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बुधवार, 18 मार्च 2015

रंग बदलते देखा है ....

मैंने .. हर रोज .. जमाने को .. रंग बदलते देखा है ....
उम्र के साथ .. जिंदगी को .. ढंग बदलते देखा है .. !!

वो .. जो चलते थे .. तो शेर के चलने का .. होता था गुमान..
उनको भी .. पाँव उठाने के लिए .. सहारे को तरसते देखा है !!

जिनकी .. नजरों की .. चमक देख .. सहम जाते थे लोग ..
उन्ही .. नजरों को .. बरसात .. की तरह ~~ रोते देखा है .. !!

जिनके .. हाथों के .. जरा से .. इशारे से .. टूट जाते थे ..पत्थर ..
उन्ही .. हाथों को .. पत्तों की तरह .. थर थर काँपते देखा है .. !!

जिनकी आवाज़ से कभी .. बिजली के कड़कने का .. होता था भरम ..
उनके .. होठों पर भी .. जबरन .. चुप्पी का ताला .. लगा देखा है .. !!

ये जवानी .. ये ताकत .. ये दौलत ~~ सब कुदरत की .. इनायत है ..
इनके .. रहते हुए भी .. इंसान को ~~ बेजान हुआ देखा है ... !!

अपने .. आज पर .. इतना ना .. इतराना ~~ मेरे .. यारों ..
वक्त की धारा में .. अच्छे अच्छों को ~~ मजबूर हुआ देखा है .. !!!

कर सको......तो किसी को खुश करो......दुःख देते ........तो हजारों को देखा है..

न 'मंदिर' न 'मस्जिद'

"बच्चे झगड़ रहे थे मोहल्ले के,
न जाने किस बात पर . . .

सूकून इस बात का था, 
न 'मंदिर' का ज़िक्र था न 'मस्जिद' का !"
---------------------------

जब  टूटने  लगे  होसले  तो  बस  ये  याद  रखना,

बिना  मेहनत  के  हासिल  तख्तो  ताज  नहीं  होते,

ढूंड  लेना  अंधेरों  में  मंजिल  अपनी,

जुगनू  कभी  रौशनी  के  मोहताज़  नहीं  होते.

मंगलवार, 17 मार्च 2015

गलतियां

ग़लतियों से जुदा
तू भी नही,
मैं भी नही,

दोनो इंसान हैं,
खुदा तू भी नही,
मैं भी नही ... !

" तू मुझे ओर मैं तुझे
इल्ज़ाम देते हैं मगर,
अपने अंदर झाँकता
तू भी नही,
मैं भी नही " ... !!

" ग़लत फ़हमियों ने कर दी
दोनो मैं पैदा दूरियाँ,
वरना फितरत का बुरा
तू भी नही,
मैं भी नही...!!

रविवार, 15 मार्च 2015

खुदग़रज़ ना समझ लेना

किसी रोज़ याद न कर पाऊँ तो
खुदग़रज़ ना समझ लेना दोस्तों

दरअसल छोटी सी इस उम्र मैं
परेशानियां बहुत हैं..!!

मैं भूला नहीं हूँ किसी को...
मेरे बहुत अच्छे दोस्त है ज़माने में ..

बस थोड़ी जिंदगी उलझी पड़ी है ..
2 वक़्त की रोटी कमाने में..

खामोश चहरे

"खामोश चहरे पर
                  हजारो पहरे होते है,

हँसती आँखों में भी
                   जख्म गहरे होते है,

जिनसे अक्सर
                     रूठ जाते है हम,

असल में उनसे ही
            रिश्ते ज्यादा गहरे होते है"

