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शनिवार, 30 मई 2015

मोहब्बत ना सही मुकदमा ही कर दे

मोहब्बत ना सही मुकदमा ही कर दे मुझ पर/कम से कम तारीख दर तारीख मुलाक़ात तो होगी...

ये ना पूछ कि शिकायतें कितनी  है तुझसे ऐ जिंदगी......सिर्फ  ये बता कि तेरा कोई और सितम बाकी  तो नहीं है ।

कितने बदल गये ये आजकल के रिश्ते/चन्द मुस्कानों के लिए चुटकुले सुनाने पड़ते हैं

ताप्ज्जुब न कीजियेगा अगर कोई दुश्मन भी आपकी खैरियत पूछ जायें/ये वो दौर है, जहाँ हर मुलाक़ात में मक़सद छुपे होते हैं !

ना जाने क्यों कोसते हैं लोग बदसूरती को/बर्बाद करने वाले तो हसीन चेहरे होते हैं।

डूबे हुओं को हमने बिठाया था अपनी कश्ती में यारों/और फिर कश्ती का बोझ कहकर, हमें ही उतार दिया गया !

कांच के टुकड़े

कांच के टुकड़े बनकर बिखर गयी है ज़िन्दगी मेरी...

किसी ने समेटा ही नहीं...हाथ ज़ख़्मी होने के डर से...!!

वादे और शर्तों की जरूरत नही

अच्छे रिश्तों को वादे और शर्तों की जरूरत नहीं होती.
बस दो खुबसूरत लोग चाहिए.
एक निभा सके.
दूसरा उसको समझ सके.................।                    वक़्त दिखाई नही देता है
पर,
दिखा बहुत कुछ जाता है।.............।⛅️☀️
♥जीवन में बहुत सी मुश्किलें आयेगीं,
लेकिन कभी शिकायत मत करना
क्योकिं भगवान ऐसा डायरेक्टर है
जो सबसे कठिन रोल
बेस्ट एक्टर"को ही देता है..................।
तुम लाख छुपा लो सीने मे एहसास हमारी चाहत का.
दिल जब भी धड़कता है आवाज यहाँ तक आती है................।
बात सुनो 'तुम''मेरे हो जाओ या अपना बना लो
यू 'तुम्हारे बगैर' साँसे अब रुकने सी लगी है...............।
ए बुरे वक़्त
ज़रा अदब से पेश आ
वक़्त"ही कितना लगता है
वक़्त बदलने में...................।
मुझे सिर्फ तू पसंद है,
ना कोई और.!
ना कोई और तेरे जैसा,
ना कोई और तेरे अलावा.!!.............।                  खोए हुए 
‪हम‬ खुद रहते हैं,
और
‪ढूंढते‬ आप को हैं.............।◐
☺️तुम लाख छुपा लो सीने मे एहसास हमारी चाहत का.
दिल जब भी धड़कता है आवाज यहाँ तक आती है.............।
जिंदगी जला दी हमने जब जैसी जलानी थी,
अब धुए पर तमाशा कैसा और राख पर बहस कैसी...............।
एक नफरत ही है जिसे
दुनिया पल भर में समझ लेती है.
वरना मोहब्बत का तो
पता लगने में सालों निकल जाते हैं
   ❤ मोहब्बतें......। ❤
क्या लिखूँ अपनी जिंदगी के बारे में.
दोस्तों.
वो लोग ही बिछड़ गए.
'जो जिंदगी हुआ करते  थे।.

शुक्रवार, 29 मई 2015

कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.

मै यादों का
       किस्सा खोलूँ तो,
         कुछ दोस्त बहुत
        याद आते हैं.

      मै गुजरे पल को सोचूँ       
      तो,  कुछ दोस्त
      बहुत याद आते हैं.
 
अब जाने कौन सी नगरी में,
आबाद हैं जाकर मुद्दत से.
मै देर रात तक जागूँ तो ,
         कुछ दोस्त
बहुत याद आते हैं.
  
कुछ बातें थीं फूलों जैसी,
कुछ लहजे खुशबू जैसे थे,
मै शहर-ए-चमन में टहलूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.
 
सबकी जिंदगी बदल गयी
एक नए सिरे में ढल गयी

किसी को नौकरी से फुरसत नही
किसी को दोस्तों की जरुरत नही

कोई पढने में डूबा है
किसी की दो दो महबूबा हैं

सारे यार गुम हो गये हैं
तू से आप और तुम हो गये है

      मै गुजरे पल को सोचूँ       
      तो,  कुछ दोस्त
      बहुत याद आते हैं.

