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शुक्रवार, 5 जून 2015

गुरुवार, 4 जून 2015

ये पत्नियाँ

जाने कैसे कैसे रूप, दिखाती हैं ये पत्नियाँ
फिर भी सबके मन को भाती हैं ये पत्नियाँ

भोला भोला पति बेचारा समझ नहीं पाता
किस बात पर कब रूठ जाती हैं ये पत्नियाँ

थोड़ी सी तकरार है, है फिर थोड़ा प्यार भी,
रुलाकर हमें, प्यार से, हंसाती हैं ये पत्नियाँ

भोर में थकावट है, शाम को सजावट है
सारे रिश्ते प्यार से, निभाती हैं ये पत्नियाँ

थोड़ी सी नजाकत है, है थोड़ी शरारत भी
नाज नखरे भी कभी, दिखाती हैं ये पत्नियाँ

सुबह शाम पूजा करतीं, और रसोई में लगतीं
खाने में जाने क्या क्या पकाती हैं ये पत्नियाँ

ख्यालों में कभी खोयीं, या रातों में नहीं सोयीं
अपने सारे गम हमसे, छुपातीं हैं ये पत्नियाँ

मांगें लम्बी उमर पति की, सारे व्रत रख कर
कभी पति से व्रत नहीं, रखातीं हैं ये पत्नियाँ

मन कभी उदास हो, या सोच में डूबे हों हम
होकर भावुक सीने से, लगाती हैं ये पत्नियाँ

छोड के बाबुल का घर, सपने आँखों में लिये
सजाने को घर पिया का, आतीं हैं ये पत्नियाँ

ना दिन में आराम है, ना रात को विश्राम है
कुछ भी हो, घर को घर बनाती हैं ये पत्नियाँ

बुधवार, 3 जून 2015

कोशिश कर, हल निकलेगा

कोशिश कर, हल निकलेगा।
आज नही तो, कल निकलेगा।

अर्जुन के तीर सा सध,
मरूस्थल से भी जल निकलेगा।।

मेहनत कर, पौधो को पानी दे,
बंजर जमीन से भी फल निकलेगा।

ताकत जुटा, हिम्मत को आग दे,
फौलाद का भी बल निकलेगा।

जिन्दा रख, दिल में उम्मीदों को,
गरल के समन्दर से भी गंगाजल निकलेगा।

कोशिशें जारी रख कुछ कर गुजरने की,
जो है आज थमा थमा सा, चल निकलेगा।।

मंगलवार, 2 जून 2015

समय' और 'समझ'

समय' और 'समझ' दोनों एक साथ खुश
किस्मत लोगों को ही मिलते हैं
क्योंकि,
अक्सर 'समय' पर 'समझ'
नहीं आती और 'समझ' आने पर
'समय' निकल जाता है
  पत्तो सी होती है कई रिश्तो कि उम्र,आज हरे.कल सूखे.क्यू ना रिश्ते निभाना हम जङो से सीखे
जब  टूटने  लगे  होसले  तो  बस  ये  याद  रखना,
बिना  मेहनत  के  हासिल  तख्तो  ताज  नहीं  होते,
ढूंड  लेना  अंधेरों  में  मंजिल  अपनी,
जुगनू  कभी  रौशनी  के  मोहताज़  नहीं  होते
बहुत गुरुर था सबको
अपनी दौलत पर
जरा सी जमीन क्या हिली
सब औकात में आ गए
में वो काम नहीं करता जिसमे खुदा मिले
मगर में वो काम जरूर करता हु जिसमे दुआ मिले
मै फकीरों से सौदा कर लेता हु अक्सर.
वो एक सिक्के में लाख दुआए दे जाते है.
खटका उनकी आँखों में एक गरीब का सूट.जिनकी पीढ़ीयां खादी की आड़ में ले गईं देश को लूट.
ना इश्क़ है तुझसे और ना ही तेरी चाहत.
"बस तेरे आस-पास होने से, एक सुकून सा मिलता है         मुझसे नफरत ही करनी है तो इरादे मजबूत रखना.
जरा सी भी चूक हुई तो मोहब्बत हो जायेगी.....