शनिवार, 14 मार्च 2015

बहुत कुछ गंवा दिया

मकान चाहे कच्चे थे
लेकिन रिश्ते सारे सच्चे थे...
चारपाई पर बैठते थे
पास पास रहते थे...
सोफे और डबल बेड आ गए
दूरियां हमारी बढा गए....
छतों पर अब न सोते हैं
बात बतंगड अब न होते हैं..
आंगन में वृक्ष थे
सांझे सुख दुख थे...
दरवाजा खुला रहता था
राही भी आ बैठता था...
कौवे भी कांवते थे
मेहमान आते जाते थे...
इक साइकिल ही पास था
फिर भी मेल जोल था...
रिश्ते निभाते थे
रूठते मनाते थे...
पैसा चाहे कम था
माथे पे ना गम था...
मकान चाहे कच्चे थे
रिश्ते सारे सच्चे थे...
अब शायद कुछ पा लिया है
पर लगता है कि बहुत कुछ गंवा दिया

किसी रोज़ याद न कर पाऊँ

किसी रोज़ याद न कर पाऊँ तो
खुदग़रज़ ना समझ लेना दोस्तों

दरअसल छोटी सी इस उम्र मैं
परेशानियां बहुत हैं..!!

मैं भूला नहीं हूँ किसी को...
मेरे बहुत अच्छे दोस्त है ज़माने में ..

बस थोड़ी जिंदगी उलझी पड़ी है ..
2 वक़्त की रोटी कमाने में..

नज़र और नसीब

नज़र और नसीब का
कुछ ऐसा इत्तफाक हैं
कि
नज़र को अक्सर वही
चीज़ पसंद आती हैं
जो नसीब में नहीं होती

और
नसीब में लिखी चीज़
अक्सर नज़र नहीं आती है

मैंने एक दिन
भगवान से पूछा
आप मेरी दुआ
उसी वक्त
क्यों नहीं सुनते हो
जब मैं
आपसे मांगता हूँ

भगवान ने
मुस्कुरा कर के कहा
मैं तो आप के
गुनाहों की सजा भी
उस वक्त नहीं देता
जब आप करते हो

किस्मत तो पहले ही
लिखी जा चुकी है
तो कोशिश करने से
क्या मिलेगा

क्या पता
किस्मत में लिखा हो कि कोशिश से ही मिलेगा

ज़िन्दगी में कुछ खोना पड़े
तो यह दो लाइन याद रखना

जो खोया है
उसका ग़म नहीं

लेकिन

जो पाया है
वो किसी से कम नहीं

जो नहीं है
वह एक ख्वाब हैं

और

जो है
वह लाजवाब है

इन्सान कहता है कि
पैसा आये तो
हम कुछ करके दिखाये

और
पैसा कहता हैं कि
आप कुछ करके दिखाओ
तो मैं आऊ

बोलने से पहले
लफ्ज़ आदमी के
गुलाम होते हैं

लेकिन
बोलने के बाद इंसान
अपने लफ़्ज़ों का गुलाम
बन जाता हैँ

ज्यादा बोझ लेकर
चलने वाले
अक्सर डूब जाते हैं

फिर चाहे वह
अभिमान का हो
या
सामान का

जिन्दगी जख्मों
से भरी है
वक़्त को मरहम
बनाना सीख लो

हारना तो है
मौत के सामने
फ़िलहाल जिन्दगी से
जीना सीख लो

गुरुवार, 12 मार्च 2015

जीवन की चादर में

इस जीवन की चादर में,
सांसों के ताने बाने हैं,
दुख की थोड़ी सी सलवट है,
सुख के कुछ फूल सुहाने हैं.

क्यों सोचे आगे क्या होगा,
अब कल के कौन ठिकाने हैं,
ऊपर बैठा वो बाजीगर ,
जाने क्या मन में ठाने है.

चाहे जितना भी जतन करे,
भरने का दामन तारों से,
झोली में वो ही आएँगे,
जो तेरे नाम के दाने है.

दोस्ती के जमाने नहीं आते.

धीरे धीरे उम्र कट
जाती है. ...
ज़िन्दगी यादों की किताब बन
जाती है. ...
कभी किसी की याद बहुत
तड़पाती है. ..
और कभी यादों के सहरे ज़िन्दगी कट
जाती है....
किनारो पे सागर के खजाने
नहीं आते,
फिर जीवन में दोस्त पुराने नहीं आते....
जी लो इन पलों को हस के जनाब..
फिर लौट के
दोस्ती के जमाने नहीं आते.

शराबी_ दोस्त_रखते_है...