गुरुवार, 28 मई 2015

आज का सच

आज का सच
जहां तक रिश्तों का सवाल है.
लोगो का आधा वक़्त.
अन्जान लोगों को इम्प्रेस करने और
अपनों को इग्नोर करने में चला जाता हैं...!!!!.......।
खेल ताश का हो या जिंदगी का अपना इक्का तब ही दिखाना जब सामने बादशाह हो............।⌚
मेरी तन्हाइयां करती हैं जिन्हे याद सदा,
उन को भी मेरी ज़रूरत हो ज़रूरी तो नहीं...!!!.........।
भारत के नोटों की एक खासियत
नोट चाहे जैसा भी
मैला ,कुचैला फटा जला मुड़ा
हुआ क्यों ना हो
गांधी हमेशा हँसता रहता है............।
ऐसा कोई दिल नही जो कभी टुटा नही.काँच से
उमीद क्या रखना.........।
में बंदूक और गिटार दोनों चलाना जानता हूं तय तुम्हे करना हे की आप कौन सी धुन पर नाचोगे.........।
तेरे लिए कभी इस दिल ने बूरा नहीं चाहा.
ये और बात हैं के, मुझे ये साबित, करना नहीं आया..!!.......।
☎हमारा कत्ल करने को मीठी जुबान है काफी,
अजीब शख्स है वो जो खंजर तलाश करता है।..............।
मैं अपनी 'ज़िंदगी' मे हर किसी को'अहमियत देता
हूँ.क्योंकि जो अच्छे' होंगे वो 'साथ' देंगे.और जो
'बुरे' होंगे वो 'सबक' देंगे...!!..........।
इस संसार में कुछ ऐसी चीजें भी है जिन्हें
हम बचपन से लेकर आज तक किताबों के
अलावा सच में नहीं देख पाए है
जैसे "ठ" से ठठेरा...........।
असल में वही.
       जीवन की चाल समझता है.
जो सफ़र की धूल को.
गुलाल समझता है.............।
सांसे तो बस दिखाने के लिये लेते है;
वरना  जिंदगी तो हमारी तुम ही हो.............।
सुना है रात देर तक जागते हो.
यादो के मारे हो या, मेरी तरह 'ईश्क' मै हारे हो...

दर्द सहने के काबिल

दिलासा देते है, लोग कि यू हर वक्त
रोया न करो,
मै कैसे बताऊँ कि कुछ दर्द सहने के
काबिल नही होते..

आँसू और मुस्कान..

कैसे हो पाए भला इंसान की
पहचान,

दोनों नकली हो गए आँसू और
मुस्कान..!

खूबसूरत है वो लब

    
हर किसी को अपनी खूबसूरती पर घमण्ड होता है!
मै आज आपको अपने नजरिये से खूबसूरती की परिभाषा बताता हूँ....!!

खूबसूरत है वो लब!
जिन पर, दूसरों के लिए कोई दुआ आ जाए !!

खूबसूरत है वो दिल!
जो, किसी के दुख मे शामिल हो जाए !!

खूबसूरत है वो जज़बात!
जो, दूसरो की भावनाओं को समझ जाए !!

खूबसूरत है वो एहसास!
जिस मे, प्यार की मिठास हो जाए !!

खूबसूरत है वो बातें!
जिनमे, शामिल हों दोस्ती और प्यार की किस्से कहानियाँ !!

खूबसूरत है वो आँखे!
जिनमे, किसी के खूबसूरत ख्वाब समा जाए !!

खूबसूरत है वो हाथ!
जो किसी के, लिए मुश्किल के वक्त सहारा बन जाए !!

खूबसूरत है वो सोच!
जिस मैं, किसी कि सारी ख़ुशी झुप जाए!!

खूबसूरत है वो दामन!
जो, दुनिया से किसी के गमो को छुपा जाए !!

खूबसूरत है वो आंसू!
जो, किसी और के गम मे बह जाए…!!