सोमवार, 1 जून 2015

बदले रास्ते बदली मंजिल

बदले रास्ते बदली मंजिल तकदीर बदल गयी
बदकिस्मती हूई मेहरबान कि जिंदगी बदल गयी
एक सहारा था जिनसे मुहब्बत का वो भी हूए न अपने
वफा हूई काफूर उनकी भीनजरें बदल गयी
कैफिरतें दी तो उन्होंने बहुत अपनी बेवफाई की
कैसे मान लेता मैं कि हसरतें उनकी बदल गयी
जानता हूँ मैं कि होती है तब्दीलियां इंसा में वक्त के साथ
अफसोस महज इतना है वफा उनकी मुखालफत में बदल गई
पा तो जाऊंगा मैं बदले रास्तों से बदली हूई मंजिल
पर खुशी नहीं मिलेगी वो कि खुशियां सारी गम में बदल गयी
वक्त बेवक्त जब जरूरत हो अपना समझ कर याद कर लेना
एक तेरे बदलने से मेरी मुहब्बतें तो नहीं बदल गयी
मजबूर हूं रस्में उल्फ़त निभाने को अपनी ही वफा से
ये जानने के बाद भी कि फितरतें तुम्हारी बदल गयी

जिसको भी चाहा शिद्दत से चाहा है

जिसको भी चाहा शिद्दत से चाहा है
सिलसिला टूटा नहीं दर्द की ज़ंजीर का
वो शख्स जो कहता था तू न मिला तो मर जाऊंगा
वो आज भी जिंदा है यही बात किसी और से कहने के लिए
एक ही ज़ख्म नहीं सारा बदन ज़ख्मी है
दर्द हैरान है की उठूँ तो कहाँ से उठूँ
तमाम उम्र मुझे टूटना बिखरना था
वो मेहरबां भी कहाँ तक समेटता मुझे
तुम्हारी दुनिया में हम जैसे हजारों हैं
हम ही पागल थे जो तुम्हे पा के इतराने लगे
देखो तो 'चाँद' को कितना मिलता है हमसे,
तुम सा 'हसीन,
मुझ सा 'तन्हा'
रात भर गहरी नींद आना
इतना आसान नहीं..
उसके लिए दिन भर
ईमानदारी से जीना पड़ता हैं.
चेहरे'.अजनबी" हो जाये तो कोई बात नही लेकिन,
'रवैये' अजनबी" हो जाये तो 'बड़ी' "तकलीफ" देते हैं
इतनी बदसलूकी ना कर.
ऐ जिंदगी,
हम कौन सा यहाँ बार बार
आने वाले है.
प्यास बुझानी है तो उड़ जा पंछी शहर की सरहदों से दूर,
यहाँ तो तेरे हिस्से का पानी भी प्लास्टिक की बोतलों में बंद है.....

शतरंज की चालों का खौफ

शतरंज की चालों का खौफ उन्हें होता है
जो सियासत करते हैं...
हम तो मोहब्बत के खिलाड़ी हैं.
न हार की फिक्र, न जीत का ज़िक्र!
है गुजारिश हर माँ-बाप से
ये बदलते दौर की मजबूरी है
लड़के को पराठे और
लड़की को कराटे सिखाना भी जरूरी है
हम तो सोचते थे की
लफ्ज़ ही चोट करते है
पर कुछ खामोशियों के जख्म तो
और भी गहरे निकले
उदास होने के लिए उम्र पड़ी है,
"नज़र उठाओ सामने जिंदगी खड़ी है,
अपनी हँसी को होंटो से न जाने देना!
"क्योंकि आपकी मुस्कुराहट के पीछे दुनिया पड़ी है
जमीन अच्छी हो, खाद अच्छा हो,
पर पानी अगर खारा हो
तो फूल खिलते नहीं.
भाव अच्छा हो, विचार भी अच्छा हो
मगर वाणी खराब हो
तो संबंध भी टिकते नहीं
⚫मोहब्बत भी अजीब चीज बनायीं खुदा तूने! तेरे ही मंदिर में;
तेरी ही मस्जिद में;
तेरे ही बंदे;
तेरे ही सामने रोते हैं!
तुझे नहीं, किसी और को पाने के लि

रविवार, 31 मई 2015

चिड़िया दिल से हारी कितनी

मुरझाई टहनी प्यारी कितनी
चिड़िया दिल से हारी कितनी

स्वप्न संजोये अब भी मन में
प्रेम डोर यह भारी कितनी

चिंहुँक रही है फिर भी देखो
प्यारी  इसको यारी कितनी

खुश बहुत मुरझाई डाली
पावन प्रीत हमारी कितनी

साथ निभाया हर हालत में
हम लोगों से न्यारी  कितनी....

