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सोमवार, 2 मार्च 2015

सुख चाहते हो

सुख चाहते हो तो रात में खाना नहीं

शांति चाहते हो तो दिन में सोना नहीं

सम्मान चाहते हो तो व्यर्थ बोलना नहीं

प्यार चाहते हो तो ye dosti छोड़ना नही... !

रिश्ते होते है ‘One Time’
हम निभाते है ‘Some Time’
याद किया करो ‘Any Time’
आप खुश रहे ‘All Time’
यही दुआ है मेरी ‘Life Time’.

शिक्षक की गोद में उत्थान पलता ह

Dedicated to Our  all Worthy Teachers. .... 
शिक्षक की गोद में उत्थान पलता है।
सारा जहां शिक्षक के पीछे ही चलता है।

शिक्षक का बोया हुआ पेड़ बनता है।
वही पेड़ हजारों बीज जनता है।

शिक्षक काल की गति को मोड़ सकता है।
शिक्षक धरा से अम्बर को जोड़ सकता है।

शिक्षक की महिमा महान होती है।
शिक्षक बिन अधूरी हूँ वसुन्धरा कहती है।

याद रखो चाणक्य ने इतिहास बना डाला था।
क्रूर मगध राजा को मिट्टी में मिला डाला था।

बालक चन्द्रगुप्त को चक्रवर्ती सम्राट बनाया था।
एक शिक्षक ने अपना लोहा मनवाया था।

संदीपनी से गुरु सदियों से होते आये है।
कृष्ण जैसे नन्हे नन्हे बीज बोते आये है।

शिक्षक से ही अर्जुन और युधिष्ठिर जैसे नाम है।
शिक्षक की निंदा करने से दुर्योधन बदनाम है।

शिक्षक की ही दया दृष्टि से बालक राम बन जाते है।
शिक्षक की अनदेखी से वो रावण भी कहलाते है।

हम सब ने भी शिक्षक बनने का सुअवसर पाया है।
बहुत बड़ी जिम्मेदारी को हमने गले लगाया है।

आओ हम संकल्प करे की अपना फ़र्ज निभायेगे।
अपने प्यारे भारत को हम जगतगुरु बनायेंगे।

अपने शिक्षक होने का हरपल अभिमान करेगे।
इस समाज में हम भी अपना शिक्षा दान करेगे।

शिक्षको को समर्पित कविता।

किसी बीवी वाले को प्रधानमंत्री बनाओ

ब्यूटी पार्लर महँगा,
जिम महंगा,
होटल मे रुकना और खाना महंगा,
फोन/मोबाइल महँगा,
इंटरनेट महंगा,
एयर टिकट महंगा,
एटीएम से पैसे निकालना महंगा,
बीवी की याद आयी, तनाव हुआ ...
तो सुनो सिगरेट महंगी...
सिरदर्द हुआ तो दवाई भी महंगी...
अब क्या करोगे जनाब,
बीवी से जूते खाओगे.. हाँ खा लो,
जूते और एम्बुलेंस की सुविधा सस्ती है..

कह रहे थे किसी बीवी वाले को प्रधानमंत्री बनाओ

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रविवार, 1 मार्च 2015

Ladies Mobile Poem

"ये मोबाइल हमारा है
                      पतिदेव से भी प्यारा है"

उठते ही मोबाइल के दर्शन पहले पाऊ मै।
                          पति परमेशवर को ऐसे में बस भूल ही जाऊ मै।

