शायरी कविताएँ - गम यादें : sweet sad fun dard poem sms for friends girlfriend wife for every occassion -morning evening and night
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शनिवार, 19 अगस्त 2017
शनिवार, 12 अगस्त 2017
Lovely lines from Ghalib: फ़ना
Lovely lines from Ghalib...
ख़ुदा की मोहब्बत को फ़ना कौन करेगा?
خُدا کی مہبت کو فنا کون کریگا؟
सभी बन्दे नेक हों तो गुनाह कौन करेगा?
سبھی بندے نئک ہوں تو گناہ کون کریگا؟
ऐ ख़ुदा मेरे दोस्तों को सलामत रखना
اے خُدا میرے دوستوں کو سلامت رکھنا
वरना मेरी सलामती की दुआ कौन करेगा
ورنہ میری سلامتی کی دُعا کون کریگا
और रखना मेरे दुश्मनों को भी महफूज़
اور رکھنا میرے دُشمنوں کو بہی مہفوذ
वरना मेरी तेरे पास आने की दुआ कौन करेगा...!!!
ورنہ میری تیرے پاس آنے کی دُعا کون
کریگا۔۔۔۔!!!
रविवार, 16 अगस्त 2015
बेबस हूँ बिखरी हूँ उलझी हूँ सत्ता के जालो में,
बेबस हूँ बिखरी हूँ उलझी हूँ सत्ता के जालो में,
एक दिवस को छोड़ बरस भर बंद रही हूँ तालों में,
बस केवल पंद्रह अगस्त को मुस्काने की आदी हूँ,
लालकिले से चीख रही मैं भारत की आज़ादी हूँ,
जन्म हुआ सन सैतालिस में,बचपन मेरा बाँट दिया,
मेरे ही अपनों ने मेरा दायाँ बाजू काट दिया,
जब मेरे पोषण के दिन थे तब मुझको कंगाल किया
मस्तक पर तलवार चला दी,और अलग बंगाल किया
मुझको जीवनदान दिया था लाल बहादुर नाहर ने,
वर्ना मुझको मार दिया था जिन्ना और जवाहर ने,
मैंने अपना यौवन काटा था काँटों की सेजों पर,
और बहुत नीलाम हुयी हूँ ताशकंद की मेजों पर,
नरम सुपाड़ी बनी रही मैं,कटती रही सरौतों से,
मेरी अस्मत बहुत लुटी है उन शिमला समझौतों से,
मुझको सौ सौ बार डसा है,कायर दहशतगर्दी ने,
सदा झुकायीं मेरी नज़रे,दिल्ली की नामर्दी ने,
मेरा नाता टूट चूका है,पायल कंगन रोली से,
छलनी पड़ा हुआ है सीना नक्सलियों की गोली से,
तीन रंग की मेरी चूनर रोज़ जलायी जाती है,
मुझको नंगा करके मुझमे आग लगाई जाती है
मेरी चमड़ी तक बेची है मेरे राजदुलारों ने,
मुझको ही अँधा कर डाला मेरे श्रवण कुमारों ने
उजड़ चुकी हूँ बिना रंग के फगवा जैसी दिखती हूँ,
भारत तो ज़िंदा है पर मैं विधवा जैसी दिखती हूँ,
मेरे सारे ज़ख्मों पर ये नमक लगाने आये हैं,
लालकिले पर एक दिवस का जश्न मनाने आये हैं
बूढ़े बालों को ये काली चोटी देने आये हैं,
एक साल के बाद मुझे ये रोटी देने आये हैं,
जो मुझसे हो लूट चुके वो पाई पाई कब दोगे,
मैं कब से बीमार पड़ी हूँ मुझे दवाई कब दोगे,
सत्य न्याय ईमान धरम का पहले उचित प्रबंध करो,
तब तक ऐसे लालकिले का नाटक बिलकुल बंद कर
परी हो तुम गुजरात की
15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के लिए बेस्ट कविता| Best poem for Independence day 15 August
परी हो तुम गुजरात की, रूप तेरा मद्रासी !
सुन्दरता कश्मिर की तुममे ,सिक्किम जैसा शर्माती !!