[ रतनसिहं चम्पावत ]

The Number You Have Call Is Busy.....

छोटी सी खूबसूरत लाईन :
"जब से परीक्षा वाली जिंदगी पूरी हुई है,
तब से जिंदगी की परीक्षा शुरु हो गई है..
आज मुझे एक नया अनुभव हुआ
अपने मोबाइल से अपना ही नंबर लगाकर देखा, आवाज
आयी
The Number You Have Call Is Busy.....

फिर ध्यान आया किसी ने क्या खुब कहा है....

"औरो से मिलने मे दुनिया मस्त है पर,
खुद से मिलने की सारी लाइने व्यस्त है..
कोई नही देगा साथ तेरा यहॉं
  हर कोई यहॉं खुद ही में मशगुल है

जिंदगी का बस एक ही ऊसुल है यहॉं,
         तुझे गिरना भी खुद है
       और संभलना भी खुद है..

मैं नहीं चाहता चिर सुख

मैं नहीं चाहता चिर सुख
मैं नहीं चाहता चिर दुख,
सुख दुख की खेल मिचौनी
खोले जीवन अपना मुख!

सुख-दुख के मधुर मिलन से
यह जीवन हो परिपूरण,
फिर घन में ओझल हो शशि,
फिर शशि से ओझल हो घन!

जग पीड़ित है अति दुख से
जग पीड़ित रे अति सुख से,
मानव जग में बँट जाएँ
दुख सुख से औ' सुख दुख से!

अविरत दुख है उत्पीड़न,
अविरत सुख भी उत्पीड़न,
दुख-सुख की निशा-दिवा में,
सोता-जगता जग-जीवन।

यह साँझ-उषा का आँगन,
आलिंगन विरह-मिलन का;
चिर हास-अश्रुमय आनन
रे इस मानव-जीवन का!

��आपका दिन मंगलमय हो ��

शनिवार, 30 मई 2015

जीने का अलग अंदाज

हमारे जीने का अलग अंदाज है
एक आँख में आँसू तो दूसरे में ख्वाब है
टूटे हुए ख्वाबो पे आँसू बहा लेते है....
और दूसरी आँख में फिर से ख्वाब सज़ा लेते है....

बिक रहे थे रिश्ते

✳ कदम रुक गए जब पहुंचे हम रिश्तों के बाज़ार में...

✳ बिक रहे थे रिश्ते खुले आम व्यापार में..

✳ कांपते होठों से मैंने पुछा,
"क्या भाव है भाई इन रिश्तों का?"

✳ दूकानदार बोला:

✳ "कौनसा लोगे..?

✳ बेटे का ..या बाप का..?

✳ बहिन का..या भाई का..?

✳ बोलो कौनसा चाहिए..?

✳ इंसानियत का.या प्रेम का..?

✳ माँ का..या विश्वास का..?

✳ बाबूजी कुछ तो बोलो कौनसा चाहिए.चुपचाप खड़े हो कुछ बोलो तो सही...

✳ मैंने डर कर पुछ लिया दोस्त का..?

✳ दुकानदार नम आँखों से बोला:

✳ "संसार इसी रिश्ते पर ही तो टिका है ..,माफ़ करना बाबूजी ये रिश्ता बिकाऊ नहीं है..
इसका कोई मोल नहीं लगा पाओगे,

✳ और जिस दिन ये बिक जायेगा... उस दिन ये संसार उजड़ जायेगा..."

