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शुक्रवार, 24 जुलाई 2015

जिम्मेदारियां ओढ़ के निकलता हूँ घर से यारो...

जिम्मेदारियां ओढ़ के निकलता हूँ घर से यारो


जिम्मेदारियां ओढ़ के निकलता हूँ घर से यारो...
वरना, बारिशों में भीगने का शौक तो अब भी है....!!

वो बचपन के दिन लौटा दे ऐ खुदा.....
जहाँ न दोस्त का मतलब पता था और न मतलब की दोस्ती....

"उम्र" और "ज़िन्दगी" में बस फर्क "इतना"
जो "दोस्तों" के बिन बीति वो "उम्र"    

और जो दोस्तों के "साथ" "गुज़री" वो "ज़िन्दगी..

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