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रविवार, 16 अगस्त 2015

परी हो तुम गुजरात की

15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के लिए बेस्ट कविता| Best poem for Independence day 15 August


परी हो तुम गुजरात की, रूप तेरा मद्रासी !
सुन्दरता कश्मिर की तुममे ,सिक्किम जैसा शर्माती !!

खान-पान पंजाबी जैसा, बंगाली जैसी बोली !
केरल जैसा आंख तुम्हारा ,है दिल तो तुम्हारा दिल्ली !!

महाराष्ट्र तुम्हारा फ़ैशन है, तो गोवा नया जमाना !
खुशबू हो तुम कर्नाटक कि,बल तो तेरा हरियाना !!

सिधी-सादी ऊड़ीसा जैसी,एम.पी जैसा मुस्काना !
दुल्हन तुम राजस्थानी जैसी ,त्रिपुरा जैसा इठलाना !!

झारखन्ड तुम्हारा आभूषण,तो मेघालय तुम्हारी बिन्दीया है !
सीना तो तुम्हारा यू.पी है तो ,हिमांचल तुम्हारी निन्दिया है !!

कानों का कुन्डल छत्तीसगढ़ ,तो मिज़ोरम तुम्हारा पायल है !
बिहार गले का हार तुम्हारा ,तो आसाम तुम्हारा आंचल है !!

नागालैन्ड- आन्ध्र दो हाथ तुम्हारे, तो ज़ुल्फ़ तुम्हारा अरुणांचल
है !
नाम तुम्हारा भारत माता, तो पवित्रता तुम्हारा ऊत्तरांचल है !!

सागर है परिधान तुम्हारा,तिल जैसे है दमन- द्वीव !
मोहित हो जाता है सारा जग,रहती हो तुम कितनी सजीव !!

अन्डमान और निकोबार द्वीप,पुष्पों का गुच्छ तेरे बालों में !
झिल-मिल,झिल-मिल से लक्षद्वीप, जो चमक रहे तेरे गालों में !!

ताज तुम्हारा हिमालय है ,तो गंगा पखारती चरण तेरे !
कोटि-कोटि हम भारत वासियों का ,स्वीकारो तुम नमन मेरे !!


Happy Independence Day ...

रविवार, 9 अगस्त 2015

मेरा दर्द ना जाने कोई..... By a soldier..

मेरा दर्द ना जाने कोई.....

By a soldier..

ए भीड में रहने वाले इन्सान
एक बार वर्दी पहन के दिखा
ऑर्डर के चक्रव्यूह में से
छुटी काट कर के तो दिखा
रात के घुप्प अँधेरे में जब दुनिया सोती है
तू मुस्तैद खड़ा जाग के तो दिखा
बाॅर्डर की ठंडी हवा में चलकर
घर की तरफ मुड़ के तो दिखा
घर से चलने ले पहले वाइफ को
अगली छुट्टी के सपने तो दिखा
कल छुट्टी आउंगा बोलके
बच्चों को फोन पे ही चाॅकलेट खिला के तो दिखा
थकी हुई आखों से याद करने वाले
मां बाप को अपना मुस्कुराता चेहरा तो दिखा
ये सब करते समय
दुश्मनकी गोली सीने पर लेकर तो दिखा
आखिरी सांस लेते समय
तिरंगे को सलाम करके तो दिखा
छुट्टी से लौटते वक्त बच्चों के आंसू, माँ बाप की बेबसी, पत्नी की लाचारी को नज़रअंदाज कर के तो दिखा
सरकार कहती है शहीद की परिभाषा नही है
दम है तो भगत सिंह बन के तो दिखा
बेबस लाचार बना दिया है देश के सैनिक को
विपति के अलावा कभी उसको याद करके तो दिखा
रेगिस्तान की गर्मी, हिमालय की ठंड
क्या होती है वहां आकर तो दिखा
जगलं में दगंल, नक्सलियों का मगंल
कभी अम्बुश में एक रात बैठ कर तो दिखा
यह वर्दी मेरी आन बान और शान है
मेरी पहचान का तमाशा दुनियां को ना दिखा
देश पर मर मिट कर भी मुझे शहीद न कहने वाले,
अगर दम है तो एक बार वर्दी पहन के तो दिखा....
एक सैनिक की अपनी पहचान के लिए जंग जारी.....