शायरी कविताएँ - गम यादें : sweet sad fun dard poem sms for friends girlfriend wife for every occassion -morning evening and night
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रविवार, 16 अगस्त 2015
शुक्रवार, 14 अगस्त 2015
गलत सुना था कि,
गलत सुना था कि,
गलत सुना था कि,
इश्क आँखों से होता है....
दिल तो वो भी ले जाते है,
जो पलकें तक नही उठाते....!!!!
गुरुवार, 13 अगस्त 2015
नफरतों का असर देखो, जानवरों का बटंवारा हो गया,
नफरतों का असर देखो,जानवरों का बटंवारा हो गया,
मालूम नही किसने लिखा है, पर क्या खूब लिखा है..
नफरतों का असर देखो,
जानवरों का बटंवारा हो गया,
गाय हिन्दू हो गयी ;
और बकरा मुसलमान हो गया.
मंदिरो मे हिंदू देखे,
मस्जिदो में मुसलमान,
शाम को जब मयखाने गया ;
तब जाकर दिखे इन्सान.
ये पेड़ ये पत्ते ये शाखें भी परेशान हो जाएं
अगर परिंदे भी हिन्दू और मुस्लमान हो जाएं
सूखे मेवे भी ये देख कर हैरान हो गए
न जाने कब नारियल हिन्दू और
खजूर मुसलमान हो गए..
न मस्जिद को जानते हैं , न शिवालों को जानते हैं
जो भूखे पेट होते हैं, वो सिर्फ निवालों को जानते हैं.
अंदाज ज़माने को खलता है.
की मेरा चिराग हवा के खिलाफ क्यों जलता है......
मैं अमन पसंद हूँ , मेरे शहर में दंगा रहने दो...
लाल और हरे में मत बांटो, मेरी छत पर तिरंगा रहने दो....
जिस तरह से धर्म मजहब के नाम पे हम रंगों को भी बांटते जा रहे है
कि हरा मुस्लिम का है
और लाल हिन्दू का रंग है
तो वो दिन दूर नही
जब सारी की सारी हरी सब्ज़ियाँ मुस्लिमों की हों जाएँगी
और
हिंदुओं के हिस्से बस टमाटर,गाजर और चुकुन्दर ही आएंगे!
अब ये समझ नहीं आ रहा कि ये तरबूज किसके हिस्से में आएगा ?
ये तो बेचारा ऊपर से मुस्लमान और अंदर से हिंदू ही रह जायेगा...
जलते हुए दिए को परवाने क्या बुझायेंगे,
जलते हुए दिएको परवाने क्या बुझायेंगे
पाकिस्तानी बोलते है
कि
हम हिंदुस्तानिओ
को जिंदा जला देंगे...
.
उन के लिए 2 लाईन पेश
कर रहा हु -
.
"जलते हुए दिए
को परवाने
क्या बुझायेंगे,
जो मुर्दों को नही जलाते
वो जिन्दो को क्या जलाएंगे........
.
ना हम शैतान से हारे,
ना हम हैवान से हारे,
कश्मीर में
जो आया तूफान ,
ना हम उस तूफान से
हारे,
.
यही सोच कर ऐ
पाकिस्तान,
हमने तेरी जान
बक्शी है,
शिकारी तो हम है
मगर,
हमने कभी कुत्ते
नहीं मारे...।
.
वन्देमातरम !
मंगलवार, 11 अगस्त 2015
ये चाहतें, ये रौनकें, पाबन्द है मेरे जीने तक
ये चाहतें, ये रौनकें, पाबन्द है मेरे जीने तक
ये चाहतें, ये रौनकें, पाबन्द है मेरे जीने तक;
बिना रूह के नहीं रखते, घर वाले भी ज़िस्म को।
बहुत दिल दिखाया है लोगों ने मेरा
"ऐ - मौत"
अगर तू साथ दे तो सबको रुला सकता हूँ में.
ये कलम भी कमबख्त बहुत दिल जली है.....
