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सोमवार, 3 अगस्त 2015

Friendship shayari: अपनी तो दुनिया ही दोस्तो से है

Friendship shayari: अपनी तो दुनिया ही दोस्तो से है

    
खुशी भी दोस्तो से है
      गम भी दोस्तो से है
   तकरार भी दोस्तो से है
   प्यार भी दोस्तो से है
   रुठना भी दोस्तो से है
   मनाना भी दोस्तो से है
    बात भी दोस्तो से है
  मिसाल भी दोस्तो से है
    नशा भी दोस्तो से है
    शाम भी दोस्तो से है
  मौहब्बत भी दोस्तो से है
   ❤ इनायत भी दोस्तो से है ♥



    काम भी दोस्तो से है
     नाम भी दोस्तो से है
    ख्याल भी दोस्तो से है
   अरमान भी दोस्तो से है
   ख्वाब भी दोस्तो से है
    माहौल भी दोस्तो से है
     यादे भी दोस्तो से है
     सपने भी दोस्तो से है
     अपने भी दोस्तो से है
         ❤ या यूं कहो यारो ♥

अपनी तो दुनिया ही दोस्तो से है

ज़िन्दगी यादों की किताब बन जाती है. ...

ज़िन्दगी यादों की किताब बन जाती है. ...


धीरे धीरे उम्र कट
जाती है. ...
ज़िन्दगी यादों की किताब बन
जाती है. ...
कभी किसी की याद बहुत
तड़पाती है. ..
और कभी यादों के सहरे ज़िन्दगी कट
जाती है....
किनारो पे सागर के खजाने
नहीं आते,
फिर जीवन में दोस्त पुराने नहीं आते....

जी लो इन पलों को हस के जनाब..
फिर लौट के
दोस्ती के जमाने नहीं आते....

जब मुझे यकीन है के भगवान मेरे साथ है: Poem by Harivansh rai Bachchan

-हरिवंशराय बच्चन की बहुत ही अच्छी पंक्तियाँ-

"जब मुझे यकीन है के भगवान मेरे साथ है।
तो इस से कोई फर्क नहीं पड़ता के कौन कौन मेरे खिलाफ है।।" 
+

तजुर्बे ने एक बात सिखाई है...
एक नया दर्द ही...
पुराने दर्द की दवाई है...!
+

हंसने की इच्छा ना हो...
तो भी हसना पड़ता है...
कोई जब पूछे कैसे हो...??
तो मजे में हूँ कहना पड़ता है
+

ये ज़िन्दगी का रंगमंच है दोस्तों....
यहाँ हर एक को नाटक करना पड़ता है.
"माचिस की ज़रूरत यहाँ नहीं पड़ती..
यहाँ आदमी आदमी से जलता है...!
+

जल जाते हैं मेरे अंदाज़ से मेरे दुश्मन
क्यूंकि एक मुद्दत से मैंने न मोहब्बत बदली और न दोस्त बदले .!!.
+

एक घड़ी ख़रीदकर हाथ मे क्या बाँध ली..
वक़्त पीछे ही पड़ गया मेरे..!!
+

सोचा था घर बना कर बैठुंगा सुकून से..
पर घर की ज़रूरतों ने मुसाफ़िर बना डाला !!!
+

सुकून की बात मत कर ऐ ग़ालिब....
बचपन वाला 'इतवार' अब नहीं आता |
+

जीवन की भाग-दौड़ में -
क्यूँ वक़्त के साथ रंगत खो जाती है ?
हँसती-खेलती ज़िन्दगी भी आम हो जाती है..
+

एक सवेरा था जब हँस कर उठते थे हम
और
आज कई बार
बिना मुस्कुराये ही शाम हो जाती है..
+

कितने दूर निकल गए,
रिश्तो को निभाते निभाते..
खुद को खो दिया हमने,
अपनों को पाते पाते..
+

लोग कहते है हम मुस्कुराते बहोत है,
और हम थक गए दर्द छुपाते छुपाते..
+

"खुश हूँ और सबको खुश रखता हूँ,
लापरवाह हूँ फिर भी सबकी परवाह
करता हूँ..
+

चाहता तो हु की ये दुनिया बदल दूं ....
पर दो वक़्त की रोटी के जुगाड़ में फुर्सत नहीं मिलती दोस्तों
+

