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सोमवार, 8 जून 2015

रोज तारीख बदलती है , रोज दिन बदलते है...

रोज तारीख बदलती है , रोज दिन बदलते है...
रोज अपनी उम्र बदलती है , रोज समय भी बदलता है...
हमारे नजरिये भी वक्त के साथ बदलते है...
बस एक ही चीज है , जो नही बदलती
और...वो है हम खुद...
और...बस इसी वजह से हमें लगता है , की अब जमाना बदल गया है... किसी शायर ने खूब कहाँ है...
रहने दे आसमां , जमीन की तलाश कर...
सब कुछ यही है , कही और न तलाश कर...
हर आरजू पूरी हो , तो जीने का क्या मजा...
जीने के लिऍ बस एक खुबसुरत वजह की तलाश कर...
ना तुम दूर जाना , ना हम दूर जायेंगे...
अपने अपने हिस्से की दोस्ती निभायेंगे...
बहुत अच्छा लगेगा , जिंदगी का ये सफर...
आप वहाँ से याद करना , हम यहाँ से मुस्कूराएंगे...
क्या भरोसा है जिंदगी का , इन्सान बुलबुला है पानी का...
जी रहे है कपडे बदल बदल कर...
एक दिन एक कपडे में ले जायेंगे , कंधे बदल बदल कर...॥

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