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गुरुवार, 18 जून 2015

कफ़न में लिपटे तन जलते अपने शरीर को देखा....

सपने मे अपनी मौत को करीब से देखा....
कफ़न में लिपटे तन जलते अपने शरीर को देखा.....
खड़े थे लोग हाथ बांधे एक कतार में...
कुछ थे परेशान कुछ उदास थे .....
पर कुछ छुपा रहे अपनी मुस्कान थे..
दूर खड़ा देख रहा था मैं ये सारा मंजर.....
.....तभी किसी ने हाथ बढा कर मेरा हाथ थाम लिया ....
और जब देखा चेहरा उसका तो मैं बड़ा हैरान था.....
हाथ थामने वाला कोई और नही...मेरा श्याम था...
चेहरे पर मुस्कान और नंगे पाँव था....
जब देखा मैंने उस की तरफ जिज्ञासा भरी नज़रों से.....
तो हँस कर बोला.... "तूने हर दिन दो घडी जपा मेरा नाम था.....
आज प्यारे उसका क़र्ज़ चुकाने आया हूँ...।"
रो दिया मै..अपनी बेवक़ूफ़ियो पर तब ये सोच कर .....
जिसको दो घडी जपा
वो बचाने आये है...
और जिन मे हर घडी रमा रहा
वो शमशान पहुचाने आये है....तभी खुली आँख मेरी बिस्तर पर विराजमान था.....
कितना था नादान मैं हकीकत से अनजान था....

बुधवार, 17 जून 2015

बुलंदी

बुलंदी देर तक किस शख्श के हिस्से में रहती है
बहुत ऊँची इमारत हर घडी खतरे में रहती है

ये ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता,
मैं जब तक घर न लौटूं, मेरी माँ सज़दे में रहती है

जी तो बहुत चाहता है इस कैद-ए-जान से निकल जाएँ हम
तुम्हारी याद भी लेकिन इसी मलबे में रहती है

अमीरी रेशम-ओ-कमख्वाब में नंगी नज़र आई
गरीबी शान से एक टाट के परदे में रहती है

मैं इंसान हूँ बहक जाना मेरी फितरत में शामिल है
हवा भी उसको छू के देर तक नशे में रहती है

मोहब्बत में परखने जांचने से फायदा क्या है
कमी थोड़ी बहुत हर एक के शज़र* में रहती है

ये अपने आप को तकसीम* कर लेते है सूबों में
खराबी बस यही हर मुल्क के नक़्शे में रहती है

शज़र  =  पेड़
तकसीम  =  बांटना      ����

सच्चा परिवार

卐  सच्चा परिवार  卐

•"परिवार में"- कायदा नही परन्तु व्यवस्था होती है।

•"परिवार में"- सूचना नहीं परन्तु समझ होती है।

•"परिवार में"- कानून नहीं परन्तु अनुशासन होता है।

•"परिवार मे"- भय नहीं परन्तु भरोसा होता है।

• "परिवार मे"- शोषण नहीं परन्तु पोषणहोता है।

•"परिवार मे"- आग्रह नही परन्तु आदर होता है।

•"परिवार मे"- सम्पर्क नही परन्तु सम्बन्ध होता है ।

•"परिवार मे"- अर्पण नही परन्तु समर्पण होता है।

वही सच्चा परिवार होता है।।

मंगलवार, 16 जून 2015

प्यार वो हैं..

प्यार वो हैं..

जब माँ रात को आती है
और कहती हैं..
“सो जा, बाकी सुबह उठ कर पढ़ लेना”

❤प्यार वो हैं …
जब हम tution से वापस आये और पापा कहे-
“बेटा लेट होने वाले थे तो कॉल कर देते”

प्यार वो है….
जब भाभी कहती हैं -
“ओये हीरो;
लड़की पटी की नही”

प्यार वो हैं….
जब बहन कहती हैं-
“देखूंगी मेरी शादी के बाद तेरा काम कौन करेगा

”प्यार वो हैं….
जब हम निराश हो और भाई आकर कहे-
“चल नौटंकी कही घुमने चलते हैं”

प्यार वो है…
जब दोस्त कॉल करके कहे-
ओये कमीने जिन्दा हैं या मर गया”

यह है सच्चा प्यार।
इसे अपने जीवन मैं बिलकुल भी ना गवाएं..