मध्यम आंच पर चाय चड़ाऊ मै।
                         वोट्सअप को पढती जाऊ मै।

चाय उबल कर हो गई काडा। 
                       चिल्ला रहे है पति देव हमारा।

कानो में है ईयरफ़ोन लगाया।
                       अब मैने फेसबुक है चलाया।

रोटी बनाने कि बारी आई।
                       दाल गैस पर चढा कर आई।

इतने में सखी का फ़ोन आया।
                      पार्टी का उसने संदेशा सुनाया।

करने लगी बाते मैं प्यारी।
                      इतने में भिन्डी हो गई करारी।

सासूजी चबा ना पाई।
                    मन ही मन वो खूब बडबड़ाई।

ससुर जी बैठे है बाथरूम में।
                   खत्म हो गया पानी टंकी में।

कैंडी-कृश गेम में उलझ गई थी मैं।
                    मोटर चालु करना ही भूल गई थी मैं।

ग्रुप कि एडमिन बन कर है नाम बहुत कमाया।
                   सबके घर की बहुओ को अपने ही साथ उलझाया।

बच्चो की मार्कशीट के मार्क्स ही ऐसे आए।
               जो पति परमेश्वर के दिल को ना है भाए।

उसे देख पतिदेव ने सिंघम रूप बनाया।
            "आता माझी सटकली" हमको है सुनाया 

घर का बजा रहा है बाराह।
           ऐसा है मोबाइल हमारा।

थोड़ी थोड़ी पिया करो

दारू का पहाङा:
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दारू एकम दारू - महफिल हुइ चालू
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दारू दुनी गिलास -
मजा आयेगा खास
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दारू तिया वाईन - टेस्ट एकदम फाईन
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दारू चौके बियर - डालो नेक्स्ट
गियर
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दारू पंजे रम - भूल जाओ गम
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दारू छक्के ब्रांडी - खाओ चिकन
हाँडी
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दारू सत्ते व्हिस्की - काॅकटेल है
रिस्की
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दारू अठ्ठे बेवडा - लाओ सेव चिवडा
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दारू नम्मे खंबा - ज्यादा हो गइ,
थांबा
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दारू दहाम चस्का - नेक्स्ट
पार्टी किसका?

अर्ज़ किया हैं...

रोक दो मेरे जनाजे को अब
मुझमे जान आ रही हैं..
आगे से थोडा राईट ले लो
दारु की दूकान आ रही हैं |

"बोतल छुपा दो कफ़न में मेरे,
शमशान में पिया करूंगा,
जब खुदा मांगेगा हिसाब,
तो पैग बना कर दिया करूंगा"
"नशा" "महोब्बत " का हो
"शराब" का हो ...-
या -"whatsapp " का हो
" होश " तीनो मे खो जाते है
" फर्क " सिर्फ इतना है की,
"शराब" सुला देती है ..
"महोब्बत " रुला देती है ,
- और -
"whatsapp " यारो की
याद दिला देती है ..!

समर्पित
सभी प्यारें दोस्त के लिए ┓┈┈┈┈┈┈┈┈┈┈┈
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जाम पे जाम पीने का क्या फ़ायदा?
शामको पी, सुबह उतर जाएगी.
अरे दो बून्द दोस्ती के
पी ले ज़िन्दगी सारी नशे में गुज़र जाएगी...  

उसने मेरा दिल तोड़ दिया

उसने मेरा दिल तोड़ दिया और मैंने उसका...
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iPhone 6,
अब खुद ही हिसाब लगा लो कौन ज्यादा रोया होगा

उसको आना होगा तो अपने आप ही चली आएगी,
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यूँ घंटों टॉयलेट में बैठ कर, जोर लगाना फ़ज़ूल है।

ज़िंदगी में दो बातें हमेशा याद रखना,
हवा चलती है तो पत्ते हिलते हैं और...
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नहीं चलती तो नहीं हिलते।

आजकल प्यार में दिल कम,
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सिम ज्यादा टूटते हैं।

किताबें सबसे अच्छी दोस्त होती हैं,
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भगवान जाने किसकी।

हर आहट पर जान निकल जाती है;
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ये पब्लिक टॉयलेट के दरवाज़े की कुण्डी क्यों नहीं होती।