खान-पान पंजाबी जैसा, बंगाली जैसी बोली !
केरल जैसा आंख तुम्हारा ,है दिल तो तुम्हारा दिल्ली !!
महाराष्ट्र तुम्हारा फ़ैशन है, तो गोवा नया जमाना !
खुशबू हो तुम कर्नाटक कि,बल तो तेरा हरियाना !!
सिधी-सादी ऊड़ीसा जैसी,एम.पी जैसा मुस्काना !
दुल्हन तुम राजस्थानी जैसी ,त्रिपुरा जैसा इठलाना !!
झारखन्ड तुम्हारा आभूषण,तो मेघालय तुम्हारी बिन्दीया है !
सीना तो तुम्हारा यू.पी है तो ,हिमांचल तुम्हारी निन्दिया है !!
कानों का कुन्डल छत्तीसगढ़ ,तो मिज़ोरम तुम्हारा पायल है !
बिहार गले का हार तुम्हारा ,तो आसाम तुम्हारा आंचल है !!
नागालैन्ड- आन्ध्र दो हाथ तुम्हारे, तो ज़ुल्फ़ तुम्हारा अरुणांचल
है !
नाम तुम्हारा भारत माता, तो पवित्रता तुम्हारा ऊत्तरांचल है !!
सागर है परिधान तुम्हारा,तिल जैसे है दमन- द्वीव !
मोहित हो जाता है सारा जग,रहती हो तुम कितनी सजीव !!
अन्डमान और निकोबार द्वीप,पुष्पों का गुच्छ तेरे बालों में !
झिल-मिल,झिल-मिल से लक्षद्वीप, जो चमक रहे तेरे गालों में !!
ताज तुम्हारा हिमालय है ,तो गंगा पखारती चरण तेरे !
कोटि-कोटि हम भारत वासियों का ,स्वीकारो तुम नमन मेरे !!
Happy Independence Day ...
एक नाराज गुरुदेव की चंद पंक्तियाँ...........
एक नाराज गुरुदेव की चंद पंक्तियाँ...................
राजनेताओं की बिरादरी तो चोरो की सिरमौर है,,,
पर कहते फिरते है यूं कि शिक्षक सारे चोर है।।
खुद की नाकामियों को तुम अपने
हाथों बांट रहे,,,
जिस डाली पर बैठे हो उसी डाली को काट रहे।।
सत्ता का असली घमंड तुम्हारे अन्दर छाया है,,
शिक्षा मंदिरों का मान तुम नीचों ने ही घटाया है।।
तोप, चारा, टैंक, क्या तुम कफऩ तक को खा गए,,,
भ्रष्टाचार के पितामह तुम वतन तक को पचा गए।।
राष्ट्र मर्यादाओं को तुमने कदम कदम पर तोड़ा है,,,
जिस महकमें के तुम रखवाले उस तक को तो नहीं छोड़ा है।।
तुम्हारें जैसो की इज्जत चौराहों पर उतारी जाती है,,,
पागल कुत्तों को सरेआम गोली मारी जाती है।।
कुंडली मार बैठे हो पदों पर फूट गई तकदीर यहीं,,,
राजनीति के आक्टोपसों! स्कूल तुम्हारी जागीर नहीं।।
गंदी राजनीति के अखाड़े तुमनेे विद्यालयों में खोल दिए,,,
विष भरे बोल तो खुद के सड़े मुँह से बोल दिए।।
शिक्षक थे तुम भी कैसे अपनी मर्यादा भूल गए,,,
राजनीतिक सिंहासन पर औकात
अपनी भूल गए।।
पहली शिक्षक माँ थी तुम्हारी कह
दो वो भी चोर है,,,
बाप चाचा ताऊ ने जो भी सिखाया कह दो सभी हरामखोर है।।
खुद को तुमने स्वयंभू राजा की छवि में जा कर कैद किया,,,
जिस थाली में खाया था उस थाली में जाकर छेद किया।।
करते फिरते हो जाकर गली गली जो शोर है,,,
कहते फिरते हो यूं कि शिक्षक सारे चोर है।।
गुरूजनों की पदरज का जिसने भी माथे पर चंदन कर डाला,,,
