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बुधवार, 11 मार्च 2015

बिखरने दो होंठों पे हंसी

"बिखरने दो होंठों पे हंसी के फुहारों को दोस्तों,

प्यार से बात कर लेने से जायदाद कम नहीं होती...

तुम पे लिखना शुरु कहा से करु,
अदा से करु या हया से करु,
तुम सब कि दोस्ती इतनी खुबसुरत है,
पता नही कि तारिफ जुबा से करु या दुवाओं से करु...

मेरी यादो की शुरुआत ही तुमसे
होती है दोस्तों..!
तूम ये न
कहा करो की मुझे
दुआओ में याद रखना..!!

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