यूं ही हम दिल को साफ़ रखा करते थे
पता नही था की, 'कीमत चेहरों की होती है!!'
+

"दो बातें इंसान को अपनों से दूर कर देती हैं,
एक उसका 'अहम' और दूसरा उसका 'वहम'
+

" पैसे से सुख कभी खरीदा नहीं जाता और दुःख का कोई खरीदार नहीं होता।"
+

किसी की गलतियों को बेनक़ाब ना कर,
'ईश्वर' बैठा है, तू हिसाब ना कर

रविवार, 2 अगस्त 2015

जाके हाल पूछ ले माँ का

जाके हाल पूछ ले माँ का



तू खबरी है, तुझे जमाने की खबर रहती है....!
जाके हाल पूछ ले माँ का, बगल के कमरे में रहती है....!!

“बीच में आ चुके फासलों का एहसास तब हुआ....,

जब हमने कहा ‘हम ठीक है’...
... और उसने मान भी लिया...।”

किसी को मिल गया मौका बुलंदियों को छुने का
मेरा नाकाम होना भी किसी के काम तो आया

तुम्हारी सुन्दर आँखों  का मकसद कहीं ये तो नहीं,
कि जिसको देख लें उसे बरबाद कर दें...!!!

शनिवार, 1 अगस्त 2015

Gurupurnima par special dohe: गुरु पूर्णिमा पर विशेष दोहे

Gurupurnima par special dohe: गुरु पूर्णिमा पर विशेष दोहे

(1)

गुरु गोबिंद दोऊ खड़े, का के लागूं पाय।
बलिहारी गुरु आपणे, गोबिंद दियो मिलाय॥

(2)
गुरु कीजिए जानि के, पानी पीजै छानि ।
बिना विचारे गुरु करे, परे चौरासी खानि॥

(3)
सतगुरू की महिमा अनंत, अनंत किया उपकार।
लोचन अनंत उघाडिया, अनंत दिखावणहार॥

(4)
गुरु किया है देह का, सतगुरु चीन्हा नाहिं ।
भवसागर के जाल में, फिर फिर गोता खाहि॥

(5)
शब्द गुरु का शब्द है, काया का गुरु काय।
भक्ति करै नित शब्द की, सत्गुरु यौं समुझाय॥

(6)
बलिहारी गुर आपणैं, द्यौंहाडी कै बार।
जिनि मानिष तैं देवता, करत न लागी बार।।

(7)
कबीरा ते नर अन्ध है, गुरु को कहते और ।
हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रुठै नहीं ठौर ॥

(8)
जो गुरु ते भ्रम न मिटे, भ्रान्ति न जिसका जाय।
सो गुरु झूठा जानिये, त्यागत देर न लाय॥

(9)
यह तन विषय की बेलरी, गुरु अमृत की खान।
सीस दिये जो गुरु मिलै, तो भी सस्ता जान॥

(10)
गुरु लोभ शिष लालची, दोनों खेले दाँव।
दोनों बूड़े बापुरे, चढ़ि पाथर की नाँव॥

कबीर

बुधवार, 29 जुलाई 2015

प्यारी सी मुस्कान चाहिये

प्यारी सी मुस्कान चाहिये 


ना कोई राह़ आसान चाहिए,,,


     ना ही हमें कोई पहचान चाहिए,,,


         एक चीज माँगते रोज भगवान से,,, 


अपनों के चेहरे पे हर पल,,,


                     प्यारी सी मुस्कान चाहिये !!!

हर रिश्ते में विश्वास रहने दो

हर रिश्ते में विश्वास रहने दो


आँखे' कितनी  अजीब  होती  है, 
जब  उठती  है  तो  दुआ  बन  जाती  है,
जब  झुकती  है  तो  हया  बन  जाती  है,
उठ  के  झुकती  है  तो अदा  बन  जाती  है
झुक  के उठती  है  तो खता  बन  जाती है,
जब  खुलती  है  तो दुनिया  इसे  रुलाती  है,
जब  बंद  होती  है  तो  दुनिया  को  ये  रुलाती है...!!

"हर रिश्ते में विश्वास रहने दो;
जुबान पर हर वक़्त मिठास रहने दो;
यही तो अंदाज़ है जिंदगी जीने का;
न खुद रहो उदास, न दूसरों को रहने दो.

