"ए दोस्त तू जिंदगी को जी,
उसे समझने की कोशिश न कर।
सुन्दर सपनो के ताने बाने बुन,
उसमे उलझने की कोशिश न कर।
चलते वक़्त के साथ तू भी चल,
उसमे सिमटने की कोशिश न कर।
अपने हाथो को फैला,
खुल कर साँस ले,
अंदर ही अंदर घुटने की कोशिश न कर।
मन में चल रहे युद्ध को विराम दे,
खामख्वाह खुद से लड़ने की कोशिश न कर।
कुछ बाते भगवान् पर छोड़ दे,
सब कुछ खुद सुलझाने की कोशिश न कर।
जो मिल गया उसी में खुश रह,
जो सकून छीन ले वो पाने की कोशिश न कर।
रास्ते की सुंदरता का लुत्फ़ उठा,
मंजिल पर जल्दी पहुचने की कोशिश ना कर ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें