निज पथ की बाधा को
निज पथ की बाधा को
सहर्ष स्वीकार करो।
हे जीवकुल श्रेष्ठ तुम
स्वयं का उद्धार करो।
अभिनन्दन कर रहा है
नव्उदित सूर्य तुम्हारा।
पर जीवनरूपी सागर को
पहले तुम पार करो।
हे जीवकुल श्रेष्ठ तुम
स्वयं का उद्धार करो।
आलस्य,अभिमान,निद्रा का
परित्याग करो तुम ।
प्रेम,मानवता,ईश्वर से
अनुराग करो तुम ।
जग की क्षुद्र वासनाओ का
तुम तिरस्कार करो।
हे जीवकुल श्रेष्ठ तुम
स्वयं का उद्धार करो।
तुम दिव्यपुरूष हो
निडर,निर्भीक,नि:स्वार्थ बनो।
जीवन रण के अर्जुन तुम
कर्तव्य के परमार्थ बनो।
अपने उद्देश्यो का स्वयं ही
तुम परिष्कार करो।
हे जीवकुल श्रेष्ठ तुम
स्वयं का उद्धार करो।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें