मकान चाहे कच्चे थे
लेकिन रिश्ते सारे सच्चे थे...
चारपाई पर बैठते थे
पास पास रहते थे...
सोफे और डबल बेड आ गए
दूरियां हमारी बढा गए....
छतों पर अब न सोते हैं
बात बतंगड अब न होते हैं..
आंगन में वृक्ष थे
सांझे सुख दुख थे...
दरवाजा खुला रहता था
राही भी आ बैठता था...
कौवे भी कांवते थे
मेहमान आते जाते थे...
इक साइकिल ही पास था
फिर भी मेल जोल था...
रिश्ते निभाते थे
रूठते मनाते थे...
पैसा चाहे कम था
माथे पे ना गम था...
मकान चाहे कच्चे थे
रिश्ते सारे सच्चे थे...
अब शायद कुछ पा लिया है
पर लगता है कि बहुत कुछ गंवा दिया
शायरी कविताएँ - गम यादें : sweet sad fun dard poem sms for friends girlfriend wife for every occassion -morning evening and night
कुल पेज दृश्य
मंगलवार, 24 मार्च 2015
बहुत कुछ गंवा दिया
सुख तू कहाँ मिलता है
ऐ सुख तू कहाँ मिलता है
क्या तेरा कोई स्थायी पता है
क्यों बन बैठा है अन्जाना
आखिर क्या है तेरा ठिकाना।
कहाँ कहाँ ढूंढा तुझको
पर तू न कहीं मिला मुझको
ढूंढा ऊँचे मकानों में
बड़ी बड़ी दुकानों में
स्वादिस्ट पकवानों में
चोटी के धनवानों में
वो भी तुझको ढूंढ रहे थे
बल्कि मुझको ही पूछ रहे थे
क्या आपको कुछ पता है
ये सुख आखिर कहाँ रहता है?
मेरे पास तो दुःख का पता था
जो सुबह शाम अक्सर मिलता था
परेशान होके रपट लिखवाई
पर ये कोशिश भी काम न आई
उम्र अब ढलान पे है
हौसले थकान पे है
हाँ उसकी तस्वीर है मेरे पास
अब भी बची हुई है आस
मैं भी हार नही मानूंगा
सुख के रहस्य को जानूंगा
बचपन में मिला करता था
मेरे साथ रहा करता था
पर जबसे मैं बड़ा हो गया
मेरा सुख मुझसे जुदा हो गया।
मैं फिर भी नही हुआ हताश
जारी रखी उसकी तलाश
एक दिन जब आवाज ये आई
क्या मुझको ढूंढ रहा है भाई
मैं तेरे अन्दर छुपा हुआ हूँ
तेरे ही घर में बसा हुआ हूँ
मेरा नही है कुछ भी मोल
सिक्कों में मुझको न तोल
मैं बच्चों की मुस्कानों में हूँ
हारमोनियम की तानों में हूँ
पत्नी के साथ चाय पीने में
परिवार के संग जीने में
माँ बाप के आशीर्वाद में
रसोई घर के महाप्रसाद में
बच्चों की सफलता में हूँ
माँ की निश्छल ममता में हूँ
हर पल तेरे संग रहता हूँ
और अक्सर तुझसे कहता हूँ
मैं तो हूँ बस एक अहसास
बंद कर दे मेरी तलाश
जो मिला उसी में कर संतोष
आज को जी ले कल की न सोच
कल के लिए आज को न खोना
मेरे लिए कभी दुखी न होना
मेरे लिए कभी दुखी न होना
सोमवार, 23 मार्च 2015
Sarfaroshi ki tamanna
Sarfaroshi ki tamanna By Martyr Shree Ram Prasad Bismill, सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है
करता नहीं क्यूँ दूसरा कुछ बातचीत,
देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है
ऐ शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत, मैं तेरे ऊपर निसार,
अब तेरी हिम्मत का चरचः ग़ैर की महफ़िल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
वक़्त आने पर बता देंगे तुझे, ए आसमान,
हम अभी से क्या बताएँ क्या बिसमिले दिल में है
खेँच कर लाई है सब को क़त्ल होने की उमीद,
आशिक़ोँ का आज जमघट कूचः-ए-क़ातिल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
है लिए हथियार दुशमन ताक में बैठा उधर,
और हम तय्यार हैं सीना लिये अपना इधर.