जब जब भी मुझे दर्द हुआ ये खूब चली है....
सोमवार, 10 अगस्त 2015
रहने दे आसमाँ ज़मीन की तलाश ना कर,
रहने दे आसमाँ ज़मीन की तलाश ना कर
रहने दे आसमाँ ज़मीन की तलाश ना कर,
सब कुछ यहीं है,कहीं और तलाश ना कर,
हरआरज़ू पूरी हो,तो जीने का क्या मज़ा,
जीने के लिए बस एक खूबसूरत वजह की तलाश कर,
ना तुम दूर जाना ना हम दूर जायेंगे,
अपनेअपने हिस्से की "दोस्ती" निभाएंगे,
बहुतअच्छा लगेगा ज़िन्दगी का ये सफ़र,
आप वहा से याद करना, हम यहाँ से मुस्कुराएंगे,
क्या भरोसा है.जिंदगी का,
इंसान बुलबुला है पानी का,
जी रहे है कपङे बदल बदल कर,
एक दिन एक "कपङे"में ले जायेंगे कंधे बदल बदल कर.
रविवार, 9 अगस्त 2015
मेरा दर्द ना जाने कोई..... By a soldier..
मेरा दर्द ना जाने कोई.....
By a soldier..ए भीड में रहने वाले इन्सान
एक बार वर्दी पहन के दिखा
ऑर्डर के चक्रव्यूह में से
छुटी काट कर के तो दिखा
रात के घुप्प अँधेरे में जब दुनिया सोती है
तू मुस्तैद खड़ा जाग के तो दिखा
बाॅर्डर की ठंडी हवा में चलकर
घर की तरफ मुड़ के तो दिखा
घर से चलने ले पहले वाइफ को
अगली छुट्टी के सपने तो दिखा
कल छुट्टी आउंगा बोलके
बच्चों को फोन पे ही चाॅकलेट खिला के तो दिखा
थकी हुई आखों से याद करने वाले
मां बाप को अपना मुस्कुराता चेहरा तो दिखा
ये सब करते समय
दुश्मनकी गोली सीने पर लेकर तो दिखा
आखिरी सांस लेते समय
तिरंगे को सलाम करके तो दिखा
छुट्टी से लौटते वक्त बच्चों के आंसू, माँ बाप की बेबसी, पत्नी की लाचारी को नज़रअंदाज कर के तो दिखा
सरकार कहती है शहीद की परिभाषा नही है
दम है तो भगत सिंह बन के तो दिखा
बेबस लाचार बना दिया है देश के सैनिक को
विपति के अलावा कभी उसको याद करके तो दिखा
रेगिस्तान की गर्मी, हिमालय की ठंड
क्या होती है वहां आकर तो दिखा
जगलं में दगंल, नक्सलियों का मगंल
कभी अम्बुश में एक रात बैठ कर तो दिखा
यह वर्दी मेरी आन बान और शान है
मेरी पहचान का तमाशा दुनियां को ना दिखा
देश पर मर मिट कर भी मुझे शहीद न कहने वाले,
अगर दम है तो एक बार वर्दी पहन के तो दिखा....
एक सैनिक की अपनी पहचान के लिए जंग जारी.....
गुरुवार, 6 अगस्त 2015
कुछ दिन से.
कुछ दिन से...............
कुछ दिन से कुछ ठीक नहीं है
बातें हैं पर चीत नहीं है
हैरां हूं मैं देख के दुनिया
दुश्मन है सब मीत नहीं है
कुछ दिन से कुछ ठीक नहीं है
हंसों में है मारामारी..
लछन इनके ठीक नहीं है
पंछी का मन आकुल व्याकुल
मुख पर मीठे गीत नहीं है
कुछ दिन से कुछ ठीक नहीं है
मानसरोवर हूवा पराया
यहां कोई मन मीत नहीं है
हंसो का कलरव है गुपचुप
अब वह मधुर संगीत नही है
कुछ दिन से कुछ ठीक नहीं है
मिले प्रेम का प्रेम ही प्रतिफल
जग की एेसी रीत नहीं है
सब के सब रूठे बैढे हैं
अपनो में वह प्रीत नहीं है
कुछ दिन से कुछ ठीक नहीं है.............
