जरा सा मुस्कुरा☺ देना होली मानाने से पहेले
हर गम को जला देना होली जलाने से पहेले
मत सोचना की किस किस ने दिल दुखाया है अब तक
सबको माफ़ कर देना रंग लगाने से पहेले
क्या पता फिर ये मौका मिले न मिले
इसलिए दिल को साफ़ कर लेना होली से पहेले
कहीं यह सन्देश हम से पहेले कोई आप को न भेज दे
इसलिए होली ❤ की शुभ कामना ले लीजिये हम से पहेले
शायरी कविताएँ - गम यादें : sweet sad fun dard poem sms for friends girlfriend wife for every occassion -morning evening and night
कुल पेज दृश्य
गुरुवार, 5 मार्च 2015
होली का पावन संदेश
बुधवार, 4 मार्च 2015
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Paas ;- Aaj me Upar.. Aasa man Niche..
Fail :- Jag Suna Suna Lage
अभी सुरज नहीं डूबा जरा सी शाम होने दो
अभी सुरज नहीं डूबा जरा सी शाम होने दो.मै खुद लौट जाऊगा मुझे नाकाम तो होने दो.मुझे बदनाम करने का बहाना ढूंढता है जमाना.मैं खुद हो जाऊंगा बदनाम पहले मेरा नाम तो होने दो..................।
तुमने तो दर्द बया कर दिया,
ज़माने के आगे रोकर।
हम खामोश थे.
सोचो हम पर क्या बीती होगी...................
कहना जरुरी नहीँ होता ये समझने की बात है !
हम मोहब्बत मेँ खामोश जरुर हैँ
पर पिछे नहीँ..................।
वक्त ने कई जख्म भर दिए,
मै भी बहुत कुछ भूल चुका हूँ.
पर किताबों पर धूल जमने से
कहानियाँ कहाँ बदलती है...................।
एक बात हमेशा याद रखना दोस्तों
ढूंढने पर वही मिलेंगे
जो खो गए थे,
वो कभी नहीं मिलेंगे
जो बदल गए है.............।
☀हमे भी आते है
अंदाज दिल तोडने के;
हर दिल मे खुदा बसता है
ये सोच कर चूप हो जाते है…............।
रिश्ते खराब होने की एक वजह येभी है,
कि लोग अक्सर टूटना पसंद करते है पर झुकना नही..............।
अगर लोग आपको केवल जरुरत पर ही याद करते है,
तो बुरा मत मानिये बल्कि गर्व कीजिये,
क्योंकि
एक मोमबत्ती की याद तब आती है जब अँधेरा होता है ....
मां के चरणों में ये शीश झुकाता हूं...
एक बार इस कविता को दिल से पढ़िये
शब्द शब्द में गहराई है...
जब आंख खुली तो अम्मा की
गोदी का एक सहारा था
उसका नन्हा सा आंचल मुझको
भूमण्डल से प्यारा था
उसके चेहरे की झलक देख
चेहरा फूलों सा खिलता था
उसके स्तन की एक बूंद से
मुझको जीवन मिलता था
हाथों से बालों को नोंचा
पैरों से खूब प्रहार किया
फिर भी उस मां ने पुचकारा
हमको जी भर के प्यार किया
मैं उसका राजा बेटा था
वो आंख का तारा कहती थी
मैं बनूं बुढापे में उसका
बस एक सहारा कहती थी
उंगली को पकड. चलाया था
पढने विद्यालय भेजा था
मेरी नादानी को भी निज
अन्तर में सदा सहेजा था
मेरे सारे प्रश्नों का वो
फौरन जवाब बन जाती थी
मेरी राहों के कांटे चुन
वो खुद गुलाब बन जाती थी
मैं बडा हुआ तो कॉलेज से
इक रोग प्यार का ले आया
जिस दिल में मां की मूरत थी
वो रामकली को दे आया
शादी की पति से बाप बना
अपने रिश्तों में झूल गया
अब करवाचौथ मनाता हूं
मां की ममता को भूल गया
हम भूल गये उसकी ममता
मेरे जीवन की थाती थी
हम भूल गये अपना जीवन
वो अमृत वाली छाती थी