हम_शराब_नही_पीते लेकिन_शराबी_
दोस्त_रखते_है...
कयुंकी
शराबी_दोस्त_अच्छे_होतेे_है  ग्लास_
जरूर_तोड़ते_हैं .…
लेकिन_दिल_नही ..…

बुधवार, 11 मार्च 2015

बिखरने दो होंठों पे हंसी

"बिखरने दो होंठों पे हंसी के फुहारों को दोस्तों,

प्यार से बात कर लेने से जायदाद कम नहीं होती...

तुम पे लिखना शुरु कहा से करु,
अदा से करु या हया से करु,
तुम सब कि दोस्ती इतनी खुबसुरत है,
पता नही कि तारिफ जुबा से करु या दुवाओं से करु...

मेरी यादो की शुरुआत ही तुमसे
होती है दोस्तों..!
तूम ये न
कहा करो की मुझे
दुआओ में याद रखना..!!

औकात

मै सूरज के साथ रहकर भी भूला नही अदब,
लोग जुगनू का साथ पाकर... मगरूर हो गये.

खुद मे काबिलीयत हो तो...भरोसा कीजिये,
सहारे कितने भी अच्छे हों...साथ छोड़ जाते हैं.

सच की हालत किसी तवायफ सी है,
तलबगार बहुत हैं तरफदार कोई नही.

आदमी ही आदमी का रास्ता काट रहा है,
बिल्लियां तो बेचारी बेरोजगार बैठी हैं.

मुद्दतों बाद किसी ने पूछा- कहां रहते हो,
मैने मुस्करा कर कहा- अपनी औकात मे.

मुझमे रूह बन बसता है

मुझमे रूह बन बसता है मेरा सनम.
ऐसे ही नही धड़कने धड़कती मेरी...!............।                                

मेरी ही नही सुनता ये दिल.
तेरी तो बातें बहुत करता है.................।

उस ने तो मुझे इस कदर ब्लाक कर रखा हे जेसे की कही में उसका स्टेटस चोरी न कर लू.............।

❤मिले तो हज़ारो लोग थे जिंदगी मे.पर वो सबसे अलग  थी जो किस्मत मे नही थी................।❤

हमेशा के लिए अपने पास रख लो ना मुझे,
कोई पूछे तो कह देना.किरायेदार है दिल की.................।

आज भी एक सवाल छिपा है दिल के किसी कोने में,
क्या कमी रह गई थी तेरा होने में..................।

क्यू करती है तेरी नजरे वो गुनाह,
कि देखती रहती है मुझे बेपनाह.!!............।

मेने जिन्दगी से कुछ नही माँगा "तेरे सीवा",
और मुझे जिन्दगी ने सब कुछ दिया "तेरे सीवा................।

सिर्फ बिछड़ जाने से ही तो रिश्ता खतम नहीं होता
प्यार वो कुँआ है जिसका पानी कभी कम नहीं होता..................।

कोई नामुमकिन सी बात मुमकिन करके दिखा,खुद
पहचान लेगा ज़माना तुझे, तू भीड़ में भी अलग चल कर दिखा.............।

मेरे हालात पें हसने वाले. बस इतना याद रखना, लोगों का वक्त आता हैं.. मेरा पुरा दौर आयेगा...!..........।     
                           
मुद्ददत्तों बाद जब उसने देखी जो मेरी खुश्क आँखें !
ये कह के रुला गई के लगता है अब तुम संभल चुके हो...............।

देखी जो नफ्ज़ मेरी तो हंस कर बोला तबीब
जा दीदार कर उस का जो तेरे हर मर्ज़ की दवा हे....

फूलों का क़त्ल कर आए हम

लौट आता हूँ वापस घर की तरफ... हर रोज़ थका-हारा,
आज तक समझ नहीं आया की जीने के लिए काम करता हूँ या काम करने के लिए जीता हूँ।
बचपन में सबसे अधिक बार पूछा गया सवाल -
"बङे हो कर क्या बनना है ?"
जवाब अब मिला है, - "फिर से बच्चा बनना है.

