आएगी,
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यूँ घंटों टॉयलेट में बैठ कर, जोर लगाना फ़ज़ूल है।

ज़िंदगी में दो बातें हमेशा याद रखना,
हवा चलती है तो पत्ते हिलते हैं और...
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नहीं चलती तो नहीं हिलते।

आजकल प्यार में दिल कम,
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सिम ज्यादा टूटते हैं।

किताबें सबसे अच्छी दोस्त होती हैं,
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भगवान जाने किसकी।

हर आहट पर जान निकल जाती है;
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ये पब्लिक टॉयलेट के दरवाज़े की कुण्डी क्यों नहीं होती।

शरीफ थे इतने कि कभी कमीज के बटन तक नहीं खोले,
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मगर ये बिजली बोर्ड वालों ने तो 'सनी लियोन' बना दिया।

इतना टूट के न चाहो उसे मोहब्बत की शुरुआत में...
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क्या पता उसकी बहन ज्यादा खूबसूरत हो।

तुम पर बीतेगी तो तुम जानोगे कि...
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कोई दावत पर बुलाकर 'टिण्डे' की सब्ज़ी खिलाये तो कैसा लगता है।

हसरत ए दीदार के लिये उसकी गली में मोबाईल की दुकान खोली;
मत पूछो अब हालात ए बेबसी, ऐ गालिब;
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रोज़ एक नया शख्स उनके नम्बर पे रीचार्ज़ करवानें आता है।

एक लड़की ने मुझसे पूछा क्या आप WhatsApp चलाते हो?
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मैंने कहा नही ड्राइवर रखा हुआ है।

नए वर्ष में नई पहल हो

नए वर्ष में नई पहल हो।
कठिन ज़िंदगी और सरल हो।।
अनसुलझी जो रही पहेली।
अब शायद उसका भी हल हो।।
जो चलता है वक्त देखकर।
आगे जाकर वही सफल हो।।
नए वर्ष का उगता सूरज।
सबके लिए सुनहरा पल हो।।
समय हमारा साथ सदा दे।
कुछ ऐसी आगे हलचल हो।।
सुख के चौक पुरें हर द्वारे।
सुखमय आँगन का हर पल हो।।

सरदारजी का स्टेशन

सरदार टी टी से :
मुझे सुबह 4 बजे लुधियाना में उठा देना । अगर में ना जागू तो ज़बरदस्ती उतार देना..

सुबह 8 बजे सरदार जागा तो लुधियाना निकल चूका था और ट्रेन अमृतसर पहुँच रही थी ..

सरदार टी टी को खूब गालियाँ देने लगा .. टी टी चुप चाप  था ।

लोगों ने टी टी  से कहा :  वो इतनी गालियाँ दे रहा है और चुप चाप सुन रहे हो ?

टी टी  :  वाहे गुरु की कसम , में ये सोच रहा हूँ की सुबह 4 बजे जिस सरदार को ज़बरदस्ती उतार दिया था, वो  कितनी गालियाँ दे  रहा होगा ....

करो फोर्वोर्ड....ये तो पक्का नया है..!
❄❄

एक और जनाजा था तेरे जनाजे के पीछे ..

एक लड़का और लड़की एक दूसरे को बहुत प्यार करते थे ,
एक दिन लड़का मर जाता है।
उसने स्वर्ग में से लड़की को कहा,

एक वादा था तेरा हर वादे के पीछे,
तु मिलेगी हर गली हर दरवाजे के पीछे,
पर तू क्यों इतनी बेवफा निकली,
कि एक तू ही नहीं थी मेरे जनाजे के पीछे,

लड़की ने आँखों में आँसू के साथ जवाब दिया -एक वादा था मेरे हर वादे के पिछे,
मिलूँगी तूझे हर गली हर दरवाजे के पीछे,
तूने ही नही मुड़ कर देखा,
एक और जनाजा था तेरे जनाजे के पीछे ..

होली का पावन संदेश

जरा सा मुस्कुरा☺ देना होली मानाने से पहेले
हर गम को जला देना होली जलाने से पहेले
मत सोचना की किस किस ने दिल दुखाया है अब तक
सबको माफ़ कर देना रंग लगाने से पहेले
क्या पता फिर ये मौका मिले न मिले
इसलिए दिल को साफ़ कर लेना होली से पहेले
कहीं यह सन्देश हम से पहेले कोई आप को न भेज दे
इसलिए होली ❤ की शुभ कामना ले लीजिये हम से पहेले

बुधवार, 4 मार्च 2015

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School ;- Yee Galiya ye Chaubaara Yaha Aana na Dobaara...

Tution ;- Idhar Chala Mein Udhar Chala...

Maths ;- Ajeeb Dastaan Hee Yee Kaha Shuru Kaha Khataam...