ख़ून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्किल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
हाथ, जिन में हो जुनून, कटते नही तलवार से,
सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार से.
और भड़केगा जो शोलः सा हमारे दिल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
हम तो घर से ही थे निकले बाँधकर सर पर कफ़न,
जाँ हथेली पर लिये लो बढ चले हैं ये कदम.
जिन्दगी तो अपनी मॆहमाँ मौत की महफ़िल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
यूँ खड़ा मक़्तल में क़ातिल कह रहा है बार-बार,
क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है?
दिल में तूफ़ानों की टोली और नसों में इन्क़िलाब,
होश दुश्मन के उड़ा देंगे हमें रोको न आज.
दूर रह पाए जो हमसे दम कहाँ मंज़िल में है,
जिस्म भी क्या जिस्म है जिसमें न हो ख़ून-ए-जुनून
क्या लढ़े तूफ़ान से जो कश्ती-ए-साहिल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है
शनिवार, 21 मार्च 2015
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं
नव वर्ष की हर्षित बेला पर,
खुशियां मिले अपार |
यश,कीर्ति, सम्मान मिले,
और बढे सत्कार ||
शुभ-शुभ रहे हर दिन हर पल,
शुभ-शुभ रहे विचार |
उत्साह. बढे चित चेतन में,
निर्मल रहे आचार ||
सफलतायें नित नयी मिले,
बधाई बारम्बार |
मंगलमय हो काज आपके,
सुखी रहे परिवार ||
"नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं"
शुक्रवार, 20 मार्च 2015
बोये जाते हैं बेटे
बोये जाते हैं बेटे
पर उग जाती हैं बेटियाँ,
खाद पानी बेटों को
पर लहराती हैं बेटियां,
स्कूल जाते हैं बेटे
पर पढ़ जाती हैं बेटियां,
मेहनत करते हैं बेटे
पर अव्वल आती हैं बेटियां,
रुलाते हैं जब खूब बेटे
तब हंसाती हैं बेटियां,
नाम करें न करें बेटे
पर नाम कमाती हैं बेटियां,
जब दर्द देते बेटे
तब मरहम लगाती बेटियां,
छोड़ जाते हैं जब बेटे
तो काम आती हैं बेटियां,
आशा रहती है बेटों से
पर पुर्ण करती हैं बेटियां,
हजारों फरमाइश से भरे हैं बेटे
पर समय की नज़ाकत को समझती बेटियां,
बेटी को चांद जैसा मत बनाओ कि हर कोई घूर घूर कर देखे
किंतु
बेटी को सूरज जैसा बनाओ ताकि घूरने से पहले सब की नजर झुक जाये.
हम लोग बेटियों के लिये हर तरह अधिक चिंता किया करते हैं
लेकिन
आज के इस युग में एक बेटी दस बेटों के तुल्य है ....
"जो मम्मी, पापा को स्वर्ग ले जाये वह बेटा होता है"
किंतु
"जो स्वर्ग को घर में ले आये, वह बेटी होती है " .....!
एक पिता ने अपनी बेटी से पूछा :
तुम किसे जादा चाहती हो मुझे या अपने पतिदेव को....??
बेटी ने उत्तर दिया :
मुझे सचमुच पता नहीं,
लेकिन जब मैं आपको देखती हूं तो उन्हें भूल जाती हूं ....
लेकिन जब मैं उन्हें देखती हूं तब आपको याद करती हूं
आप कभी भी अपनी बेटी को बेटा कह सकते हो लेकिन आप कभी अपने बेटे को बेटी नहीं कह सकते . .