सरदार सिंह सांदू "रचित"
जी नही चाहता कि , नेट बंद करू !!
जी नही चाहता कि ,
नेट बंद करू !!
अच्छी चलती दूकान का ,
गेट बंद करू !!
हर पल छोटे - बड़े ,
प्यारे-प्यारे मैसेज ,
आते है !!
कोई हंसाते है ,
कोई रूलाते है !!
रोजाना हजारों ,
मैसेज की भीड़ में ,
कभी-कभी अच्छे ,
मैसेज भी छूट जाते है !!
मन नही मानता कि ,
दोस्तो पर कमेंट बंद करू !!
जी नही चाहता कि ,
नेट बंद करू !!
प्रात: सायं करते है ,
सब दोस्त नमस्कार !!
बिना स्वार्थ करते है ,
एक दूजे से प्यार !!
हर तीज त्यौहार पर ,
मिलता फूलो का उपहार !!
नेट बंद करने की ,
सोच है बेकार !!
दिल नही करता कि ,
दोस्तो की ये भेट बंद करू !!
जी नही चाहता कि ,
नेट बंद करू !!!!
बुधवार, 5 अगस्त 2015
ना मस्जिद आजान देती ना मंदिर के घंटे बजते
ना मस्जिद आजान देती ना मंदिर के घंटे बजते
ना मस्जिद आजान देती ना मंदिर के घंटे बजते
ना अल्ला का शोर होता ना राम नाम भजते
ना हराम होती रातों की नींद अपनी
मुर्गा हमें जगाता सुबह के पांच बजते
ना दीवाली होती और ना पठाखे बजते
ना ईद की अलामत ना बकरे शहीद होते
तू भी इन्सान होता मैं भी इन्सान होता
काश कोई धर्म ना होता.
काश कोई मजहब ना होता.
ना अर्ध देते ना स्नान होता
ना मुर्दे बहाए जाते ना विसर्जन होता
जब भी प्यास लगती नदिओं का पानी पीते
पेड़ों की छाव होती नदिओं का गर्जन होता
ना भगवानों की लीला होती ना अवतारों
का
नाटक होता
ना देशों की सीमा होती ना दिलों का
फाटक
होता
तू भी इन्सान होता मैं भी इन्सान होता
काश कोई धर्म ना होता
काश कोई मजहब ना होता
कोई मस्जिद ना होती कोई मंदिर ना होता
कोई दलित ना होता कोई काफ़िर ना
होता
कोई बेबस ना होता कोई बेघर ना होता
किसी के दर्द से कोई बेखबर ना होता
ना ही गीता होती और ना कुरान होता
ना ही अल्ला होता ना भगवान होता
तुझको जो जख्म होता मेरा दिल तड़पता
ना मैं हिन्दू होता ना तू मुसलमान होता
तू भी इन्सान होता मैं भी इन्सान होता.......
मंगलवार, 4 अगस्त 2015
हास्य कविता: सभी गर्ल्स को सलाम | Salute to all girls
हास्य कविता: सभी गर्ल्स को सलाम | Salute to all girls
देह मेरी ,
हल्दी तुम्हारे नाम की ।
हथेली मेरी ,
मेहंदी तुम्हारे नाम की ।
सिर मेरा ,
चुनरी तुम्हारे नाम की ।
मांग मेरी ,
सिन्दूर तुम्हारे नाम का ।
माथा मेरा ,
बिंदिया तुम्हारे नाम की ।
नाक मेरी ,
नथनी तुम्हारे नाम की ।
गला मेरा ,
मंगलसूत्र तुम्हारे नाम का ।
कलाई मेरी ,
चूड़ियाँ तुम्हारे नाम की ।
पाँव मेरे ,
महावर तुम्हारे नाम की ।
उंगलियाँ मेरी ,
बिछुए तुम्हारे नाम के ।
बड़ों की चरण-वंदना
मै करूँ ,
और 'सदा-सुहागन' का आशीष
तुम्हारे नाम का ।
और तो और -
करवाचौथ/बड़मावस के व्रत भी
तुम्हारे नाम के ।
यहाँ तक कि
कोख मेरी/ खून मेरा/ दूध मेरा,
और बच्चा ?