मंगलवार, 28 जुलाई 2015

श्रद्धेय स्व. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को समर्पित लाइने

श्रद्धेय स्व. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को समर्पित लाइने

आमर सी आशा करो भलो दियो सन्देश।
आज आमर पठाविया झूर झूर रोवे देश।।

सेवा तो इण देश री, करी घणी कलाम।
जातोङा हंसला तनै, भारत करै सलाम।।

लिखता तो रोवै कलम, कठै गयो कलाम।
आखर संग कागद करै, आँसू भरया सलाम।।

भारत माता भाल ने कियो ऊंचो कलाम।
फेरु पाछो आवज्ये सादर करूँ सलाम।।

नेह समेत करू नमन मानो मिसाइल मैन।
शब्दा री श्रद्धांजलि टपकन लाग्या नैन।।

आमर सी आशा करो भलो दियो सन्देश।
आज आमर पठाविया झूर झूर रोवे देश।।

धरम जात सूं उपरे मानव मोटो एक।
आज छोड़ चाल्यो अबे नर घणो ओ नेक।।

सीधो सरल सुभाव रो एहडो नर नह और।
करूँ विदा कलाम जी छलकी नैना कौर।।

सोमवार, 27 जुलाई 2015

वक़्त   नहीं

. . . . . एक  प्यारी  सी कविता . . . . .

              " वक़्त   नहीं "

हर  ख़ुशी   है  लोंगों   के  दामन  में,
पर   एक   हंसी  के  लिये  वक़्त  नहीं....

दिन  रात   दौड़ती   दुनिया   में,
"ज़िन्दगी"   के   लिये  ही   वक़्त नहीं......

सारे   रिश्तों  को   तो  हम  मार चुके,
अब   उन्हें   दफ़नाने  का   भी वक़्त  नहीं .....

सारे   नाम   मोबाइल   में   हैं ,
पर   "दोस्ती"   के   लिये   वक़्त  नहीं .....

गैरों   की   क्या   बात.  करें ,
जब   अपनों   के   लिये    ही वक़्त  नहीं......

आखों   में   है   नींद.  भरी ,
पर   सोने   का  वक़्त   नहीं......

"दिल"  है  ग़मो  से  भरा  हुआ ,
पर  रोने  का   भी   वक़्त   नहीं .

पैसों   की  दौड़  में   ऐसे   दौड़े, की,,
थकने   का  भी   वक़्त   नहीं ....

पराये  एहसानों   की  क्या   कद्र  करें ,
जब  अपने   सपनों   के   लिये  ही  वक़्त  नहीं.......

तू   ही   बता  दे  ऐ   ज़िन्दगी ,
इस   ज़िन्दगी   का   क्या  होगा,
की   हर   पल   मरने   वालों  को,,
जीने    के    लिये।  भी    वक़्त  नहीं.... ....

रविवार, 26 जुलाई 2015

चना ज़ोर गरम और पकोडे प्याज़ के

चना ज़ोर गरम और पकोडे प्याज़ के


चना ज़ोर गरम और पकोडे प्याज़ के ...
चार दिन मे सूखेंगे कपड़े ये आज के ...

आलस और खुमारी बिना किसी काज के ...
टर्राएँगे मेंढक फिर बिना किसी साज़ के ...

बिजली की कटौती का ये मौसम आया है ...
हमारे घर आँगन आज सावन आया है ...

भीगे बदन और गरम चाय की प्याली ...
धमकी सी गरजती बदली वो काली ...

नदियों सी उफनती मुहल्ले की नाली ...
नयी सी लगती वो खिड़की की जाली ...

छतरी और थैलियों का मौसम आया है ...
हमारे घर आँगन आज सावन आया है ...

निहत्थे से पौधो पे बूँदो का वार ...
हफ्ते मे आएँगे अब दो-तीन इतवार ...

पानी के मोतियों से लदा वो मकड़ी का तार...
मिट्टी की खुश्बू से सौंधी वो फुहार ...

मोमबत्तियाँ जलाने का मौसम आया है...
हमारे घर आँगन आज सावन आया है ...

शनिवार, 25 जुलाई 2015

शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर

शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर


एक ही विषय पर 5 महान शायरों का नजरिया....

