दो लाइन दोस्तों के नाम
वातावरण को जो महका दे उसे 'इत्र' कहते हैं जीवन को जो महका दे उसे ही 'मित्र' कहते है।
शायरी कविताएँ - गम यादें : sweet sad fun dard poem sms for friends girlfriend wife for every occassion -morning evening and night
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शनिवार, 30 मई 2015
दो लाइन दोस्तों के नाम
मान ली
मास्टर जी एक होटल में ख़ाली कटोरी में रोटी डुबो-डुबो कर खा रहे थे।
वेटर ने पूछा: मास्टरजी ख़ाली कटोरी में कैसे खा रहे हैं?
मास्टर जी : भइया, हम गणित के अध्यापक हैं। दाल हमने ‘मान ली’ है।
NO PARKING
अजीब मुसाफ़िर है यह इश्क़ के
सफ़र का
हर बार अपने दिल की गाड़ी वही
PARK
करना चाहता है जहाँ
पहले से ही "NO PARKING" का
बोर्ड लगा हो
इतनी गर्मी
रोये वो इस कदर उनकी लाश से लिपटकर
कि लाश खुद उठ कर बोली,
"ले तू मरजा पहले,
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उपर ही चढे जा रहा है इतनी गर्मी में।
फिर वही शायरी ,फिर वही इश्क फिर वही तुम........
हुए बदनाम मगर,फिर भी न सुधर पाए हम.
फिर वही शायरी ,फिर वही इश्क फिर वही तुम.........!.......।
बारिश मे चलने से एक बात याद आती है,
कभी फिसलने के खौफ़ से वो मेरा हाथ थाम लेती थी...............।
अगर चाहते हो की खुदा मिले;
तो वो करो जिससे दुआ मिले..!........।
तकलीफें तो हज़ारों हैं इस ज़माने में,
बस कोई अपना नज़र अंदाज़ करे तो बर्दाश्त नहीं होता..!...........।
कास तुम भी हो जाओ तुम्हारी यादो की तरह,
न वक़्त देखो न बहाना,बस चली आओ!...........।
♛ हम दोस्ती करते है तो अफसाने लिखे जाते है
और दुश्मनी करते है तो तारीखे
लिखी जाती है ...........।♛
तेरी दुआओ का दस्तुर भी अजब है मेरे मौला;
मुहब्बत उन्ही को मिलती है जिन्हे निभानी नही आती..!...........।
तेरा ये जुलम हि हमे अच्छा लगने लगा है सोचता हूँ कि इस जुलम को तुम कभी बंद तो नहीं करोगी। क्यों कि जुलम के बहाने हम तुमे भी देखा करते हैं समजी पगली............।
नम पलकों के संग मुस्काते है हम,लम्हा लम्हा दिलको बहलाते हैं हम, आप दूर हैं हमसे तो क्या हुआ,अपने धडकते दिल में आपकी आहात पाते है हम...............।
आखिर किस कदर खत्म कर सकते है, उनसे रिश्ते जिनको सिर्फ महसूस करने से, हम दुनिया भूल जाते है...!!..........।♥
अगर इतनी नफरत है हमसे तो एक सच्चे दिल से ऐसी दुआ कर दो
के तुम्हारी दुआ भी पूरी हो जाये और हमारी ज़िन्दगी
भी.................।
यादें अकसर होती हैं सताने के लिए,
कोई रूठ जाता है फिर मान जाने के लिए,
रिश्ते निभाना कोई मुश्किल तो नहीं,
बस दिलों में प्यार चाहिए उसे निभाने के लिए
मोहब्बत ना सही मुकदमा ही कर दे
मोहब्बत ना सही मुकदमा ही कर दे मुझ पर/कम से कम तारीख दर तारीख मुलाक़ात तो होगी...