प्यार केवल गर्ल फ्रेंड या बॉय फ्रेंड होना ही नही हैं।
यह प्यार उससे भी ऊपर हैं।

ज्यादा से ज्यादा शेयर करके अपने दोस्तों को भी अपने प्यार का अहसास दिलवाए।

कुछ यादें बची हैं इस दिल के पेन ड्राईव में

बिखर गया है सब कुछ
मेरी लाईफ में
कुछ यादें बची हैं
इस दिल के पेन ड्राईव में

जिस दिन मैंने दुनिया में
लॉग इन किया
सारा मोहल्ला
खुशियों से रंगीन किया

स्कूल में मेरी
होती अक्सर पिटायी थी
मैं 2G था
और मैडम वाईफाई थी

उस पर मेरा
सॉफ्टवेयर बडा पुराना था
ट्यूब लाईट था मैं
जब CFL का जमाना था

गणित में तो
मैं बचपन से ही फ़्लॉप था
भेजे का पासवर्ड
बड़े दिनों तक लॉक था

कितना भी मारो
भेजे को सिगनल मिलता नहीं
बिन सिगनल, जिंदगी का
नेटवर्क चलता नहीं

जब जब स्कूल जाने में
मैं लेट हुआ
प्रिंसपल की डाँट से
सॉफ़्टवेयर अपडेट हुआ

हाईस्कूल में
ईश्क का वायरस घुस बैठा
भेजे में सुरक्षित
सारा डाटा चूस बैठा

नजरों से नजरें टकरायी
10th क्लास में
मैसेज आया
मेरे दिल के इनबॉक्स में

जब जब मैंने
आगे बढकर पोक किया
धीरे से उसने
नजरें झुकाकर रोक लिया

कॉलेज में देखा
किसी गैर के साथ
तो मन बैठा
ईश्क का वायरस
एंटीवायरस बन बैठा

वो रियल थी
लेकिन फ़ेक आईडी सी
लगने लगी
बातों से अपनी
मेरे यारों को भी ठगने लगी

आयी वो वापस
दिल पे मेरे नॉक किया
लेकिन फ़िर मैंने
खुद ही उसको ब्लॉक किया

मेरे जीवन में
अब प्यार के लिए स्पेस नहीं
मैं 'मीत' हूँ पगली
मजनू का अवशेष नहीं

कॉलेज से निकला
दुनियादारी सीखने लगा
बना मैं शायर
देशप्रेम पर लिखने लगा

जब दिल चाहे
तसवीर नयी बनाता हूँ
आदमी को उसका
असली चेहरा दिखलाता हूँ

डरता है दिल
जिंदगी मेरी ना वेस्ट हो
जो कुछ लिखूँ,
सदियों तक कॉपी पेस्ट हो

ख्वाहिश है
मेरे गीत जहाँ में लाउड हों
इस 'ज़िंदगी' का क्या है,
जाने कब लॉग आउट हो

रविवार, 14 जून 2015

धीरे धीरे उम्र कट जाती है

धीरे धीरे उम्र कट जाती है
                     ज़िन्दगी
       यादों की किताब बन जाती है
                कभी किसी की
            याद बहुत तड़पाती है
                       और
             कभी यादों के सहारे
            ज़िन्दगी कट जाती है
             किनारो पे सागर के
              खजाने नहीं आते,
             जीवन में बीते पल
              दुबारा नहीं आते....
            जी लो इन पलों को
               हँस के जनाब,
                फिर लौट के
        दोस्ती के जमाने नहीं आते..

रहने दे आसमा. ज़मीन कि तलाश

=> रोज   तारीख   बदलती.  है,
रोज.  दिन.  बदलते.   हैं....
रोज.  अपनी.  उमर.   भी बदलती.  है.....
रोज.  समय.  भी    बदलता. है...
हमारे   नजरिये.  भी.  वक्त.  के साथ.  बदलते.  हैं.....
बस   एक.  ही.  चीज.  है.  जो नहीं.   बदलती...
और  वो  हैं  "हम खुद"....

और  बस   ईसी.  वजह  से  हमें लगता   है.  कि.  अब  "जमाना" बदल   गया.  है........

