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मंगलवार, 10 मार्च 2015

नहीं मांगता शजर-ए- अमीरी

नहीं मांगता शजर-ए-
अमीरी या खुदा,
मिलती रहे सबको रोटी ,ये दुआ मांगता हूँ!
गैरों की खुशहाली से न हो जलन,
दिल में बस सब्र -ए- अरमां मांगता हूँ !!
निकले न लब से बद्दुआ किसी के खातिर,
इरादे नेक और मुकम्मल इमान मांगता हूँ !!
उजड़े न चैन - ओ- अमन किसी का और,
तेरे ख्वाबों का खुशनुमा जहाँ मांगता हूँ !!
बँट गयी है दुनिया मजहबों में बहोत,
ऐ खुदा इंसानियत का एक कारवां मांगता हूँ !!
नहीं होते इंसान बुरे , हालात बना देते हैं,
ऐसे बुरे हालातों का न होना मांगता हूँ !!

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