हम भूल गये वो खुद भूखी
रह करके हमें खिलाती थी
हमको सूखा बिस्तर देकर
खुद गीले में सो जाती थी
हम भूल गये उसने ही
होठों को भाषा सिखलायी थी
मेरी नीदों के लिए रात भर
उसने लोरी गायी थी
हम भूल गये हर गलती पर
उसने डांटा समझाया था
बच जाउं बुरी नजर से
काला टीका सदा लगाया था
हम बडे हुए तो ममता वाले
सारे बन्धन तोड. आए
बंगले में कुत्ते पाल लिए
मां को वृद्धाश्रम छोड आए
उसके सपनों का महल गिरा कर
कंकर-कंकर बीन लिए
खुदग़र्जी में उसके सुहाग के
आभूषण तक छीन लिए
हम मां को घर के बंटवारे की
अभिलाषा तक ले आए
उसको पावन मंदिर से
गाली की भाषा तक ले आए
मां की ममता को देख मौत भी
आगे से हट जाती है
गर मां अपमानित होती
धरती की छाती फट जाती है
घर को पूरा जीवन देकर
बेचारी मां क्या पाती है
रूखा सूखा खा लेती है
पानी पीकर सो जाती है
जो मां जैसी देवी घर के
मंदिर में नहीं रख सकते हैं
वो लाखों पुण्य भले कर लें
इंसान नहीं बन सकते हैं
मां जिसको भी जल दे दे
वो पौधा संदल बन जाता है
मां के चरणों को छूकर पानी
गंगाजल बन जाता है
मां के आंचल ने युगों-युगों से
भगवानों को पाला है
मां के चरणों में जन्नत है
गिरिजाघर और शिवाला है
हिमगिरि जैसी उंचाई है
सागर जैसी गहराई है
दुनियां में जितनी खुशबू है
मां के आंचल से आई है
मां कबिरा की साखी जैसी
मां तुलसी की चौपाई है
मीराबाई की पदावली
खुसरो की अमर रूबाई है
मां आंगन की तुलसी जैसी
पावन बरगद की छाया है
मां वेद ऋचाओं की गरिमा
मां महाकाव्य की काया है
मां मानसरोवर ममता का
मां गोमुख की उंचाई है
मां परिवारों का संगम है
मां रिश्तों की गहराई है
मां हरी दूब है धरती की
मां केसर वाली क्यारी है
मां की उपमा केवल मां है
मां हर घर की फुलवारी है
सातों सुर नर्तन करते जब
कोई मां लोरी गाती है
मां जिस रोटी को छू लेती है
वो प्रसाद बन जाती है
मां हंसती है तो धरती का
ज़र्रा-ज़र्रा मुस्काता है
देखो तो दूर क्षितिज अंबर
धरती को शीश झुकाता है
माना मेरे घर की दीवारों में
चन्दा सी मूरत है
पर मेरे मन के मंदिर में
बस केवल मां की मूरत है
मां सरस्वती लक्ष्मी दुर्गा
अनुसूया मरियम सीता है
मां पावनता में रामचरित
मानस है भगवत गीता है
अम्मा तेरी हर बात मुझे
वरदान से बढकर लगती है
हे मां तेरी सूरत मुझको
भगवान से बढकर लगती है
सारे तीरथ के पुण्य जहां
मैं उन चरणों में लेटा हूं
जिनके कोई सन्तान नहींu
मैं उन मांओं का बेटा हूं
हर घर में मां की पूजा हो
ऐसा संकल्प उठाता हूं
मैं दुनियां की हर
घर से भागकर लड़की चली
जो लडकिया लव के चककर मे पडकर अपने माँ-बाप
को छोडकर
घर से भाग जाती है
मै उन लडकीयो के लिए कुछ कहना चाहुंगा
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बाबुल की बगिया में जब तू , बनके
कली खिली,
तुमको क्या मालूम की,
उनको कितनी खुशी मिली ।
उस बाबुल को मार के ठोकर, घर से भाग जाती हो,
जिसका प्यारा हाथ पकड़ कर, तुम पहली बार
चली ॥
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तूने निष्ठुर बन भाई की, राखी को कैसे
भुलाया,
घर से भागते वक़्त माँ का आँचल याद न आया ?
