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बुधवार, 22 अप्रैल 2015

जब मैं छोटा था

गुलज़ार साहब की कविता :-
जब मैं छोटा था,
शायद दुनिया
बहुत बड़ी हुआ करती थी..
मुझे याद है
मेरे घर से “स्कूल” तक का
वो रास्ता,
क्या क्या
नहीं था वहां,
चाट के ठेले,
जलेबी की दुकान,
बर्फ के गोले
सब कुछ,
अब वहां
“मोबाइल शॉप”,
“विडियो पार्लर” हैं,
फिर भी
सब सूना है..
शायद
अब दुनिया
सिमट रही है…
.
.
.
जब
मैं छोटा था,
शायद
शामें बहुत लम्बी
हुआ करती थीं…
मैं हाथ में
पतंग की डोर पकड़े,
घंटों उड़ा करता था,
वो लम्बी
“साइकिल रेस”,
वो बचपन के खेल,
वो
हर शाम
थक के चूर हो जाना,
अब
शाम नहीं होती,
दिन ढलता है
और
सीधे रात हो जाती है.
शायद
वक्त सिमट रहा है..
जब
मैं छोटा था,
शायद दोस्ती
बहुत गहरी
हुआ करती थी,
दिन भर
वो हुजूम बनाकर
खेलना,
वो
दोस्तों के
घर का खाना,
वो
लड़कियों की
बातें,
वो
साथ रोना…
अब भी
मेरे कई दोस्त हैं,
पर दोस्ती
जाने कहाँ है,
जब भी
“traffic signal”
पर मिलते हैं
“Hi” हो जाती है,
और
अपने अपने
रास्ते चल देते हैं,
होली,
दीवाली,
जन्मदिन,
नए साल पर
बस SMS आ जाते हैं,
शायद
अब रिश्ते
बदल रहें हैं..
.ं
जब
मैं छोटा था,
तब खेल भी
अजीब हुआ करते थे,
छुपन छुपाई,
लंगडी टांग,
पोषम पा,
टिप्पी टीपी टाप.
अब
internet, office,
से फुर्सत ही नहीं मिलती..
शायद
ज़िन्दगी
बदल रही है.
.
.
जिंदगी का
सबसे बड़ा सच
यही है..
जो अकसर क़ब्रिस्तान के बाहर
बोर्ड पर
लिखा होता है…
“मंजिल तो
यही थी,
बस
जिंदगी गुज़र गयी मेरी
यहाँ आते आते”
.
ज़िंदगी का लम्हा
बहुत छोटा सा है…
कल की
कोई बुनियाद नहीं है
और आने वाला कल
सिर्फ सपने में ही है..
अब
बच गए
इस पल में..
तमन्नाओं से भर
इस जिंदगी में
हम सिर्फ भाग रहे हैं.
कुछ रफ़्तार
धीमी करो,
मेरे दोस्त,
और
इस ज़िंदगी को जियो..
खूब जियो मेरे दोस्त….. ।।

मंगलवार, 21 अप्रैल 2015

"माँ तुम बहुत याद आती हो"

एक  विवाहित बेटी का पत्र उसकी माँ के नाम

"माँ तुम बहुत याद आती हो"

अब मेरी सुबह 6 बजे होती है और रात 12 बज जाती है, तब

"माँ तुम बहुत याद आती हो"

सबको गरम गरम परोसती हूँ, और खुद ठंढा ही खा लेती हूँ, तब

"माँ तुम बहुत याद आती हो"

जब कोई बीमार पड़ता है तो
एक पैर पर उसकी सेवा में लग जाती हूँ,

और जब मैं बीमार पड़ती हूँ
तो खुद ही अपनी सेवा कर लेती हूँ, तब

"माँ तुम बहुत याद आती हो"

जब रात में सब सोते हैं,
बच्चों और पति को चादर ओढ़ाना नहीं भूलती,

और खुद को कोई चादर ओढाने वाला नहीं, तब

"माँ तुम बहुत याद आती हो"

सबकी जरुरत पूरी करते करते खुद को भूल जाती हूँ,
खुद से मिलने वाला कोई नहीं, तब

"माँ तुम बहुत याद आती हो"

यही कहानी हर लड़की की शायद शादी के बाद हो जाती है

कहने को तो हर आदमी शादी से पहले कहता है

"माँ की याद तुम्हें आने न दूँगा"

पर, फिर भी क्यों?

"माँ तुम बहुत याद आती हो"

सोमवार, 20 अप्रैल 2015

खवाहिश नही मुझे मशहुर होने की

खवाहिश  नही  मुझे  मशहुर  होने  की।
आप  मुझे  पहचानते  हो  बस  इतना  ही  काफी  है।
अच्छे  ने  अच्छा  और  बुरे  ने  बुरा  जाना  मुझे।
क्यों  की  जीसकी  जीतनी  जरुरत  थी  उसने  उतना  ही  पहचाना  मुझे।
ज़िन्दगी  का  फ़लसफ़ा  भी   कितना  अजीब  है,
शामें  कटती  नहीं,  और  साल  गुज़रते  चले  जा  रहे  हैं....!!
एक  अजीब  सी  दौड़  है  ये  ज़िन्दगी,
जीत  जाओ  तो  कई  अपने  पीछे  छूट  जाते  हैं,
और  हार  जाओ  तो  अपने  ही  पीछे  छोड़  जाते  हैं।.

जब  बचपन  था,  तो  जवानी  एक  ड्रीम  था...

जब  बचपन  था,  तो  जवानी  एक  ड्रीम  था...
जब  जवान  हुए,  तो  बचपन  एक  ज़माना  था... !!

जब  घर  में  रहते  थे,  आज़ादी  अच्छी  लगती  थी...

आज  आज़ादी  है,  फिर  भी  घर  जाने  की   जल्दी  रहती  है... !!

कभी  होटल  में  जाना  पिज़्ज़ा,  बर्गर  खाना  पसंद  था...

आज  घर  पर  आना  और  माँ  के  हाथ  का  खाना  पसंद  है... !!!

स्कूल  में  जिनके  साथ  ज़गड़ते  थे,  आज  उनको  ही  इंटरनेट  पे  तलाशते  है... !!

ख़ुशी  किसमे  होतीं है,  ये  पता  अब  चला  है...
बचपन  क्या  था,  इसका  एहसास  अब  हुआ  है...

काश  बदल  सकते  हम  ज़िंदगी  के  कुछ  साल..

.काश  जी  सकते  हम,  ज़िंदगी  फिर  एक  बार...!!

जब हम अपने शर्ट में हाथ छुपाते थे
और लोगों से कहते फिरते थे देखो मैंने
अपने हाथ जादू से हाथ गायब कर दिए
|

✏जब हमारे पास चार रंगों से लिखने
वाली एक पेन हुआ करती थी और हम
सभी के बटन को एक साथ दबाने
की कोशिश किया करते थे |❤

जब हम दरवाज़े के पीछे छुपते थे
ताकि अगर कोई आये तो उसे डरा सके..

जब आँख बंद कर सोने का नाटक करते
थे ताकि कोई हमें गोद में उठा के बिस्तर तक पहुचा दे |

सोचा करते थे की ये चाँद
हमारी साइकिल के पीछे पीछे
क्यों चल रहा हैं |

On/Off वाले स्विच को बीच में
अटकाने की कोशिश किया करते थे |

फल के बीज को इस डर से नहीं खाते
थे की कहीं हमारे पेट में पेड़ न उग जाए |

बर्थडे सिर्फ इसलिए मनाते थे
ताकि ढेर सारे गिफ्ट मिले |

फ्रिज को धीरे से बंद करके ये जानने
की कोशिश करते थे की इसकी लाइट
कब बंद होती हैं |

  सच , बचपन में सोचते हम बड़े
क्यों नहीं हो रहे ?

और अब सोचते हम बड़े क्यों हो गए ?⚡⚡

ये दौलत भी ले लो..ये शोहरत भी ले लो

भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी...

मगर मुझको लौटा दो बचपन
का सावन ....☔

वो कागज़
की कश्ती वो बारिश का पानी..
..............
एक बात बोलू इंकार मत करना आपको आप जिसे चाहते हे उनकी कसम हे।
10 लोगोको सेंड करो पर मुझे नहीं ।आज  आपको गुड न्यूज़ मिलेगी,अगर पढ़कर अन्जान
बने रहे तो शानिवार तक कुछ ऐसा होगा जो कभी सोचा भी नहीं ।

हम "हसना" नहीं छोडते...