“थक गया हूँ तेरी नौकरी से ऐ जिन्दगी
मुनासिब होगा मेरा हिसाब कर दे...!!”

दोस्तों से बिछड़ कर यह हकीकत खुली...

बेशक, कमीने थे पर रौनक उन्ही से थी!!

भरी जेब ने ' दुनिया ' की पहेचान करवाई और खाली जेब ने ' अपनो ' की.

जब लगे पैसा कमाने, तो समझ आया,
शौक तो मां-बाप के पैसों से पुरे होते थे,
अपने पैसों से तो सिर्फ जरूरतें पुरी होती है। ...!!!

हंसने की इच्छा ना हो...
तो भी हसना पड़ता है...
.
कोई जब पूछे कैसे हो...??
तो मजे में हूँ कहना पड़ता है...
.

ये ज़िन्दगी का रंगमंच है दोस्तों....
यहाँ हर एक को नाटक करना पड़ता है.

"माचिस की ज़रूरत यहाँ नहीं पड़ती...
यहाँ आदमी आदमी से जलता है...!!"

दुनिया के बड़े से बड़े साइंटिस्ट,
ये ढूँढ रहे है की मंगल ग्रह पर जीवन है या नहीं,

पर आदमी ये नहीं ढूँढ रहा
कि जीवन में मंगल है या नहीं।

मंदिर में फूल चढ़ा कर आए तो यह एहसास हुआ कि...

पत्थरों को मनाने में ,
फूलों का क़त्ल कर आए हम

गए थे गुनाहों की माफ़ी माँगने ....
वहाँ एक और गुनाह कर आए हम ।।

मंगलवार, 10 मार्च 2015

रस्म-ए-वफ़ा

ए खुदा माना हर इन्सान कि ज़िन्दगी कि किताब आपने लिखी है।
पर कुछ पन्नो पर तो ये लिख देते...................।    

धोखा खाना तो मोहब्बत वालो की एक
रस्म-ए-वफ़ा है,
फूल अगर खुशी के लिए होता,, तो लोग
जनाज़े पर नही डालते.................।

किसी से भूल कर भी अपने दिल की बात मत
कहना,
यहाँ ख़त भी जरा-सी देर में अखबार होता है...............।                                 

नींद नहीं आती
अपने गुनाहों के डर से
अल्लाह"
फिर सुकून से सो
जाता हु ये सोच कर
तेरा एक नाम "रहीम"
भी है..................।

नींद से मेरा ताल्लुक़ ही नहीं बरसों से
ख्वाब आ आ के
मेरी छत पे टहलते क्यों हैं.................।

लोग पूछते हैं..कौन है वो जो तेरी ये हालत कर गयी
मैं मुस्कुरा के कहता हूँ..उसका नाम हर किसी के लब पे अच्छा नहीं लगता..............।

इस जीवन की चादर में,सांसों के ताने बाने हैं।दुख की थोड़ी सी सलवट है,सुख के कुछ फूल सुहाने हैं।क्यों सोचे आगे क्या होगा,अब कल के कौन ठिकाने हैं।ऊपर बैठा वो बाजीगर ,जाने क्या मन में ठाने है।चाहे जितना भी जतन करे,भरने का दामन तारों से।झोली में वो ही आएँगे,जो तेरे नाम के दाने है।..................।

कोई नामुमकिन सी बात मुमकिन करके दिखा,खुद
पहचान लेगा ज़माना तुझे, तू भीड़ में भी अलग चल कर दिखा

मांगू "खुदा" से.....

बहुत खूब सूरत है आखै तुम्हारी
इन्हें बना दो किस्मत हमारी
हमें नहीं चाहिये ज़माने की खुशियाँ
अगर मिल जाये मोहब्बत तुम्हारी...........।

सुना है सब कुछ मिल जाता है
"दुआ" से.
मिलते हो खुद "या"..
मांगू "खुदा" से.......!!...........।

मोहब्बत यूँ ही किसी से हुआ नहीं करती
खुद को भूलना पड़ता है किसी को अपना बनाने के लिए..................। 

जीत तो सकते थे हम भी इश्क की बाज़ी,
पर तुम्हे जितने के लिए हम
हारते चले गये…............।