तेरे गम में बाप हलक से, कौर निगल ना पाया,
अपने स्वार्थ के खातिर, तूने घर में मातम फैलाया ॥
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वो प्रेमी भी क्या प्रेमी,
जो तुम्हें भागने को उकसाये,
वो दोस्त भी क्या दोस्त, जो तेरे यौवन पे ललचाये ।
ऐसे तन के लोभी तुझको,
कभी भी सुख ना देंगे,
उलटे तुझसे ही तेरा, सुख चैन
सभी हर लेंगे ॥
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सुख देने वालो को यदि, तुम दुःख दे जाओगी,
तो तुम भी अपने जीवन में, सुख
कहाँ से पाओगी?
अगर माँ बाप को अपने, तुम ठुकरा कर जाओगी,
तो जीवन के हर मोड पर, ठोकर
ही खाओगी ॥
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जो - जो भी गई भागकर, ठोकर
खाती है,
अपनी गलती पर, रो-रोकर अश्क
बहाती है ।
एक ही किचन में, मुर्गी के संग साग
पकाती है,
हुईं भयानक भूल, सोचकर अब पछताती है ॥
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जिंदगी में हर पल तू,
रहना सदा ही जिन्दा,
तेरे कारण माँ बाप को, ना होना पड़े शर्मिन्दा ।
यदि भाग गई घर से तो, वे जीते जी मर
जाएंगे,
तू उनकी बेटी है यह, सोच - सोच
पछताएंगे ॥
होली का त्यौहार आया
होली का त्यौहार आया
रंगो की फुहार लाया
रंग-गुलाल अब उड़ने लगा है
मस्त का रंग ही चढ़ने लगा है
फागुन के इस मस्त महीने
धरती का श्रंगार करने
बसंत ऋतू भी आ पहुची है
वन उपवन में फूल खिलें हैं
खुशबू हवा में घुलने लगी है
नववर्ष के स्वागत के लिए
धरती भी अब सजने लगी है
यह वर्ष अब जाने वाला है
नव वर्ष अब आने वाला है
बीती बाते भूल जाओ सब
जो होनी थी है वो हो ली
आगे बढ़ो गुलाल लगाओ
मिल कर सब
–
[शुभ}हैप्पी होली………
मंगलवार, 3 मार्च 2015
आ गया होली का त्यौहार
1
बरसाने बरसन लगी, नौ मन केसर धार ।
ब्रज मंडल में आ गया, होली का त्यौहार ।।
2
लाल हरी नीली हुई, नखरैली गुलनार ।
रंग-रँगीली कर गया, होली का त्यौहार ।।
3
आंखों में महुआ भरा, सांसों में मकरंद ।
साजन दोहे सा लगे, गोरी लगती छंद ।।
4
कस के डस के जीत ली, रँग रसिया ने रार ।
होली ही हिम्मत हुई, होली ही हथियार ।।
5
हो ली, हो ली, हो ही ली, होनी थी जो बात ।
हौले से हँसली हँसी, कल फागुन की रात ।।
6
होली पे घर आ गया, साजणियो भरतार ।
कंचन काया की कली, किलक हुई कचनार ।।
7
