कुछ दिन से.
कुछ दिन से...............
कुछ दिन से कुछ ठीक नहीं है
बातें हैं पर चीत नहीं है
हैरां हूं मैं देख के दुनिया
दुश्मन है सब मीत नहीं है
कुछ दिन से कुछ ठीक नहीं है
हंसों में है मारामारी..
लछन इनके ठीक नहीं है
पंछी का मन आकुल व्याकुल
मुख पर मीठे गीत नहीं है
कुछ दिन से कुछ ठीक नहीं है
मानसरोवर हूवा पराया
यहां कोई मन मीत नहीं है
हंसो का कलरव है गुपचुप
अब वह मधुर संगीत नही है
कुछ दिन से कुछ ठीक नहीं है
मिले प्रेम का प्रेम ही प्रतिफल
जग की एेसी रीत नहीं है
सब के सब रूठे बैढे हैं
अपनो में वह प्रीत नहीं है
कुछ दिन से कुछ ठीक नहीं है.............
सरदार सिंह सांदू "रचित"
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