शरीफ थे इतने कि कभी कमीज के बटन तक नहीं खोले,
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मगर ये बिजली बोर्ड वालों ने तो 'सनी लियोन' बना दिया।

इतना टूट के न चाहो उसे मोहब्बत की शुरुआत में...
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क्या पता उसकी बहन ज्यादा खूबसूरत हो।

तुम पर बीतेगी तो तुम जानोगे कि...
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कोई दावत पर बुलाकर 'टिण्डे' की सब्ज़ी खिलाये तो कैसा लगता है।

हसरत ए दीदार के लिये उसकी गली में मोबाईल की दुकान खोली;
मत पूछो अब हालात ए बेबसी, ऐ गालिब;
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रोज़ एक नया शख्स उनके नम्बर पे रीचार्ज़ करवानें आता है।

वो मुझसे मिलकर रोई इतना कि...
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उसकी नाक का बुलबुला देख मेरी हँसी निकल गयी।

एक लड़की ने मुझसे पूछा क्या आप WhatsApp चलाते हो?
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मैंने कहा नही ड्राइवर रखा हुआ है।

एक बात आज तक समझ मे नहीं आई! माना जूता छुपाई वह रस्म है, जो सालियाँ शादी के वक्त अदा करती हैं। मगर .
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मगर मंदिर के बाहर यह रस्म कौन से साले अदा कर जाते हैं?

"जीवन में पैसा ही सब कुछ नहीं होता, मास्टर कार्ड और वीज़ा कार्ड की भी कोई वैल्यू है।"

तुम हँसते रहो, मुस्कुराहते रहो, नाचते रहो, सदा खिल-खिलाते रहो;
मेरा क्या है , लोग तुम्हें ही पाग़ल समझेंगे

रात गुमसुम हैं मगर चाँद खामोश नहीं

  रात गुमसुम हैं मगर चाँद खामोश नहीं !कैसे कह दूँ फिर आज मुझे होश नहीं !!ऐसे डूबा तेरी आँखों के गहराई में आज !हाथ में जाम हैं,मगर पिने का होश नहीं !!...........।

उसकी पलकों से आँसू को चुरा रहे थे हम, उसके ग़मोको हंसींसे सजा रहे थे हम, जलाया उसी दिए ने मेरा हाथ जिसकी लो को हवासे बचा रहे थे हम................।

रात को रात का तोफा नहीं देते !दिल को जजबात का तोफा नहीं देते !!देने को तो हम आप को चाँद भी दे दे !मगर चाँद को चाँद का तोफा नहीं देते !!................।

दिल ने आज फिर तेरे दीदार की ख्वाहिश रखी है अगर फुरसत मिले
तो ख्वाबों मे आ जाना...............।

उल्फत की जंजीर से डर लगता हैं !कुछ अपनी ही तकदीर से डर लगता हैं !!जो जुदा करते हैं, किसी को किसी से !हाथ की बस उसी लकीर से डर लगता हैं...............।

कभी तो आ मिल, फिर से करें गुफ्तगू! मैं आँखें पढूँ तेरी, तू साँसें
सुने मेरी!...............।

" महोब्बत हुई तो नींद भी मेरी ना रही '
क्या कसूर था इन बेक़सूर आँखों का...

शनिवार, 28 फ़रवरी 2015

इस जीवन की चादर मे


सांसों के ताने बाने हैं,
दुख की थोड़ी सी सलवट है,
सुख के कुछ फूल सुहाने हैं.

क्यों सोचे आगे क्या होगा,
अब कल के कौन ठिकाने हैं,
ऊपर बैठा वो बाजीगर ,
जाने क्या मन में ठाने है.

चाहे जितना भी जतन करे,
भरने का दामन तारों से,
झोली में वो ही आएँगे,
जो तेरे नाम के दाने है.