बच्चा तुम्हारे नाम का ।
घर के दरवाज़े पर लगी
'नेम-प्लेट' तुम्हारे नाम की ।
और तो और -
मेरे अपने नाम के सम्मुख
लिखा गोत्र भी मेरा नहीं,
तुम्हारे नाम का ।
सब कुछ तो
तुम्हारे नाम का...
Namrata se puchti hu?
आखिर तुम्हारे पास...
क्या है मेरे नाम का?
एक लड़की ससुराल चली गई।
कल की लड़की आज बहु बन गई.
कल तक मौज करती लड़की,
अब ससुराल की सेवा करना सीख गई.
कल तक तो टीशर्ट और जीन्स पहनती लड़की,
आज साड़ी पहनना सीख गई.
पिहर में जैसे बहती नदी,
आज ससुराल की नीर बन गई.
रोज मजे से पैसे खर्च करती लड़की,
आज साग-सब्जी का भाव करना सीख गई.
कल तक FULL SPEED स्कुटी चलाती लड़की,
आज BIKE के पीछे बैठना सीख गई.
कल तक तो तीन वक्त पूरा खाना खाती लड़की,
आज ससुराल में तीन वक्त
का खाना बनाना सीख गई.
हमेशा जिद करती लड़की,
आज पति को पूछना सीख गई.
कल तक तो मम्मी से काम करवाती लड़की,
आज सासुमां के काम करना सीख गई.
कल तक भाई-बहन के साथ
झगड़ा करती लड़की,
आज ननद का मान करना सीख गई.
कल तक तो भाभी के साथ मजाक करती लड़की,
आज जेठानी का आदर करना सीख गई.
पिता की आँख का पानी,
ससुर के ग्लास का पानी बन गई.
फिर लोग कहते हैं कि बेटी ससुराल जाना सीख
गई.
(यह बलिदान केवल लड़की ही कर
सकती है,इसिलिए हमेशा लड़की की झोली
वात्सल्य से भरी रखना...)
बात निकली है तो दूर तक जानी चाहिये!!!
शेयर जरुर करें और लड़कियो को सम्मान दे!
Salute to all girls
..
रिश्ता दिल से होना चाहिए, शब्दों से नहीं
रिश्ता दिल से होना चाहिए, शब्दों से नहीं
"नाराजगी" शब्दों में होनी चाहिए दिल में नहीं!
सड़क कितनी भी साफ हो
"धुल" तो हो ही जाती है,
इंसान कितना भी अच्छा हो
"भूल" तो हो ही जाती है!!!
आइना और परछाई के
जैसे मित्र रखो क्योकि
आइना कभी झूठ नही बोलता और परछाई कभी साथ नही छोङती......
खाने में कोई 'ज़हर' घोल दे तो
एक बार उसका 'इलाज' है..
लेकिन 'कान' में कोई 'ज़हर' घोल दे तो,
उसका कोई 'इलाज' नहीं है।
"मैं अपनी 'ज़िंदगी' मे हर किसी को
'अहमियत' देता हूँ...क्योंकि
जो 'अच्छे' होंगे वो 'साथ' देंगे...
और जो 'बुरे' होंगे वो 'सबक' देंगे...!!
