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बुधवार, 10 जून 2015

बिना मुस्कुराये ही शाम हो जाती है..

-हरिवंशराय बच्चन की बहुत ही अच्छी पंक्तियाँ--

"जब मुझे यकीन है के भगवान मेरे साथ है।
तो इस से कोई फर्क नहीं पड़ता के कौन कौन मेरे खिलाफ है।।" 

तजुर्बे ने एक बात सिखाई है...
एक नया दर्द ही...
पुराने दर्द की दवाई है...!!

हंसने की इच्छा ना हो...
तो भी हसना पड़ता है...
कोई जब पूछे कैसे हो...??
तो मजे में हूँ कहना पड़ता है..

ये ज़िन्दगी का रंगमंच है दोस्तों....
यहाँ हर एक को नाटक करना पड़ता है.
"माचिस की ज़रूरत यहाँ नहीं पड़ती..
यहाँ आदमी आदमी से जलता है...!!"

मंदिर में फूल चढ़ा कर आए तो यह एहसास हुआ कि...

पत्थरों को मनाने में,
फूलों का क़त्ल कर आए हम।

गए थे गुनाहों की माफ़ी माँगने ....
वहाँ एक और गुनाह कर आए हम ....

जल जाते हैं मेरे अंदाज़ से मेरे दुश्मन
क्यूंकिएक मुद्दत से मैंने न मोहब्बत बदली और न दोस्त बदले .!!.

एक घड़ी ख़रीदकर हाथ मे क्या बाँध ली..
वक़्त पीछे ही पड़ गया मेरे..!!

सोचा था घर बना कर बैठुंगा सुकून से..
पर घर की ज़रूरतों ने मुसाफ़िर बना डाला !!!

सुकून की बात मत कर ऐ ग़ालिब....
बचपन वाला 'इतवार' अब नहीं आता |

जीवन की भाग-दौड़ में -
क्यूँ वक़्त के साथ रंगत खो जाती है ?
हँसती-खेलती ज़िन्दगी भी आम हो जाती है..

एक सवेरा था जब हँस कर उठते थे हम
और
आज कई बार
बिना मुस्कुराये ही शाम हो जाती है..

कितने दूर निकल गए,
रिश्तो को निभाते निभाते..
खुद को खो दिया हमने,
अपनों को पाते पाते..

लोग कहते है हम मुस्कुराते बहोत है,
और हम थक गए दर्द छुपाते छुपाते..

"खुश हूँ और सबको खुश रखता हूँ,
लापरवाह हूँ फिर भी सबकी परवाह
करता हूँ..

चाहता तो हु की ये दुनियाबदल दू ....
पर दो वक़्त की रोटी केजुगाड़ में फुर्सत नहीं मिलती दोस्तों

युं ही हम दिल को साफ़ रखा करते थे .
पता नही था की, 'किमत चेहरों की होती है!!'

"दो बातें इंसान को अपनों से दूर कर देती हैं,
एक उसका 'अहम' और दूसरा उसका 'वहम'..

" पैसे से सुख कभी खरीदा नहीं जाताऔर दुःख का कोई खरीदार नहीं होता।"

किसी की गलतियों को बेनक़ाब ना कर,

'ईश्वर' बैठा है, तू हिसाब ना कर.

मंगलवार, 9 जून 2015

सौ गुना बढ़ जाती है खूबसूरती


सौ गुना बढ़ जाती है खूबसूरती,
महज़ मुस्कराने से,
फिर भी बाज नही आते लोग,
मुँह फुलाने से ।

ज़िन्दगी एक हसीन ख़्वाब है ,
जिसमें जीने की चाहत होनी चाहिये,
ग़म खुद ही ख़ुशी में बदल जायेंगे,
सिर्फ मुस्कुराने की आदत होनी चाहीये।
जय श्री कृष्णा

सोमवार, 8 जून 2015

रोज तारीख बदलती है , रोज दिन बदलते है...