शिक्षक समाज ने उसका तन मन से अभिनंदन कर डाला।।
जब जब हमारे राष्ट्र पर संकट छाया है,,,
शिक्षक ने अपना दायित्व निभाया है।।
सोने की चिड़िया बनाने को सदियों से हमने जतन किए,,,
एक से बढकर एक राष्ट्र को हमने ही तो रतन दिए।।
जोतिबाफूले कहू, चाणक्य कहूं समर्थ गुरू रामदास
या कहूं राधाकृष्णन,,,
द्रोण वशिष्ठ बाल्मीकी।
विद्यालयों में माँ बाप का किरदार
निभाता हूं,,,
इसीलिए सदियों से हर युग में पूजा जाता हूं।।
पर तुमने कभी मुझे डाकिया तो कभी मुझसे जनगणना करवाई है,
पोषाहार बनवा कर मुझ से
कभी पोलियो की दवा पिलवाई है।।
पर राष्ट्र हित में ये सारे काम जरूरी है,,,
पर तुमको लगता है ये हमारी मजबूरी है।।
शैक्षणिक कार्यों के अलावा कितने काम करवाते हो,,,
ट्रांसफर के नाम पर तुम ही हमारी तनख्वाह तक हड़प कर
जाते हो।।
मकड़जाल में उलझाकर
विद्यालयों को मकड़ी का जाला बना दिया,,,
एकीकरण समानीकरण के नाम पर शिक्षा को प्रयोगशाला बना दिया।।
बिना गुरू एक कदम भी चल दिए तो हाहाकार मच जायेगा,,,
शिक्षक सम्मानित नहीं होगा तो राष्ट्र में अँधकार मच जायेगा।।
कुछ भी बोलोगे तो सुन लें हम ऐसे भी मजबूर नहीं,,,
राष्ट्र निर्माता है हम कोई बँधुआ
मजदूर नहीं।।
शिक्षक के चरणों में गिरकर माफी मांगोेगे
तो वो तुम्हें माफ कर देगा,,,
नहीं तो इतिहास उठाकर देखो अगले चुनावों में फिर से वो पते साफ कर देगा।।
अरे इस जगत की तो शिक्षक एक सुनहरी भोर है,,,
भूल कर भी मत कहना अब कि शिक्षक सारे चोर है।।।।।
प्यास लगी थी गजब की...
प्यास लगी थी गजब की...
प्यास लगी थी गजब की...मगर पानी मे जहर था...
पीते तो मर जाते और ना पीते तो भी मर जाते...
बस यही दो मसले, जिंदगीभर ना हल हुए!!!
ना नींद पूरी हुई, ना ख्वाब मुकम्मल हुए!!!
वक़्त ने कहा.....काश थोड़ा और सब्र होता!!!
सब्र ने कहा....काश थोड़ा और वक़्त होता!!!
सुबह सुबह उठना पड़ता है कमाने के लिए साहेब...।।
आराम कमाने निकलता हूँ आराम छोड़कर।।
"हुनर" सड़कों पर तमाशा करता है और
"किस्मत" महलों में राज करती है!!
"शिकायते तो बहुत है तुझसे ऐ जिन्दगी,
पर चुप इसलिये हु कि, जो दिया तूने,
वो भी बहुतो को नसीब नहीं होता"...
शुक्रवार, 14 अगस्त 2015
गलत सुना था कि,
गलत सुना था कि,
गलत सुना था कि,
इश्क आँखों से होता है....
दिल तो वो भी ले जाते है,
जो पलकें तक नही उठाते....!!!!
गुरुवार, 13 अगस्त 2015
नफरतों का असर देखो, जानवरों का बटंवारा हो गया,
नफरतों का असर देखो,जानवरों का बटंवारा हो गया,
मालूम नही किसने लिखा है, पर क्या खूब लिखा है..
नफरतों का असर देखो,
जानवरों का बटंवारा हो गया,
गाय हिन्दू हो गयी ;
और बकरा मुसलमान हो गया.
मंदिरो मे हिंदू देखे,
मस्जिदो में मुसलमान,
शाम को जब मयखाने गया ;
तब जाकर दिखे इन्सान.
