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बुधवार, 15 जुलाई 2015

आगे सफर था और पीछे हमसफर था....

आगे सफर था और पीछे हमसफर था


आगे सफर था और पीछे हमसफर था....
रूकते तो सफर छूट जाता और चलते तो हम सफर छूट जाता...

मंजिल की भी हसरत थी और उनसे भी मोहब्बत थी..
ए दिल तू ही बता...उस वक्त मैं कहाँ जाता...

मुद्दत का सफर भी था और बरसो का हम सफर भी था
रूकते तो बिछड जाते और चलते तो बिखर जाते....

यूँ समँझ लो....

प्यास लगी थी गजब की...मगर पानी मे जहर था...
पीते तो मर जाते और ना पीते तो भी मर जाते...
बस यही दो मसले, जिंदगीभर ना हल हुए!!!
ना नींद पूरी हुई, ना ख्वाब मुकम्मल हुए!!!

वक़्त ने कहा.....काश थोड़ा और सब्र होता!!!
सब्र ने कहा....काश थोड़ा और वक़्त होता!!!

सोमवार, 13 जुलाई 2015

सौ गुना बढ़ जाती है खूबसूरती,

सौ गुना बढ़ जाती है खूबसूरती


सौ गुना बढ़ जाती है खूबसूरती,
महज़ मुस्कराने से,
फिर भी बाज नही आते लोग,
मुँह फुलाने से ।
ज़िन्दगी एक हसीन ख़्वाब है ,
जिसमें जीने की चाहत होनी चाहिये,
ग़म खुद ही ख़ुशी में बदल जायेंगे,
सिर्फ मुस्कुराने की आदत होनी चाहीये।

रविवार, 12 जुलाई 2015

नाम छोटा है मगर दिल बडा रखता हूँ

नाम छोटा है मगर दिल बडा रखता हूँ


नाम छोटा है मगर दिल बडा रखता हूँ|
पैसो से उतना अमीर नही हूँ, 

मगर अपने यारो के गम खरिदने की हैसयत रखता हूँ|
मुझे ना हुकुम का ईक्का बनना है 

ना रानी का बादशाह, हम जोकर ही अच्छे हैं, 

जिस के नसीब में आऐंगे बाज़ी पलट देंगे।
किसी रोज़ याद न कर पाऊँ तो खुदग़रज़ ना समझ लेना दोस्तो, 

दरअसल छोटी सी इस उम्र मैं परेशानियां बहुत हैं...!!

मैं भूला नहीं हूँ किसी को...
मेरे बहुत कम दोस्त है ज़माने में.........


बस थोड़ी जिंदगी उलझी पड़ी है.....
2 वक़्त की रोटी कमाने में....

शनिवार, 11 जुलाई 2015

शब्द जब काटते है

शब्द जब काटते है  

शब्दों के दांत नहीं होते है
      लेकिन शब्द जब काटते है  
        तो दर्द बहुत होता है
और   
कभी कभी घाव इतने गहरे हो जाते है की
              जीवन समाप्त  हो जाता है
                परन्तु घाव नहीं भरते.............

इसलिए जीवन में जब भी बोलो मीठा बोलो मधुर बोलों

'शब्द' 'शब्द' सब कोई कहे,
'शब्द' के हाथ न पांव;

एक 'शब्द' 'औषधि" करे,
और एक 'शब्द' करे 'सौ' 'घाव"...!

"जो 'भाग्य' में है वह भाग कर आएगा..,
जो नहीं है वह आकर भी भाग 'जाएगा"..!

प्रभू' को भी पसंद नहीं
'सख्ती' 'बयान' में,
इसी लिए 'हड्डी' नहीं दी, 'जबान' में...!
जब भी अपनी शख्शियत पर अहंकार हो,

एक फेरा शमशान का जरुर लगा लेना।

और....

जब भी अपने परमात्मा से प्यार हो,
किसी भूखे को अपने हाथों से खिला देना।

जब भी अपनी ताक़त पर गुरुर हो,
एक फेरा वृद्धा आश्रम का लगा लेना।

और….