किसी  शायर  ने  खूब  कहा  है,,

रहने   दे   आसमा.  ज़मीन   कि तलाश.  ना   कर,,
सबकुछ।  यही।  है,  कही  और  तलाश   ना   कर.,

हर  आरज़ू   पूरी  हो,  तो   जीने का।  क्या।  मज़ा,,,
जीने  के  लिए   बस।  एक खूबसूरत   वजह।  कि   तलाश कर,,,

ना  तुम  दूर  जाना  ना  हम  दूर जायेंगे,,
अपने   अपने   हिस्से कि। "दोस्ती"   निभाएंगे,,,

बहुत  अच्छा   लगेगा    ज़िन्दगी का   ये   सफ़र,,,
आप  वहा  से  याद   करना, हम यहाँ   से   मुस्कुराएंगे,,,

क्या   भरोसा   है.  जिंदगी   का,
इंसान.  बुलबुला.  है   पानी  का,

जी  रहे  है  कपडे  बदल  बदल कर,,
एक  दिन  एक  "कपडे"  में  ले जायेंगे  कंधे  बदल  बदल  कर,,

विज्ञान चालीसा

जय न्यूटन विज्ञान के आगर,
गति खोजत ते भरि गये सागर ।...

ग्राहम् बेल फोन के दाता,
जनसंचार के भाग्य विधाता ।

बल्ब प्रकाश खोज करि लीन्हा,
मित्र एडीशन परम प्रवीना ।

बायल और चाल्स ने जाना,
ताप दाब सम्बन्ध पुराना ।

नाभिक खोजि परम गतिशीला,
रदरफोर्ड हैं अतिगुणशीला ।

खोज करत जब थके टामसन,
तबहिं भये इलेक्ट्रान के दर्शन ।

जबहिं देखि न्यट्रोन को पाए,
जेम्स चैडविक अति हरषाये ।

भेद रेडियम करत बखाना,
मैडम क्यूरी परम सुजाना ।

बने कार्बनिक दैव शक्ति से,
बर्जीलियस के शुद्ध कथन से ।

बनी यूरिया जब वोहलर से,
सभी कार्बनिक जन्म यहीं से ।

जान डाल्टन के गूँजे स्वर,
आशिंक दाब के योग बराबर ।

जय जय जय द्विचक्रवाहिनी,
मैकमिलन की भुजा दाहिनी ।

सिलने हेतु शक्ति के दाता,
एलियास हैं भाग्यविधाता ।

सत्य कहूँ यह सुन्दर वचना,
ल्यूवेन हुक की है यह रचना ।

कोटि सहस्र गुना सब दीखे,
सूक्ष्म बाल भी दण्ड सरीखे ।

देखहिं देखि कार्क के अन्दर,
खोज कोशिका है अति सुन्दर ।

काया की जिससे भयी रचना,
राबर्ट हुक का था यह सपना ।

टेलिस्कोप का नाम है प्यारा,
मुट्ठी में ब्रम्हाण्ड है सारा ।

गैलिलियो ने ऐसा जाना,
अविष्कार परम पुराना ।

विद्युत है चुम्बक की दाता,
सुंदर कथन मनहिं हर्षाता ।

पर चुम्बक से विद्युत आई,
ओर्स्टेड की कठिन कमाई ।

ओम नियम की कथा सुहाती,
धारा विभव है समानुपाती ।

एहि सन् उद्गगम करै विरोधा,
लेन्ज नियम अति परम प्रबोधा ।

चुम्बक विद्युत देखि प्रसंगा,
फैराडे मन उदित तरंगा ।

धारा उद्गगम फिरि मन मोहे,
मान निगेटिव फ्लक्स के होवे ।

जय जगदीश सबहिं को साजे,
वायरलेस अब हस्त बिराजै ।

अलेक्जेंडर फ्लेमिंग आए,
पैसिंलिन से घाव भराये ।

आनुवांशिकी का यह दान,
कर लो मेण्डल का सम्मान ।

डा रागंजन सुनहु प्रसंगा,
एक्स किरण की उज्ज्वल गंगा ।

मैक्स प्लांक के सुन्दर वचना,
क्वाण्टम अंक उन्हीं की रचना ।

फ्रैंकलिन की अजब कहानी,
देखि पतंग प्रकृति हरषानी ।

डार्विन ने यह रीति बनाई,
सरल जीव से सॄष्टि रचाई ।

परि प्रकाश फोटान जो धाये,
आइंस्टीन देखि हरषाए ।

षष्ठ भुजा में बेंजीन आई,
लगी केकुले को सुखदाई ।

देखि रेडियो मारकोनी का,
मन उमंग से भरा सभी का ।

कृत्रिम जीन का तोहफा लैके,
हरगोविंद खुराना आए ।

ऊर्जा की परमाणु इकाई,
डॉ भाषा के मन भाई ।

थामस ग्राहम अति विख्याता,
गैसों के विसरण के ज्ञाता ।

जो यह पढ़े विज्ञान चालीसा,
देइ उसे विज्ञान आशीषा ।

बुधवार, 10 जून 2015

बिना मुस्कुराये ही शाम हो जाती है..