केसरिया बालम लगा, हँस गोरी के अंग ।
गोरी तो केसर हुई, साँवरिया बेरंग ।।
8
देह गुलाबी कर गया, फागुन का उपहार ।
साँवरिया बेशर्म है, भली करे करतार ।।
9
बिरहन को याद आ रहा, साजन का भुजपाश।
अगन लगाये देह में, बन में खिला पलाश ।।
10
साँवरिया रँगरेज ने, की रँगरेजी खूब ।
फागुन की रैना हुई, रँग में डूबम डूब।।
11
सतरंगी सी देह पर, चूनर है पचरंग ।
तन में बजती बाँसुरी, मन में बजे मृदंग ।।
12
जवाकुसुम के फूल से, डोरे पड़ गये नैन ।
सुर्खी है बतला रही, मनवा है बेचैन ।।
13
बरजोरी कर लिख गया, प्रीत रंग से छंद ।
ऊपर से रूठी दिखे, अंदर है आनंद ।।
14
होली में अबके हुआ, बड़ा अजूबा काम ।
साँवरिया गोरा हुआ, गोरी हो गई श्याम ।।
15
कंचन घट केशर घुली, चंदन डाली गंध ।
आ जाये जो साँवरा, हो जाये आनंद ।।
16
घर से निकली साँवरी, देख देख चहुँ ओर ।
चुपके रंग लगा गया, इक छैला बरजोर ।।
17
बरजोरी कान्हा करे, राधा भागी जाय ।
बृजमंडल में डोलता, फागुन है गन्नाय ।।
18
होरी में इत उत लगी, दो अधरन की छाप ।
सखियाँ छेड़ें घेर कर, किसका है ये पाप ।।
19
कैसो रँग डारो पिया, सगरी हो गई लाल ।
किस नदिया में धोऊँ अब, जाऊँ अब किस ताल ।।
20
फागुन है सर पर चढ़ा, तिस पर दूजी भाँग ।
उस पे ढोलक भी बजे, धिक धा धा, धिक ताँग ।।
21
हौले हौले रँग पिया, कोमल कोमल गात ।
काहे की जल्दी तुझे, दूर अभी परभात ।।
22
फगुआ की मस्ती चढ़ी, मनुआ हुआ मलंग ।
तीन चीज़ हैं सूझतीं, रंग, भंग और चंग ।।
सोमवार, 2 मार्च 2015
इंसान और कोयल
लाजवाब लाईन
एक बार इंसान ने कोयल से कहा
"तूं काली ना होती तो
कितनी अच्छी होती"
सागर से कहा:-
"तेरा पानी खारा ना होता तो
कितना अच्छा होता"
गुलाब से कहा:-
"तुझमें काँटे ना होते तो
कितना अच्छा होता"
तब तीनों एक साथ बोले:-
"हे इंसान अगर तुझमें
दुसरो की कमियाँ देखने की आदत
ना होती तो तूं कितना अच्छा होता"
सुख चाहते हो
सुख चाहते हो तो रात में खाना नहीं
शांति चाहते हो तो दिन में सोना नहीं
सम्मान चाहते हो तो व्यर्थ बोलना नहीं
प्यार चाहते हो तो ye dosti छोड़ना नही... !
रिश्ते होते है ‘One Time’
हम निभाते है ‘Some Time’
याद किया करो ‘Any Time’
आप खुश रहे ‘All Time’
यही दुआ है मेरी ‘Life Time’.
शिक्षक की गोद में उत्थान पलता ह
Dedicated to Our all Worthy Teachers. ....
