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मंगलवार, 16 जून 2015

कुछ यादें बची हैं इस दिल के पेन ड्राईव में

बिखर गया है सब कुछ
मेरी लाईफ में
कुछ यादें बची हैं
इस दिल के पेन ड्राईव में

जिस दिन मैंने दुनिया में
लॉग इन किया
सारा मोहल्ला
खुशियों से रंगीन किया

स्कूल में मेरी
होती अक्सर पिटायी थी
मैं 2G था
और मैडम वाईफाई थी

उस पर मेरा
सॉफ्टवेयर बडा पुराना था
ट्यूब लाईट था मैं
जब CFL का जमाना था

गणित में तो
मैं बचपन से ही फ़्लॉप था
भेजे का पासवर्ड
बड़े दिनों तक लॉक था

कितना भी मारो
भेजे को सिगनल मिलता नहीं
बिन सिगनल, जिंदगी का
नेटवर्क चलता नहीं

जब जब स्कूल जाने में
मैं लेट हुआ
प्रिंसपल की डाँट से
सॉफ़्टवेयर अपडेट हुआ

हाईस्कूल में
ईश्क का वायरस घुस बैठा
भेजे में सुरक्षित
सारा डाटा चूस बैठा

नजरों से नजरें टकरायी
10th क्लास में
मैसेज आया
मेरे दिल के इनबॉक्स में

जब जब मैंने
आगे बढकर पोक किया
धीरे से उसने
नजरें झुकाकर रोक लिया

कॉलेज में देखा
किसी गैर के साथ
तो मन बैठा
ईश्क का वायरस
एंटीवायरस बन बैठा

वो रियल थी
लेकिन फ़ेक आईडी सी
लगने लगी
बातों से अपनी
मेरे यारों को भी ठगने लगी

आयी वो वापस
दिल पे मेरे नॉक किया
लेकिन फ़िर मैंने
खुद ही उसको ब्लॉक किया

मेरे जीवन में
अब प्यार के लिए स्पेस नहीं
मैं 'मीत' हूँ पगली
मजनू का अवशेष नहीं

कॉलेज से निकला
दुनियादारी सीखने लगा
बना मैं शायर
देशप्रेम पर लिखने लगा

जब दिल चाहे
तसवीर नयी बनाता हूँ
आदमी को उसका
असली चेहरा दिखलाता हूँ

डरता है दिल
जिंदगी मेरी ना वेस्ट हो
जो कुछ लिखूँ,
सदियों तक कॉपी पेस्ट हो

ख्वाहिश है
मेरे गीत जहाँ में लाउड हों
इस 'ज़िंदगी' का क्या है,
जाने कब लॉग आउट हो

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