.
1- Mirza Galib :
"शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर,
या वो जगह बता जहाँ ख़ुदा नहीं।"
.
2- Iqbal
"मस्जिद ख़ुदा का घर है, पीने की जगह नहीं ,
काफिर के दिल में जा, वहाँ ख़ुदा नहीं।"
.
3- Ahmad Faraz
"काफिर के दिल से आया हूँ मैं ये देख कर, खुदा मौजूद है वहाँ, पर उसे पता नहीं।"
.
4- Wasi
"खुदा तो मौजूद दुनिया में हर जगह है,
तू जन्नत में जा वहाँ पीना मना नहीं।"
.
5- Saqi
"पीता हूँ ग़म-ए-दुनिया भुलाने के लिए,
जन्नत में कौन सा ग़म है इसलिए वहाँ पीने में मजा नही।"

शुक्रवार, 24 जुलाई 2015

निज पथ की बाधा को

निज पथ की बाधा को 


निज पथ की बाधा को
सहर्ष स्वीकार करो।

हे जीवकुल श्रेष्ठ तुम
स्वयं का उद्धार करो।

अभिनन्दन कर रहा है
नव्उदित सूर्य तुम्हारा।

पर जीवनरूपी सागर को
पहले तुम पार करो।

हे जीवकुल श्रेष्ठ तुम
स्वयं का उद्धार करो।

आलस्य,अभिमान,निद्रा का
परित्याग करो तुम ।

प्रेम,मानवता,ईश्वर से
अनुराग करो तुम ।

जग की क्षुद्र वासनाओ का
तुम तिरस्कार करो।

हे जीवकुल श्रेष्ठ तुम
स्वयं का उद्धार करो।

तुम दिव्यपुरूष हो
निडर,निर्भीक,नि:स्वार्थ बनो।

जीवन रण के अर्जुन तुम
कर्तव्य के परमार्थ बनो।

अपने उद्देश्यो का स्वयं ही
तुम परिष्कार करो।

हे जीवकुल श्रेष्ठ तुम
स्वयं का उद्धार करो।

जिम्मेदारियां ओढ़ के निकलता हूँ घर से यारो...

जिम्मेदारियां ओढ़ के निकलता हूँ घर से यारो


जिम्मेदारियां ओढ़ के निकलता हूँ घर से यारो...
वरना, बारिशों में भीगने का शौक तो अब भी है....!!

वो बचपन के दिन लौटा दे ऐ खुदा.....
जहाँ न दोस्त का मतलब पता था और न मतलब की दोस्ती....

"उम्र" और "ज़िन्दगी" में बस फर्क "इतना"
जो "दोस्तों" के बिन बीति वो "उम्र"    

और जो दोस्तों के "साथ" "गुज़री" वो "ज़िन्दगी..

गुरुवार, 23 जुलाई 2015

रोज   तारीख   बदलती.  है,

रोज   तारीख   बदलती.  है,

रोज.  दिन.  बदलते.   हैं....
रोज.  अपनी.  उमर.   भी बदलती.  है.....
रोज.  समय.  भी    बदलता. है...
हमारे   नजरिये.  भी.  वक्त.  के साथ.  बदलते.  हैं.....
बस   एक.  ही.  चीज.  है.  जो नहीं.   बदलती...
और  वो  हैं  "हम खुद"....

और  बस   ईसी.  वजह  से  हमें लगता   है.  कि.  अब  "जमाना" बदल   गया.  है........

किसी  शायर  ने  खूब  कहा  है,,

रहने   दे   आसमा.  ज़मीन   कि तलाश.  ना   कर,,
सबकुछ।  यही।  है,  कही  और  तलाश   ना   कर.,

हर  आरज़ू   पूरी  हो,  तो   जीने का।  क्या।  मज़ा,,,
जीने  के  लिए   बस।  एक खूबसूरत   वजह।  कि   तलाश कर,,,

ना  तुम  दूर  जाना  ना  हम  दूर जायेंगे,,
अपने   अपने   हिस्से कि। "दोस्ती"   निभाएंगे,,,

बहुत  अच्छा   लगेगा    ज़िन्दगी का   ये   सफ़र,,,
आप  वहा  से  याद   करना, हम यहाँ   से   मुस्कुराएंगे,,,

क्या   भरोसा   है.  जिंदगी   का,
इंसान.  बुलबुला.  है   पानी  का,

जी  रहे  है  कपडे  बदल  बदल कर,,
एक  दिन  एक  "कपडे"  में  ले जायेंगे  कंधे  बदल  बदल  कर,,

