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रविवार, 28 जून 2015

मैं ग़लत था मेरे दोस्तों ने कहा

मैं ग़लत था मेरे दोस्तों ने कहा,
मैं सही था मेरे दुश्मनों ने कहा.

रेत कहती रही इक समंदर हूँ मैं,
एक सहरा हूँ मैं बारिशों ने कहा.

सारी दुनिया को अपनी समझता रहा ,मगर मुझको अपना जंगलों ने कहा..

रूह से कितना मिलना ज़रूरी है ये,
जिस्म के बीच की दूरियों ने कहा .

मेरी खामोशियाँ कुछ भी कह न सकीं,
उम्र कैसे कटी मकबरों ने कहा..

मेरी दीवानगी मेरी आवारगी,
एक किस्सा था जो बादलों ने कहा..

इश्क़ मेरा इबादत कहा जाएगा,
मंदिरों ने कहा मस्जिदों ने कहा..

दिलको जब मैंने ग़ज़लें सुनाई तेरी,
माशअल्लाह मेरी धडकनों ने कहा..

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