जब भी आपका सिर श्रद्धा से झुका हो,
अपने माँ बाप के पैर जरूर दबा देना।

जीभ जन्म से होती है और मृत्यु तक रहती है क्योकि वो कोमल होती है.

दाँत जन्म के बाद में आते है और मृत्यु से पहले चले जाते हैं...  
  क्योकि वो कठोर होते है।

छोटा बनके रहोगे तो मिलेगी हर
बड़ी रहमत...
बड़ा होने पर तो माँ भी गोद से उतार
देती है..
किस्मत और पत्नी
भले ही परेशान करती है लेकिन
जब साथ देती हैं तो
ज़िन्दगी बदल देती हैं.।।

"प्रेम चाहिये तो समर्पण खर्च करना होगा।

विश्वास चाहिये तो निष्ठा खर्च करनी होगी।

साथ चाहिये तो समय खर्च करना होगा।

किसने कहा रिश्ते मुफ्त मिलते हैं ।
मुफ्त तो हवा भी नहीं मिलती ।

एक साँस भी तब आती है,
जब एक साँस छोड़ी जाती है!!"

शुक्रवार, 10 जुलाई 2015

मंजिल ना मिले

मंजिल ना मिले 

मंजिल ना मिले वंहा तक

 हिम्मत मत हारो और ना ही ठहरो...


क्यों की पहाड़ से निकलने वाली नदियों ने 

आज तक रास्ते में किसीको नहीं पूछा के


भाई समन्दर कितना दूर है?

आगे सफर था और पीछे हमसफर था..

आगे सफर था और पीछे हमसफर था


आगे सफर था और पीछे हमसफर था..

रूकते तो सफर छूट जाता और चलते तो हमसफर छूट जाता..

मंजिल की भी हसरत थी और उनसे भी मोहब्बत थी..

ए दिल तू ही बता,उस वक्त मैं कहाँ जाता...

मुद्दत का सफर भी था और बरसो का हमसफर भी था

रूकते तो बिछड जाते और चलते तो बिखर जाते....

यूँ समँझ लो,

प्यास लगी थी गजब की...
मगर पानी मे जहर था...
पीते तो मर जाते और ना पीते तो भी मर जाते.

गुरुवार, 9 जुलाई 2015

शरीर को चंगा रखो

शरीर को चंगा रखो


शरीर को चंगा रखो
दिमाग़ को ठंडा रखो
जेब को गरम रखो
आँखों में शरम रखो
जुबान को नरम रखो
दिल में रहम रखो
क्रोध पर लगाम रखो
व्यवहार को साफ़ रखो
होटो पर मुस्कुराहट रखो
फिर स्वर्ग मे जाने की
क्या जरूरत, यहीं स्वर्ग है
स्वस्थ रहो......व्यस्त रहो.
....अपने ग्रुप मे... मस्त रहो.....

यह रिश्ता बड़ा निराला

यह रिश्ता बड़ा निराला


..........पत्नी और पति का
..........यह रिश्ता बड़ा निराला


एक को है किसी ने
दूजे को किसी ने पाला
फिर भी दोनों संग है रहते
संग हँसते हैं संग रोते हैं
दुनिया में यह दस्तूर
है किस ने निकाला
..........पत्नी और पति का
..........यह रिश्ता बड़ा निराला


इक दूजे को प्यार है करते
कभी कभी तकरार भी करते
छोड़ जाने की बात भी करते
बच्चों की दुहाई देते
पर न निकले पति ही घर से
न पत्नी को किसी ने निकाला
..........पत्नी और पति का
..........यह रिश्ता बड़ा निराला


रिश्ता है यह सब से ऊपर
सब रिश्ते में यह है सुपर
पति बिन पत्नी न रहती
उसकी न जुदाई सहती
पत्नी बिन भी पति न रहता
सुख दुःख उस के संग है सहता
रिश्ता उस का चले उम्र भर
जिसने इसे संभाला


..........पत्नी और पति का
..........यह रिश्ता बड़ा निराला

मंगलवार, 7 जुलाई 2015

बस यही दो मसले, जिंदगीभर ना हल हुए!!

बस यही दो मसले, जिंदगीभर ना हल हुए


बस यही दो मसले, जिंदगीभर ना हल हुए!!!
ना नींद पूरी हुई, ना ख्वाब मुकम्मल हुए!!!