-हरिवंशराय बच्चन की बहुत ही अच्छी पंक्तियाँ--

"जब मुझे यकीन है के भगवान मेरे साथ है।
तो इस से कोई फर्क नहीं पड़ता के कौन कौन मेरे खिलाफ है।।" 

तजुर्बे ने एक बात सिखाई है...
एक नया दर्द ही...
पुराने दर्द की दवाई है...!!

हंसने की इच्छा ना हो...
तो भी हसना पड़ता है...
कोई जब पूछे कैसे हो...??
तो मजे में हूँ कहना पड़ता है..

ये ज़िन्दगी का रंगमंच है दोस्तों....
यहाँ हर एक को नाटक करना पड़ता है.
"माचिस की ज़रूरत यहाँ नहीं पड़ती..
यहाँ आदमी आदमी से जलता है...!!"

मंदिर में फूल चढ़ा कर आए तो यह एहसास हुआ कि...

पत्थरों को मनाने में,
फूलों का क़त्ल कर आए हम।

गए थे गुनाहों की माफ़ी माँगने ....
वहाँ एक और गुनाह कर आए हम ....

जल जाते हैं मेरे अंदाज़ से मेरे दुश्मन
क्यूंकिएक मुद्दत से मैंने न मोहब्बत बदली और न दोस्त बदले .!!.

एक घड़ी ख़रीदकर हाथ मे क्या बाँध ली..
वक़्त पीछे ही पड़ गया मेरे..!!

सोचा था घर बना कर बैठुंगा सुकून से..
पर घर की ज़रूरतों ने मुसाफ़िर बना डाला !!!

सुकून की बात मत कर ऐ ग़ालिब....
बचपन वाला 'इतवार' अब नहीं आता |

जीवन की भाग-दौड़ में -
क्यूँ वक़्त के साथ रंगत खो जाती है ?
हँसती-खेलती ज़िन्दगी भी आम हो जाती है..

एक सवेरा था जब हँस कर उठते थे हम
और
आज कई बार
बिना मुस्कुराये ही शाम हो जाती है..

कितने दूर निकल गए,
रिश्तो को निभाते निभाते..
खुद को खो दिया हमने,
अपनों को पाते पाते..

लोग कहते है हम मुस्कुराते बहोत है,
और हम थक गए दर्द छुपाते छुपाते..

"खुश हूँ और सबको खुश रखता हूँ,
लापरवाह हूँ फिर भी सबकी परवाह
करता हूँ..

चाहता तो हु की ये दुनियाबदल दू ....
पर दो वक़्त की रोटी केजुगाड़ में फुर्सत नहीं मिलती दोस्तों

युं ही हम दिल को साफ़ रखा करते थे .
पता नही था की, 'किमत चेहरों की होती है!!'

"दो बातें इंसान को अपनों से दूर कर देती हैं,
एक उसका 'अहम' और दूसरा उसका 'वहम'..

" पैसे से सुख कभी खरीदा नहीं जाताऔर दुःख का कोई खरीदार नहीं होता।"

किसी की गलतियों को बेनक़ाब ना कर,

'ईश्वर' बैठा है, तू हिसाब ना कर.

मंगलवार, 9 जून 2015

सौ गुना बढ़ जाती है खूबसूरती


सौ गुना बढ़ जाती है खूबसूरती,
महज़ मुस्कराने से,
फिर भी बाज नही आते लोग,
मुँह फुलाने से ।

ज़िन्दगी एक हसीन ख़्वाब है ,
जिसमें जीने की चाहत होनी चाहिये,
ग़म खुद ही ख़ुशी में बदल जायेंगे,
सिर्फ मुस्कुराने की आदत होनी चाहीये।
जय श्री कृष्णा

सोमवार, 8 जून 2015

रोज तारीख बदलती है , रोज दिन बदलते है...

