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रविवार, 21 जून 2015

सुबह की धूप

हर सुबह की धूप कुछ याद करती है,
हर फूल की खुशबू एक जादू जगाती है,
जिन्दगी कितनी भी खुबसूरत क्यों ना हो, लेकिन सुबह सुबह अपनों की याद ही आती है.

कोन किसका रकीब (enemy) होता है

कोन किसका रकीब (enemy) होता है,
कोन किसका हबीब (friend) होता है
बन जाते रिश्ते -नाते जहा
जिसका नसीब होता है..............।
हर रिश्ते में विश्वास रहने दो;
जुबान पर हर वक़्त मिठास रहने दो;
यही तो अंदाज़ है जिंदगी जीने का;
न खुद रहो उदास, न दूसरों को रहने दो..!.........।
दिल पे क्या गुज़री वो अनजान क्या जाने;
प्यार किसे कहते है वो नादान क्या जाने;
हवा के साथ उड़ गया घर इस परिंदे का;
कैसे बना था घोसला वो तूफान क्या जाने…………...।
छू ले आसमान ज़मीन की तलाश ना कर,
जी ले ज़िंदगी खुशी की तलाश ना कर,
तकदीर बदल जाएगी खुद ही मेरे दोस्त,
मुस्कुराना सीख ले वजह की तलाश ना कर..........।
छू ले आसमान ज़मीन की तलाश ना कर,
जी ले ज़िंदगी खुशी की तलाश ना कर,
तकदीर बदल जाएगी खुद ही मेरे दोस्त,
मुस्कुराना सीख ले वजह की तलाश ना कर..........।
घर से बाहर कोलेज जाने के लिए वो नकाब मे निकली
सारी गली उनके पीछे निकली
इनकार करते थे वो हमारी मोहबत से……….
और हमारी ही तसवीर उनकी किताब से निकली……….। वो बेवफा हमारा इम्तेहा क्या लेगी
मिलेगी नज़रो से नज़रे तो अपनी नज़रे ज़ुका लेगी
उसे मेरी कबर पर दीया मत जलाने देना
वो नादान है यारो अपना हाथ जला लेगी.........।
तुम आये तो लगा हर खुशी आ गई
यू लगा जैसे ज़िन्दगी आ गई
था जिस घड़ी का मुझे कब से इंतज़ार
अचानक वो मेरे करीब आ गई………।
वक्त नूर को बेनूर कर देता है,
छोटे से जख्म को नासूर कर देता है,
कौन चाहता है अपने से दूर होना,
लेकिन वक्त सबको मजबूर कर देता है............।
जिंदगी हे सफर का सील सिला,
कोइ मिल गया कोइ बिछड़ गया,
जिन्हे माँगा था दिन रात दुआओ मे,
वो बिना मांगे किसी और को मिल गया.........।
माना के किस्मत पे मेरा कोई ज़ोर नही
पर ये सच ह के मोहब्बत मेरी कमज़ोर नही,
उस के दिल मे, उसकी यादो मे कोई और है लेकिन,
मेरी हर साँस में उसके सिवा कोई और नही.........।
इश्क़ और दोस्ती मेरी ज़िन्दगी के दो जहाँ है
इश्क़ मेरा रूह तो दोस्ती मेरा इमां है
इश्क़ पे कर दूँ फ़िदा अपनी ज़िन्दगी
मगर दोस्ती पे तो मेरा इश्क़ भी कुर्बान है. ...my allll sweet dear friendsss good morning have a happy Sunday.... happy YOG day...

जूते खो गये

अर्ज़ किया है -
महफ़िल में हमारे जूते खो
गये तो हम घर कैसे जायेंगे ?

महफ़िल में हमारे जूते खो
गये तो हम घर कैसे जायेंगे ?

किसी ने कहा-"आप शायरी तो
शुरू कीजिए
इतने मिलेंगे कि आप गिन नहीं पायेंगे ".