यही कारण है कि बेटियां आम नहीं, खास होती हैं ..
बेटी की मोहब्बत को कभी आजमाना नहीं ,
वह फूल है, उसे कभी रुलाना नहीं
पिता का तो गुमान होती है बेटी,
जिन्दा होने की पहचान होती है बेटी ,
उसकी आंखें कभी नम न होने देना ,
उसकी जिन्दगी से कभी खुशियां कम न होने देना ,
उन्गली पकड़ कर कल जिसको चलाया था तुमने,
फ़िर उसको ही डोली में बिठाया था तुमने,
बहुत छोटा सा सफ़र होता है बेटी के साथ,
बहुत कम वक्त के लिये वह होती हमारे पास ..!!
असीम दुलार पाने की हकदार है बेटी,
समझो ईश्वर का आशीर्वाद है बेटी . . . .
रिश्ते और रास्ते
रिश्ते और रास्ते एक ही सिक्के
के दो पहलू हैं, कभी रिश्ते
निभाते निभाते रास्ते खो जाते हैं!
और कभी रास्ते पर चलते चलते
रिश्ते बन जाते हैं!
दिलो में शिकवे
जो दिलो में शिकवे और जुबान पर शिकायते कम रखते है,
वो लोग हर रिश्ता निभाने का दम रखते हैं..
जिंदगी बहुत कुछ
सिखाती है,
कभी हंसाती है तो
कभी रुलाती है,
पर जो हर हाल में
खुश रहते हैं,
जिंदगी उनके आगे
सर झुकाती है।
बुधवार, 18 मार्च 2015
कुदरत
एक बात हमेशा याद रखना दोस्तों
ढूंढने पर वही मिलेंगे
जो खो गए थे,
वो कभी नहीं मिलेंगे
जो बदल गए है ॥
कोई चाहे कितना भी महान क्यों ना हो जाए ,
पर कुदरत कभी भी किसी को महान बनने का मौका नहीं देती ।।
कंठ दिया कोयल को , तो रूप छीन लिया।
रूप दिया मोर को , तो ईच्छा छीन ली । दि ईच्छा इन्सान को , तो संतोष छीन लिया।
दिया संतोष संतको , तो संसार छीन लिया।
दिया संसार चलाने देवी -देवताओं को ,
तो उनसे भी मोक्ष छीन लिया ।
दिया मोक्ष उस निराकार को , तो उसका भी आकार छीन लिया ।।
मत करना कभी भी ग़ुरूर अपने आप पर 'ऐ इंसान' ,
मेरे रब ने तेरे और मेरे जैसे कितने मिट्टी से बना के मिट्टी में मिला दिए ।
रंग बदलते देखा है ....
मैंने .. हर रोज .. जमाने को .. रंग बदलते देखा है ....
उम्र के साथ .. जिंदगी को .. ढंग बदलते देखा है .. !!
वो .. जो चलते थे .. तो शेर के चलने का .. होता था गुमान..
उनको भी .. पाँव उठाने के लिए .. सहारे को तरसते देखा है !!
जिनकी .. नजरों की .. चमक देख .. सहम जाते थे लोग ..
उन्ही .. नजरों को .. बरसात .. की तरह ~~ रोते देखा है .. !!
जिनके .. हाथों के .. जरा से .. इशारे से .. टूट जाते थे ..पत्थर ..
उन्ही .. हाथों को .. पत्तों की तरह .. थर थर काँपते देखा है .. !!
जिनकी आवाज़ से कभी .. बिजली के कड़कने का .. होता था भरम ..
उनके .. होठों पर भी .. जबरन .. चुप्पी का ताला .. लगा देखा है .. !!
ये जवानी .. ये ताकत .. ये दौलत ~~ सब कुदरत की .. इनायत है ..
इनके .. रहते हुए भी .. इंसान को ~~ बेजान हुआ देखा है ... !!