                      

क्यू बार बार ताकते हो शीशे को

क्यू बार बार ताकते हो शीशे को.
नज़र लगाओगे क्या मेरी इकलौती मुहब्बत को…..........।
आज हम उन्हें बेवफ़ा बताकर आये हैं, उनके खतों को पानी में बहाकर आये हैं, कोई निकालकर पढ़ ना ले खतों को, इसलिए पानी में भी आग लगाकर आये..............।
तेरा नजरिया मेरे नजरिये से अलग था,
शायद तूने वक्त गुजारना था और मुझे सारी जिन्दगी.............।
मशवरा तो देते रहते हो खुश रहा करो
कभी वजह भी दे दिया करो..............।
जिंदगी की दौड़ में तजुर्बा कच्चा रह गया
हम ना सीख पाये फरेब
ये दिल कम्बक्त बच्चा का बच्चा ही रह गया.............।
हर शख्स मुझे एक अख़बार समझकर
अपने मतलब की ख़बर काट लेता है.............।
कभी टूटा नहीं मेरे दिल से.
तेरी याद का सिलसिला.
अभी
गुफ़्तगू किसी से भी हो.
ख्याल तेरा ही रहता है..............।
तेरी बाँहों की पनाह में रहने दे ओ हमसफ़र मेरे
सुकूने दिल को ये आसरा जरूरी है।..............।
इश्क़ और दोस्ती मेरी ज़िन्दगी के दो जहाँ है
इश्क़ मेरा रूह तो दोस्ती मेरा इमां है
इश्क़ पे कर दूँ फ़िदा अपनी ज़िन्दगी
मगर दोस्ती पे तो मेरा इश्क़ भी कुर्बान है............।
बस यही सोचकर छोड़ दी हमने जिद मोहब्बत की.
अश्क तेरे बहे या मेरे.
लेकिन रोती तो मोहब्बत ही है.

रूह

कभी यूँ भी आ मेरे करीब तू, मेरा
इश्क मुझको ख़ुदा लगे,

मेरी रूह में तू उतर ज़रा मुझे अपना
भी कुछ पता लगे.....!!

ऐसी फ़िज़ा

काश मेरे मुल्क में ऐसी फ़िज़ा बने ,
मंदिर जले तो दर्द मुस्लमान को भी
हो....
और बेइज़्ज़त हो न पाये किसी
मस्ज़िद की आरज़ू.....
यह फ़िकर मंदिर के पुजारी को भी
हो ।.

जिस्म के घाव

जिस्म के घाव तो भर ही जायेंगे एक
दिन

खैरियत उनकी पुछो जिनके दिल पर
वार हुआ हैं..!!

तू भी इन्सान होता, मैं भी इन्सान होता

ना मस्जिद आजान देती, ना मंदिर के घंटे बजते

ना अल्ला का शोर होता, ना राम नाम भजते

ना हराम होती, रातों की नींद अपनी
मुर्गा हमें जगाता, सुबह के पांच बजते

ना दीवाली होती, और ना पठाखे बजते
ना ईद की अलामत, ना बकरे शहीद होते

तू भी इन्सान होता, मैं भी इन्सान होता,
…….काश कोई धर्म ना होता....
…….काश कोई मजहब ना होता....

ना अर्ध देते , ना स्नान होता
ना मुर्दे बहाए जाते, ना विसर्जन होता

जब भी प्यास लगती , नदिओं का पानी पीते
पेड़ों की छाव होती , नदिओं का गर्जन होता

ना भगवानों की लीला होती, ना अवतारों
का
नाटक होता
ना देशों की सीमा होती , ना दिलों का
फाटक
होता

तू भी इन्सान होता, मैं भी इन्सान होता,
…….काश कोई धर्म ना होता.....
…….काश कोई मजहब ना होता....

कोई मस्जिद ना होती, कोई मंदिर ना होता
कोई दलित ना होता, कोई काफ़िर ना
होता

कोई बेबस ना होता, कोई बेघर ना होता
किसी के दर्द से कोई, बेखबर ना होता

ना ही गीता होती , और ना कुरान होता
ना ही अल्ला होता, ना भगवान होता

तुझको जो जख्म होता, मेरा दिल तड़पता.
ना मैं हिन्दू होता, ना तू मुसलमान होता

तू भी इन्सान होता, मैं भी इन्सान होता।

शिद्दत -ए -दर्द

शिद्दत -ए -दर्द से शर्मिंदा नहीं मेरी
वफ़ा 'ग़ालिब ',.,
दोस्त गहरे हों तो फिर जख्म भी गहरे
होंगे ,.,!!!

बुधवार, 27 मई 2015

ख़्वाहिशों से नहीं गिरते हैं फूल झोली में

ख़्वाहिशों से नहीं गिरते हैं फूल झोली में,
अपने कर्मों की शाख को हिलाना होगा।
उजाला नहीं होगा कभी अंधेरे को कोसने से,
अपने हिस्से का दिया ख़ुद ही जलाना होगा!