रोज तारीख बदलती है , रोज दिन बदलते है...
रोज अपनी उम्र बदलती है , रोज समय भी बदलता है...
हमारे नजरिये भी वक्त के साथ बदलते है...
बस एक ही चीज है , जो नही बदलती
और...वो है हम खुद...
और...बस इसी वजह से हमें लगता है , की अब जमाना बदल गया है... किसी शायर ने खूब कहाँ है...
रहने दे आसमां , जमीन की तलाश कर...
सब कुछ यही है , कही और न तलाश कर...
हर आरजू पूरी हो , तो जीने का क्या मजा...
जीने के लिऍ बस एक खुबसुरत वजह की तलाश कर...
ना तुम दूर जाना , ना हम दूर जायेंगे...
अपने अपने हिस्से की दोस्ती निभायेंगे...
बहुत अच्छा लगेगा , जिंदगी का ये सफर...
आप वहाँ से याद करना , हम यहाँ से मुस्कूराएंगे...
क्या भरोसा है जिंदगी का , इन्सान बुलबुला है पानी का...
जी रहे है कपडे बदल बदल कर...
एक दिन एक कपडे में ले जायेंगे , कंधे बदल बदल कर...॥

हम इश्क के रंगरेज हैं....

सुनो जानते हो
हममे तुममे फ़र्क़ क्या हैं
तुम लव के अंग्रेज हो
हम इश्क के रंगरेज हैं..........।
दिल की ‪धड़कन‬ का ‪क्या‬ है.
बड़ी ‪नाज़ुक‬ सी होती है.
बैंक का ‪कैशियर‬ हजार के नोट को दो बार ‪पलट‬ कर देख ले तो भी ‪‎रुक‬ जाती है...........।
पतंग सी है ज़िन्दगी,कहाँ तक जाएगी.
रात हो या उम्र एक ना एक दिन कट ही जाएगी...........।
आँखों‬ में तेरा सपना,‪‎दिल‬ में तेरी ख्वाहिश,‪बस‬ हमेशा यूँ ही साथ रहना,‪‎इतनी‬ सी है गुजारिश............।
काश पड़ाई प्यार की तरह होती.
पता भी नही चलता और न जाने कब हो जाती....
और प्यार पडाई की तरह होता ताकी घर वाले भी बार बार बोलते.कर ले बेटा कर ले आगे काम आएगा............।❤
स्वभाव रखना है तो उस दीपक की तरह
रखो.
जो बादशाह के महल में भी उतनी
रोशनी देता है.
जितनी किसी गरीब की झोपड़ी में..............।⚫
झूठ अगर यह है कि तुम मेरे हो तो यकीन मानो मेरे लिए सच कोई मायने नहीं रखता…..!!.......           काश तुम भी हो जाओ तुम्हारी यादों की तरह,ना वक़्त देखो,ना बहाना, बस चले आओ...!.........।
कोई इल्जाम रह गया हो, तो वो भी दे दो.हम पहले भी बुरे थे,अब थोड़ा और सही.............।㊗
तेरी मोहब्बत मैं और मेरी फितरत मैं फर्क इतना है की.तेरा Attitude नहीं जाता और मुझे झुकना नहीं आता...........।
पत्तों की तरह बिखेरता था मुझको ज़माना.
फिर एक शक़्स ने मुझे इकट्ठा किया और आग लगा दी....!!!!.........।
शायरी शौक नहीं,और नाही कारोबार
मेरा,
बस दर्द जब सह नहीं पाता, तो लिख
लेता हूँ.....

छोटी छोटी बातों में 'बंट' गए......