वक़्त ने कहा.....काश थोड़ा और सब्र होता!!!
सब्र ने कहा....काश थोड़ा और वक़्त होता!!!
सुबह सुबह उठना पड़ता है कमाने के लिए साहेब...।।
आराम कमाने निकलता हूँ आराम छोड़कर।।
"हुनर" सड़कों पर तमाशा करता है 

और "किस्मत" महलों में राज करती है!!
"शिकायते तो बहुत है तुझसे ऐ जिन्दगी,
पर चुप इसलिये हु कि, जो दिया तूने,
वो भी बहुतो को नसीब नहीं होता"...

रविवार, 5 जुलाई 2015

तजुर्बे ने हमको खामोश रहना सिखाया

तजुर्बे ने हमको खामोश रहना सिखाया 










तजुर्बे ने हमको खामोश रहना सिखाया
क्योंकि दहाड़ कर शिकार नहीं किया जाता...

“ कुत्ते भोंकते है अपने जिंदा होने का एहसास दिलाने के लिए,
मगऱ..
जंगल का सन्नाटा शेर की मौजूदगी बंयाँ करता है ”

हँसना और हँसाना कोशिश है मेरी

हँसना और हँसाना कोशिश है मेरी,
हर कोई खुश रहे, यह चाहत है मेरी,
भले ही मुझे कोई याद करे या ना करे,
लेकिन हर अपने को याद करना आदत है मेरी.

दिलकी देहरी से

❤❤ दिलकी देहरी से ❤

सफल इनके वो सारे प्रयास हो गये
कुछ चेहरे और ज्यादा उदास हो गये

जो कर रहे थे हमसे बातें आम की
लोग वही सबसे पहले खास हो गये

नींद रात भर आँखों से छिपती फिरी
सपने भी सुबह तक निराश हो गये

जब देखी उसके हाथ में  दियासलाई
हम खुशी खुशी से सूखी घास होे गये

ऐ जिन्दगी ! तेरी इस ज़द्दोज़हद में
कितने ही लोग बेवक्त लाश हो गये

सच कहूँ भी तो बताओ  कैसे कहूँ
लफ़्ज़ तमाम मेरे  लबतराश हो गये

दिल की बात दिल तक कहाँ जाती है
पत्थरों से सख्त सब अहसास हो गये

�� रतनसिहं चम्पावत कृत ��

शनिवार, 4 जुलाई 2015

जाने क्यूं

जाने क्यूं - अब शर्म से, चेहरे गुलाब नही होते।

जाने क्यूं
अब मस्त मौला मिजाज नही होते।

पहले बता दिया करते थे, दिल की बातें।

जाने क्यूं
अब चेहरे, खुली किताब नही होते।

सुना है
बिन कहे
दिल की बात समझ लेते थे।

गले लगते ही
दोस्त हालात समझ लेते थे।

जब ना फेस बुक थी
ना व्हाटस एप था
ना मोबाइल था

एक चिट्ठी से ही
दिलों के जज्बात समझ लेते थे।

सोचता हूं
हम कहां से कहां आ गये।
प्रेक्टीकली सोचते सोचते
भावनाओं को खा गये।

अब भाई भाई से
समस्या का समाधान कहां पूछता है
अब बेटा बाप से
उलझनों का निदान कहां पूछता है

बेटी नही पूछती
मां से गृहस्थी के सलीके।

अब कौन गुरु के चरणों में बैठकर
ज्ञान की परिभाषा सीखे।

परियों की बातें
अब किसे भाती है

अपनो की याद
अब किसे रुलाती है

अब कौन
गरीब को सखा बताता है

अब कहां
कृष्ण सुदामा को गले लगाता है

जिन्दगी मे
हम प्रेक्टिकल हो गये है

रोबोट बन गये है सब
इंसान जाने कहां खो गये है.......!!!

शुक्रवार, 3 जुलाई 2015

हिंदी बोलने का शौक

मुझे भी आज
हिंदी बोलने का शौक हुआ,

घर से निकला और
एक ऑटो वाले से पूछा,

"त्री चक्रीय चालक
पूरे नगर के परिभ्रमण में
कितनी मुद्रायें व्यय होंगी ?"