"फेंका हुआ किसी का, न छिना हुआ मिले,
मुझे बस मेरे नसिब का लिखा हुआ मिले ।
ना मिला ये भी तो कोई गम नहीं,
मुझे बस मेरी मेहनत का किया हुआ मिले ।

दोस्ती

हमारी दोस्ती के बारे
में शक हो तो,
अकेले में एक सिक्का उछालना, अगर
हेड आया तो हम दोस्त,
और टेल आया तो पलट देना यार, अकेले
में कौन देखता है

मेरे लिए कभी दुखी न होना

✏ ऐ   "सुख"  तू  कहाँ   मिलता   है
क्या.  तेरा   कोई.  स्थायी.   पता.  है

✏क्यों   बन   बैठा   है.   अन्जाना
आखिर.  क्या   है   तेरा   ठिकाना।

✏कहाँ   कहाँ.    ढूंढा.  तुझको
पर.  तू  न.  कहीं  मिला  मुझको

✏ढूंढा.  ऊँचे   मकानों.  में
बड़ी  बड़ी   दुकानों.  में

स्वादिस्ट   पकवानों.  में
चोटी.  के.  धनवानों.  में

✏वो   भी   तुझको.    ढूंढ.  रहे   थे
बल्कि   मुझको.  ही   पूछ.  रहे.  थे

✏क्या   आपको   कुछ   पता    है
ये  सुख  आखिर  कहाँ  रहता   है?

✏मेरे.  पास.  तो.  "दुःख"  का   पता   था
जो   सुबह   शाम.  अक्सर.  मिलता  था

✏परेशान   होके   रपट    लिखवाई
पर   ये   कोशिश   भी   काम  न  आई

✏उम्र   अब   ढलान.   पे.   है
हौसले    थकान.   पे.    है

✏हाँ   उसकी.  तस्वीर   है   मेरे.  पास
अब.  भी.  बची   हुई.  है    आस

✏मैं.  भी.  हार    नही    मानूंगा
सुख.  के.  रहस्य   को.   जानूंगा

✏बचपन.   में    मिला    करता    था
मेरे    साथ   रहा    करता.   था

✏पर.  जबसे.   मैं    बड़ा   हो.   गया
मेरा.  सुख   मुझसे   जुदा.  हो  गया।

✏मैं   फिर   भी.  नही   हुआ    हताश
जारी   रखी    उसकी    तलाश

✏एक.  दिन.  जब   आवाज.  ये    आई
क्या.   मुझको.   ढूंढ.  रहा  है   भाई

✏मैं.  तेरे.  अन्दर   छुपा.   हुआ.    हूँ
तेरे.  ही.  घर.  में.  बसा.   हुआ.   हूँ

✏मेरा.  नही.  है   कुछ.   भी    "मोल"
सिक्कों.   में.  मुझको.   न.   तोल

✏मैं.  बच्चों.  की.   मुस्कानों.   में    हूँ
हारमोनियम   की.   तानों   में.   हूँ

✏पत्नी.  के.  साथ    चाय.   पीने.  में
"परिवार"    के.  संग.  जीने.   में

✏माँ.  बाप   के.  आशीर्वाद    में
रसोई   घर   के  पफवानो।  में

✏बच्चों।  की   सफलता।  में।   हूँ
माँ।   की।  निश्छल।  ममता  में  हूँ

✏हर।  पल।  तेरे।  संग    रहता।  हूँ
और   अक्सर।  तुझसे   कहता।  हूँ

✏मैं   तो   हूँ   बस।  एक    "अहसास"
बंद।  कर   दे   तु।  मेरी    तलाश

✏जो   मिला   उसी।  में।  कर   "संतोष"
आज  को।  जी।  ले।  कल  की न सोच

✏कल  के   लिए।  आज।  को  न   खोना

मेरे   लिए   कभी   दुखी।   न।  होना
मेरे।  लिए   कभी।  दुखी   न    होना

मंगलवार, 26 मई 2015

मैं अपरिचित हूँ , नही

मैं अपरिचित हूँ , नहीं,  विश्वास बनकर देखिए,
उड. रहा कब से , कहां? आकाश बनकर देखिये,
आप बादल हैं बरस जाऐं, जहां चाहें ,जभी,
पर पपीहे की अकिंचन श्वास बनकर देखिए,।
सिर्फ परछाई नहीं, कुछ तथ्य हूँ, कुछ कथ्य हूँ,
फूल की मृदु गंध हूँ, मधुमास बनकर देखिए,।
एक वृंदावन बसा है आप के मन में सदा,
राधिका की पीर का एहसास बनकर देखिए,।
नेह के रिश्ते सभी जुड. जाएंगे, इस मोड. पर,
आप थोडी. देर को भुजपाश बनकर देखिए,।
जिंदगी दो बूँद पानी के बिना है कुछ नहीं,
रेत में भटके हिरन की प्यास बनकर देखिए,।