खुद की तरक्की में इतना
      समय लगा दो
की किसी ओर की बुराई
   का वक्त ही ना मिले......
"क्यों घबराते हो दुख होने से,
जीवन का प्रारंभ ही हुआ है रोने से..
नफरतों के बाजार में जीने का अलग ही मजा है...
लोग "रूलाना" नहीं छोडते...
और हम "हसना" नहीं छोडते।

अब तो आप लोगों से ही आशा है।

लड़की पसंद की शादी करने के कुछ दिनो के बाद शर्मिंदा-शर्मिंदा वापिस अपने मायके आ गयी।
माँ ने वजह पूछी , तो बोली:

क्या बताऊँ माँ...
लड़का तो "अध्यापक" निकला..
एक नंबर का कंगाल।
न घर न द्वार, न पैसा न माल।
बस श्रीमान ठन-ठन गोपाल।
5 पैसे की सेविंग नहीं।
घर किराए का था,
बाइक लोन पर है ,
मोबाइल चाइना का है ,
परचून की दुकान में,
12'570/- की उधारी है।
पैसा वो देता नहीं...
दुकानदार मुझे घूरता है।
एक LIC की पालिसी है,
मात्र 500 रु. महीना..
उसका भी तीन महीने से
प्रीमियम नहीं पटा है।
और तो और...
उसको 8 साल भी नहीं हुआ है।
जिसको सरकार ही
अपना नहीं मानती।
वो भला मेरा कैसे होगा??
ना आने का पता...
ना जाने का।
कभी 10 से 5 बजे,
कभी 9 से 3 बजे,
तो कभी 7 से 11 बजे जाता है।
समझ नहीं आता...
नाश्ता बनाऊं कि खाना??
कभी बी.एल.ओ. बन जाता है,
तो कभी अभिहित अधिकारी
जबरदस्ती का ओवरटाइम।
छुट्टियों में भी काम,
टाइम बच गया तो ट्रेनिंग।
तनख्वाह के बारे में
जब भी पूछो...
एक ही जवाब देता है,
अलाटमेंट नहीं है।
अब पता नहीं ये क्या होता है।
ना प्रमोशन का पता,
ना प्यार-मोहब्बत का टाइम।
ऊपर से सरकारका वादा,
पैसा कम और टेंसन ज्यादा!!
आजकल पता नहीं कौन सा
नजरी नक्शा बना रहा है,
पिछले 15 दिन से तो
नज़र ही नही आ रहा है।
उसके साथ जीवन मेरा तमाशा है,
अब तो आप लोगों से ही आशा है।

मन के भीतर, उठते प्रश्नों से हारा हूँ

हे भारत के मुखिया मोदी , बेशक समर्थक तुम्हारा हूं
पर अपने मन के भीतर, उठते प्रश्नों से हारा हूं

मेरे सारे मित्र मुझे , मोदी का भक्त बताते हैं
पर मुझको परवाह नही है, बेशक हंसी उड़ाते हैं

मुझे 'संघ' ने यही सिखाया, व्यक्ति नही पर देश बड़ा
व्यक्ति आते व्यक्ति जाते , मैं विचार के साथ खड़ा

बचपन से ही मेरे मन में ,रहा गूंजता नारा है
जहां हुए बलिदान मुखर्जी, वो कश्मीर हमारा है

इसीलिए तुमको कुछ कसमें ,याद दिलाना वाजिब है
मेरी आत्मा कहती है, ये प्रश्न उठाना वाजिब है

ये सौगंध तुम्हारी थी, तुम देश नही झुकने दोगे
इस माटी को वचन दिया था, देश नही मिटने दोगे

ये सौगंध उठा कर तुमने, वंदे मातरम बोला था
जिस को सुनकर दिल्ली का, सत्ता सिंहासन डोला था

आस जगी थी किरणों की, लगता था अंधकार खो जायेगा
काश्मीर की पीड़ा का , अब समाधान हो जायेगा

जाग उठे कश्मीरी पंडित, और विस्थापित जाग उठे
जो हिंसा के मारे थे , वे सब निर्वासित जाग उठे

नई दिल्ली से जम्मु तक, सब मोदी मोदी दिखता था
कितना था अनुकूल समय, जो कभी विरोधी दिखता था

फिर ऐसी क्या बात हुई, जो तुम विश्वास हिला बैठे
जो पाकिस्तान समर्थक हैं, तुम उनसे हाथ मिला बैठे