Sciense ;- Aa Khushi se Khud Khushi Karle...

Geography :- Musafir hu Yaaro na he naa Thikaana...

Economicse ;- Q Paisa,Paisa Karti hai tu ,Q Paiso pe tu Marti he...

Exam :- Mujhe Neend na Aaye.., Mujhe Chain na Aaye..

Result ;- Jiya ❤❤❤ Dhadak,Dhadak Jaaye...

Paas ;- Aaj me Upar.. Aasa man Niche..

Fail :- Jag Suna Suna Lage

अभी सुरज नहीं डूबा जरा सी शाम होने दो

अभी सुरज नहीं डूबा जरा सी शाम होने दो.मै खुद लौट जाऊगा मुझे नाकाम तो होने दो.मुझे बदनाम करने का बहाना ढूंढता है जमाना.मैं खुद हो जाऊंगा बदनाम पहले मेरा नाम तो होने दो..................।

तुमने तो दर्द बया कर दिया,
ज़माने के आगे रोकर।
हम खामोश थे.
सोचो हम पर क्या बीती होगी...................

कहना जरुरी नहीँ होता ये समझने की बात है !
हम मोहब्बत मेँ खामोश जरुर हैँ
पर पिछे नहीँ..................।

वक्त ने कई जख्म भर दिए,
मै भी बहुत कुछ भूल चुका हूँ.
पर किताबों  पर धूल जमने से
कहानियाँ कहाँ बदलती है...................।

एक बात हमेशा याद रखना दोस्तों
ढूंढने पर वही मिलेंगे
जो खो गए थे,
वो कभी नहीं मिलेंगे
जो बदल गए है.............।

☀हमे भी आते है
अंदाज दिल तोडने के;
हर दिल मे खुदा बसता है
ये सोच कर चूप हो जाते है…............।

रिश्ते खराब होने की एक वजह येभी है,
कि लोग अक्सर टूटना पसंद करते है पर झुकना नही..............।

अगर लोग आपको केवल जरुरत पर ही याद करते है,
तो बुरा मत मानिये बल्कि गर्व कीजिये,
क्योंकि
एक मोमबत्ती की याद तब आती है जब अँधेरा होता है ....

मां के चरणों में ये शीश झुकाता हूं...

एक बार इस कविता को दिल से पढ़िये
शब्द शब्द में गहराई है...

जब आंख खुली तो अम्‍मा की
गोदी का एक सहारा था
उसका नन्‍हा सा आंचल मुझको
भूमण्‍डल से प्‍यारा था

उसके चेहरे की झलक देख
चेहरा फूलों सा खिलता था
उसके स्‍तन की एक बूंद से
मुझको जीवन मिलता था

हाथों से बालों को नोंचा
पैरों से खूब प्रहार किया
फिर भी उस मां ने पुचकारा
हमको जी भर के प्‍यार किया

मैं उसका राजा बेटा था
वो आंख का तारा कहती थी
मैं बनूं बुढापे में उसका
बस एक सहारा कहती थी

उंगली को पकड. चलाया था
पढने विद्यालय भेजा था
मेरी नादानी को भी निज
अन्‍तर में सदा सहेजा था

मेरे सारे प्रश्‍नों का वो
फौरन जवाब बन जाती थी
मेरी राहों के कांटे चुन
वो खुद गुलाब बन जाती थी

मैं बडा हुआ तो कॉलेज से
इक रोग प्‍यार का ले आया
जिस दिल में मां की मूरत थी
वो रामकली को दे आया

शादी की पति से बाप बना
अपने रिश्‍तों में झूल गया
अब करवाचौथ मनाता हूं
मां की ममता को भूल गया

हम भूल गये उसकी ममता
मेरे जीवन की थाती थी
हम भूल गये अपना जीवन
वो अमृत वाली छाती थी

हम भूल गये वो खुद भूखी
रह करके हमें खिलाती थी
हमको सूखा बिस्‍तर देकर
खुद गीले में सो जाती थी

हम भूल गये उसने ही
होठों को भाषा सिखलायी थी
मेरी नीदों के लिए रात भर
उसने लोरी गायी थी

हम भूल गये हर गलती पर
उसने डांटा समझाया था
बच जाउं बुरी नजर से
काला टीका सदा लगाया था

हम बडे हुए तो ममता वाले
सारे बन्‍धन तोड. आए
बंगले में कुत्‍ते पाल लिए
मां को वृद्धाश्रम छोड आए

उसके सपनों का महल गिरा कर
कंकर-कंकर बीन लिए
खुदग़र्जी में उसके सुहाग के
आभूषण तक छीन लिए

हम मां को घर के बंटवारे की
अभिलाषा तक ले आए
उसको पावन मंदिर से
गाली की भाषा तक ले आए