इंसान जाने कहां खो गये है

इंसान जाने कहां खो गये है

अब शर्म से,
चेहरे गुलाब नही होते।
जाने क्यूं
अब मस्त मौला मिजाज नही होते।

पहले बता दिया करते थे, दिल की बातें।
जाने क्यूं
अब चेहरे,
खुली किताब नही होते।

सुना है
बिन कहे
दिल की बात
समझ लेते थे।
गले लगते ही
दोस्त हालात
समझ लेते थे।

तब ना फेस बुक
ना स्मार्ट मोबाइल था
ना फेसबुक
ना ट्विटर अकाउंट था
एक चिट्टी से ही
दिलों के जज्बात
समझ लेते थे।

सोचता हूं
हम कहां से कहां आ गये,
प्रेक्टीकली सोचते सोचते
भावनाओं को खा गये।

अब भाई भाई से
समस्या का समाधान
कहां पूछता है
अब बेटा बाप से
उलझनों का निदान
कहां पूछता है
बेटी नही पूछती
मां से गृहस्थी के सलीके
अब कौन गुरु के
चरणों में बैठकर
ज्ञान की परिभाषा सीखे।

परियों की बातें
अब किसे भाती है
अपनो की याद
अब किसे रुलाती है
अब कौन
गरीब को सखा बताता है
अब कहां
कृण्ण सुदामा को गले लगाता है

जिन्दगी मे
हम प्रेक्टिकल हो गये है
मशीन बन गये है सब
इंसान जाने कहां खो गये है!

इंसान जाने कहां खो गये है

 
इंसान जाने कहां खो गये है....!!!!

मंगलवार, 21 जुलाई 2015

रिश्ता वो नहीं होता

रिश्ता वो नहीं होता 


रिश्ता वो नहीं होता जो       
दुनिया को दिखाया जाता है!
रिश्ता वह होता है,जिसे         
दिल से निभाया जाता है!!
अपना कहने से कोई                  
अपना नहीं होताव्,
अपना वो होता है जिसे       
  दिल से अपनाया जाता है !

शनिवार, 18 जुलाई 2015

बेटी की विदाई

बेटी की विदाई


कन्यादान हुआ जब पूरा,आया समय विदाई का ।।
हँसी ख़ुशी सब काम हुआ था,सारी रस्म अदाई का ।
बेटी के उस कातर स्वर ने,बाबुल को झकझोर दिया ।।
पूछ रही थी पापा तुमने,क्या सचमुच में छोड़ दिया ।।
अपने आँगन की फुलवारी,मुझको सदा कहा तुमने ।।
मेरे रोने को पल भर भी ,बिल्कुल नहीं सहा तुमने ।।
क्या इस आँगन के कोने में, मेरा कुछ स्थान नहीं ।।
अब मेरे रोने का पापा,तुमको बिल्कुल ध्यान नहीं ।।
देखो अन्तिम बार देहरी,लोग मुझे पुजवाते हैं ।।
आकर के पापा क्यों इनको,आप नहीं धमकाते हैं।।
नहीं रोकते चाचा ताऊ,भैया से भी आस नहीं।।
ऐसी भी क्या निष्ठुरता है,कोई आता पास नहीं।।
बेटी की बातों को सुन के ,पिता नहीं रह सका खड़ा।।
उमड़ पड़े आँखों से आँसू,बदहवास सा दौड़ पड़ा ।।
कातर बछिया सी वह बेटी,लिपट पिता से रोती थी ।।
जैसे यादों के अक्षर वह,अश्रु बिंदु से धोती थी ।।
माँ को लगा गोद से कोई,मानो सब कुछ छीन चला।।
फूल सभी घर की फुलवारी से कोई ज्यों बीन चला।।
छोटा भाई भी कोने में,बैठा बैठा सुबक रहा ।।
उसको कौन करेगा चुप अब,वह कोने में दुबक रहा।।
बेटी के जाने पर घर ने,जाने क्या क्या खोया है।।
कभी न रोने वाला बापू,फूट फूट कर रोया है ।।

खवाहिश  नही  मुझे  मशहुर  होने  की

एक सुंदर कविता - खवाहिश  नही  मुझे  मशहुर  होने  की


खवाहिश  नही  मुझे  मशहुर  होने  की।
आप  मुझे  पहचानते  हो  बस  इतना  ही  काफी  है।


अच्छे  ने  अच्छा  और  बुरे  ने  बुरा  जाना  मुझे।
क्यों  की  जीसकी  जीतनी  जरुरत  थी  उसने  उतना  ही  पहचाना  मुझे।


ज़िन्दगी  का  फ़लसफ़ा  भी   कितना  अजीब  है,
शामें  कटती  नहीं,  और  साल  गुज़रते  चले  जा  रहे  हैं....!!


