ख़्वाहिशों से नहीं गिरते हैं फूल झोली में,
अपने कर्मों की शाख को हिलाना होगा।
उजाला नहीं होगा कभी अंधेरे को कोसने से,
अपने हिस्से का दिया ख़ुद ही जलाना होगा!
"फेंका हुआ किसी का, न छिना हुआ मिले,
मुझे बस मेरे नसिब का लिखा हुआ मिले ।
ना मिला ये भी तो कोई गम नहीं,
मुझे बस मेरी मेहनत का किया हुआ मिले ।
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