मां की ममता को देख मौत भी
आगे से हट जाती है
गर मां अपमानित होती
धरती की छाती फट जाती है

घर को पूरा जीवन देकर
बेचारी मां क्‍या पाती है
रूखा सूखा खा लेती है
पानी पीकर सो जाती है

जो मां जैसी देवी घर के
मंदिर में नहीं रख सकते हैं
वो लाखों पुण्‍य भले कर लें
इंसान नहीं बन सकते हैं

मां जिसको भी जल दे दे
वो पौधा संदल बन जाता है
मां के चरणों को छूकर पानी
गंगाजल बन जाता है

मां के आंचल ने युगों-युगों से
भगवानों को पाला है
मां के चरणों में जन्‍नत है
गिरिजाघर और शिवाला है

हिमगिरि जैसी उंचाई है
सागर जैसी गहराई है
दुनियां में जितनी खुशबू है
मां के आंचल से आई है

मां कबिरा की साखी जैसी
मां तुलसी की चौपाई है
मीराबाई की पदावली
खुसरो की अमर रूबाई है

मां आंगन की तुलसी जैसी
पावन बरगद की छाया है
मां वेद ऋचाओं की गरिमा
मां महाकाव्‍य की काया है

मां मानसरोवर ममता का
मां गोमुख की उंचाई है
मां परिवारों का संगम है
मां रिश्‍तों की गहराई है

मां हरी दूब है धरती की
मां केसर वाली क्‍यारी है
मां की उपमा केवल मां है
मां हर घर की फुलवारी है

सातों सुर नर्तन करते जब
कोई मां लोरी गाती है
मां जिस रोटी को छू लेती है
वो प्रसाद बन जाती है

मां हंसती है तो धरती का
ज़र्रा-ज़र्रा मुस्‍काता है
देखो तो दूर क्षितिज अंबर
धरती को शीश झुकाता है

माना मेरे घर की दीवारों में
चन्‍दा सी मूरत है
पर मेरे मन के मंदिर में
बस केवल मां की मूरत है

मां सरस्‍वती लक्ष्‍मी दुर्गा
अनुसूया मरियम सीता है
मां पावनता में रामचरित
मानस है भगवत गीता है

अम्‍मा तेरी हर बात मुझे
वरदान से बढकर लगती है
हे मां तेरी सूरत मुझको
भगवान से बढकर लगती है

सारे तीरथ के पुण्‍य जहां
मैं उन चरणों में लेटा हूं
जिनके कोई सन्‍तान नहींu
मैं उन मांओं का बेटा हूं

हर घर में मां की पूजा हो
ऐसा संकल्‍प उठाता हूं
मैं दुनियां की हर

घर से भागकर लड़की चली


जो लडकिया लव के चककर मे पडकर अपने माँ-बाप
को छोडकर
घर से भाग जाती है
मै उन लडकीयो के लिए कुछ कहना चाहुंगा
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बाबुल की बगिया में जब तू , बनके
कली खिली,
तुमको क्या मालूम की,
उनको कितनी खुशी मिली ।
उस बाबुल को मार के ठोकर, घर से भाग जाती हो,
जिसका प्यारा हाथ पकड़ कर, तुम पहली बार
चली ॥
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तूने निष्ठुर बन भाई की, राखी को कैसे
भुलाया,
घर से भागते वक़्त माँ का आँचल याद न आया ?
तेरे गम में बाप हलक से, कौर निगल ना पाया,
अपने स्वार्थ के खातिर, तूने घर में मातम फैलाया ॥
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वो प्रेमी भी क्या प्रेमी,
जो तुम्हें भागने को उकसाये,
वो दोस्त भी क्या दोस्त, जो तेरे यौवन पे ललचाये ।
ऐसे तन के लोभी तुझको,
कभी भी सुख ना देंगे,
उलटे तुझसे ही तेरा, सुख चैन
सभी हर लेंगे ॥
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सुख देने वालो को यदि, तुम दुःख दे जाओगी,
तो तुम भी अपने जीवन में, सुख
कहाँ से पाओगी?
अगर माँ बाप को अपने, तुम ठुकरा कर जाओगी,
तो जीवन के हर मोड पर, ठोकर
ही खाओगी ॥
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जो - जो भी गई भागकर, ठोकर
खाती है,
अपनी गलती पर, रो-रोकर अश्क
बहाती है ।
एक ही किचन में, मुर्गी के संग साग
पकाती है,
हुईं भयानक भूल, सोचकर अब पछताती है ॥
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जिंदगी में हर पल तू,
रहना सदा ही जिन्दा,
तेरे कारण माँ बाप को, ना होना पड़े शर्मिन्दा ।
यदि भाग गई घर से तो, वे जीते जी मर
जाएंगे,
तू उनकी बेटी है यह, सोच - सोच
पछताएंगे ॥