जब छोटे थे तो.
बड़ी बड़ी बातों में 'बह' गए
और
जब बड़े हुए तो.
छोटी छोटी बातों में 'बंट' गए...............।
बेताबियाँ समेट के सारे जहान की जब
कुछ न बन सका तो मेरा दिल बना दिया..........।
तेरे एक इशारे पे हम इल्जाम अपने नाम ले लेते
बेवजह, झूठे इल्जाम लगाने की जरुरत क्या थी.........।
ज्यादातर लड़को का करियर तो वही खत्म
हो जाता है
जब
आगे के बेंच पर बैठी लड़की
पीछे मुड़कर स्माइल के साथ पेन  पेंसिल
मांग लेती है...............।
माना की तुम जीते हो ज़माने के लिये!
एक बार जी के तो देखो हमारे लिये!
दिल की क्या औकात आपके सामने!
हम तो जान भी दे देंगे आपको पाने के लिये!........।
हर वक्त,हर रोज..तेरा ही खयाल.
ना जाने किस कर्ज की किश्त हो तुम..........।
ना तोल मेरी  मोहब्बत  अपनी  दिल्लगी  से  देखकर मेरी  चाहत  को अक्सर  तराजु  टुट जाते हैं........।
एक चाहत थी
तेरे साथ जीने की.
व्रना
मोहब्बत तो
किसी से भी हो सकती थी..........।❤
✋आ मिल कर ढूंढ ले कोई वजह फिर से एक हो जाने की
यूँ बिछड़े बिछड़े न तुम अच्छे लगते हो और न  ही मैं.........।✋
नहीं सजदे किए हमने कभी
ग़ैरों की चौखट पर.
हमें जितनी जरूरत पड़ती है
खुदा से मांग लेते हैं.........।❤
करता नहीं तुमसे ये दिल शिकायत मगर,
कहना ये चाहता है कि तुम अब वो नहीं रहे..!!.......।
सामान बाँध लिया है मैंने अपना अब बता भी दो,
कहाँ रहते हैं वो लोग जो कहीं के नहीं रहते

आँखे


आँखे' कितनी  अजीब  होती  है, 
जब  उठती  है  तो  दुआ  बन  जाती  है,
जब  झुकती  है  तो  हया  बन  जाती  है,
उठ  के  झुकती  है  तो अदा  बन  जाती  है
झुक  के उठती  है  तो खता  बन  जाती है,
जब  खुलती  है  तो दुनिया  इसे  रुलाती  है,
जब  बंद  होती  है  तो  दुनिया  को  ये  रुलाती है...!!

"हर रिश्ते में विश्वास रहने दो;
जुबान पर हर वक़्त मिठास रहने दो;
यही तो अंदाज़ है जिंदगी जीने का;
न खुद रहो उदास, न दूसरों को रहने दो..!"
G. Morning....

शनिवार, 6 जून 2015

मैं खुश हूँ

मैं खुश हूँ

"जिंदगी है छोटी,
       " हर पल में खुश हूँ"
काम में खुश हूँ ,
       " आराम में खुश हूँ"
आज पनीर नहीं,
       " दाल में ही खुश हूँ"
आज गाड़ी नहीं,
       " पैदल ही खुश हूँ"
दोस्तों का साथ नहीं,
       " अकेला ही खुश हूँ"
आज कोई नाराज है,
       " उसके इस अंदाज से ही खुश हूँ"
जिस को देख नहीं सकता,
       " उसकी आवाज से ही खुश हूँ"
जिसको पा नहीं सकता,
       " उसको सोच कर ही खुश हूँ"
बीता हुआ कल जा चुका है,
       "उसकी मीठी याद में ही खुश हूँ"
आने वाले कल का पता नहीं,
       " इंतजार में ही खुश हूँ"
हंसता हुआ बीत रहा है पल,
       " आज में ही खुश हूँ"
जिंदगी है छोटी,
       " हर पल में खुश हूँ"
अगर दिल को छुआ, तो जवाब देना
       "वरना बिना जवाब के भी खुश हूँ

गुरुवार, 4 जून 2015

ये पत्नियाँ

जाने कैसे कैसे रूप, दिखाती हैं ये पत्नियाँ
फिर भी सबके मन को भाती हैं ये पत्नियाँ

भोला भोला पति बेचारा समझ नहीं पाता
किस बात पर कब रूठ जाती हैं ये पत्नियाँ

थोड़ी सी तकरार है, है फिर थोड़ा प्यार भी,
रुलाकर हमें, प्यार से, हंसाती हैं ये पत्नियाँ