पल गुजारे थे जो तन्हाई में

खैर अच्छा ही हुआ कि ये मुमकिन न हुआ
मेरे इस रूह का कोई भी पैरहन न हुआ

पल गुजारे थे जो तन्हाई में रोते-रोते
इस तरीके से भी मेरा गम कुछ कम न हुआ

उड़ रहा था मेरा दिल भी परिंदों की तरह
तीर जब लग गई तो कोई भी मरहम न हुआ

देख लेना था मुझे भी हर सितम की अदा
ऐ सनम तेरे जैसा मेरा कोई दुश्मन न हुआ

दो लाइन दोस्तों के नाम

दो लाइन दोस्तों के नाम
      वातावरण को जो महका दे उसे 'इत्र' कहते हैं जीवन को जो महका दे उसे ही 'मित्र' कहते है।

मान ली


मास्टर जी  एक होटल में ख़ाली कटोरी में रोटी डुबो-डुबो कर खा रहे थे।
वेटर  ने पूछा: मास्टरजी ख़ाली कटोरी में कैसे खा रहे हैं?
मास्टर जी : भइया, हम गणित के अध्यापक हैं। दाल हमने ‘मान ली’ है।

मौसम

एक समय था जब लोग मौसम का मज़ा लेते थे ।

आजकल मौसम लोगो का मज़ा लेने लगा हैं।

NO PARKING

अजीब मुसाफ़िर है यह इश्क़ के
सफ़र का
हर बार अपने दिल की गाड़ी वही
PARK
करना चाहता है जहाँ
पहले से ही "NO PARKING" का
बोर्ड लगा हो

इतनी गर्मी

रोये वो इस कदर उनकी लाश से लिपटकर
कि लाश खुद उठ कर बोली,
"ले तू मरजा पहले,
.
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.
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.
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उपर ही चढे जा रहा है इतनी गर्मी में।

रद्दी हो गये

तुम उनकी जिंदगी में थे एक अखबार
की तरह,
सुबह बड़ी काम की चीज थें, शाम
को रद्दी हो गये

फिर वही शायरी ,फिर वही इश्क फिर वही तुम........

हुए बदनाम मगर,फिर भी न सुधर पाए हम.
फिर वही शायरी ,फिर वही इश्क फिर वही तुम.........!.......।
बारिश मे चलने से एक बात याद आती है,
   कभी फिसलने के खौफ़ से वो मेरा हाथ थाम लेती थी...............।
अगर चाहते हो की खुदा मिले;
तो वो करो जिससे दुआ मिले..!........।
तकलीफें तो हज़ारों हैं इस ज़माने में,
बस कोई अपना नज़र अंदाज़ करे तो बर्दाश्त नहीं होता..!...........।
कास तुम भी हो जाओ तुम्हारी यादो की तरह,
न वक़्त देखो न बहाना,बस चली आओ!...........।
♛ हम दोस्ती करते है तो अफसाने लिखे जाते है
और दुश्मनी करते है तो तारीखे
लिखी जाती है ...........।♛
तेरी दुआओ का दस्तुर भी अजब है मेरे मौला;
मुहब्बत उन्ही को मिलती है जिन्हे निभानी नही आती..!...........।
तेरा ये जुलम हि हमे अच्छा लगने लगा है सोचता हूँ कि इस जुलम को तुम कभी बंद तो नहीं करोगी। क्यों कि जुलम के बहाने हम तुमे भी देखा करते हैं समजी पगली............।  
नम पलकों के संग मुस्काते है हम,लम्हा लम्हा दिलको बहलाते हैं हम, आप दूर हैं हमसे तो क्या हुआ,अपने धडकते दिल में आपकी आहात पाते है हम...............। 
आखिर किस कदर खत्म कर सकते है, उनसे रिश्ते जिनको सिर्फ महसूस करने से, हम दुनिया भूल जाते है...!!..........।♥
अगर इतनी नफरत है हमसे तो एक सच्चे दिल से ऐसी दुआ कर दो
के तुम्हारी दुआ भी पूरी हो जाये और हमारी ज़िन्दगी
भी.................।
यादें अकसर होती हैं सताने के लिए,
कोई रूठ जाता है फिर मान जाने के लिए,
रिश्ते निभाना कोई मुश्किल तो नहीं,
बस दिलों में प्यार चाहिए उसे निभाने के लिए