ऑटो वाले ने कहा,
"अबे हिंदी में बोल रे.."

मैंने कहा,
"श्रीमान
मै हिंदी में ही
वार्तालाप कर रहा हूँ।"

ऑटो वाले ने कहा,
"मोदी जी
पागल करके ही मानेंगे ।
चलो बैठो
कहाँ चलोगे ?"

मैंने कहा,
"परिसदन चलो"

ऑटो वाला फिर
चकराया !
"अब ये
परिसदन क्या है ?

बगल
वाले श्रीमान ने कहा,
"अरे
सर्किट हाउस जाएगा"

ऑटो वाले ने
सर खुजाया बोला,
"बैठिये प्रभु"

रास्ते में मैंने पूछा,
"इस नगर में
कितने छवि गृह हैं ??"

ऑटो वाले ने कहा,
"छवि गृह मतलब ??"

मैंने कहा,
"चलचित्र मंदिर"

उसने कहा,
"यहाँ बहुत मंदिर हैं ...
राम मंदिर,
हनुमान मंदिर,
जगन्नाथ मंदिर,
शिव मंदिर"

मैंने कहा,
"भाई
में तो चलचित्र मंदिर की
बात कर रहा हूँ
जिसमें
नायक तथा नायिका
प्रेमालाप करते हैं ..."

ऑटो वाला
फिर चकराया,

"ये चलचित्र मंदिर
क्या होता है ??"

यही सोचते सोचते
उसने सामने वाली गाडी में
टक्कर मार दी

ऑटो का
अगला चक्का
टेढ़ा हो गया

मैंने कहा,
"त्री चक्रीय चालक
तुम्हारा अग्र चक्र तो
वक्र हो गया ..."

ऑटो वाले ने
मुझे घूर कर देखा
और कहा,
"उतर जल्दी उतर !

चल ...
भाग यहाँ से"

तब से
यही सोच रहा हूँ
अब और
हिंदी बोलूं
या नहीं ... ???

||   हिंदी पखवाड़ा   ||

सौ गुना बढ़ जाती है खूबसूरती

सौ गुना बढ़ जाती है खूबसूरती,
महज़ मुस्कराने से,

फिर भी बाज नही आते लोग,
मुँह फुलाने से ।
ज़िन्दगी एक हसीन ख़्वाब है ,
जिसमें जीने की चाहत होनी चाहिये,
ग़म खुद ही ख़ुशी में बदल जायेंगे,
सिर्फ मुस्कुराने की आदत होनी चाहीये.

कोर्ट मार्शल


कोर्ट मार्शल"
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आर्मी कोर्ट रूम में आज एक
केस अनोखा अड़ा था
छाती तान अफसरों के आगे
फौजी बलवान खड़ा था

बिन हुक्म बलवान तूने ये
कदम कैसे उठा लिया
किससे पूछ उस रात तू
दुश्मन की सीमा में जा लिया

बलवान बोला सर जी! ये बताओ
कि वो किस से पूछ के आये थे
सोये फौजियों के सिर काटने का
फरमान कोन से बाप से लाये थे

बलवान का जवाब में सवाल दागना
अफसरों को पसंद नही आया
और बीच वाले अफसर ने लिखने
के लिए जल्दी से पेन उठाया

एक बोला बलवान हमें ऊपर
जवाब देना है और तेरे काटे हुए
सिर का पूरा हिसाब देना है

तेरी इस करतूत ने हमारी नाक कटवा दी
अंतरास्ट्रीय बिरादरी में तूने थू थू करवा दी

बलवान खून का कड़वा घूंट पी के रह गया
आँख में आया आंसू भीतर को ही बह गया

बोला साहब जी! अगर कोई
आपकी माँ की इज्जत लूटता हो
आपकी बहन बेटी या पत्नी को
सरेआम मारता कूटता हो

तो आप पहले अपने बाप का
हुकमनामा लाओगे ?
या फिर अपने घर की लुटती
इज्जत खुद बचाओगे?