ये बेटियां

●~~"बेटियाँ कुछ लेने नहीं आती है पीहर"~~●
~~~~
..बेटियाँ..
..पीहर आती है..
..अपनी जड़ों को सींचने के लिए..
..तलाशने आती हैं भाई की खुशियाँ..
..वे ढूँढने आती हैं अपना सलोना बचपन..
..वे रखने आतीं हैं..
..आँगन में स्नेह का दीपक..
..बेटियाँ कुछ लेने नहीं आती हैं पीहर..
~~~
..बेटियाँ..
..ताबीज बांधने आती हैं दरवाजे पर..
..कि नज़र से बचा रहे घर..
..वे नहाने आती हैं ममता की निर्झरनी में..
..देने आती हैं अपने भीतर से थोड़ा-थोड़ा सबको..
..बेटियाँ कुछ लेने नहीं आती हैं पीहर..
~~~
..बेटियाँ..
..जब भी लौटती हैं ससुराल..
..बहुत सारा वहीं छोड़ जाती हैं..
..तैरती रह जाती हैं..
..घर भर की नम आँखों में..
..उनकी प्यारी मुस्कान..
..जब भी आती हैं वे, लुटाने ही आती हैं अपना वैभव..
..बेटियाँ कुछ लेने नहीं आती हैं पीहर..
Dear Papa....

"बेटी" बनकर आई हु माँ-बाप के जीवन में,
बसेरा होगा कल मेरा किसी और के आँगन में,
क्यों ये रीत "रब" ने बनाई होगी,
"कहते" है आज नहीं तो कल तू "पराई" होगी,
"देके" जनम "पाल-पोसकर" b
जिसने हमें बड़ा किया,
और "वक़्त" आया तो उन्ही हाथो ने हमें "विदा" किया,
"टूट" के बिखर जाती हे हमारी "ज़िन्दगी " वही,
पर फिर भी उस "बंधन" में प्यार मिले "ज़रूरी" तो नहीं,
क्यों "रिश्ता" हमारा इतना "अजीब" होता है,
क्या बस यही "बेटियो" का "नसीब" होता हे??

"Papa" Says"...
**************
बहुत "चंचल" बहुत
"खुशनुमा " सी होती है "बेटिया".
"नाज़ुक" सा "दिल" रखती है "मासूम" सी होती है "बेटिया".
"बात" बात पर रोती है
"नादान" सी होती है "बेटिया".
"रेहमत" से "भरपूर"
"खुदा" की "Nemat" है "बेटिया".
"घर" महक उठता है
जब "मुस्कराती" हैं "बेटिया".
"अजीब" सी "तकलीफ" होती है\
जब "दूसरे" घर जाती है "बेटियां".
"घर" लगता है सूना सूना "कितना" रुला के "जाती" है "बेटियां"
"ख़ुशी" की "झलक"
"बाबुल" की "लाड़ली" होती है "बेटियां"
ये "हम" नहीं "कहते"
यह तो "रब " कहता है. . क़े जब मैं बहुत खुश होता हु तो "जनम" लेती है
"प्यारी सी बेटियां"
*******************

सही कहा है भाई

पैर की मोच
और
छोटी सोच,
हमें आगे
बढ़ने नहीं देती ।

टूटी कलम
और
औरो से जलन,
खुद का भाग्य
लिखने नहीं देती ।

काम का आलस
और
पैसो का लालच,
हमें महान
बनने नहीं देता ।

अपना मजहब उंचा
और
गैरो का ओछा,
ये सोच हमें इन्सान
बनने नहीं देती ।

दुनिया में सब चीज
      मिल जाती है,....
      केवल अपनी गलती
      नहीं मिलती.....

भगवान से वरदान माँगा
     कि दुश्मनों से
         पीछा छुड़वा दो,
            अचानक दोस्त
                कम हो गए...

" जितनी भीड़ ,
     बढ़ रही
       ज़माने में..।
         लोग उतनें ही,
           अकेले होते
             जा रहे हैं...।।।

इस दुनिया के
   लोग भी कितने
      अजीब है ना ;

          सारे खिलौने
             छोड़ कर
                जज़बातों से
                   खेलते हैं...

किनारे पर तैरने वाली
   लाश को देखकर
      ये समझ आया...
         बोझ शरीर का नही
            साँसों का था....

दोस्तो के साथ
   जीने का इक मौका
      दे दे ऐ खुदा...
         तेरे साथ तो
            हम मरने के बाद
              भी रह लेंगे....

“तारीख हज़ार
    साल में बस इतनी
       सी बदली है…
          तब दौर
             पत्थर का था
                अब लोग
                   पत्थर के हैं..."

☝ Thought of the day ☝

    स्वर्ग का सपना छोड़ दो,
    नर्क का डर छोड़ दो,
    कौन जाने क्या पाप ,
    क्या पुण्य,
    बस...
    किसी का दिल न दुखे