गद्दी पर आते ही उसने, रंग बदलना शुरू किया
पहली प्रेस वार्ता से ही, जहर उगलना शुरू किया

जिस चुनाव को खेल जान पर, सेना ने करवाया है
उस चुनाव का सेहरा उसने, पाक के सिर बंधवाया है

संविधान की उड़ा धज्जियां,अलगावी स्वर बोल दिए
जिनमें आतंकी बंद थे , वे सब दरवाजे खोल दिए

अब बोलो क्या रहा शेष,बोलो क्या मन में ठाना है
देर अगर हो गयी समझ लो,जीवन भर पछताना है

गर भारत की धरती पर,आतंकी छोड़े जायेगें
तो लखवी के मुद्दे पर, दुनिया को क्या समझायेंगे

घाटी को दरकार नही है, नेहरू वाले खेल की
यहां मुखर्जी की धारा हो ,नीति चले पटेल की

अब भी वक़्त बहुत बाकी है, अपनी भूल का सुधार करो
ये फुंसी नासूर बने ना, जल्दी से उपचार करो

जिस शिव की नगरी से जीते,उस शिव का तुम कुछ ध्यान करो
इस मंथन से विष निकला है, आगे बढ़ कर पान करो

गर मैं हूं भक्त तुम्हारा तो, अधिकार मुझे है लड़ने का
नही इरादा है कोई, अपमान तुम्हारा करने का

केवल याद दिलाना तुमको, वही पुराना नारा है
जहां हुए बलिदान मुखर्जी, वो कश्मीर हमारा है।।

किसी की मजबूरियाँ पे न हँसिये

कुछ सुंदर पंक्तियाँ...

किसी की मजबूरियाँ पे न हँसिये,
कोई मजबूरियाँ ख़रीद कर नहीं लाता..!
डरिये वक़्त की मार से,
बुरा वक़्त किसीको बताकर नही आता..!
अकल कितनी भी तेज ह़ो,
नसीब के बिना नही जीत सकती..!
बिरबल अकलमंद होने के बावजूद,
कभी बादशाह नही बन सका..
ना तुम अपने आप को गले लगा सकते हो, ना ही तुम अपने कंधे पर सर रखकर रो सकते हो..एक दूसरे के लिये जीने का नाम ही जिंदगी है..! इसलिये वक़्त उन्हें दो जो तुम्हे चाहते हों दिल से.. रिश्ते पैसो के मोहताज़ नहीं होते क्योंकि कुछ रिश्ते मुनाफा नहीं देते पर  अमीर जरूर बना देते है.... !!!

दिल की देहरी से ..........

दिल की देहरी से ...........
अाज की गजल....

कभी कभार अपने दिल की भी सुन लिया कर
ख्वाब सुनहरे पलकोँ पर बुन लिया कर

क्या देखता है मेरी आखोँ मेँ इतनी हसरत से
आईने के लिए भी कुछ लम्हे चुन लिया कर

जीने का शऊर सीख जरा इन शाखों  से
बहती हवाओं के साथ थोडा झुक लिया  कर

कश्तीयों के भरोसे ही  मिलती नहीँ मंजिल फकत
उतरने से पहले इन हवाओं का रुख लिया कर

फूल बनकर ही तुमने मुझे ज़ख्मी हर बार किया
अपनी जात पे आ ,कभी काँटे सा चुभ लिया कर

आना और जाना ही दस्तूर नहीँ इस दुनिया का
वक्त नहीँ है तू ,कंही पे दम पर रुक लिया कर

रोशनी की कद्र भला तारीकियोँ ने कब जानी है
बस अंदर से जल बाहर से बुझ लिया कर

(Ratan Singh Champawat)

शुक्रवार, 17 अप्रैल 2015

नहीं भूलती दो चीज़ें

फजूल ही पत्थर रगङ कर आदमी ने
चिंगारी की खोज की,
अब तो आदमी आदमी से जलता है..!
मैने बहुत से ईन्सान देखे हैं,
जिनके बदन पर लिबास नही होता।
और बहुत से लिबास देखे हैं,
जिनके अंदर ईन्सान नही होता ।
कोई हालात नहीं समझता ,
कोई जज़्बात नहीं समझता ,
ये तो बस अपनी अपनी समझ की बात है...,
कोई कोरा कागज़ भी पढ़ लेता है,
तो कोई पूरी किताब नहीं समझता!!
"चंद फासला जरूर रखि‍ए हर रि‍श्‍ते के दरमियान !
     क्योंकि"नहीं भूलती दो चीज़ें चाहे
जितना भुलाओ....!
         .....एक "घाव"और दूसरा "लगाव"

