उर आँगन अनुराग अतिथी
अब आये कौन बुलाये कौन
बहुत बड़ी ये बंजर बस्ती,
यहाँ बसे कौन बसाये कौन
मुखर मौन की मोहक मर्यादा ,
माने कौन मनाये कौन
अमृतपान को आतुर सबही ,
गरल घोर गटकाये कौन
जीवन ज्वाल की जगमग ज्योति
अब जागे कौन जगाये कौन
आत्म दीप बन अज्ञान तिमिर में
यहाँ जले कौन जलाये कौन
बचपन से रीता है बचपन ,
अब बाबुल सा बहलाये कौन
थपकी देकर लोरी गाकर ,
यहाँ सोये कौन सुलाये कौन
नींद उचटती अब भी अक्सर ,
यह पूछे कौन बताये कौन
भाव भरे भव भावुक बन्धन ,
अब बाँधे कौन बँधाये कौन
गाँव गली में वो गीत प्रीत के ,
अब गायेे कौन गवाये कौन
नटखट नटवर नंद नागर सा ,
यहाँ नाचे कौन नचाये कौन
(रतनसिहं चाँपावत )
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