शनिवार, 20 जून 2015

Poem on international yoga day

अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस दिनांक-21 जून, 2015

1. योग दिवस में भाग लीजिए - भ्रम-कुयोग सब दूर कीजिए॥
2. योगी बनें-विवेक जगायें - भेद मिटायें-प्रेम बढ़ायें॥
3. योगी बनें-कुयोग मिटायें - स्वस्थ, समुन्नत राष्ट्र बनायें॥
4. योग दिवस की यही पुकार - सबकी सेवा-सबसे प्यार॥
5. योग हेतु छेड़ो अभियान - इससे होगा जनकल्याण॥
6. योग दिवस सब लोग मनायें - श्रेष्ठ बनें और श्रेष्ठ बनायें॥
7. सच्चा योगी उसको मानें - जो सबको अपना प्रिय मानें॥
8. योग करेगा यह जग सारा - विश्व बनेगा स्वर्ग सा प्यारा॥
9. योग प्यार-सहकार जगाये - समता का आधार बढ़ाये॥
10. घर-घर में हो योग सबके - खुशहाल बनें हर एक तबके॥
11. योग विश्व परिवार बनाये - प्रेम और सहकार जगाये॥
12. योग से अपना तेज बढ़ायें - मन में नव-उल्लास जगायें॥
13. नव युग का आधार है योग - उज्जवल भविष्य शुभ संयोग॥
14. योग का अनुशासन अपनायें - इस धरती को स्वर्ग बनायें॥
15. योग का नित्य अभ्यास हो - अन्तर् उत्कर्ष की प्यास हो॥
16. संस्कृति का सार है योग - संस्कारों का आधार है योग॥
17. योग से उत्तम स्वास्थ्य बनायें - मन से स्वच्छ सभी हो जायें॥
18. योग से हो सबका उत्थान - जन-जन जागे,बने महान्॥
19. योगी बन सब रोग मिटायें - स्वस्थ, समुन्नत जीवन पायें॥
20. मेरा भारत बने महान् - जन-गण-मन का हो उत्थान॥
21. योग से शुभ सद्ज्ञान जगेगा - भारत का सम्मान बढ़ेगा॥
22. योग से खुशहाली बढ़ेगी - हरियाली से धरती भरेगी॥
23. योग से नया युग सजेगा - तेजस्वी हर मानव बनेगा॥
24. गाँव-गाँव में होगा योग - स्वस्थ बनें सब भागे रोग॥
25. तनाव से मिले छुटकारा - केवल एक योगसहारा॥
26. योग का अनुशासन अपनाओ - स्वस्थ, समुन्नत जीवन पाओ॥
27. ऋषि संस्कृति की शान है योग - नवयुगका उत्थान है योग॥
28. भारत की पहचान है योग - नया विश्व निर्माण है योग॥
29. आओ सब मिल योग करें - जीवन का सदुपयोग करें॥
30. योग बहाये सद्भाव की धारा - बँधे प्यार से यह जग सारा॥योग की जय हो, कुयोग का नाश हो।प्राणियों में सद्भावना हो, विश्व का कल्याण हो॥भारत माता की जय॥

Hamari adhoori kahani..

बेहतरीन कविता
तू जिंदगी को जी, उसे समझने की कोशिश
न कर
सुन्दर सपनो के ताने बाने बुन,उसमे उलझने
की कोशिश न कर
चलते वक़्त के साथ तू भी चल, उसमे सिमटने
की कोशिश न कर
अपने हाथो को फैला, खुल कर साँस ले,
अंदर ही अंदर घुटने की कोशिश न कर
मन में चल रहे युद्ध को विराम दे,
खामख्वाह खुद से लड़ने की कोशिश न कर
कुछ बाते भगवान् पर छोड़ दे, सब कुछ खुद
सुलझाने की कोशिश न कर
जो मिल गया उसी में खुश रह, जो सकून
छीन ले वो पाने की कोशिश न कर
रास्ते की सुंदरता का लुत्फ़ उठा, मंजिल
पर जल्दी पहुचने की कोशिश न कर....

शुक्रवार, 19 जून 2015

Shayarana hai dil

Tu lakh bhula k dekh mujhe me fir bhi yaad aaunga...
Tu pani pe pe k thak jayegi...
Me hichkiyaa ban ban k sataunga...