ये पेड़ ये पत्ते ये शाखें भी परेशान हो जाएं
अगर परिंदे भी हिन्दू और मुस्लमान हो जाएं
सूखे मेवे भी ये देख कर हैरान हो गए
न जाने कब नारियल हिन्दू और
खजूर मुसलमान हो गए..
न मस्जिद को जानते हैं , न शिवालों को जानते हैं
जो भूखे पेट होते हैं, वो सिर्फ निवालों को जानते हैं.
अंदाज ज़माने को खलता है.
की मेरा चिराग हवा के खिलाफ क्यों जलता है......
मैं अमन पसंद हूँ , मेरे शहर में दंगा रहने दो...
लाल और हरे में मत बांटो, मेरी छत पर तिरंगा रहने दो....
जिस तरह से धर्म मजहब के नाम पे हम रंगों को भी बांटते जा रहे है
कि हरा मुस्लिम का है
और लाल हिन्दू का रंग है
तो वो दिन दूर नही
जब सारी की सारी हरी सब्ज़ियाँ मुस्लिमों की हों जाएँगी
और
हिंदुओं के हिस्से बस टमाटर,गाजर और चुकुन्दर ही आएंगे!
अब ये समझ नहीं आ रहा कि ये तरबूज किसके हिस्से में आएगा ?
ये तो बेचारा ऊपर से मुस्लमान और अंदर से हिंदू ही रह जायेगा...
जलते हुए दिए को परवाने क्या बुझायेंगे,
जलते हुए दिएको परवाने क्या बुझायेंगे
पाकिस्तानी बोलते है
कि
हम हिंदुस्तानिओ
को जिंदा जला देंगे...
.
उन के लिए 2 लाईन पेश
कर रहा हु -
.
"जलते हुए दिए
को परवाने
क्या बुझायेंगे,
जो मुर्दों को नही जलाते
वो जिन्दो को क्या जलाएंगे........
.
ना हम शैतान से हारे,
ना हम हैवान से हारे,
कश्मीर में
जो आया तूफान ,
ना हम उस तूफान से
हारे,
.
यही सोच कर ऐ
पाकिस्तान,
हमने तेरी जान
बक्शी है,
शिकारी तो हम है
मगर,
हमने कभी कुत्ते
नहीं मारे...।
.
वन्देमातरम !
मंगलवार, 11 अगस्त 2015
ये चाहतें, ये रौनकें, पाबन्द है मेरे जीने तक
ये चाहतें, ये रौनकें, पाबन्द है मेरे जीने तक
ये चाहतें, ये रौनकें, पाबन्द है मेरे जीने तक;
बिना रूह के नहीं रखते, घर वाले भी ज़िस्म को।
बहुत दिल दिखाया है लोगों ने मेरा
"ऐ - मौत"
अगर तू साथ दे तो सबको रुला सकता हूँ में.
ये कलम भी कमबख्त बहुत दिल जली है.....
जब जब भी मुझे दर्द हुआ ये खूब चली है....
सोमवार, 10 अगस्त 2015
रहने दे आसमाँ ज़मीन की तलाश ना कर,
रहने दे आसमाँ ज़मीन की तलाश ना कर
रहने दे आसमाँ ज़मीन की तलाश ना कर,
सब कुछ यहीं है,कहीं और तलाश ना कर,
हरआरज़ू पूरी हो,तो जीने का क्या मज़ा,
जीने के लिए बस एक खूबसूरत वजह की तलाश कर,
ना तुम दूर जाना ना हम दूर जायेंगे,
अपनेअपने हिस्से की "दोस्ती" निभाएंगे,
बहुतअच्छा लगेगा ज़िन्दगी का ये सफ़र,
आप वहा से याद करना, हम यहाँ से मुस्कुराएंगे,
क्या भरोसा है.जिंदगी का,
इंसान बुलबुला है पानी का,
जी रहे है कपङे बदल बदल कर,
एक दिन एक "कपङे"में ले जायेंगे कंधे बदल बदल कर.
रविवार, 9 अगस्त 2015
मेरा दर्द ना जाने कोई..... By a soldier..