एक  अजीब  सी  दौड़  है  ये  ज़िन्दगी,
जीत  जाओ  तो  कई  अपने  पीछे  छूट  जाते  हैं,
और  हार  जाओ  तो  अपने  ही  पीछे  छोड़  जाते  हैं।

बीड़ी  अब CIGARETTE   बन गयी,

बीड़ी  अब CIGARETTE   बन गयी


बीड़ी  अब
CIGARETTE
  बन गयी,
 
         चटाई
CARPET  बन गयी,

                    मुक्केबाजी
              BOXING बन गयी,

      कुश्ती  हमारी
WRESLING बन गयी,

                    गिल्ली डंडा
              CRICKET बन गया,

          ..हमारा भारत
         GREAT बन गया..

   गाय  हमारी
COW बन गयी,

                    शर्म हया अब
                  WOW बन गयी,

  काढ़ा  हमारा
CHAI बन गया,

                     छोरा बेचारा
                   GUY बन गया,

   कठपुतली अब
PUPPET बन गया,

            ..हमारा भारत
          GREAT बन गया..

          हल्दी  अब
  TURMERIC बन गयी,

                     ग्वारपाठा
              ALOVIRA बन गया,

    योग हमारा
YOGA बन गया,

                     घर का जोगी
                  JOGA बन गया,

भोजन 100 रु.
PLATE बन गया,

         ..हमारा भारत
       GREAT बन गया..

  घर की दीवारेँ
WALL बन गयी,

          दुकानेँ
SHOPING MALLबन गयीँ,

                        गली मोहल्ला
                    WARD बन गया,

    ऊपरवाला
LORD बन गया,

                      रक्षाकवच
                HELMET बन गया,

            ..हमारा भारत
         GREAT बन गया..

  माँ हमारी
MOM बन गयी,

                             छोरियाँ
        ITEM BOMB बन गयीँ,

   पिताजी अब
   DAD बन गये,

                    घर के मालिक
                 HEAD बन गये,
   
          ..हमारा भारत
        GREAT हो गया..

  मनमोहन बिलकुल fail हो गया

    केजरीवाल भी खेल हो गया

      आडवाणी हमेशा के लिए
     P.M. in wait हो गया 

   क्यों की MODI बीजेपी में   
    Heavy wait हो गया.

अच्छे दिनों का सपना
         फिलहाल LATE हो गया,

       MODI फिर भी
      GREAT  हो गया..

  तुलसी की जगह
मनी प्लांट ने ले ली..!

                    चाची की जगह
                    आंटी ने ले ली..!

पिता जी  डेड हो गये..! 
           भाई तो अब ब्रो हो गये..! 
         बेचारी बेहन भी अब
          सिस  हो गयी..!

     दादी की लोरी तो अब
     टांय टांय फिस्स हो गयी..!

टी वी के सास बहू में भी
अब साँप नेवले का रिश्ता है..!
                पता नहीं एकता कपूर
           औरत है या फरिश्ता है..!!!

   जीती जागती माँ बच्चों के
      लिए ममी हो गयी..!

        रोटी अब अच्छी कैसे लगे
मैग्गी जो इतनी यम्मी हो गयी..!

गाय का आशियाना अब
      शहरों की सड़कों पर बचा है..!

             विदेशी कुत्तों ने लोगों के
   कंधों पर बैठकर इतिहास रचा है..!

    बहुत दुखी हूँ ये सब देखकर
          दिल टूट रहा है..!

      हमारे द्वारा ही हमारी
      भारतीय सभ्यता का
       साथ छूट रहा है.....  

           
            एक मेसेज
    भारतीय सभ्यता के नाम....

शुक्रवार, 17 जुलाई 2015

बेवफाई

बेवफाई

अर्ज़ किया है....

युं ना किसी के दिल के साथ खेलो.....

युं ना किसी के दिल के साथ खेलो.....

जब ग्रुप में मैसेज ही नहीं करना है तो....

स्मार्टफोन बेच कर रेडियो लेलो