Kiyu bhatakte ho sareraah, barish ka lutf lene ko...
Kabhi meri aankho me thahar k dekho, ye beinteha barsti hai...

Wo tera ek wada k hum kabhi juda nahi hongey...
Wo qissa hum apne dil ko suna k...
Aksar muskuratey hai...

Roj-Roj girkar bhi mukkamal khada hu...
Ae mushkilo... dekho me tumse kitna bada hu...

Maar do jaan se beshaq pr aise saza na do...
Ki baitho tum hamare samney kisi ajnabi ki tarah...

Aahishta Aahishta kijiye qatl mere Armano ka...
Kahi sapno se logo ka Aetbaar na uth jaye...

Me thak sa gaya hu khud ko sabit kartey kartey...
Mere tarikey galat ho saktey hai pr meri mohabbat nahi...

Na khushi ki talash hai na game'n nizaat ki aarzoo...
Me khud se naraz hu teri berukhi k baad...

hamari ho...

Aap khud nahi jantey aap kitney pyaare ho...
Jaan ho hamari pr jaan se pyaare ho...
Duriyon k hone se koi fark nahi padta..
Aap kal bhi hamari thi or Aaj bhi hamari ho...

दिल करता है सुधर जाऊँ

Monsoon special ����

आसमान पे काली घटा छाई है....

आज फिर घरवाली ने दो बात सुनाई है....

दिल करता है सुधर जाऊँ, मगर...

बाजूवाली आज फिर भीग कर आई है ...

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गन्दगी में.. जिन्दगी मिलाकर पीते हैं..!!

बेरंग हैं पानी फिर भी.. जिन्दगी कहलाता हैं,
ढेर सारे रंग हैं शराब के.. फिर भी गन्दगी कहलाती हैं,
लोग भी कमाल करते हैं.. जिन्दगी के गम भुलाने के लिये,
गन्दगी में.. जिन्दगी मिलाकर पीते हैं..!!....

गुरुवार, 18 जून 2015

किसी ने मेरी नींद लूटी

किसी ने मेरी नींद लूटी
तो किसी ने मेरा चैन लूट लिया
.
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नींद मिले तो आप रख लेना
पर चैन मिले तो प्लीज मुझे दे देना .........
2 तोले की है यार...

मौत पर मै कैसे लिखु कविता

मौत पर मै कैसे लिखु कविता ,
मरने का नाम ही मौत होता,
या जीवन का अंत ही मौत होता।
तो मै बहाता अपने भावो की सरिता।
मौत पर मै कैसे लिखु कविता।।
मौत ही हमे जीने की राह बताती है।
मौत मिथ्यासंसार का भान कराती है।
मौत से अहसास पराए अपने का,
मौत मानवता का पाठ सीखाती है।।
न मरने का नाम मौत है।
न जीवन का अंत मौत है।।
मै बहा दु कैसे भावो की सरिता।
मै मौत पर कैसे लिखु कविता।।
उस पेड का भी क्या पेड होना,
जिस पर न फूल, न फल ,न छॉव है।
उन मां बाप का भी क्या जीना,
जिनके बेटो ने दिए उन्हे घाव है।।
नदी जो बारीश मे करे कलकल,
बाकी सदा ही मौन रहती है।
जीने की आशा मे हर पल वो,
मौत और बस मौत सहती है।।
नही मै नही लिख सकता,
जीवन के आदर्श ,मौत पर कविता।
मै बहा दू कैसे भावो की सरिता।
मै मौत पर कैसे लिखु कविता।

कफ़न में लिपटे तन जलते अपने शरीर को देखा....