    अपने स्वार्थ के लिए,
    बाकी सब कुदरत पर छोड़ दो।

वो पतंगे

बचपन मे 1 रु. की पतंग के पीछे २ की.मी. तक भागते थे...
न जाने कीतने चोटे लगती थी...
वो पतंग भी आसमान से हंसती हुए हमे बहोत दौड़ाती थी...
शायद वही जिंदगी की दौड़ थी...
आज पता चलता है,
दरअसल वो पतंग नहीं थी;
एक चेलेंज थी...
खुशीओं को हांसिल करने के लिए दौड़ना पड़ता है...
वो दुकानो पे नहीं मिलती...

वो पतंगे

बचपन मे 1 रु. की पतंग के पीछे २ की.मी. तक भागते थे...
न जाने कीतने चोटे लगती थी...
वो पतंग भी आसमान से हंसती हुए हमे बहोत दौड़ाती थी...
शायद वही जिंदगी की दौड़ थी...
आज पता चलता है,
दरअसल वो पतंग नहीं थी;
एक चेलेंज थी...
खुशीओं को हांसिल करने के लिए दौड़ना पड़ता है...
वो दुकानो पे नहीं मिलती...

इन्तेज़ामात नए सिरे से संभाले जाएँ

इन्तेज़ामात नए सिरे से संभाले जाएँ
जितने कमजर्फ हैं महफ़िल से निकाले जाएँ

मेरा घर आग की लपटों में छुपा हैं लेकिन
जब मज़ा हैं तेरे आँगन में उजाला जाएँ

गम सलामत हैं तो पीते ही रहेंगे लेकिन
पहले मयखाने की हालात तो संभाली जाए

खाली वक्तों में कहीं बैठ के रोलें यारों
फुरसतें हैं तो समंदर ही खंगाले जाए

खाक में यु ना मिला ज़ब्त की तौहीन ना कर
ये वो आसूं हैं जो दुनिया को बहा ले जाएँ

हम भी प्यासे हैं ये अहसास तो हो साकी को
खाली शीशे ही हवाओं में उछाले जाए

आओ शहर में नए दोस्त बनाएं राहत
आस्तीनों में चलो साँप ही पाले जाए

गुरुवार, 26 फ़रवरी 2015

पति के लिए पत्नी क्यों जरुरी है?

आखिर पति के लिए
पत्नी क्यों जरुरी है??
मानो न मानो
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जब तुम दुःखी हो तो वो तुम्हे
कभी अकेला नहीं छोङेगी।।
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हर वक्त, हर दिन तुम्हे तुम्हारे अन्दर
की बुरी आदतें छोङने को कहेगी।।
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हर छोटी छोटी बातों पर तुमसे
झगङा करेगी, परंतु ज्यादा देर
गुस्सा नहीं रह पाती।।
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तुम्हें आथिॅक मजबूती देगी।।
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कुछ भी अच्छा ना हो फिर
भी तुम्हें यही कहेगी- चिन्ता मत
करो, सब ठीक हो जायेगा।।
.
.
.
तुम्हें समय का पाबंद बनायेगी।।
.
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ये जानने के लिए कि तुम क्या कर
रहे हो, दिन में 15 बार फोन करके
हाल पूछेगी।।
.
.
.
कभी कभी तुम्हे खीझ
भी आयेगी पर सच ये है कि तुम कुछ
कर नहीं पाओगे।।
..
..
चूंकि पत्नी ईश्वर का बना एक
स्पेशल उपहार है, इसलिए
उसकी उपयोगिता जानो और
उसकी देखभाल करो।।
ये मैसेज हर विवाहित पुरुष के
मोबाइल मे होना चाहिये
ताकि उन्हें
अपनी पत्नी की कीमत
का अंदाजा हो

DAUGHTER TO FATHER

DAUGHTER TO FATHER:

Mujhe Itnaa Pyaaar Naa Do papa,

Kal Jane Ye Mujhe Naseeb Na Ho

Ye Jo Maatha Chuuma Karte Ho,

Kal Iss Par Shikkan Azeeb Na Ho

Mein Jab Bhi Roti Hoon papa,

Tum Aansun Poncha Karte Ho

Mujhey Itni Door Na Chhor Aana,

Mein Roun Or Tum Qareeb Na Ho

Mere Naaz Uthaate Ho papa,

Mujhe Laad Ladate Ho papa

Meri Chotti-2 Khwahish Parr,

Tum Jaan Lootate Ho papa

Kal Aisaa Naa Ho Ek Nagri Meinn,

Mein Tanha Tum Ko Yaad Karun
Aur Ro Ro Kar Fariyaaad Karun,

Aey Bhagwan Mere papa Saa Koi Pyaaar Jataane
Wala Ho

Mere Naaz Uthane Wala Ho .
~~~~~~~~~~~~~~~~
Reply Of FATHER.....!!
Jo Soch Rahi Ho Tum Beti Wo Sab To Ek Maya Hai