धड़कने दिलो की कभी बंद नहीं होगी

धड़कने दिलो की कभी बंद नहीं होगी।
बस तुम इस दिल से निकलकर कही मत जाना............।
कितना आसान होता हैं किसी को अपनी पसंद कहना.
पर अफसोस,
जब तकदीर फैसला सुनाती हैं तो रोया भी नहीँ जाता....!..........।
हाथों की लकीरों मैं तुम हो ना हो.
जिदंगी भर दिल में जरूर रहोगे.......।.........।
तेरा वजुद दील मे कुछ ईस तरह हे.
के दिमाग मे खुन के बजाय तेरी याद बेहती हे।...............।
निकले थे इसी आस पे
किसी को अपना बना लेंगे.
एक ख्वाइश ने उमर भर का
मुसाफिर बना दिया...............।
तेरी नफ़रत मे वो दम कहाँ.जो मेरी चाहत को कम कर दे..............।
सुनो तुमसे दूर क्या हुआ अब तो खुद को भी अनजान सा लगने लगा हु में.............।
रफ़्ता-रफ़्ता वो मेरी हस्ती का सामाँ हो गए
पहले जाँ, फिर जान-ए-जाँ, फिर जान-ए-जाना हो गए।..............।दिल क्या येह ज़िन्दगी भी फ़िदा कर दूंगा तुझ पर
तेरी नज़र में प्यार का इक़रार तोह मिले..!...........।
सुना है इश्क की सजा मौत होती है.
तो लो, मार दो हमेँ प्यार करते है हम आपसे....!!..........।
तेरे लिए एक मशवरा है,
ऐ बेखबर.
कभी हमारा ख्याल आये , तो अपना ख्याल
रखना……!!..........।
किसी ने मुझसे कहा आपकी आँखें बहुत खूबसूरत हैं
मैंने कहा बारिश के बाद अक्सर मौसम सुहाना हो जाता है..

रविवार, 24 मई 2015

बेजुबान पत्थर पे लदे है करोडो के गहने मंदिरो में

बेजुबान पत्थर पे लदे है करोडो के गहने मंदिरो में ।
उसी देहलीज पे एक रूपये को तरसते नन्हे हाथो को देखा है।।

सजे थे छप्पन भोग और मेवे मूरत के आगे । बाहर एक फ़कीर को भूख से तड़प के मरते देखा है ।।

लदी हुई है रेशमी चादरों से वो हरी मजार ,पर बहार एक बूढ़ी अम्मा को ठंड से ठिठुरते देखा है।

वो दे आया एक लाख गुरद्वारे में हाल के लिए , घर में उसको 500 रूपये के लिए काम वाली बाई बदलते देखा है।

सुना है चढ़ा था सलीब पे कोई दुनिया का दर्द मिटाने को, आज चर्च में बेटे की मार से बिलखते माँ बाप को देखा है।

जलाती रही जो अखन्ड ज्योति देसी घी की दिन रात पुजारन , आज उसे प्रसव में कुपोषण के कारण मौत से लड़ते देखा है ।

जिसने न दी माँ बाप को भर पेट रोटी कभी जीते जी , आज लगाते उसको भंडारे मरने के बाद देखा ।

दे के समाज की दुहाई ब्याह दिया था  जिस बेटी को जबरन बाप ने, आज पीटते उसी शौहर के हाथो सरे राह देखा है ।

मारा गया वो पंडित बेमौत सड़क दुर्घटना में यारो ,
जिसे खुदको काल सर्प,तारे और हाथ की लकीरो का माहिर लिखते देखा है ।

जिस घर की एकता की देता था जमाना कभी मिसाल दोस्तों ,
आज उसी आँगन में खिंचती दीवार को देखा है।

इस कविता को मैने आप तक पहुंचाने मे  र्सिफ उंगली का उपयोग किया है,