ज़िन्दगी एक सफ़र

"ज़िन्दगी एक सफ़र है, आराम से चलते रहो..
उतार-चढ़ाव तो आते रहेंगें, बस गियर बदलते रहो..
सफर का मजा लेना हो तो साथ में सामान कम रखिए और..
जिंदगी का मजा लेना हैं तो दिल में अरमान कम रखिए..

तज़ुर्बा है मेरा, मिट्टी की पकड़ मजबुत होती है..
संगमरमर पर तो हमने, पाँव फिसलते देखे हैं..

गुरुवार, 16 अप्रैल 2015

तू जिंदगी को जी उसे समझने की कोशिश न कर

तू जिंदगी को जी
उसे समझने की
कोशिश न कर

सुन्दर सपनो के
ताने बाने बुन
उसमे उलझने की
कोशिश न कर

चलते वक़्त के साथ
तू भी चल
उसमे सिमटने की
कोशिश न कर

अपने हाथो को फैला,
खुल कर साँस ले
अंदर ही अंदर घुटने की
कोशिश न कर

मन में चल रहे
युद्ध को विराम दे
खामख्वाह खुद से
लड़ने की कोशिश न कर

कुछ बातें
भगवान् पर छोड़ दे
सब कुछ खुद सुलझाने की
कोशिश न कर

जो मिल गया
उसी में खुश रह
जो सकून छीन ले
वो पाने की कोशिश न कर

रास्ते की सुंदरता का
लुत्फ़ उठा
मंजिल पर जल्दी
पहुचने की कोशिश न कर।

बुधवार, 15 अप्रैल 2015

फ़ुर्सत

फ़ुर्सत नही घर से मंदिर तक इंसान को आने की,
और
ख़्वाहिशें शमशान से सीधा स्वर्ग तक जाने की रखते हैं !

बुलंदी

"बुलंदी की उडान पर हो तो जरा सबर रखो;
परिंदे बताते है कि आसमान में ठिकाने नही होते |"

सोमवार, 13 अप्रैल 2015

मकान चाहे कच्चे थे

मकान चाहे कच्चे थे
लेकिन रिश्ते सारे सच्चे थे…

चारपाई पर बैठते थे
पास पास रहते थे…

सोफे और डबल बेड आ गए
दूरियां हमारी बढा गए….

छतों पर अब न सोते हैं
बात बतंगड अब न होते हैं..

आंगन में वृक्ष थे
सांझे सुख दुख थे…

दरवाजा खुला रहता था
राही भी आ बैठता था…

कौवे भी कांवते थे
मेहमान आते जाते थे…

इक साइकिल ही पास था
फिर भी मेल जोल था…

रिश्ते निभाते थे
रूठते मनाते थे…

पैसा चाहे कम था
माथे पे ना गम था…

मकान चाहे कच्चे थे
रिश्ते सारे सच्चे थे…

अब शायद कुछ पा लिया है
पर लगता है कि बहुत कुछ गंवा दिया

जीवन की भाग-दौड़ में –
क्यूँ वक़्त के साथ रंगत खो जाती है?
हँसती-खेलती ज़िन्दगी भी आम हो जाती है।

एक सवेरा था जब हँस कर उठते थे हम
और
आज कई बार
बिना मुस्कुराये ही शाम हो जाती है!!

कितने दूर निकल गए,
रिश्तो को निभाते निभाते

खुद को खो दिया हमने,
अपनों को पाते पाते

Beautiful poem by
–हरिवंशराय बच्चन

पानी तेरे कितने नाम..........