भोर में थकावट है, शाम को सजावट है
सारे रिश्ते प्यार से, निभाती हैं ये पत्नियाँ

थोड़ी सी नजाकत है, है थोड़ी शरारत भी
नाज नखरे भी कभी, दिखाती हैं ये पत्नियाँ

सुबह शाम पूजा करतीं, और रसोई में लगतीं
खाने में जाने क्या क्या पकाती हैं ये पत्नियाँ

ख्यालों में कभी खोयीं, या रातों में नहीं सोयीं
अपने सारे गम हमसे, छुपातीं हैं ये पत्नियाँ

मांगें लम्बी उमर पति की, सारे व्रत रख कर
कभी पति से व्रत नहीं, रखातीं हैं ये पत्नियाँ

मन कभी उदास हो, या सोच में डूबे हों हम
होकर भावुक सीने से, लगाती हैं ये पत्नियाँ

छोड के बाबुल का घर, सपने आँखों में लिये
सजाने को घर पिया का, आतीं हैं ये पत्नियाँ

ना दिन में आराम है, ना रात को विश्राम है
कुछ भी हो, घर को घर बनाती हैं ये पत्नियाँ

बुधवार, 3 जून 2015

कोशिश कर, हल निकलेगा

कोशिश कर, हल निकलेगा।
आज नही तो, कल निकलेगा।

अर्जुन के तीर सा सध,
मरूस्थल से भी जल निकलेगा।।

मेहनत कर, पौधो को पानी दे,
बंजर जमीन से भी फल निकलेगा।

ताकत जुटा, हिम्मत को आग दे,
फौलाद का भी बल निकलेगा।

जिन्दा रख, दिल में उम्मीदों को,
गरल के समन्दर से भी गंगाजल निकलेगा।

कोशिशें जारी रख कुछ कर गुजरने की,
जो है आज थमा थमा सा, चल निकलेगा।।

मंगलवार, 2 जून 2015

समय' और 'समझ'

समय' और 'समझ' दोनों एक साथ खुश
किस्मत लोगों को ही मिलते हैं
क्योंकि,
अक्सर 'समय' पर 'समझ'
नहीं आती और 'समझ' आने पर
'समय' निकल जाता है
  पत्तो सी होती है कई रिश्तो कि उम्र,आज हरे.कल सूखे.क्यू ना रिश्ते निभाना हम जङो से सीखे
जब  टूटने  लगे  होसले  तो  बस  ये  याद  रखना,
बिना  मेहनत  के  हासिल  तख्तो  ताज  नहीं  होते,
ढूंड  लेना  अंधेरों  में  मंजिल  अपनी,
जुगनू  कभी  रौशनी  के  मोहताज़  नहीं  होते
बहुत गुरुर था सबको
अपनी दौलत पर
जरा सी जमीन क्या हिली
सब औकात में आ गए
में वो काम नहीं करता जिसमे खुदा मिले
मगर में वो काम जरूर करता हु जिसमे दुआ मिले
मै फकीरों से सौदा कर लेता हु अक्सर.
वो एक सिक्के में लाख दुआए दे जाते है.
खटका उनकी आँखों में एक गरीब का सूट.जिनकी पीढ़ीयां खादी की आड़ में ले गईं देश को लूट.
ना इश्क़ है तुझसे और ना ही तेरी चाहत.
"बस तेरे आस-पास होने से, एक सुकून सा मिलता है         मुझसे नफरत ही करनी है तो इरादे मजबूत रखना.
जरा सी भी चूक हुई तो मोहब्बत हो जायेगी.....