अफसर नीचे झाँकने लगा
एक ही जगह पर ताकने लगा

बलवान बोला साहब जी गाँव का
ग्वार हूँ बस इतना जानता हूँ
कौन कहाँ है देश का दुश्मन सरहद
पे खड़ा खड़ा पहचानता हूँ

सीधा सा आदमी हूँ साहब !
मै कोई आंधी नहीं हूँ
थप्पड़ खा गाल आगे कर दूँ
मै वो गांधी नहीं हूँ

अगर सरहद पे खड़े होकर गोली
न चलाने की मुनादी है
तो फिर साहब जी ! माफ़ करना
ये काहे की आजादी है

सुनों साहब जी ! सरहद पे
जब जब भी छिड़ी लडाई है
भारत माँ दुश्मन से नही आप
जैसों से हारती आई है

वोटों की राजनीति साहब जी
लोकतंत्र का मैल है
और भारतीय सेना इस राजनीति
की रखैल है

ये क्या हुकम देंगे हमें जो
खुद ही भिखारी हैं
किन्नर है सारे के सारे न कोई
नर है न नारी है

ज्यादा कुछ कहूँ तो साहब जी
दोनों हाथ जोड़ के माफ़ी है
दुश्मन का पेशाब निकालने को
तो हमारी आँख ही काफी है

और साहब जी एक बात बताओ
वर्तमान से थोडा सा पीछे जाओ

कारगिल में जब मैंने अपना पंजाब
वाला यार जसवंत खोया था
आप गवाह हो साहब जी उस वक्त
मै बिल्कुल भी नहीं रोया था

खुद उसके शरीर को उसके गाँव
जाकर मै उतार कर आया था
उसके दोनों बच्चों के सिर साहब जी
मै पुचकार कर आया था

पर उस दिन रोया मै जब उसकी
घरवाली होंसला छोड़ती दिखी
और लघु सचिवालय में वो चपरासी
के हाथ पांव जोड़ती दिखी

आग लग गयी साहब जी दिल
किया कि सबके छक्के छुड़ा दूँ
चपरासी और उस चरित्रहीन
अफसर को मै गोली से उड़ा दूँ

एक लाख की आस में भाभी
आज भी धक्के खाती है
दो मासूमो की चमड़ी धूप में
यूँही झुलसी जाती है

और साहब जी ! शहीद जोगिन्दर
को तो नहीं भूले होंगे आप
घर में जवान बहन थी जिसकी
और अँधा था जिसका बाप

अब बाप हर रोज लड़की को
कमरे में बंद करके आता है
और स्टेशन पर एक रूपये के
लिए जोर से चिल्लाता है

पता नही कितने जोगिन्दर जसवंत
यूँ अपनी जान गवांते हैं
और उनके परिजन मासूम बच्चे
यूँ दर दर की ठोकरें खाते हैं..

भरे गले से तीसरा अफसर बोला
बात को और ज्यादा न बढाओ
उस रात क्या- क्या हुआ था बस
यही अपनी सफाई में बताओ

भरी आँखों से हँसते हुए बलवान
बोलने लगा
उसका हर बोल सबके कलेजों
को छोलने लगा

साहब जी ! उस हमले की रात
हमने सन्देश भेजे लगातार सात

हर बार की तरह कोई जवाब नही आया
दो जवान मारे गए पर कोई हिसाब नही आया

चौंकी पे जमे जवान लगातार
गोलीबारी में मारे जा रहे थे
और हम दुश्मन से नहीं अपने
हेडक्वार्टर से हारे जा रहे थे

फिर दुश्मन के हाथ में कटार देख
मेरा सिर चकरा गया
गुरमेल का कटा हुआ सिर जब
दुश्मन के हाथ में आ गया

फेंक दिया ट्रांसमीटर मैंने और
कुछ भी सूझ नहीं आई थी
बिन आदेश के पहली मर्तबा सर !
मैंने बन्दूक उठाई थी

गुरमेल का सिर लिए दुश्मन
रेखा पार कर गया
पीछे पीछे मै भी अपने पांव
उसकी धरती पे धर गया

पर वापिस हार का मुँह देख के
न आया हूँ
वो एक काट कर ले गए थे
मै दो काटकर लाया हूँ

इस ब्यान का कोर्ट में न जाने
कैसा असर गया
पूरे ही कमरे में एक सन्नाटा
सा पसर गया

पूरे का पूरा माहौल बस एक ही
सवाल में खो रहा था
कि कोर्ट मार्शल फौजी का था
या पूरे देश का हो रहा था ?