ये ना पूछ कि शिकायतें कितनी है तुझसे ऐ जिंदगी......सिर्फ ये बता कि तेरा कोई और सितम बाकी तो नहीं है ।
कितने बदल गये ये आजकल के रिश्ते/चन्द मुस्कानों के लिए चुटकुले सुनाने पड़ते हैं
ताप्ज्जुब न कीजियेगा अगर कोई दुश्मन भी आपकी खैरियत पूछ जायें/ये वो दौर है, जहाँ हर मुलाक़ात में मक़सद छुपे होते हैं !
ना जाने क्यों कोसते हैं लोग बदसूरती को/बर्बाद करने वाले तो हसीन चेहरे होते हैं।
डूबे हुओं को हमने बिठाया था अपनी कश्ती में यारों/और फिर कश्ती का बोझ कहकर, हमें ही उतार दिया गया !
कांच के टुकड़े
कांच के टुकड़े बनकर बिखर गयी है ज़िन्दगी मेरी...
किसी ने समेटा ही नहीं...हाथ ज़ख़्मी होने के डर से...!!
वादे और शर्तों की जरूरत नही
अच्छे रिश्तों को वादे और शर्तों की जरूरत नहीं होती.
बस दो खुबसूरत लोग चाहिए.
एक निभा सके.
दूसरा उसको समझ सके.................। वक़्त दिखाई नही देता है
पर,
दिखा बहुत कुछ जाता है।.............।⛅️☀️
♥जीवन में बहुत सी मुश्किलें आयेगीं,
लेकिन कभी शिकायत मत करना
क्योकिं भगवान ऐसा डायरेक्टर है
जो सबसे कठिन रोल
बेस्ट एक्टर"को ही देता है..................।
तुम लाख छुपा लो सीने मे एहसास हमारी चाहत का.
दिल जब भी धड़कता है आवाज यहाँ तक आती है................।
बात सुनो 'तुम''मेरे हो जाओ या अपना बना लो
यू 'तुम्हारे बगैर' साँसे अब रुकने सी लगी है...............।
ए बुरे वक़्त
ज़रा अदब से पेश आ
वक़्त"ही कितना लगता है
वक़्त बदलने में...................।
मुझे सिर्फ तू पसंद है,
ना कोई और.!
ना कोई और तेरे जैसा,
ना कोई और तेरे अलावा.!!.............। खोए हुए
हम खुद रहते हैं,
और
ढूंढते आप को हैं.............।◐
☺️तुम लाख छुपा लो सीने मे एहसास हमारी चाहत का.
दिल जब भी धड़कता है आवाज यहाँ तक आती है.............।
जिंदगी जला दी हमने जब जैसी जलानी थी,
अब धुए पर तमाशा कैसा और राख पर बहस कैसी...............।
एक नफरत ही है जिसे
दुनिया पल भर में समझ लेती है.
वरना मोहब्बत का तो
पता लगने में सालों निकल जाते हैं
❤ मोहब्बतें......। ❤
क्या लिखूँ अपनी जिंदगी के बारे में.
दोस्तों.
वो लोग ही बिछड़ गए.
'जो जिंदगी हुआ करते थे।.
शुक्रवार, 29 मई 2015
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.
मै यादों का
किस्सा खोलूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत
याद आते हैं.
मै गुजरे पल को सोचूँ
तो, कुछ दोस्त
बहुत याद आते हैं.
अब जाने कौन सी नगरी में,
आबाद हैं जाकर मुद्दत से.
मै देर रात तक जागूँ तो ,
कुछ दोस्त
बहुत याद आते हैं.
कुछ बातें थीं फूलों जैसी,
कुछ लहजे खुशबू जैसे थे,
मै शहर-ए-चमन में टहलूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.
सबकी जिंदगी बदल गयी
एक नए सिरे में ढल गयी
किसी को नौकरी से फुरसत नही
किसी को दोस्तों की जरुरत नही
कोई पढने में डूबा है
किसी की दो दो महबूबा हैं
सारे यार गुम हो गये हैं
तू से आप और तुम हो गये है
मै गुजरे पल को सोचूँ
तो, कुछ दोस्त
बहुत याद आते हैं.