सपने मे अपनी मौत को करीब से देखा....
कफ़न में लिपटे तन जलते अपने शरीर को देखा.....
खड़े थे लोग हाथ बांधे एक कतार में...
कुछ थे परेशान कुछ उदास थे .....
पर कुछ छुपा रहे अपनी मुस्कान थे..
दूर खड़ा देख रहा था मैं ये सारा मंजर.....
.....तभी किसी ने हाथ बढा कर मेरा हाथ थाम लिया ....
और जब देखा चेहरा उसका तो मैं बड़ा हैरान था.....
हाथ थामने वाला कोई और नही...मेरा श्याम था...
चेहरे पर मुस्कान और नंगे पाँव था....
जब देखा मैंने उस की तरफ जिज्ञासा भरी नज़रों से.....
तो हँस कर बोला.... "तूने हर दिन दो घडी जपा मेरा नाम था.....
आज प्यारे उसका क़र्ज़ चुकाने आया हूँ...।"
रो दिया मै..अपनी बेवक़ूफ़ियो पर तब ये सोच कर .....
जिसको दो घडी जपा
वो बचाने आये है...
और जिन मे हर घडी रमा रहा
वो शमशान पहुचाने आये है....तभी खुली आँख मेरी बिस्तर पर विराजमान था.....
कितना था नादान मैं हकीकत से अनजान था....

बुधवार, 17 जून 2015

बुलंदी

बुलंदी देर तक किस शख्श के हिस्से में रहती है
बहुत ऊँची इमारत हर घडी खतरे में रहती है

ये ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता,
मैं जब तक घर न लौटूं, मेरी माँ सज़दे में रहती है

जी तो बहुत चाहता है इस कैद-ए-जान से निकल जाएँ हम
तुम्हारी याद भी लेकिन इसी मलबे में रहती है

अमीरी रेशम-ओ-कमख्वाब में नंगी नज़र आई
गरीबी शान से एक टाट के परदे में रहती है

मैं इंसान हूँ बहक जाना मेरी फितरत में शामिल है
हवा भी उसको छू के देर तक नशे में रहती है

मोहब्बत में परखने जांचने से फायदा क्या है
कमी थोड़ी बहुत हर एक के शज़र* में रहती है

ये अपने आप को तकसीम* कर लेते है सूबों में
खराबी बस यही हर मुल्क के नक़्शे में रहती है

शज़र  =  पेड़
तकसीम  =  बांटना      ����

सच्चा परिवार

卐  सच्चा परिवार  卐

•"परिवार में"- कायदा नही परन्तु व्यवस्था होती है।

•"परिवार में"- सूचना नहीं परन्तु समझ होती है।

•"परिवार में"- कानून नहीं परन्तु अनुशासन होता है।

•"परिवार मे"- भय नहीं परन्तु भरोसा होता है।

• "परिवार मे"- शोषण नहीं परन्तु पोषणहोता है।

•"परिवार मे"- आग्रह नही परन्तु आदर होता है।

•"परिवार मे"- सम्पर्क नही परन्तु सम्बन्ध होता है ।

•"परिवार मे"- अर्पण नही परन्तु समर्पण होता है।

वही सच्चा परिवार होता है।।

मंगलवार, 16 जून 2015

प्यार वो हैं..

प्यार वो हैं..

जब माँ रात को आती है
और कहती हैं..
“सो जा, बाकी सुबह उठ कर पढ़ लेना”

❤प्यार वो हैं …
जब हम tution से वापस आये और पापा कहे-
“बेटा लेट होने वाले थे तो कॉल कर देते”

प्यार वो है….
जब भाभी कहती हैं -
“ओये हीरो;
लड़की पटी की नही”

प्यार वो हैं….
जब बहन कहती हैं-
“देखूंगी मेरी शादी के बाद तेरा काम कौन करेगा

”प्यार वो हैं….
जब हम निराश हो और भाई आकर कहे-
“चल नौटंकी कही घुमने चलते हैं”

प्यार वो है…
जब दोस्त कॉल करके कहे-
ओये कमीने जिन्दा हैं या मर गया”

यह है सच्चा प्यार।
इसे अपने जीवन मैं बिलकुल भी ना गवाएं..