सोमवार, 1 जून 2015

बदले रास्ते बदली मंजिल

बदले रास्ते बदली मंजिल तकदीर बदल गयी
बदकिस्मती हूई मेहरबान कि जिंदगी बदल गयी
एक सहारा था जिनसे मुहब्बत का वो भी हूए न अपने
वफा हूई काफूर उनकी भीनजरें बदल गयी
कैफिरतें दी तो उन्होंने बहुत अपनी बेवफाई की
कैसे मान लेता मैं कि हसरतें उनकी बदल गयी
जानता हूँ मैं कि होती है तब्दीलियां इंसा में वक्त के साथ
अफसोस महज इतना है वफा उनकी मुखालफत में बदल गई
पा तो जाऊंगा मैं बदले रास्तों से बदली हूई मंजिल
पर खुशी नहीं मिलेगी वो कि खुशियां सारी गम में बदल गयी
वक्त बेवक्त जब जरूरत हो अपना समझ कर याद कर लेना
एक तेरे बदलने से मेरी मुहब्बतें तो नहीं बदल गयी
मजबूर हूं रस्में उल्फ़त निभाने को अपनी ही वफा से
ये जानने के बाद भी कि फितरतें तुम्हारी बदल गयी

जिसको भी चाहा शिद्दत से चाहा है

जिसको भी चाहा शिद्दत से चाहा है
सिलसिला टूटा नहीं दर्द की ज़ंजीर का
वो शख्स जो कहता था तू न मिला तो मर जाऊंगा
वो आज भी जिंदा है यही बात किसी और से कहने के लिए
एक ही ज़ख्म नहीं सारा बदन ज़ख्मी है
दर्द हैरान है की उठूँ तो कहाँ से उठूँ
तमाम उम्र मुझे टूटना बिखरना था
वो मेहरबां भी कहाँ तक समेटता मुझे
तुम्हारी दुनिया में हम जैसे हजारों हैं
हम ही पागल थे जो तुम्हे पा के इतराने लगे
देखो तो 'चाँद' को कितना मिलता है हमसे,
तुम सा 'हसीन,
मुझ सा 'तन्हा'
रात भर गहरी नींद आना
इतना आसान नहीं..
उसके लिए दिन भर
ईमानदारी से जीना पड़ता हैं.
चेहरे'.अजनबी" हो जाये तो कोई बात नही लेकिन,
'रवैये' अजनबी" हो जाये तो 'बड़ी' "तकलीफ" देते हैं
इतनी बदसलूकी ना कर.
ऐ जिंदगी,
हम कौन सा यहाँ बार बार
आने वाले है.
प्यास बुझानी है तो उड़ जा पंछी शहर की सरहदों से दूर,
यहाँ तो तेरे हिस्से का पानी भी प्लास्टिक की बोतलों में बंद है.....

शतरंज की चालों का खौफ

शतरंज की चालों का खौफ उन्हें होता है
जो सियासत करते हैं...
हम तो मोहब्बत के खिलाड़ी हैं.
न हार की फिक्र, न जीत का ज़िक्र!
है गुजारिश हर माँ-बाप से
ये बदलते दौर की मजबूरी है
लड़के को पराठे और
लड़की को कराटे सिखाना भी जरूरी है
हम तो सोचते थे की
लफ्ज़ ही चोट करते है
पर कुछ खामोशियों के जख्म तो
और भी गहरे निकले
उदास होने के लिए उम्र पड़ी है,
"नज़र उठाओ सामने जिंदगी खड़ी है,
अपनी हँसी को होंटो से न जाने देना!
"क्योंकि आपकी मुस्कुराहट के पीछे दुनिया पड़ी है
जमीन अच्छी हो, खाद अच्छा हो,
पर पानी अगर खारा हो
तो फूल खिलते नहीं.
भाव अच्छा हो, विचार भी अच्छा हो
मगर वाणी खराब हो
तो संबंध भी टिकते नहीं
⚫मोहब्बत भी अजीब चीज बनायीं खुदा तूने! तेरे ही मंदिर में;
तेरी ही मस्जिद में;
तेरे ही बंदे;
तेरे ही सामने रोते हैं!
तुझे नहीं, किसी और को पाने के लि

रविवार, 31 मई 2015

चिड़िया दिल से हारी कितनी

मुरझाई टहनी प्यारी कितनी
चिड़िया दिल से हारी कितनी

स्वप्न संजोये अब भी मन में
प्रेम डोर यह भारी कितनी

चिंहुँक रही है फिर भी देखो
प्यारी  इसको यारी कितनी

खुश बहुत मुरझाई डाली
पावन प्रीत हमारी कितनी

साथ निभाया हर हालत में
हम लोगों से न्यारी  कितनी....