होली का त्यौहार आया

होली का त्यौहार आया
रंगो की फुहार लाया
रंग-गुलाल अब उड़ने लगा है
मस्त का रंग ही चढ़ने लगा है
फागुन के इस मस्त महीने
धरती का श्रंगार करने
बसंत ऋतू भी आ पहुची है
वन उपवन में फूल खिलें हैं
खुशबू हवा में घुलने लगी है
नववर्ष के स्वागत के लिए
धरती भी अब सजने लगी है
यह वर्ष अब जाने वाला है
नव वर्ष अब आने वाला है
बीती बाते भूल जाओ सब
जो होनी थी है वो हो ली
आगे बढ़ो गुलाल लगाओ
मिल कर सब


[शुभ}हैप्पी होली………

मंगलवार, 3 मार्च 2015

आ गया होली का त्‍यौहार

1
बरसाने बरसन लगी, नौ मन केसर धार ।
ब्रज मंडल में आ गया, होली का त्‍यौहार ।।

2
लाल हरी नीली हुई, नखरैली गुलनार ।
रंग-रँगीली कर गया, होली का त्‍यौहार ।।

3
आंखों में महुआ भरा, सांसों में मकरंद ।
साजन दोहे सा लगे, गोरी लगती छंद ।।

4
कस के डस के जीत ली, रँग रसिया ने रार ।
होली ही हिम्‍मत हुई, होली ही हथियार ।।

5
हो ली, हो ली, हो ही ली, होनी थी जो बात ।
हौले से हँसली हँसी, कल फागुन की रात ।।

6
होली पे घर आ गया, साजणियो भरतार ।
कंचन काया की कली, किलक हुई कचनार ।।

7
केसरिया बालम लगा, हँस गोरी के अंग ।
गोरी तो केसर हुई, साँवरिया बेरंग ।।

8
देह गुलाबी कर गया, फागुन का उपहार ।
साँवरिया बेशर्म है, भली करे करतार ।।

9
बिरहन को याद आ रहा, साजन का भुजपाश।
अगन लगाये देह में, बन में खिला पलाश ।।

10
साँवरिया रँगरेज ने, की रँगरेजी खूब ।
फागुन की रैना हुई, रँग में डूबम डूब।।

11
सतरंगी सी देह पर, चूनर है पचरंग ।
तन में बजती बाँसुरी, मन में बजे मृदंग ।।

12
जवाकुसुम के फूल से, डोरे पड़ गये नैन ।
सुर्खी है बतला रही, मनवा है बेचैन ।।

13
बरजोरी कर लिख गया, प्रीत रंग से छंद ।
ऊपर से रूठी दिखे, अंदर है आनंद ।।

14
होली में अबके हुआ, बड़ा अजूबा काम ।
साँवरिया गोरा हुआ, गोरी हो गई श्‍याम ।।

15
कंचन घट केशर घुली, चंदन डाली गंध ।
आ जाये जो साँवरा, हो जाये आनंद ।।

16
घर से निकली साँवरी, देख देख चहुँ ओर ।
चुपके रंग लगा गया, इक छैला बरजोर ।।

17
बरजोरी कान्‍हा करे, राधा भागी जाय ।
बृजमंडल में डोलता, फागुन है गन्नाय ।।

18
होरी में इत उत लगी, दो अधरन की छाप ।
सखियाँ छेड़ें घेर कर, किसका है ये पाप ।।

19
कैसो रँग डारो पिया, सगरी हो गई लाल ।
किस नदिया में धोऊँ अब, जाऊँ अब किस ताल ।।

20
फागुन है सर पर चढ़ा, तिस पर दूजी भाँग ।
उस पे ढोलक भी बजे, धिक धा धा, धिक ताँग ।।

21
हौले हौले रँग पिया, कोमल कोमल गात ।
काहे की जल्‍दी तुझे, दूर अभी परभात ।।

22
फगुआ की मस्‍ती चढ़ी, मनुआ हुआ मलंग ।
तीन चीज़ हैं सूझतीं, रंग, भंग और चंग ।।

सोमवार, 2 मार्च 2015

इंसान और कोयल

       लाजवाब लाईन

  एक बार इंसान ने कोयल से कहा
         "तूं काली ना होती तो
           कितनी अच्छी होती"

              सागर से कहा:-
     "तेरा पानी खारा ना होता तो
           कितना अच्छा होता"

              गुलाब से कहा:-
        "तुझमें काँटे ना होते तो
           कितना अच्छा होता"

        तब तीनों एक साथ बोले:-
         "हे इंसान अगर तुझमें
  दुसरो की कमियाँ देखने की आदत
   ना होती तो तूं कितना अच्छा होता"