प्यार केवल गर्ल फ्रेंड या बॉय फ्रेंड होना ही नही हैं।
यह प्यार उससे भी ऊपर हैं।

ज्यादा से ज्यादा शेयर करके अपने दोस्तों को भी अपने प्यार का अहसास दिलवाए।

कुछ यादें बची हैं इस दिल के पेन ड्राईव में

बिखर गया है सब कुछ
मेरी लाईफ में
कुछ यादें बची हैं
इस दिल के पेन ड्राईव में

जिस दिन मैंने दुनिया में
लॉग इन किया
सारा मोहल्ला
खुशियों से रंगीन किया

स्कूल में मेरी
होती अक्सर पिटायी थी
मैं 2G था
और मैडम वाईफाई थी

उस पर मेरा
सॉफ्टवेयर बडा पुराना था
ट्यूब लाईट था मैं
जब CFL का जमाना था

गणित में तो
मैं बचपन से ही फ़्लॉप था
भेजे का पासवर्ड
बड़े दिनों तक लॉक था

कितना भी मारो
भेजे को सिगनल मिलता नहीं
बिन सिगनल, जिंदगी का
नेटवर्क चलता नहीं

जब जब स्कूल जाने में
मैं लेट हुआ
प्रिंसपल की डाँट से
सॉफ़्टवेयर अपडेट हुआ

हाईस्कूल में
ईश्क का वायरस घुस बैठा
भेजे में सुरक्षित
सारा डाटा चूस बैठा

नजरों से नजरें टकरायी
10th क्लास में
मैसेज आया
मेरे दिल के इनबॉक्स में

जब जब मैंने
आगे बढकर पोक किया
धीरे से उसने
नजरें झुकाकर रोक लिया

कॉलेज में देखा
किसी गैर के साथ
तो मन बैठा
ईश्क का वायरस
एंटीवायरस बन बैठा

वो रियल थी
लेकिन फ़ेक आईडी सी
लगने लगी
बातों से अपनी
मेरे यारों को भी ठगने लगी

आयी वो वापस
दिल पे मेरे नॉक किया
लेकिन फ़िर मैंने
खुद ही उसको ब्लॉक किया

मेरे जीवन में
अब प्यार के लिए स्पेस नहीं
मैं 'मीत' हूँ पगली
मजनू का अवशेष नहीं

कॉलेज से निकला
दुनियादारी सीखने लगा
बना मैं शायर
देशप्रेम पर लिखने लगा

जब दिल चाहे
तसवीर नयी बनाता हूँ
आदमी को उसका
असली चेहरा दिखलाता हूँ

डरता है दिल
जिंदगी मेरी ना वेस्ट हो
जो कुछ लिखूँ,
सदियों तक कॉपी पेस्ट हो

ख्वाहिश है
मेरे गीत जहाँ में लाउड हों
इस 'ज़िंदगी' का क्या है,
जाने कब लॉग आउट हो

रविवार, 14 जून 2015

धीरे धीरे उम्र कट जाती है

धीरे धीरे उम्र कट जाती है
                     ज़िन्दगी
       यादों की किताब बन जाती है
                कभी किसी की
            याद बहुत तड़पाती है
                       और
             कभी यादों के सहारे
            ज़िन्दगी कट जाती है
             किनारो पे सागर के
              खजाने नहीं आते,
             जीवन में बीते पल
              दुबारा नहीं आते....
            जी लो इन पलों को
               हँस के जनाब,
                फिर लौट के
        दोस्ती के जमाने नहीं आते..

रहने दे आसमा. ज़मीन कि तलाश

=> रोज   तारीख   बदलती.  है,
रोज.  दिन.  बदलते.   हैं....
रोज.  अपनी.  उमर.   भी बदलती.  है.....
रोज.  समय.  भी    बदलता. है...
हमारे   नजरिये.  भी.  वक्त.  के साथ.  बदलते.  हैं.....
बस   एक.  ही.  चीज.  है.  जो नहीं.   बदलती...
और  वो  हैं  "हम खुद"....

और  बस   ईसी.  वजह  से  हमें लगता   है.  कि.  अब  "जमाना" बदल   गया.  है........