[ रतनसिहं चम्पावत ]

The Number You Have Call Is Busy.....

छोटी सी खूबसूरत लाईन :
"जब से परीक्षा वाली जिंदगी पूरी हुई है,
तब से जिंदगी की परीक्षा शुरु हो गई है..
आज मुझे एक नया अनुभव हुआ
अपने मोबाइल से अपना ही नंबर लगाकर देखा, आवाज
आयी
The Number You Have Call Is Busy.....

फिर ध्यान आया किसी ने क्या खुब कहा है....

"औरो से मिलने मे दुनिया मस्त है पर,
खुद से मिलने की सारी लाइने व्यस्त है..
कोई नही देगा साथ तेरा यहॉं
  हर कोई यहॉं खुद ही में मशगुल है

जिंदगी का बस एक ही ऊसुल है यहॉं,
         तुझे गिरना भी खुद है
       और संभलना भी खुद है..

मैं नहीं चाहता चिर सुख

मैं नहीं चाहता चिर सुख
मैं नहीं चाहता चिर दुख,
सुख दुख की खेल मिचौनी
खोले जीवन अपना मुख!

सुख-दुख के मधुर मिलन से
यह जीवन हो परिपूरण,
फिर घन में ओझल हो शशि,
फिर शशि से ओझल हो घन!

जग पीड़ित है अति दुख से
जग पीड़ित रे अति सुख से,
मानव जग में बँट जाएँ
दुख सुख से औ' सुख दुख से!

अविरत दुख है उत्पीड़न,
अविरत सुख भी उत्पीड़न,
दुख-सुख की निशा-दिवा में,
सोता-जगता जग-जीवन।

यह साँझ-उषा का आँगन,
आलिंगन विरह-मिलन का;
चिर हास-अश्रुमय आनन
रे इस मानव-जीवन का!

��आपका दिन मंगलमय हो ��

शनिवार, 30 मई 2015

जीने का अलग अंदाज

हमारे जीने का अलग अंदाज है
एक आँख में आँसू तो दूसरे में ख्वाब है
टूटे हुए ख्वाबो पे आँसू बहा लेते है....
और दूसरी आँख में फिर से ख्वाब सज़ा लेते है....

बिक रहे थे रिश्ते

✳ कदम रुक गए जब पहुंचे हम रिश्तों के बाज़ार में...

✳ बिक रहे थे रिश्ते खुले आम व्यापार में..

✳ कांपते होठों से मैंने पुछा,
"क्या भाव है भाई इन रिश्तों का?"

✳ दूकानदार बोला:

✳ "कौनसा लोगे..?

✳ बेटे का ..या बाप का..?

✳ बहिन का..या भाई का..?

✳ बोलो कौनसा चाहिए..?

✳ इंसानियत का.या प्रेम का..?

✳ माँ का..या विश्वास का..?

✳ बाबूजी कुछ तो बोलो कौनसा चाहिए.चुपचाप खड़े हो कुछ बोलो तो सही...

✳ मैंने डर कर पुछ लिया दोस्त का..?

✳ दुकानदार नम आँखों से बोला:

✳ "संसार इसी रिश्ते पर ही तो टिका है ..,माफ़ करना बाबूजी ये रिश्ता बिकाऊ नहीं है..
इसका कोई मोल नहीं लगा पाओगे,

✳ और जिस दिन ये बिक जायेगा... उस दिन ये संसार उजड़ जायेगा..."

पल गुजारे थे जो तन्हाई में

खैर अच्छा ही हुआ कि ये मुमकिन न हुआ
मेरे इस रूह का कोई भी पैरहन न हुआ

पल गुजारे थे जो तन्हाई में रोते-रोते
इस तरीके से भी मेरा गम कुछ कम न हुआ

उड़ रहा था मेरा दिल भी परिंदों की तरह
तीर जब लग गई तो कोई भी मरहम न हुआ

देख लेना था मुझे भी हर सितम की अदा
ऐ सनम तेरे जैसा मेरा कोई दुश्मन न हुआ