मेरा दर्द ना जाने कोई.....
By a soldier..ए भीड में रहने वाले इन्सान
एक बार वर्दी पहन के दिखा
ऑर्डर के चक्रव्यूह में से
छुटी काट कर के तो दिखा
रात के घुप्प अँधेरे में जब दुनिया सोती है
तू मुस्तैद खड़ा जाग के तो दिखा
बाॅर्डर की ठंडी हवा में चलकर
घर की तरफ मुड़ के तो दिखा
घर से चलने ले पहले वाइफ को
अगली छुट्टी के सपने तो दिखा
कल छुट्टी आउंगा बोलके
बच्चों को फोन पे ही चाॅकलेट खिला के तो दिखा
थकी हुई आखों से याद करने वाले
मां बाप को अपना मुस्कुराता चेहरा तो दिखा
ये सब करते समय
दुश्मनकी गोली सीने पर लेकर तो दिखा
आखिरी सांस लेते समय
तिरंगे को सलाम करके तो दिखा
छुट्टी से लौटते वक्त बच्चों के आंसू, माँ बाप की बेबसी, पत्नी की लाचारी को नज़रअंदाज कर के तो दिखा
सरकार कहती है शहीद की परिभाषा नही है
दम है तो भगत सिंह बन के तो दिखा
बेबस लाचार बना दिया है देश के सैनिक को
विपति के अलावा कभी उसको याद करके तो दिखा
रेगिस्तान की गर्मी, हिमालय की ठंड
क्या होती है वहां आकर तो दिखा
जगलं में दगंल, नक्सलियों का मगंल
कभी अम्बुश में एक रात बैठ कर तो दिखा
यह वर्दी मेरी आन बान और शान है
मेरी पहचान का तमाशा दुनियां को ना दिखा
देश पर मर मिट कर भी मुझे शहीद न कहने वाले,
अगर दम है तो एक बार वर्दी पहन के तो दिखा....
एक सैनिक की अपनी पहचान के लिए जंग जारी.....
गुरुवार, 6 अगस्त 2015
कुछ दिन से.
कुछ दिन से...............
कुछ दिन से कुछ ठीक नहीं है
बातें हैं पर चीत नहीं है
हैरां हूं मैं देख के दुनिया
दुश्मन है सब मीत नहीं है
कुछ दिन से कुछ ठीक नहीं है
हंसों में है मारामारी..
लछन इनके ठीक नहीं है
पंछी का मन आकुल व्याकुल
मुख पर मीठे गीत नहीं है
कुछ दिन से कुछ ठीक नहीं है
मानसरोवर हूवा पराया
यहां कोई मन मीत नहीं है
हंसो का कलरव है गुपचुप
अब वह मधुर संगीत नही है
कुछ दिन से कुछ ठीक नहीं है
मिले प्रेम का प्रेम ही प्रतिफल
जग की एेसी रीत नहीं है
सब के सब रूठे बैढे हैं
अपनो में वह प्रीत नहीं है
कुछ दिन से कुछ ठीक नहीं है.............
सरदार सिंह सांदू "रचित"
जी नही चाहता कि , नेट बंद करू !!
जी नही चाहता कि ,
नेट बंद करू !!
अच्छी चलती दूकान का ,
गेट बंद करू !!
हर पल छोटे - बड़े ,
प्यारे-प्यारे मैसेज ,
आते है !!
कोई हंसाते है ,
कोई रूलाते है !!
रोजाना हजारों ,
मैसेज की भीड़ में ,
कभी-कभी अच्छे ,
मैसेज भी छूट जाते है !!
मन नही मानता कि ,
दोस्तो पर कमेंट बंद करू !!
जी नही चाहता कि ,
नेट बंद करू !!
प्रात: सायं करते है ,
सब दोस्त नमस्कार !!
बिना स्वार्थ करते है ,
एक दूजे से प्यार !!
हर तीज त्यौहार पर ,
मिलता फूलो का उपहार !!
नेट बंद करने की ,
सोच है बेकार !!
दिल नही करता कि ,
दोस्तो की ये भेट बंद करू !!