किसी  शायर  ने  खूब  कहा  है,,

रहने   दे   आसमा.  ज़मीन   कि तलाश.  ना   कर,,
सबकुछ।  यही।  है,  कही  और  तलाश   ना   कर.,

हर  आरज़ू   पूरी  हो,  तो   जीने का।  क्या।  मज़ा,,,
जीने  के  लिए   बस।  एक खूबसूरत   वजह।  कि   तलाश कर,,,

ना  तुम  दूर  जाना  ना  हम  दूर जायेंगे,,
अपने   अपने   हिस्से कि। "दोस्ती"   निभाएंगे,,,

बहुत  अच्छा   लगेगा    ज़िन्दगी का   ये   सफ़र,,,
आप  वहा  से  याद   करना, हम यहाँ   से   मुस्कुराएंगे,,,

क्या   भरोसा   है.  जिंदगी   का,
इंसान.  बुलबुला.  है   पानी  का,

जी  रहे  है  कपडे  बदल  बदल कर,,
एक  दिन  एक  "कपडे"  में  ले जायेंगे  कंधे  बदल  बदल  कर,,

विज्ञान चालीसा

जय न्यूटन विज्ञान के आगर,
गति खोजत ते भरि गये सागर ।...

ग्राहम् बेल फोन के दाता,
जनसंचार के भाग्य विधाता ।

बल्ब प्रकाश खोज करि लीन्हा,
मित्र एडीशन परम प्रवीना ।

बायल और चाल्स ने जाना,
ताप दाब सम्बन्ध पुराना ।

नाभिक खोजि परम गतिशीला,
रदरफोर्ड हैं अतिगुणशीला ।

खोज करत जब थके टामसन,
तबहिं भये इलेक्ट्रान के दर्शन ।

जबहिं देखि न्यट्रोन को पाए,
जेम्स चैडविक अति हरषाये ।

भेद रेडियम करत बखाना,
मैडम क्यूरी परम सुजाना ।

बने कार्बनिक दैव शक्ति से,
बर्जीलियस के शुद्ध कथन से ।

बनी यूरिया जब वोहलर से,
सभी कार्बनिक जन्म यहीं से ।

जान डाल्टन के गूँजे स्वर,
आशिंक दाब के योग बराबर ।

जय जय जय द्विचक्रवाहिनी,
मैकमिलन की भुजा दाहिनी ।

सिलने हेतु शक्ति के दाता,
एलियास हैं भाग्यविधाता ।

सत्य कहूँ यह सुन्दर वचना,
ल्यूवेन हुक की है यह रचना ।

कोटि सहस्र गुना सब दीखे,
सूक्ष्म बाल भी दण्ड सरीखे ।

देखहिं देखि कार्क के अन्दर,
खोज कोशिका है अति सुन्दर ।

काया की जिससे भयी रचना,
राबर्ट हुक का था यह सपना ।

टेलिस्कोप का नाम है प्यारा,
मुट्ठी में ब्रम्हाण्ड है सारा ।

गैलिलियो ने ऐसा जाना,
अविष्कार परम पुराना ।

विद्युत है चुम्बक की दाता,
सुंदर कथन मनहिं हर्षाता ।

पर चुम्बक से विद्युत आई,
ओर्स्टेड की कठिन कमाई ।

ओम नियम की कथा सुहाती,
धारा विभव है समानुपाती ।

एहि सन् उद्गगम करै विरोधा,
लेन्ज नियम अति परम प्रबोधा ।

चुम्बक विद्युत देखि प्रसंगा,
फैराडे मन उदित तरंगा ।

धारा उद्गगम फिरि मन मोहे,
मान निगेटिव फ्लक्स के होवे ।

जय जगदीश सबहिं को साजे,
वायरलेस अब हस्त बिराजै ।

अलेक्जेंडर फ्लेमिंग आए,
पैसिंलिन से घाव भराये ।

आनुवांशिकी का यह दान,
कर लो मेण्डल का सम्मान ।

डा रागंजन सुनहु प्रसंगा,
एक्स किरण की उज्ज्वल गंगा ।

मैक्स प्लांक के सुन्दर वचना,
क्वाण्टम अंक उन्हीं की रचना ।

फ्रैंकलिन की अजब कहानी,