Dosto, Ek Baar.. इसे इतना फैला दो की सारे नेता को कुछ शर्म आयेे की फौजियों का आत्मविश्वास न गिराए

friends प्यार की शेर शयरी बहुत शेयर किया हैं.... जरा इसे भी इतना शेयर कर दो की
जाग उठे आज के नेता और जवान की रूह देश के लिए।।

जय हिन्द..!!!

गुरुवार, 2 जुलाई 2015

लाख टके की बात

  लाख टके की बात 

"दरवाज़े बड़े करवा लिए हैं अब हमने भी अपने आशियानेके...

क्योंकि कुछ दोस्तों का कद बड़ा हो गया है चार पैसे कमाकर..!!".  

नींद और मौत में क्या फर्क है...?

नींद और मौत में क्या फर्क है...?
किसी ने क्या खूबसूरत जवाब दिया है....

"नींद आधी मौत है"

और

"मौत मुकम्मल नींद है"

जिंदगी तो अपने ही तरीके से चलती है....

औरों के सहारे तो जनाज़े उठा करते हैं।

सुबहे होती है , शाम होती है

उम्र यू ही तमाम होती है ।

कोई रो कर दिल बहलाता है

और

कोई हँस कर दर्द छुपाता है.

क्या करामात है कुदरत की,

ज़िंदा इंसान पानी में डूब जाता है

और मुर्दा तैर के दिखाता है...

बस के कंडक्टर सी हो गयी है
जिंदगी ।

सफ़र भी रोज़ का है और
जाना भी कही नहीं।.....

सफलता के सात भेद, मुझे अपने कमरे के अंदर
ही उत्तर मिल गये !

छत ने कहा : ऊँचे उद्देश्य रखो !

पंखे ने कहा : ठन्डे रहो !

घडी ने कहा : हर मिनट कीमती है !

शीशे ने कहा : कुछ करने से पहले अपने अंदर झांक
लो !

खिड़की ने कहा : दुनिया को देखो !

कैलेंडर ने कहा : Up-to-date रहो !

दरवाजे ने कहा : अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के
लिए पूरा जोर लगाओ !

लकीरें भी बड़ी अजीब होती हैं------
माथे पर खिंच जाएँ तो किस्मत बना देती हैं

जमीन पर खिंच जाएँ तो सरहदें बना देती हैं

खाल पर खिंच जाएँ तो खून ही निकाल देती हैं

और रिश्तों पर खिंच जाएँ तो दीवार बना देती हैं..

एक रूपया एक लाख नहीं होता ,

मगर फिर भी एक रूपया एक लाख से निकल जाये तो वो लाख भी लाख नहीं रहता

हम आपके लाखों दोस्तों में बस वही एक रूपया हैं …

संभाल के रखनT , बाकी सब मोह माया है

मंजिल मिले ना मिले

मंजिल मिले ना मिले
ये तो मुकदर की बात है!
हम कोशिश भी ना करे
ये तो गलत बात है...
जिन्दगी जख्मो से भरी है,
वक्त को मरहम बनाना सीख लो,
हारना तो है एक दिन मौत से,
फिलहाल दोस्तों के साथ जिन्दगी जीना सीख लो..!!

मंगलवार, 30 जून 2015

किसी बला का था साया दरख्त पर

शायद किसी बला का था साया दरख्त पर ,
चिड़ियों ने रात शोर मचाया दरख्त पर ,
देखा न जाए धूप में जलता हूआ कोई ,
मेरा जो वश चले , करूं साया दरख्त पर ,
सब छोड़े जा रहे थे सफ़र की निशानियां ,
मैंने भी एक नक्श बनाया दरख्त पर ,
अब के बहार आई है शायद ग़लत जगह ,
जो ज़ख्म दिल पे आना था , आया दरख्त पर...