जी नही चाहता कि ,
नेट बंद करू !!!!
बुधवार, 5 अगस्त 2015
ना मस्जिद आजान देती ना मंदिर के घंटे बजते
ना मस्जिद आजान देती ना मंदिर के घंटे बजते
ना मस्जिद आजान देती ना मंदिर के घंटे बजते
ना अल्ला का शोर होता ना राम नाम भजते
ना हराम होती रातों की नींद अपनी
मुर्गा हमें जगाता सुबह के पांच बजते
ना दीवाली होती और ना पठाखे बजते
ना ईद की अलामत ना बकरे शहीद होते
तू भी इन्सान होता मैं भी इन्सान होता
काश कोई धर्म ना होता.
काश कोई मजहब ना होता.
ना अर्ध देते ना स्नान होता
ना मुर्दे बहाए जाते ना विसर्जन होता
जब भी प्यास लगती नदिओं का पानी पीते
पेड़ों की छाव होती नदिओं का गर्जन होता
ना भगवानों की लीला होती ना अवतारों
का
नाटक होता
ना देशों की सीमा होती ना दिलों का
फाटक
होता
तू भी इन्सान होता मैं भी इन्सान होता
काश कोई धर्म ना होता
काश कोई मजहब ना होता
कोई मस्जिद ना होती कोई मंदिर ना होता
कोई दलित ना होता कोई काफ़िर ना
होता
कोई बेबस ना होता कोई बेघर ना होता
किसी के दर्द से कोई बेखबर ना होता
ना ही गीता होती और ना कुरान होता
ना ही अल्ला होता ना भगवान होता
तुझको जो जख्म होता मेरा दिल तड़पता
ना मैं हिन्दू होता ना तू मुसलमान होता
तू भी इन्सान होता मैं भी इन्सान होता.......
मंगलवार, 4 अगस्त 2015
हास्य कविता: सभी गर्ल्स को सलाम | Salute to all girls
हास्य कविता: सभी गर्ल्स को सलाम | Salute to all girls
देह मेरी ,
हल्दी तुम्हारे नाम की ।
हथेली मेरी ,
मेहंदी तुम्हारे नाम की ।
सिर मेरा ,
चुनरी तुम्हारे नाम की ।
मांग मेरी ,
सिन्दूर तुम्हारे नाम का ।
माथा मेरा ,
बिंदिया तुम्हारे नाम की ।
नाक मेरी ,
नथनी तुम्हारे नाम की ।
गला मेरा ,
मंगलसूत्र तुम्हारे नाम का ।
कलाई मेरी ,
चूड़ियाँ तुम्हारे नाम की ।
पाँव मेरे ,
महावर तुम्हारे नाम की ।
उंगलियाँ मेरी ,
बिछुए तुम्हारे नाम के ।
बड़ों की चरण-वंदना
मै करूँ ,
और 'सदा-सुहागन' का आशीष
तुम्हारे नाम का ।
और तो और -
करवाचौथ/बड़मावस के व्रत भी
तुम्हारे नाम के ।
यहाँ तक कि
कोख मेरी/ खून मेरा/ दूध मेरा,
और बच्चा ?
बच्चा तुम्हारे नाम का ।
घर के दरवाज़े पर लगी
'नेम-प्लेट' तुम्हारे नाम की ।
और तो और -
मेरे अपने नाम के सम्मुख
लिखा गोत्र भी मेरा नहीं,
तुम्हारे नाम का ।
सब कुछ तो
तुम्हारे नाम का...
Namrata se puchti hu?
आखिर तुम्हारे पास...
क्या है मेरे नाम का?
एक लड़की ससुराल चली गई।
कल की लड़की आज बहु बन गई.
कल तक मौज करती लड़की,
अब ससुराल की सेवा करना सीख गई.
कल तक तो टीशर्ट और जीन्स पहनती लड़की,
आज साड़ी पहनना सीख गई.
पिहर में जैसे बहती नदी,
आज ससुराल की नीर बन गई.
रोज मजे से पैसे खर्च करती लड़की,
आज साग-सब्जी का भाव करना सीख गई.
कल तक FULL SPEED स्कुटी चलाती लड़की,
आज BIKE के पीछे बैठना सीख गई.
कल तक तो तीन वक्त पूरा खाना खाती लड़की,
आज ससुराल में तीन वक्त
का खाना बनाना सीख गई.
हमेशा जिद करती लड़की,
आज पति को पूछना सीख गई.
कल तक तो मम्मी से काम करवाती लड़की,
आज सासुमां के काम करना सीख गई.
कल तक भाई-बहन के साथ
झगड़ा करती लड़की,
आज ननद का मान करना सीख गई.
कल तक तो भाभी के साथ मजाक करती लड़की,
आज जेठानी का आदर करना सीख गई.
पिता की आँख का पानी,
ससुर के ग्लास का पानी बन गई.
फिर लोग कहते हैं कि बेटी ससुराल जाना सीख
गई.
(यह बलिदान केवल लड़की ही कर
सकती है,इसिलिए हमेशा लड़की की झोली
वात्सल्य से भरी रखना...)
बात निकली है तो दूर तक जानी चाहिये!!!
शेयर जरुर करें और लड़कियो को सम्मान दे!
Salute to all girls
..
रिश्ता दिल से होना चाहिए, शब्दों से नहीं
रिश्ता दिल से होना चाहिए, शब्दों से नहीं
"नाराजगी" शब्दों में होनी चाहिए दिल में नहीं!
सड़क कितनी भी साफ हो
"धुल" तो हो ही जाती है,
इंसान कितना भी अच्छा हो
"भूल" तो हो ही जाती है!!!
आइना और परछाई के
जैसे मित्र रखो क्योकि
आइना कभी झूठ नही बोलता और परछाई कभी साथ नही छोङती......
खाने में कोई 'ज़हर' घोल दे तो
एक बार उसका 'इलाज' है..
लेकिन 'कान' में कोई 'ज़हर' घोल दे तो,
उसका कोई 'इलाज' नहीं है।
"मैं अपनी 'ज़िंदगी' मे हर किसी को
'अहमियत' देता हूँ...क्योंकि
जो 'अच्छे' होंगे वो 'साथ' देंगे...
और जो 'बुरे' होंगे वो 'सबक' देंगे...!!
अगर लोग केवल जरुरत पर
ही आपको याद करते है तो
बुरा मत मानिये बल्कि
गर्व कीजिये क्योंकि "
मोमबत्ती की याद तभी आती है,
जब अंधकार होता है।"
सोमवार, 3 अगस्त 2015
Friendship shayari: अपनी तो दुनिया ही दोस्तो से है
Friendship shayari: अपनी तो दुनिया ही दोस्तो से है
खुशी भी दोस्तो से है
गम भी दोस्तो से है
तकरार भी दोस्तो से है
प्यार भी दोस्तो से है
रुठना भी दोस्तो से है
मनाना भी दोस्तो से है
बात भी दोस्तो से है
मिसाल भी दोस्तो से है
नशा भी दोस्तो से है
शाम भी दोस्तो से है
मौहब्बत भी दोस्तो से है
❤ इनायत भी दोस्तो से है ♥
काम भी दोस्तो से है
नाम भी दोस्तो से है
ख्याल भी दोस्तो से है
अरमान भी दोस्तो से है
ख्वाब भी दोस्तो से है
माहौल भी दोस्तो से है
यादे भी दोस्तो से है
सपने भी दोस्तो से है
अपने भी दोस्तो से है
❤ या यूं कहो यारो ♥
अपनी तो दुनिया ही दोस्तो से है
ज़िन्दगी यादों की किताब बन जाती है. ...
ज़िन्दगी यादों की किताब बन जाती है. ...
धीरे धीरे उम्र कट
जाती है. ...
ज़िन्दगी यादों की किताब बन
जाती है. ...
कभी किसी की याद बहुत
तड़पाती है. ..
और कभी यादों के सहरे ज़िन्दगी कट
जाती है....
किनारो पे सागर के खजाने
नहीं आते,
फिर जीवन में दोस्त पुराने नहीं आते....
जी लो इन पलों को हस के जनाब..
फिर लौट के
दोस्ती के जमाने नहीं आते....