रोज तारीख बदलती है , रोज दिन बदलते है...
रोज अपनी उम्र बदलती है , रोज समय भी बदलता है...
हमारे नजरिये भी वक्त के साथ बदलते है...
बस एक ही चीज है , जो नही बदलती
और...वो है हम खुद...
और...बस इसी वजह से हमें लगता है , की अब जमाना बदल गया है... किसी शायर ने खूब कहाँ है...
रहने दे आसमां , जमीन की तलाश कर...
सब कुछ यही है , कही और न तलाश कर...
हर आरजू पूरी हो , तो जीने का क्या मजा...
जीने के लिऍ बस एक खुबसुरत वजह की तलाश कर...
ना तुम दूर जाना , ना हम दूर जायेंगे...
अपने अपने हिस्से की दोस्ती निभायेंगे...
बहुत अच्छा लगेगा , जिंदगी का ये सफर...
आप वहाँ से याद करना , हम यहाँ से मुस्कूराएंगे...
क्या भरोसा है जिंदगी का , इन्सान बुलबुला है पानी का...
जी रहे है कपडे बदल बदल कर...
एक दिन एक कपडे में ले जायेंगे , कंधे बदल बदल कर...॥

हम इश्क के रंगरेज हैं....

सुनो जानते हो
हममे तुममे फ़र्क़ क्या हैं
तुम लव के अंग्रेज हो
हम इश्क के रंगरेज हैं..........।
दिल की ‪धड़कन‬ का ‪क्या‬ है.
बड़ी ‪नाज़ुक‬ सी होती है.
बैंक का ‪कैशियर‬ हजार के नोट को दो बार ‪पलट‬ कर देख ले तो भी ‪‎रुक‬ जाती है...........।
पतंग सी है ज़िन्दगी,कहाँ तक जाएगी.
रात हो या उम्र एक ना एक दिन कट ही जाएगी...........।
आँखों‬ में तेरा सपना,‪‎दिल‬ में तेरी ख्वाहिश,‪बस‬ हमेशा यूँ ही साथ रहना,‪‎इतनी‬ सी है गुजारिश............।
काश पड़ाई प्यार की तरह होती.
पता भी नही चलता और न जाने कब हो जाती....
और प्यार पडाई की तरह होता ताकी घर वाले भी बार बार बोलते.कर ले बेटा कर ले आगे काम आएगा............।❤
स्वभाव रखना है तो उस दीपक की तरह
रखो.
जो बादशाह के महल में भी उतनी
रोशनी देता है.
जितनी किसी गरीब की झोपड़ी में..............।⚫
झूठ अगर यह है कि तुम मेरे हो तो यकीन मानो मेरे लिए सच कोई मायने नहीं रखता…..!!.......           काश तुम भी हो जाओ तुम्हारी यादों की तरह,ना वक़्त देखो,ना बहाना, बस चले आओ...!.........।
कोई इल्जाम रह गया हो, तो वो भी दे दो.हम पहले भी बुरे थे,अब थोड़ा और सही.............।㊗
तेरी मोहब्बत मैं और मेरी फितरत मैं फर्क इतना है की.तेरा Attitude नहीं जाता और मुझे झुकना नहीं आता...........।
पत्तों की तरह बिखेरता था मुझको ज़माना.
फिर एक शक़्स ने मुझे इकट्ठा किया और आग लगा दी....!!!!.........।
शायरी शौक नहीं,और नाही कारोबार
मेरा,
बस दर्द जब सह नहीं पाता, तो लिख
लेता हूँ.....

छोटी छोटी बातों में 'बंट' गए......