शिक्षक की गोद में उत्थान पलता है।
सारा जहां शिक्षक के पीछे ही चलता है।
शिक्षक का बोया हुआ पेड़ बनता है।
वही पेड़ हजारों बीज जनता है।
शिक्षक काल की गति को मोड़ सकता है।
शिक्षक धरा से अम्बर को जोड़ सकता है।
शिक्षक की महिमा महान होती है।
शिक्षक बिन अधूरी हूँ वसुन्धरा कहती है।
याद रखो चाणक्य ने इतिहास बना डाला था।
क्रूर मगध राजा को मिट्टी में मिला डाला था।
बालक चन्द्रगुप्त को चक्रवर्ती सम्राट बनाया था।
एक शिक्षक ने अपना लोहा मनवाया था।
संदीपनी से गुरु सदियों से होते आये है।
कृष्ण जैसे नन्हे नन्हे बीज बोते आये है।
शिक्षक से ही अर्जुन और युधिष्ठिर जैसे नाम है।
शिक्षक की निंदा करने से दुर्योधन बदनाम है।
शिक्षक की ही दया दृष्टि से बालक राम बन जाते है।
शिक्षक की अनदेखी से वो रावण भी कहलाते है।
हम सब ने भी शिक्षक बनने का सुअवसर पाया है।
बहुत बड़ी जिम्मेदारी को हमने गले लगाया है।
आओ हम संकल्प करे की अपना फ़र्ज निभायेगे।
अपने प्यारे भारत को हम जगतगुरु बनायेंगे।
अपने शिक्षक होने का हरपल अभिमान करेगे।
इस समाज में हम भी अपना शिक्षा दान करेगे।
शिक्षको को समर्पित कविता।
किसी बीवी वाले को प्रधानमंत्री बनाओ
ब्यूटी पार्लर महँगा,
जिम महंगा,
होटल मे रुकना और खाना महंगा,
फोन/मोबाइल महँगा,
इंटरनेट महंगा,
एयर टिकट महंगा,
एटीएम से पैसे निकालना महंगा,
बीवी की याद आयी, तनाव हुआ ...
तो सुनो सिगरेट महंगी...
सिरदर्द हुआ तो दवाई भी महंगी...
अब क्या करोगे जनाब,
बीवी से जूते खाओगे.. हाँ खा लो,
जूते और एम्बुलेंस की सुविधा सस्ती है..
कह रहे थे किसी बीवी वाले को प्रधानमंत्री बनाओ
---
रविवार, 1 मार्च 2015
Ladies Mobile Poem
"ये मोबाइल हमारा है
पतिदेव से भी प्यारा है"
उठते ही मोबाइल के दर्शन पहले पाऊ मै।
पति परमेशवर को ऐसे में बस भूल ही जाऊ मै।
मध्यम आंच पर चाय चड़ाऊ मै।
वोट्सअप को पढती जाऊ मै।
चाय उबल कर हो गई काडा।
चिल्ला रहे है पति देव हमारा।
कानो में है ईयरफ़ोन लगाया।
अब मैने फेसबुक है चलाया।
रोटी बनाने कि बारी आई।
दाल गैस पर चढा कर आई।
इतने में सखी का फ़ोन आया।
पार्टी का उसने संदेशा सुनाया।
करने लगी बाते मैं प्यारी।
इतने में भिन्डी हो गई करारी।
सासूजी चबा ना पाई।
मन ही मन वो खूब बडबड़ाई।
ससुर जी बैठे है बाथरूम में।
खत्म हो गया पानी टंकी में।
कैंडी-कृश गेम में उलझ गई थी मैं।
मोटर चालु करना ही भूल गई थी मैं।
ग्रुप कि एडमिन बन कर है नाम बहुत कमाया।
सबके घर की बहुओ को अपने ही साथ उलझाया।
बच्चो की मार्कशीट के मार्क्स ही ऐसे आए।
जो पति परमेश्वर के दिल को ना है भाए।
उसे देख पतिदेव ने सिंघम रूप बनाया।
"आता माझी सटकली" हमको है सुनाया
घर का बजा रहा है बाराह।
ऐसा है मोबाइल हमारा।
थोड़ी थोड़ी पिया करो
दारू का पहाङा:
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दारू एकम दारू - महफिल हुइ चालू
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दारू दुनी गिलास -
मजा आयेगा खास
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दारू तिया वाईन - टेस्ट एकदम फाईन
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दारू चौके बियर - डालो नेक्स्ट
गियर
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दारू पंजे रम - भूल जाओ गम
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दारू छक्के ब्रांडी - खाओ चिकन
हाँडी
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दारू सत्ते व्हिस्की - काॅकटेल है
रिस्की
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दारू अठ्ठे बेवडा - लाओ सेव चिवडा
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दारू नम्मे खंबा - ज्यादा हो गइ,
थांबा
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दारू दहाम चस्का - नेक्स्ट
पार्टी किसका?