मेरी ज़रूरत और ख्वाइश दोनों तुम ही हो
अगर रब की कभी मेहरबानी हुई तो कोई एक तो पूरी होगी................।

अगर रुक जाये मेरी  धड़कन तो इसे मेरी मौत ना समजना,
अक्सर ऐसा होता हे तुम्हे याद करते करते..............।

मुनासिब समझो तो सिर्फ इतना ही बता दो दिल
बैचैन हैं बहुत, कहीं तुम उदास
तो नहीं...............।

एक खूबसूरत लडकी बस स्टैंड पर खडी थी | एक नौजवान बोला- चांद तो रात में निकलता हैं , आज दिन में कैसे निकल आया ? लडकी बोली अरे उल्लू तो रात को बोलता था आज दिन में कैसे बोल रहा हैं................।

बेशक तेरे कॉल की कोई उम्मीद
तो नहीं लेकिन,,
पता नहीं क्या सोच कर मैं आज भी नम्बर नहीं बदलता...........।

आग लगी थी. . मेरे घर को.किसी सच्चे दोस्त ने पूछा -:
"क्या बचा है.
मैने कहा
"मैं बच गया हूँ.
उसने गले लगाकर कहा -:
"फिर जला ही क्या हे.....

नहीं मांगता शजर-ए- अमीरी

नहीं मांगता शजर-ए-
अमीरी या खुदा,
मिलती रहे सबको रोटी ,ये दुआ मांगता हूँ!
गैरों की खुशहाली से न हो जलन,
दिल में बस सब्र -ए- अरमां मांगता हूँ !!
निकले न लब से बद्दुआ किसी के खातिर,
इरादे नेक और मुकम्मल इमान मांगता हूँ !!
उजड़े न चैन - ओ- अमन किसी का और,
तेरे ख्वाबों का खुशनुमा जहाँ मांगता हूँ !!
बँट गयी है दुनिया मजहबों में बहोत,
ऐ खुदा इंसानियत का एक कारवां मांगता हूँ !!
नहीं होते इंसान बुरे , हालात बना देते हैं,
ऐसे बुरे हालातों का न होना मांगता हूँ !!

रविवार, 8 मार्च 2015

अक्स झलकता

फ़ोन यूँ चार्जिंग पर लगाकर इस्तेमाल न किया करो ग़ालिब,

अक्स झलकता है तुममें खूँटे से बँधे हुए बैल का....

मुझे यकीं है


❤प्यार किया तो उनकी मोहब्बत नज़र आई,
दर्द हुआ तो पलके उनकी भर आई,
दो दिलों की धड़कन में एक बात नज़र आई,
दिल तो उनका धड़का पर आवाज़ इस दिल की आई.................।

कोहराम मचा रखा है ये
जनवरी की सर्द हवाओ ने.
और एक
उनका दिल का मौसम है,
जो बदलने का नाम
ही नही लेता....!!.............।

जहर मरने के लिए थोडा सा.
लेकिन जिंदा रहने के लिए ..
बहुतसारा पीना पड़ता है.................।

ज़िन्दगी तो हमारी भी शानदार थी,
मगर मोहब्बत ने बीच में शरारत कर दी.............।
काश तुझ पर भी लागु होता RTI

जिन्दगी
बहुत से जवाब चाहिये.मुझे.................।

उनकी' गलियों में 'सफाई अभियान' जरा ध्यान से चलाना यारों
शायद बिखरे सपनों के मलबे के साथ मेरे दिल के टुकड़े भी मिले.............।

रहो सब के दिल में ऐसे कि
जो भी मिले तुम्हें अपना समझे,
बनाओ सबसे रिश्ता ऐसा कि
जो भी मिले फिर से मिलने को तरसे,
दोस्त तो मिल जायेगें लाखों
इस दुनिया में मगर,
निभाओ दोस्ती ऐसी कि लोग तुम्हें
दोस्त नहीं अपना मुकद्दर समझें...................।

मुझे यकीं है अपने लफ्जो के हुनर पर,कि वो  चेहरा भूला सकती है पर बाते नही....