जब छोटे थे तो.
बड़ी बड़ी बातों में 'बह' गए
और
जब बड़े हुए तो.
छोटी छोटी बातों में 'बंट' गए...............।
बेताबियाँ समेट के सारे जहान की जब
कुछ न बन सका तो मेरा दिल बना दिया..........।
तेरे एक इशारे पे हम इल्जाम अपने नाम ले लेते
बेवजह, झूठे इल्जाम लगाने की जरुरत क्या थी.........।
ज्यादातर लड़को का करियर तो वही खत्म
हो जाता है
जब
आगे के बेंच पर बैठी लड़की
पीछे मुड़कर स्माइल के साथ पेन  पेंसिल
मांग लेती है...............।
माना की तुम जीते हो ज़माने के लिये!
एक बार जी के तो देखो हमारे लिये!
दिल की क्या औकात आपके सामने!
हम तो जान भी दे देंगे आपको पाने के लिये!........।
हर वक्त,हर रोज..तेरा ही खयाल.
ना जाने किस कर्ज की किश्त हो तुम..........।
ना तोल मेरी  मोहब्बत  अपनी  दिल्लगी  से  देखकर मेरी  चाहत  को अक्सर  तराजु  टुट जाते हैं........।
एक चाहत थी
तेरे साथ जीने की.
व्रना
मोहब्बत तो
किसी से भी हो सकती थी..........।❤
✋आ मिल कर ढूंढ ले कोई वजह फिर से एक हो जाने की
यूँ बिछड़े बिछड़े न तुम अच्छे लगते हो और न  ही मैं.........।✋
नहीं सजदे किए हमने कभी
ग़ैरों की चौखट पर.
हमें जितनी जरूरत पड़ती है
खुदा से मांग लेते हैं.........।❤
करता नहीं तुमसे ये दिल शिकायत मगर,
कहना ये चाहता है कि तुम अब वो नहीं रहे..!!.......।
सामान बाँध लिया है मैंने अपना अब बता भी दो,
कहाँ रहते हैं वो लोग जो कहीं के नहीं रहते

आँखे


आँखे' कितनी  अजीब  होती  है, 
जब  उठती  है  तो  दुआ  बन  जाती  है,
जब  झुकती  है  तो  हया  बन  जाती  है,
उठ  के  झुकती  है  तो अदा  बन  जाती  है
झुक  के उठती  है  तो खता  बन  जाती है,
जब  खुलती  है  तो दुनिया  इसे  रुलाती  है,
जब  बंद  होती  है  तो  दुनिया  को  ये  रुलाती है...!!

"हर रिश्ते में विश्वास रहने दो;
जुबान पर हर वक़्त मिठास रहने दो;
यही तो अंदाज़ है जिंदगी जीने का;
न खुद रहो उदास, न दूसरों को रहने दो..!"
G. Morning....

शनिवार, 6 जून 2015

मैं खुश हूँ

मैं खुश हूँ

"जिंदगी है छोटी,
       " हर पल में खुश हूँ"
काम में खुश हूँ ,
       " आराम में खुश हूँ"
आज पनीर नहीं,
       " दाल में ही खुश हूँ"
आज गाड़ी नहीं,
       " पैदल ही खुश हूँ"
दोस्तों का साथ नहीं,
       " अकेला ही खुश हूँ"
आज कोई नाराज है,
       " उसके इस अंदाज से ही खुश हूँ"
जिस को देख नहीं सकता,
       " उसकी आवाज से ही खुश हूँ"
जिसको पा नहीं सकता,
       " उसको सोच कर ही खुश हूँ"
बीता हुआ कल जा चुका है,
       "उसकी मीठी याद में ही खुश हूँ"
आने वाले कल का पता नहीं,
       " इंतजार में ही खुश हूँ"
हंसता हुआ बीत रहा है पल,
       " आज में ही खुश हूँ"
जिंदगी है छोटी,
       " हर पल में खुश हूँ"
अगर दिल को छुआ, तो जवाब देना
       "वरना बिना जवाब के भी खुश हूँ

गुरुवार, 4 जून 2015

ये पत्नियाँ

जाने कैसे कैसे रूप, दिखाती हैं ये पत्नियाँ
फिर भी सबके मन को भाती हैं ये पत्नियाँ

भोला भोला पति बेचारा समझ नहीं पाता
किस बात पर कब रूठ जाती हैं ये पत्नियाँ

थोड़ी सी तकरार है, है फिर थोड़ा प्यार भी,
रुलाकर हमें, प्यार से, हंसाती हैं ये पत्नियाँ

भोर में थकावट है, शाम को सजावट है
सारे रिश्ते प्यार से, निभाती हैं ये पत्नियाँ

थोड़ी सी नजाकत है, है थोड़ी शरारत भी
नाज नखरे भी कभी, दिखाती हैं ये पत्नियाँ

सुबह शाम पूजा करतीं, और रसोई में लगतीं
खाने में जाने क्या क्या पकाती हैं ये पत्नियाँ