अर्ज़ किया हैं...
रोक दो मेरे जनाजे को अब
मुझमे जान आ रही हैं..
आगे से थोडा राईट ले लो
दारु की दूकान आ रही हैं |
"बोतल छुपा दो कफ़न में मेरे,
शमशान में पिया करूंगा,
जब खुदा मांगेगा हिसाब,
तो पैग बना कर दिया करूंगा"
"नशा" "महोब्बत " का हो
"शराब" का हो ...-
या -"whatsapp " का हो
" होश " तीनो मे खो जाते है
" फर्क " सिर्फ इतना है की,
"शराब" सुला देती है ..
"महोब्बत " रुला देती है ,
- और -
"whatsapp " यारो की
याद दिला देती है ..!
समर्पित
सभी प्यारें दोस्त के लिए ┓┈┈┈┈┈┈┈┈┈┈┈
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जाम पे जाम पीने का क्या फ़ायदा?
शामको पी, सुबह उतर जाएगी.
अरे दो बून्द दोस्ती के
पी ले ज़िन्दगी सारी नशे में गुज़र जाएगी...
उसने मेरा दिल तोड़ दिया
उसने मेरा दिल तोड़ दिया और मैंने उसका...
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iPhone 6,
अब खुद ही हिसाब लगा लो कौन ज्यादा रोया होगा
उसको आना होगा तो अपने आप ही चली आएगी,
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यूँ घंटों टॉयलेट में बैठ कर, जोर लगाना फ़ज़ूल है।
ज़िंदगी में दो बातें हमेशा याद रखना,
हवा चलती है तो पत्ते हिलते हैं और...
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नहीं चलती तो नहीं हिलते।
आजकल प्यार में दिल कम,
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सिम ज्यादा टूटते हैं।
किताबें सबसे अच्छी दोस्त होती हैं,
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भगवान जाने किसकी।
हर आहट पर जान निकल जाती है;
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ये पब्लिक टॉयलेट के दरवाज़े की कुण्डी क्यों नहीं होती।
शरीफ थे इतने कि कभी कमीज के बटन तक नहीं खोले,
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मगर ये बिजली बोर्ड वालों ने तो 'सनी लियोन' बना दिया।
इतना टूट के न चाहो उसे मोहब्बत की शुरुआत में...
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क्या पता उसकी बहन ज्यादा खूबसूरत हो।
तुम पर बीतेगी तो तुम जानोगे कि...
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कोई दावत पर बुलाकर 'टिण्डे' की सब्ज़ी खिलाये तो कैसा लगता है।
हसरत ए दीदार के लिये उसकी गली में मोबाईल की दुकान खोली;
मत पूछो अब हालात ए बेबसी, ऐ गालिब;
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रोज़ एक नया शख्स उनके नम्बर पे रीचार्ज़ करवानें आता है।
वो मुझसे मिलकर रोई इतना कि...
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उसकी नाक का बुलबुला देख मेरी हँसी निकल गयी।
एक लड़की ने मुझसे पूछा क्या आप WhatsApp चलाते हो?
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मैंने कहा नही ड्राइवर रखा हुआ है।
एक बात आज तक समझ मे नहीं आई! माना जूता छुपाई वह रस्म है, जो सालियाँ शादी के वक्त अदा करती हैं। मगर .
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मगर मंदिर के बाहर यह रस्म कौन से साले अदा कर जाते हैं?