पानी तेरे कितने नाम..........
पानी आकाश से गिरे तो........
बारिश,
आकाश की ओर उठे तो.............
भाप,
अगर जम कर गिरे तो...............
ओले,
अगर गिर कर जमे तो..............
बर्फ,
फूल पर हो तो...............
ओस,
फूल से निकले तो................
इत्र,
जमा हो जाए तो...............
झील,
बहने लगे तो...........................
नदी,
सीमाओं में रहे तो..................
जीवन,
सीमाएं तोड़ दे तो....................
प्रलय,
आँख से निकले तो................
आँसू,
शरीर से निकले तो................
पसीना,
और
श्री हरी के चरणों को छू कर निकले तो...........
चरणामृत

इन्सान की पहचान

अगर इन्सान की पहचान करनी है तो

सुरत से नहीं, सिरत से करो

क्योंकि सोना अक्सर लोहे की तिजोरी मे ही
रखा जाता है

नफरत

एक  नफरत ही है जिसे दुनिया चंद लम्हो मे जान लेती है ...

"'''वरना"""

प्यार  का यकींन दिलाने मे तो जिंन्दगी बीत जाती है ...!!

निरंतर जिंदगी में दुःख के दिन नहीं होते, चमन में फूल भी है, केवल कांटे नहीं होते |

समय ऐसा भी आता है इस जिंदगानी में, कि जब साथ में खुद के ही साये नहीं होते ||

रविवार, 12 अप्रैल 2015

Friendship दोस्ती

"दोस्ती तो एक झोका हैं हवा का,

दोस्ती तो एक नाम हैं वफ़ा का...,

औरो के लिए चाहे कुछ भी हो,

हमारे लिए तो दोस्ती हसीन तोफा हैं खुदा का."

शनिवार, 11 अप्रैल 2015

बड़ा महत्व है

बड़ा महत्व है एक बार पढ़ के तो देखो

ससुराल में साली का
बाग़ में माली का
होंठो में लाली का
पुलिस में गाली का
मकान में नाली का
कान में बाली का
पूजा में थाली का
खुशी में ताली का------बड़ा महत्व है

फलों में आम का
भगवान में राम का
मयखाने में जाम का
फैक्ट्री में काम का
सुर्ख़ियों में नाम का
बाज़ार में दाम का
मोहब्ब्त में शाम का-------बड़ा महत्व है

व्यापार में घाटा का
लड़ाई में चांटा का
रईसों में टाटा का
जूतों में बाटा का
रसोई में आटा का-----बड़ा महत्व है

फ़िल्म में गाने का
झगड़े में थाने का
प्यार में पाने का
अंधों में काने का
परिंदों में दाने का-----बड़ा महत्व है

ज़िंदगी में मोहब्ब्त का
परिवार में इज्ज़त का
तरक्की में किसमत का
दीवानो में हसरत का------बड़ा महत्व है

पंछियों में बसेरे का
दुनिया में सवेरे का
डगर में उजेरे का
शादी में फेरे का------बड़ा महत्व है

खेलों में क्रिकेट का
विमानों में जेट का
शारीर में पेट का
दूरसंचार में नेट का-----बड़ा महत्व है

मौजों में किनारों का
गुर्वतों में सहारों का
दुनिया में नज़ारों का
प्यार में इशारों का------बड़ा महत्व है

खेत में फसल का
तालाब में कमल का
उधार में असल का
परीक्षा में नकल का-----बड़ा महत्व है

ससुराल में जमाई का
परदेश में कमाई का
जाड़े में रजाई का
दूध में मलाई का -----बड़ा महत्व है

बंदूक में गोली का
पूजा में रोली का
समाज में बोली का
त्योहारों में होली का
श्रृंगार में चोली का-----बड़ा महत्व है

बारात में दूल्हे का
रसोई में चूल्हे का-------बड़ा महत्व है

सब्जियों में आलू का
बिहार में लालू का
मशाले में बालू का
जंगल में भालू का
बोलने में तालू का-------बड़ा महत्व है

मौसम में सावन का
घर में आँगन का
दुआ में दामन का
लंका में रावन का-------बड़ा महत्व है

चमन में बहार का
डोली में कहार का
खाने में अचार का
मकान में दीवार का-----बड़ा महत्व है

सलाद में मूली का
फूलों में जूली का
सज़ा में सूली का
स्टेशन में कूली का------बड़ा महत्व है

पकवानों में पूरी का
रिश्तों में दूरी का
आँखों में भूरी का
रसोई में छूरी का ----बड़ा महत्व है

माँ की गोदी का
देश में मोदी का ----- बड़ा
महत्व है

LAST ONE

खेत में साप का
सिलाई में नाप का
खानदान में बाप का
और
whatsapp पर आप का----
बड़ा महत्व है