देखि पतंग प्रकृति हरषानी ।

डार्विन ने यह रीति बनाई,
सरल जीव से सॄष्टि रचाई ।

परि प्रकाश फोटान जो धाये,
आइंस्टीन देखि हरषाए ।

षष्ठ भुजा में बेंजीन आई,
लगी केकुले को सुखदाई ।

देखि रेडियो मारकोनी का,
मन उमंग से भरा सभी का ।

कृत्रिम जीन का तोहफा लैके,
हरगोविंद खुराना आए ।

ऊर्जा की परमाणु इकाई,
डॉ भाषा के मन भाई ।

थामस ग्राहम अति विख्याता,
गैसों के विसरण के ज्ञाता ।

जो यह पढ़े विज्ञान चालीसा,
देइ उसे विज्ञान आशीषा ।

बुधवार, 10 जून 2015

बिना मुस्कुराये ही शाम हो जाती है..

-हरिवंशराय बच्चन की बहुत ही अच्छी पंक्तियाँ--

"जब मुझे यकीन है के भगवान मेरे साथ है।
तो इस से कोई फर्क नहीं पड़ता के कौन कौन मेरे खिलाफ है।।" 

तजुर्बे ने एक बात सिखाई है...
एक नया दर्द ही...
पुराने दर्द की दवाई है...!!

हंसने की इच्छा ना हो...
तो भी हसना पड़ता है...
कोई जब पूछे कैसे हो...??
तो मजे में हूँ कहना पड़ता है..

ये ज़िन्दगी का रंगमंच है दोस्तों....
यहाँ हर एक को नाटक करना पड़ता है.
"माचिस की ज़रूरत यहाँ नहीं पड़ती..
यहाँ आदमी आदमी से जलता है...!!"

मंदिर में फूल चढ़ा कर आए तो यह एहसास हुआ कि...

पत्थरों को मनाने में,
फूलों का क़त्ल कर आए हम।

गए थे गुनाहों की माफ़ी माँगने ....
वहाँ एक और गुनाह कर आए हम ....

जल जाते हैं मेरे अंदाज़ से मेरे दुश्मन
क्यूंकिएक मुद्दत से मैंने न मोहब्बत बदली और न दोस्त बदले .!!.

एक घड़ी ख़रीदकर हाथ मे क्या बाँध ली..
वक़्त पीछे ही पड़ गया मेरे..!!

सोचा था घर बना कर बैठुंगा सुकून से..
पर घर की ज़रूरतों ने मुसाफ़िर बना डाला !!!

सुकून की बात मत कर ऐ ग़ालिब....
बचपन वाला 'इतवार' अब नहीं आता |

जीवन की भाग-दौड़ में -
क्यूँ वक़्त के साथ रंगत खो जाती है ?
हँसती-खेलती ज़िन्दगी भी आम हो जाती है..

एक सवेरा था जब हँस कर उठते थे हम
और
आज कई बार
बिना मुस्कुराये ही शाम हो जाती है..

कितने दूर निकल गए,
रिश्तो को निभाते निभाते..
खुद को खो दिया हमने,
अपनों को पाते पाते..

लोग कहते है हम मुस्कुराते बहोत है,
और हम थक गए दर्द छुपाते छुपाते..

"खुश हूँ और सबको खुश रखता हूँ,
लापरवाह हूँ फिर भी सबकी परवाह
करता हूँ..

चाहता तो हु की ये दुनियाबदल दू ....
पर दो वक़्त की रोटी केजुगाड़ में फुर्सत नहीं मिलती दोस्तों

युं ही हम दिल को साफ़ रखा करते थे .
पता नही था की, 'किमत चेहरों की होती है!!'

"दो बातें इंसान को अपनों से दूर कर देती हैं,
एक उसका 'अहम' और दूसरा उसका 'वहम'..

" पैसे से सुख कभी खरीदा नहीं जाताऔर दुःख का कोई खरीदार नहीं होता।"

किसी की गलतियों को बेनक़ाब ना कर,

'ईश्वर' बैठा है, तू हिसाब ना कर.