"जीवन में पैसा ही सब कुछ नहीं होता, मास्टर कार्ड और वीज़ा कार्ड की भी कोई वैल्यू है।"
तुम हँसते रहो, मुस्कुराहते रहो, नाचते रहो, सदा खिल-खिलाते रहो;
मेरा क्या है , लोग तुम्हें ही पाग़ल समझेंगे
रात गुमसुम हैं मगर चाँद खामोश नहीं
रात गुमसुम हैं मगर चाँद खामोश नहीं !कैसे कह दूँ फिर आज मुझे होश नहीं !!ऐसे डूबा तेरी आँखों के गहराई में आज !हाथ में जाम हैं,मगर पिने का होश नहीं !!...........।
उसकी पलकों से आँसू को चुरा रहे थे हम, उसके ग़मोको हंसींसे सजा रहे थे हम, जलाया उसी दिए ने मेरा हाथ जिसकी लो को हवासे बचा रहे थे हम................।
रात को रात का तोफा नहीं देते !दिल को जजबात का तोफा नहीं देते !!देने को तो हम आप को चाँद भी दे दे !मगर चाँद को चाँद का तोफा नहीं देते !!................।
दिल ने आज फिर तेरे दीदार की ख्वाहिश रखी है अगर फुरसत मिले
तो ख्वाबों मे आ जाना...............।
उल्फत की जंजीर से डर लगता हैं !कुछ अपनी ही तकदीर से डर लगता हैं !!जो जुदा करते हैं, किसी को किसी से !हाथ की बस उसी लकीर से डर लगता हैं...............।
कभी तो आ मिल, फिर से करें गुफ्तगू! मैं आँखें पढूँ तेरी, तू साँसें
सुने मेरी!...............।
" महोब्बत हुई तो नींद भी मेरी ना रही '
क्या कसूर था इन बेक़सूर आँखों का...
शनिवार, 28 फ़रवरी 2015
इस जीवन की चादर मे
सांसों के ताने बाने हैं,
दुख की थोड़ी सी सलवट है,
सुख के कुछ फूल सुहाने हैं.
क्यों सोचे आगे क्या होगा,
अब कल के कौन ठिकाने हैं,
ऊपर बैठा वो बाजीगर ,
जाने क्या मन में ठाने है.
चाहे जितना भी जतन करे,
भरने का दामन तारों से,
झोली में वो ही आएँगे,
जो तेरे नाम के दाने है.
ये बेटियां
●~~"बेटियाँ कुछ लेने नहीं आती है पीहर"~~●
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..बेटियाँ..
..पीहर आती है..
..अपनी जड़ों को सींचने के लिए..
..तलाशने आती हैं भाई की खुशियाँ..
..वे ढूँढने आती हैं अपना सलोना बचपन..
..वे रखने आतीं हैं..
..आँगन में स्नेह का दीपक..
..बेटियाँ कुछ लेने नहीं आती हैं पीहर..
~~~
..बेटियाँ..
..ताबीज बांधने आती हैं दरवाजे पर..
..कि नज़र से बचा रहे घर..
..वे नहाने आती हैं ममता की निर्झरनी में..
..देने आती हैं अपने भीतर से थोड़ा-थोड़ा सबको..
..बेटियाँ कुछ लेने नहीं आती हैं पीहर..
~~~
..बेटियाँ..
..जब भी लौटती हैं ससुराल..
..बहुत सारा वहीं छोड़ जाती हैं..
..तैरती रह जाती हैं..
..घर भर की नम आँखों में..
..उनकी प्यारी मुस्कान..
..जब भी आती हैं वे, लुटाने ही आती हैं अपना वैभव..
..बेटियाँ कुछ लेने नहीं आती हैं पीहर..
Dear Papa....
"बेटी" बनकर आई हु माँ-बाप के जीवन में,
बसेरा होगा कल मेरा किसी और के आँगन में,
क्यों ये रीत "रब" ने बनाई होगी,
"कहते" है आज नहीं तो कल तू "पराई" होगी,
"देके" जनम "पाल-पोसकर" b
जिसने हमें बड़ा किया,
और "वक़्त" आया तो उन्ही हाथो ने हमें "विदा" किया,
"टूट" के बिखर जाती हे हमारी "ज़िन्दगी " वही,
पर फिर भी उस "बंधन" में प्यार मिले "ज़रूरी" तो नहीं,
क्यों "रिश्ता" हमारा इतना "अजीब" होता है,
क्या बस यही "बेटियो" का "नसीब" होता हे??