Koi Baap Apni Beti Ko Kab Jaane Se Rok Paya Hai

Sach Kahte Hai Duniyaan Wale
Beti To Dhann Parayaa Hai

Gharr Gharr Ki Yahin Kahaani Hai

Duniyaan Ki Ye Reet Puraani Hai

Har Baap Nibhaaata Aaya Hai

Tere Baap Ne Bhi Nibhani Hai...!!  

वो पिता होता है


वो पिता होता है
वो पिता ही होता है

जो अपने बच्चो को अच्छे विद्यालय में पढ़ाने के लिए दौड भाग करता है...
उधार लाकर donation भरता है, जरूरत पड़ी तो किसी के भी हाथ पैर भी पड़ता है
....... वो पिता होता हैं ।।
हर कोलेज में साथ साथ घूमता है, बच्चे के रहने के लिए होस्टल ढुँढता है...
स्वतः फटे कपडे पहनता है और बच्चे के लिए नयी जीन्स टी-शर्ट लाता है
.......... वो पिता होता है ।।
खुद खटारा फोन वपरता है पर बच्चे के लिए स्मार्ट फोन लाता है.
बच्चे की एक आवाज सुनने के लिए, उसके फोन  में पैसा भरता है
....... वो पिता होता है ।।
बच्चे के प्रेम विवाह के निर्णय पर वो नाराज़ होता है
और गुस्से में कहता है सब ठीक से देख लिया है ना,
"आपको कुछ समजता भी है?" यह सुन कर बहुत रोता है
.......वो पिता होता हैं ।।
बेटी की विदाई पर दिल की गहराई से रोता है,
मेरी बेटी का ख्याल रखना हाथ जोड़ कर कहता है
......... वो पिता होता है ।।
पिता का प्यार दिखता नहीं है सिर्फ महसूस किया जाता है।
माँ पर तो बहुत कविता लिखी गयी है पर पिता पर नहीं। पिता का प्यार क्या है दुनिया को बता दो।  सहमत हो तो इसे ज्यादा से ज्यादा forward करे।��

बुधवार, 25 फ़रवरी 2015

लौट आता हूँ वापस घर की तरफ...