अपने .. आज पर .. इतना ना .. इतराना ~~ मेरे .. यारों ..
वक्त की धारा में .. अच्छे अच्छों को ~~ मजबूर हुआ देखा है .. !!!
कर सको......तो किसी को खुश करो......दुःख देते ........तो हजारों को देखा है..
न 'मंदिर' न 'मस्जिद'
"बच्चे झगड़ रहे थे मोहल्ले के,
न जाने किस बात पर . . .
सूकून इस बात का था,
न 'मंदिर' का ज़िक्र था न 'मस्जिद' का !"
---------------------------
जब टूटने लगे होसले तो बस ये याद रखना,
बिना मेहनत के हासिल तख्तो ताज नहीं होते,
ढूंड लेना अंधेरों में मंजिल अपनी,
जुगनू कभी रौशनी के मोहताज़ नहीं होते.
मंगलवार, 17 मार्च 2015
गलतियां
ग़लतियों से जुदा
तू भी नही,
मैं भी नही,
दोनो इंसान हैं,
खुदा तू भी नही,
मैं भी नही ... !
" तू मुझे ओर मैं तुझे
इल्ज़ाम देते हैं मगर,
अपने अंदर झाँकता
तू भी नही,
मैं भी नही " ... !!
" ग़लत फ़हमियों ने कर दी
दोनो मैं पैदा दूरियाँ,
वरना फितरत का बुरा
तू भी नही,
मैं भी नही...!!
रविवार, 15 मार्च 2015
खुदग़रज़ ना समझ लेना
किसी रोज़ याद न कर पाऊँ तो
खुदग़रज़ ना समझ लेना दोस्तों
दरअसल छोटी सी इस उम्र मैं
परेशानियां बहुत हैं..!!
मैं भूला नहीं हूँ किसी को...
मेरे बहुत अच्छे दोस्त है ज़माने में ..
बस थोड़ी जिंदगी उलझी पड़ी है ..
2 वक़्त की रोटी कमाने में..
खामोश चहरे
"खामोश चहरे पर
हजारो पहरे होते है,
हँसती आँखों में भी
जख्म गहरे होते है,
जिनसे अक्सर
रूठ जाते है हम,
असल में उनसे ही
रिश्ते ज्यादा गहरे होते है"
शनिवार, 14 मार्च 2015
बहुत कुछ गंवा दिया
मकान चाहे कच्चे थे
लेकिन रिश्ते सारे सच्चे थे...
चारपाई पर बैठते थे
पास पास रहते थे...
सोफे और डबल बेड आ गए
दूरियां हमारी बढा गए....
छतों पर अब न सोते हैं
बात बतंगड अब न होते हैं..
आंगन में वृक्ष थे
सांझे सुख दुख थे...
दरवाजा खुला रहता था
राही भी आ बैठता था...
कौवे भी कांवते थे
मेहमान आते जाते थे...
इक साइकिल ही पास था
फिर भी मेल जोल था...
रिश्ते निभाते थे
रूठते मनाते थे...
पैसा चाहे कम था
माथे पे ना गम था...
मकान चाहे कच्चे थे
रिश्ते सारे सच्चे थे...
अब शायद कुछ पा लिया है
पर लगता है कि बहुत कुछ गंवा दिया
किसी रोज़ याद न कर पाऊँ
किसी रोज़ याद न कर पाऊँ तो
खुदग़रज़ ना समझ लेना दोस्तों
दरअसल छोटी सी इस उम्र मैं
परेशानियां बहुत हैं..!!
मैं भूला नहीं हूँ किसी को...
मेरे बहुत अच्छे दोस्त है ज़माने में ..
बस थोड़ी जिंदगी उलझी पड़ी है ..
2 वक़्त की रोटी कमाने में..