"Papa" Says"...
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बहुत "चंचल" बहुत
"खुशनुमा " सी होती है "बेटिया".
"नाज़ुक" सा "दिल" रखती है "मासूम" सी होती है "बेटिया".
"बात" बात पर रोती है
"नादान" सी होती है "बेटिया".
"रेहमत" से "भरपूर"
"खुदा" की "Nemat" है "बेटिया".
"घर" महक उठता है
जब "मुस्कराती" हैं "बेटिया".
"अजीब" सी "तकलीफ" होती है\
जब "दूसरे" घर जाती है "बेटियां".
"घर" लगता है सूना सूना "कितना" रुला के "जाती" है "बेटियां"
"ख़ुशी" की "झलक"
"बाबुल" की "लाड़ली" होती है "बेटियां"
ये "हम" नहीं "कहते"
यह तो "रब " कहता है. . क़े जब मैं बहुत खुश होता हु तो "जनम" लेती है
"प्यारी सी बेटियां"
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सही कहा है भाई
पैर की मोच
और
छोटी सोच,
हमें आगे
बढ़ने नहीं देती ।
टूटी कलम
और
औरो से जलन,
खुद का भाग्य
लिखने नहीं देती ।
काम का आलस
और
पैसो का लालच,
हमें महान
बनने नहीं देता ।
अपना मजहब उंचा
और
गैरो का ओछा,
ये सोच हमें इन्सान
बनने नहीं देती ।
दुनिया में सब चीज
मिल जाती है,....
केवल अपनी गलती
नहीं मिलती.....
भगवान से वरदान माँगा
कि दुश्मनों से
पीछा छुड़वा दो,
अचानक दोस्त
कम हो गए...
" जितनी भीड़ ,
बढ़ रही
ज़माने में..।
लोग उतनें ही,
अकेले होते
जा रहे हैं...।।।
इस दुनिया के
लोग भी कितने
अजीब है ना ;
सारे खिलौने
छोड़ कर
जज़बातों से
खेलते हैं...
किनारे पर तैरने वाली
लाश को देखकर
ये समझ आया...
बोझ शरीर का नही
साँसों का था....
दोस्तो के साथ
जीने का इक मौका
दे दे ऐ खुदा...
तेरे साथ तो
हम मरने के बाद
भी रह लेंगे....
“तारीख हज़ार
साल में बस इतनी
सी बदली है…
तब दौर
पत्थर का था
अब लोग
पत्थर के हैं..."
☝ Thought of the day ☝
स्वर्ग का सपना छोड़ दो,
नर्क का डर छोड़ दो,
कौन जाने क्या पाप ,
क्या पुण्य,
बस...
किसी का दिल न दुखे
अपने स्वार्थ के लिए,
बाकी सब कुदरत पर छोड़ दो।
वो पतंगे
बचपन मे 1 रु. की पतंग के पीछे २ की.मी. तक भागते थे...
न जाने कीतने चोटे लगती थी...
वो पतंग भी आसमान से हंसती हुए हमे बहोत दौड़ाती थी...
शायद वही जिंदगी की दौड़ थी...
आज पता चलता है,
दरअसल वो पतंग नहीं थी;
एक चेलेंज थी...
खुशीओं को हांसिल करने के लिए दौड़ना पड़ता है...
वो दुकानो पे नहीं मिलती...
वो पतंगे
बचपन मे 1 रु. की पतंग के पीछे २ की.मी. तक भागते थे...
न जाने कीतने चोटे लगती थी...
वो पतंग भी आसमान से हंसती हुए हमे बहोत दौड़ाती थी...
शायद वही जिंदगी की दौड़ थी...
आज पता चलता है,
दरअसल वो पतंग नहीं थी;
एक चेलेंज थी...
खुशीओं को हांसिल करने के लिए दौड़ना पड़ता है...
वो दुकानो पे नहीं मिलती...