लौट आता हूँ वापस घर की तरफ... हर रोज़ थका-हारा,
आज तक समझ नहीं आया की जीने के लिए काम करता हूँ या काम करने के लिए जीता हूँ।
बचपन में सबसे अधिक बार पूछा गया सवाल -
"बङे हो कर क्या बनना है ?"
जवाब अब मिला है, - "फिर से बच्चा बनना है.

“थक गया हूँ तेरी नौकरी से ऐ जिन्दगी
मुनासिब होगा मेरा हिसाब कर दे...!!”

दोस्तों से बिछड़ कर यह हकीकत खुली...

बेशक, कमीने थे पर रौनक उन्ही से थी!!

भरी जेब ने ' दुनिया ' की पहेचान करवाई और खाली जेब ने ' अपनो ' की.

जब लगे पैसा कमाने, तो समझ आया,
शौक तो मां-बाप के पैसों से पुरे होते थे,
अपने पैसों से तो सिर्फ जरूरतें पुरी होती है। ...!!!

हंसने की इच्छा ना हो...
तो भी हसना पड़ता है...
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कोई जब पूछे कैसे हो...??
तो मजे में हूँ कहना पड़ता है...
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ये ज़िन्दगी का रंगमंच है दोस्तों....
यहाँ हर एक को नाटक करना पड़ता है.

"माचिस की ज़रूरत यहाँ नहीं पड़ती...
यहाँ आदमी आदमी से जलता है...!!"

दुनिया के बड़े से बड़े साइंटिस्ट,
ये ढूँढ रहे है की मंगल ग्रह पर जीवन है या नहीं,

पर आदमी ये नहीं ढूँढ रहा
कि जीवन में मंगल है या नहीं।

मंदिर में फूल चढ़ा कर आए तो यह एहसास हुआ कि...

पत्थरों को मनाने में ,
फूलों का क़त्ल कर आए हम

गए थे गुनाहों की माफ़ी माँगने ....
वहाँ एक और गुनाह कर आए हम ।।

TRUE LINES.....

मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई

मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है
कुछ जिद्दी, कुछ नक् चढ़ी हो गई है
मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है

अब अपनी हर बात मनवाने लगी है
हमको ही अब वो समझाने लगी है
हर दिन नई नई फरमाइशें होती है
लगता है कि फरमाइशों की झड़ी हो गई है
मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है

अगर डाटता हूँ तो आखें दिखाती है
खुद ही गुस्सा करके रूठ जाती है
उसको मनाना बहुत मुश्किल होता है
गुस्से में कभी पटाखा कभी फूलझड़ी हो गई है
मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है

जब वो हस्ती है तो मन को मोह लेती है
घर के कोने कोने मे उसकी महक होती है
कई बार उसके अजीब से सवाल भी होते हैं
बस अब तो वो जादू की छड़ी हो गई है
मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है

घर आते ही दिल उसी को पुकारता है
सपने सारे अब उसी के संवारता है
दुनियाँ में उसको अलग पहचान दिलानी है
मेरे कदम से कदम मिलाकर वो खड़ी हो गई है
मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है
This ones for all who have been blessed with most beautiful daughter.