गुरुवार, 28 मई 2015
आज का सच
आज का सच
जहां तक रिश्तों का सवाल है.
लोगो का आधा वक़्त.
अन्जान लोगों को इम्प्रेस करने और
अपनों को इग्नोर करने में चला जाता हैं...!!!!.......।
खेल ताश का हो या जिंदगी का अपना इक्का तब ही दिखाना जब सामने बादशाह हो............।⌚
मेरी तन्हाइयां करती हैं जिन्हे याद सदा,
उन को भी मेरी ज़रूरत हो ज़रूरी तो नहीं...!!!.........।
भारत के नोटों की एक खासियत
नोट चाहे जैसा भी
मैला ,कुचैला फटा जला मुड़ा
हुआ क्यों ना हो
गांधी हमेशा हँसता रहता है............।
ऐसा कोई दिल नही जो कभी टुटा नही.काँच से
उमीद क्या रखना.........।
में बंदूक और गिटार दोनों चलाना जानता हूं तय तुम्हे करना हे की आप कौन सी धुन पर नाचोगे.........।
तेरे लिए कभी इस दिल ने बूरा नहीं चाहा.
ये और बात हैं के, मुझे ये साबित, करना नहीं आया..!!.......।
☎हमारा कत्ल करने को मीठी जुबान है काफी,
अजीब शख्स है वो जो खंजर तलाश करता है।..............।
मैं अपनी 'ज़िंदगी' मे हर किसी को'अहमियत देता
हूँ.क्योंकि जो अच्छे' होंगे वो 'साथ' देंगे.और जो
'बुरे' होंगे वो 'सबक' देंगे...!!..........।
इस संसार में कुछ ऐसी चीजें भी है जिन्हें
हम बचपन से लेकर आज तक किताबों के
अलावा सच में नहीं देख पाए है
जैसे "ठ" से ठठेरा...........।
असल में वही.
जीवन की चाल समझता है.
जो सफ़र की धूल को.
गुलाल समझता है.............।
सांसे तो बस दिखाने के लिये लेते है;
वरना जिंदगी तो हमारी तुम ही हो.............।
सुना है रात देर तक जागते हो.
यादो के मारे हो या, मेरी तरह 'ईश्क' मै हारे हो...
दर्द सहने के काबिल
दिलासा देते है, लोग कि यू हर वक्त
रोया न करो,
मै कैसे बताऊँ कि कुछ दर्द सहने के
काबिल नही होते..
खूबसूरत है वो लब
हर किसी को अपनी खूबसूरती पर घमण्ड होता है!
मै आज आपको अपने नजरिये से खूबसूरती की परिभाषा बताता हूँ....!!
खूबसूरत है वो लब!
जिन पर, दूसरों के लिए कोई दुआ आ जाए !!
खूबसूरत है वो दिल!
जो, किसी के दुख मे शामिल हो जाए !!
खूबसूरत है वो जज़बात!
जो, दूसरो की भावनाओं को समझ जाए !!
खूबसूरत है वो एहसास!
जिस मे, प्यार की मिठास हो जाए !!
खूबसूरत है वो बातें!
जिनमे, शामिल हों दोस्ती और प्यार की किस्से कहानियाँ !!
खूबसूरत है वो आँखे!
जिनमे, किसी के खूबसूरत ख्वाब समा जाए !!
खूबसूरत है वो हाथ!
जो किसी के, लिए मुश्किल के वक्त सहारा बन जाए !!
खूबसूरत है वो सोच!
जिस मैं, किसी कि सारी ख़ुशी झुप जाए!!
खूबसूरत है वो दामन!
जो, दुनिया से किसी के गमो को छुपा जाए !!
खूबसूरत है वो आंसू!
जो, किसी और के गम मे बह जाए…!!
क्यू बार बार ताकते हो शीशे को
क्यू बार बार ताकते हो शीशे को.