ख्यालों में कभी खोयीं, या रातों में नहीं सोयीं
अपने सारे गम हमसे, छुपातीं हैं ये पत्नियाँ

मांगें लम्बी उमर पति की, सारे व्रत रख कर
कभी पति से व्रत नहीं, रखातीं हैं ये पत्नियाँ

मन कभी उदास हो, या सोच में डूबे हों हम
होकर भावुक सीने से, लगाती हैं ये पत्नियाँ

छोड के बाबुल का घर, सपने आँखों में लिये
सजाने को घर पिया का, आतीं हैं ये पत्नियाँ

ना दिन में आराम है, ना रात को विश्राम है
कुछ भी हो, घर को घर बनाती हैं ये पत्नियाँ

बुधवार, 3 जून 2015

कोशिश कर, हल निकलेगा

कोशिश कर, हल निकलेगा।
आज नही तो, कल निकलेगा।

अर्जुन के तीर सा सध,
मरूस्थल से भी जल निकलेगा।।

मेहनत कर, पौधो को पानी दे,
बंजर जमीन से भी फल निकलेगा।

ताकत जुटा, हिम्मत को आग दे,
फौलाद का भी बल निकलेगा।

जिन्दा रख, दिल में उम्मीदों को,
गरल के समन्दर से भी गंगाजल निकलेगा।

कोशिशें जारी रख कुछ कर गुजरने की,
जो है आज थमा थमा सा, चल निकलेगा।।

मंगलवार, 2 जून 2015

समय' और 'समझ'

समय' और 'समझ' दोनों एक साथ खुश
किस्मत लोगों को ही मिलते हैं
क्योंकि,
अक्सर 'समय' पर 'समझ'
नहीं आती और 'समझ' आने पर
'समय' निकल जाता है
  पत्तो सी होती है कई रिश्तो कि उम्र,आज हरे.कल सूखे.क्यू ना रिश्ते निभाना हम जङो से सीखे
जब  टूटने  लगे  होसले  तो  बस  ये  याद  रखना,
बिना  मेहनत  के  हासिल  तख्तो  ताज  नहीं  होते,
ढूंड  लेना  अंधेरों  में  मंजिल  अपनी,
जुगनू  कभी  रौशनी  के  मोहताज़  नहीं  होते
बहुत गुरुर था सबको
अपनी दौलत पर
जरा सी जमीन क्या हिली
सब औकात में आ गए
में वो काम नहीं करता जिसमे खुदा मिले
मगर में वो काम जरूर करता हु जिसमे दुआ मिले
मै फकीरों से सौदा कर लेता हु अक्सर.
वो एक सिक्के में लाख दुआए दे जाते है.
खटका उनकी आँखों में एक गरीब का सूट.जिनकी पीढ़ीयां खादी की आड़ में ले गईं देश को लूट.
ना इश्क़ है तुझसे और ना ही तेरी चाहत.
"बस तेरे आस-पास होने से, एक सुकून सा मिलता है         मुझसे नफरत ही करनी है तो इरादे मजबूत रखना.
जरा सी भी चूक हुई तो मोहब्बत हो जायेगी.....

सोमवार, 1 जून 2015

बदले रास्ते बदली मंजिल

बदले रास्ते बदली मंजिल तकदीर बदल गयी
बदकिस्मती हूई मेहरबान कि जिंदगी बदल गयी
एक सहारा था जिनसे मुहब्बत का वो भी हूए न अपने
वफा हूई काफूर उनकी भीनजरें बदल गयी
कैफिरतें दी तो उन्होंने बहुत अपनी बेवफाई की
कैसे मान लेता मैं कि हसरतें उनकी बदल गयी
जानता हूँ मैं कि होती है तब्दीलियां इंसा में वक्त के साथ
अफसोस महज इतना है वफा उनकी मुखालफत में बदल गई
पा तो जाऊंगा मैं बदले रास्तों से बदली हूई मंजिल
पर खुशी नहीं मिलेगी वो कि खुशियां सारी गम में बदल गयी
वक्त बेवक्त जब जरूरत हो अपना समझ कर याद कर लेना
एक तेरे बदलने से मेरी मुहब्बतें तो नहीं बदल गयी
मजबूर हूं रस्में उल्फ़त निभाने को अपनी ही वफा से
ये जानने के बाद भी कि फितरतें तुम्हारी बदल गयी