बेटियाँ सब के नसीब में कहाँ होती है
रब को जो घर पसंद आए वहाँ होती है

संयुक्त परिवार


वो पंगत में बैठ के
निवालों का तोड़ना,
वो अपनों की संगत में
रिश्तों का जोडना,

वो दादा की लाठी पकड़
गलियों में घूमना,
वो दादी का बलैया लेना
और माथे को चूमना,

सोते वक्त दादी पुराने
किस्से कहानी कहती थीं,
आंख खुलते ही माँ की
आरती सुनाई देती थी,

इंसान खुद से दूर
अब होता जा रहा है, 
वो संयुक्त परिवार का दौर
अब खोता जा रहा है।

माली अपने हाथ से
हर बीज बोता था, 
घर ही अपने आप में
पाठशाला होता था,

संस्कार और संस्कृति
रग रग में बसते थे,
उस दौर में हम
मुस्कुराते नहीं
खुल कर हंसते थे।

मनोरंजन के कई साधन
आज हमारे पास है, 
पर ये निर्जीव है
इनमें नहीं साँस है,

फैशन के इस दौर में
युवा वर्ग बह गया,
राजस्थान से रिश्ता बस
जात जडूले का रह गया।

ऊँट आज की पीढ़ी को
डायनासोर जैसा लगता है,
आँख बंद कर वह
बाजरे को चखता है।

आज गरमी में एसी
और जाड़े में हीटर है,
और रिश्तों को
मापने के लिये
स्वार्थ का मीटर है।
      
वो समृद्ध नहीं थे फिर भी
दस दस को पालते थे,   
खुद ठिठुरते रहते और
कम्बल बच्चों पर डालते थे।

मंदिर में हाथ जोड़ तो
रोज सर झुकाते हैं,
पर माता-पिता के धोक खाने
होली दीवाली जाते हैं।

मैं आज की युवा पीढी को
इक बात बताना चाहूँगा, 
उनके अंत:मन में एक
दीप जलाना चाहूँगा

ईश्वर ने जिसे जोड़ा है
उसे तोड़ना ठीक नहीं,
ये रिश्ते हमारी जागीर हैं
ये कोई भीख नहीं।

अपनों के बीच की दूरी
अब सारी मिटा लो,
रिश्तों की दरार अब भर लो
उन्हें फिर से गले लगा लो।

अपने आप से
सारी उम्र नज़रें चुराओगे,
अपनों के ना हुए तो
किसी के ना हो पाओगे
सब कुछ भले ही मिल जाए
पर अपना अस्तित्व गँवाओगे

बुजुर्गों की छत्र छाया में ही
महफूज रह पाओगे।
होली बेईमानी होगी
दीपावली झूठी होगी,
अगर पिता दुखी होगा
और माँ रूठी होगी।।

अन्तःकरण को छूने वाली है ये कविता।

अन्त में हम दोनों ही होंगे


Nice one dedicated to all married couples..

अन्त में हम दोनों ही होंगे !!!.

भले ही झगड़े, गुस्सा करे,
एक दूसरे पर टूट पड़े
एक दूसरे पर दादागिरि करने के
लिये, अन्त में हम दोनों ही होंगे

जो कहना हे, वह कह ले,
जो करना हे, वह कर ले
एक दुसरे के चश्मे और
लकड़ी ढूँढने में,
अन्त में हम दोनों ही होंगे

मैं रूठूं तो तुम मना लेना,
तुम रूठो ताे मै मना लूँगा
एक दुसरे को लाड़ लड़ाने के लिये,
अन्त में हम दोनों ही होंगे

आँखे जब धुँधली होंगी,
याददाश्त जब कमजोर होंगी
तब एक दूसरे को एक दूसरे
मे ढूँढने के लिए,
अन्त में हम दोनों ही होंगे

घुटने जब दुखने लगेंगे,
कमर भी झुकना बंद करेगी
तब एक दूसरे के पांव के नाखून काटने के लिए,
अन्त में हम दोनों ही होंगे

"मेरी हेल्थ रिपोर्ट एक दम नॉर्मल
है, आइ एम आलराईट
ऐसा कह कर ऐक दूसरे को
बहकाने के लिए,
अन्त में हम दोनों ही होंगे

साथ जब छूट जायेगा,
बिदाई की घड़ी जब आ जायेगी
तब एक दूसरे को माफ करने के लिए,
अन्त में हम दोनों ही होंगे......