नज़र और नसीब
नज़र और नसीब का
कुछ ऐसा इत्तफाक हैं
कि
नज़र को अक्सर वही
चीज़ पसंद आती हैं
जो नसीब में नहीं होती
और
नसीब में लिखी चीज़
अक्सर नज़र नहीं आती है
मैंने एक दिन
भगवान से पूछा
आप मेरी दुआ
उसी वक्त
क्यों नहीं सुनते हो
जब मैं
आपसे मांगता हूँ
भगवान ने
मुस्कुरा कर के कहा
मैं तो आप के
गुनाहों की सजा भी
उस वक्त नहीं देता
जब आप करते हो
किस्मत तो पहले ही
लिखी जा चुकी है
तो कोशिश करने से
क्या मिलेगा
क्या पता
किस्मत में लिखा हो कि कोशिश से ही मिलेगा
ज़िन्दगी में कुछ खोना पड़े
तो यह दो लाइन याद रखना
जो खोया है
उसका ग़म नहीं
लेकिन
जो पाया है
वो किसी से कम नहीं
जो नहीं है
वह एक ख्वाब हैं
और
जो है
वह लाजवाब है
इन्सान कहता है कि
पैसा आये तो
हम कुछ करके दिखाये
और
पैसा कहता हैं कि
आप कुछ करके दिखाओ
तो मैं आऊ
बोलने से पहले
लफ्ज़ आदमी के
गुलाम होते हैं
लेकिन
बोलने के बाद इंसान
अपने लफ़्ज़ों का गुलाम
बन जाता हैँ
ज्यादा बोझ लेकर
चलने वाले
अक्सर डूब जाते हैं
फिर चाहे वह
अभिमान का हो
या
सामान का
जिन्दगी जख्मों
से भरी है
वक़्त को मरहम
बनाना सीख लो
हारना तो है
मौत के सामने
फ़िलहाल जिन्दगी से
जीना सीख लो
गुरुवार, 12 मार्च 2015
जीवन की चादर में
इस जीवन की चादर में,
सांसों के ताने बाने हैं,
दुख की थोड़ी सी सलवट है,
सुख के कुछ फूल सुहाने हैं.
क्यों सोचे आगे क्या होगा,
अब कल के कौन ठिकाने हैं,
ऊपर बैठा वो बाजीगर ,
जाने क्या मन में ठाने है.
चाहे जितना भी जतन करे,
भरने का दामन तारों से,
झोली में वो ही आएँगे,
जो तेरे नाम के दाने है.
दोस्ती के जमाने नहीं आते.
धीरे धीरे उम्र कट
जाती है. ...
ज़िन्दगी यादों की किताब बन
जाती है. ...
कभी किसी की याद बहुत
तड़पाती है. ..
और कभी यादों के सहरे ज़िन्दगी कट
जाती है....
किनारो पे सागर के खजाने
नहीं आते,
फिर जीवन में दोस्त पुराने नहीं आते....
जी लो इन पलों को हस के जनाब..
फिर लौट के
दोस्ती के जमाने नहीं आते.
शराबी_ दोस्त_रखते_है...
हम_शराब_नही_पीते लेकिन_शराबी_
दोस्त_रखते_है...
कयुंकी
शराबी_दोस्त_अच्छे_होतेे_है ग्लास_
जरूर_तोड़ते_हैं .…
लेकिन_दिल_नही ..…
बुधवार, 11 मार्च 2015
बिखरने दो होंठों पे हंसी
"बिखरने दो होंठों पे हंसी के फुहारों को दोस्तों,
प्यार से बात कर लेने से जायदाद कम नहीं होती...
तुम पे लिखना शुरु कहा से करु,
अदा से करु या हया से करु,
तुम सब कि दोस्ती इतनी खुबसुरत है,
पता नही कि तारिफ जुबा से करु या दुवाओं से करु...
मेरी यादो की शुरुआत ही तुमसे
होती है दोस्तों..!
तूम ये न
कहा करो की मुझे
दुआओ में याद रखना..!!