नज़र लगाओगे क्या मेरी इकलौती मुहब्बत को…..........।
आज हम उन्हें बेवफ़ा बताकर आये हैं, उनके खतों को पानी में बहाकर आये हैं, कोई निकालकर पढ़ ना ले खतों को, इसलिए पानी में भी आग लगाकर आये..............।
तेरा नजरिया मेरे नजरिये से अलग था,
शायद तूने वक्त गुजारना था और मुझे सारी जिन्दगी.............।
मशवरा तो देते रहते हो खुश रहा करो
कभी वजह भी दे दिया करो..............।
जिंदगी की दौड़ में तजुर्बा कच्चा रह गया
हम ना सीख पाये फरेब
ये दिल कम्बक्त बच्चा का बच्चा ही रह गया.............।
हर शख्स मुझे एक अख़बार समझकर
अपने मतलब की ख़बर काट लेता है.............।
कभी टूटा नहीं मेरे दिल से.
तेरी याद का सिलसिला.
अभी
गुफ़्तगू किसी से भी हो.
ख्याल तेरा ही रहता है..............।
तेरी बाँहों की पनाह में रहने दे ओ हमसफ़र मेरे
सुकूने दिल को ये आसरा जरूरी है।..............।
इश्क़ और दोस्ती मेरी ज़िन्दगी के दो जहाँ है
इश्क़ मेरा रूह तो दोस्ती मेरा इमां है
इश्क़ पे कर दूँ फ़िदा अपनी ज़िन्दगी
मगर दोस्ती पे तो मेरा इश्क़ भी कुर्बान है............।
बस यही सोचकर छोड़ दी हमने जिद मोहब्बत की.
अश्क तेरे बहे या मेरे.
लेकिन रोती तो मोहब्बत ही है.
रूह
कभी यूँ भी आ मेरे करीब तू, मेरा
इश्क मुझको ख़ुदा लगे,
मेरी रूह में तू उतर ज़रा मुझे अपना
भी कुछ पता लगे.....!!
ऐसी फ़िज़ा
काश मेरे मुल्क में ऐसी फ़िज़ा बने ,
मंदिर जले तो दर्द मुस्लमान को भी
हो....
और बेइज़्ज़त हो न पाये किसी
मस्ज़िद की आरज़ू.....
यह फ़िकर मंदिर के पुजारी को भी
हो ।.
तू भी इन्सान होता, मैं भी इन्सान होता
ना मस्जिद आजान देती, ना मंदिर के घंटे बजते
ना अल्ला का शोर होता, ना राम नाम भजते
ना हराम होती, रातों की नींद अपनी
मुर्गा हमें जगाता, सुबह के पांच बजते
ना दीवाली होती, और ना पठाखे बजते
ना ईद की अलामत, ना बकरे शहीद होते
तू भी इन्सान होता, मैं भी इन्सान होता,
…….काश कोई धर्म ना होता....
…….काश कोई मजहब ना होता....
ना अर्ध देते , ना स्नान होता
ना मुर्दे बहाए जाते, ना विसर्जन होता
जब भी प्यास लगती , नदिओं का पानी पीते
पेड़ों की छाव होती , नदिओं का गर्जन होता
ना भगवानों की लीला होती, ना अवतारों
का
नाटक होता
ना देशों की सीमा होती , ना दिलों का
फाटक
होता
तू भी इन्सान होता, मैं भी इन्सान होता,
…….काश कोई धर्म ना होता.....
…….काश कोई मजहब ना होता....
कोई मस्जिद ना होती, कोई मंदिर ना होता
कोई दलित ना होता, कोई काफ़िर ना
होता
कोई बेबस ना होता, कोई बेघर ना होता
किसी के दर्द से कोई, बेखबर ना होता
ना ही गीता होती , और ना कुरान होता
ना ही अल्ला होता, ना भगवान होता
तुझको जो जख्म होता, मेरा दिल तड़पता.
ना मैं हिन्दू होता, ना तू मुसलमान होता
तू भी इन्सान होता, मैं भी इन्सान होता।