अगर लोग केवल जरुरत पर
ही आपको याद करते है तो
बुरा मत मानिये बल्कि
गर्व कीजिये क्योंकि "
मोमबत्ती की याद तभी आती है,
जब अंधकार होता है।"
सोमवार, 3 अगस्त 2015
Friendship shayari: अपनी तो दुनिया ही दोस्तो से है
Friendship shayari: अपनी तो दुनिया ही दोस्तो से है
खुशी भी दोस्तो से है
गम भी दोस्तो से है
तकरार भी दोस्तो से है
प्यार भी दोस्तो से है
रुठना भी दोस्तो से है
मनाना भी दोस्तो से है
बात भी दोस्तो से है
मिसाल भी दोस्तो से है
नशा भी दोस्तो से है
शाम भी दोस्तो से है
मौहब्बत भी दोस्तो से है
❤ इनायत भी दोस्तो से है ♥
काम भी दोस्तो से है
नाम भी दोस्तो से है
ख्याल भी दोस्तो से है
अरमान भी दोस्तो से है
ख्वाब भी दोस्तो से है
माहौल भी दोस्तो से है
यादे भी दोस्तो से है
सपने भी दोस्तो से है
अपने भी दोस्तो से है
❤ या यूं कहो यारो ♥
अपनी तो दुनिया ही दोस्तो से है
ज़िन्दगी यादों की किताब बन जाती है. ...
ज़िन्दगी यादों की किताब बन जाती है. ...
धीरे धीरे उम्र कट
जाती है. ...
ज़िन्दगी यादों की किताब बन
जाती है. ...
कभी किसी की याद बहुत
तड़पाती है. ..
और कभी यादों के सहरे ज़िन्दगी कट
जाती है....
किनारो पे सागर के खजाने
नहीं आते,
फिर जीवन में दोस्त पुराने नहीं आते....
जी लो इन पलों को हस के जनाब..
फिर लौट के
दोस्ती के जमाने नहीं आते....
जब मुझे यकीन है के भगवान मेरे साथ है: Poem by Harivansh rai Bachchan
-हरिवंशराय बच्चन की बहुत ही अच्छी पंक्तियाँ-
"जब मुझे यकीन है के भगवान मेरे साथ है।
तो इस से कोई फर्क नहीं पड़ता के कौन कौन मेरे खिलाफ है।।"
+
तजुर्बे ने एक बात सिखाई है...
एक नया दर्द ही...
पुराने दर्द की दवाई है...!
+
हंसने की इच्छा ना हो...
तो भी हसना पड़ता है...
कोई जब पूछे कैसे हो...??
तो मजे में हूँ कहना पड़ता है
+
ये ज़िन्दगी का रंगमंच है दोस्तों....
यहाँ हर एक को नाटक करना पड़ता है.
"माचिस की ज़रूरत यहाँ नहीं पड़ती..
यहाँ आदमी आदमी से जलता है...!
+
जल जाते हैं मेरे अंदाज़ से मेरे दुश्मन
क्यूंकि एक मुद्दत से मैंने न मोहब्बत बदली और न दोस्त बदले .!!.
+
एक घड़ी ख़रीदकर हाथ मे क्या बाँध ली..
वक़्त पीछे ही पड़ गया मेरे..!!
+
सोचा था घर बना कर बैठुंगा सुकून से..
पर घर की ज़रूरतों ने मुसाफ़िर बना डाला !!!
+
सुकून की बात मत कर ऐ ग़ालिब....
बचपन वाला 'इतवार' अब नहीं आता |
+
जीवन की भाग-दौड़ में -
क्यूँ वक़्त के साथ रंगत खो जाती है ?
हँसती-खेलती ज़िन्दगी भी आम हो जाती है..
+
एक सवेरा था जब हँस कर उठते थे हम
और
आज कई बार
बिना मुस्कुराये ही शाम हो जाती है..
+
कितने दूर निकल गए,
रिश्तो को निभाते निभाते..
खुद को खो दिया हमने,
अपनों को पाते पाते..
+
लोग कहते है हम मुस्कुराते बहोत है,
और हम थक गए दर्द छुपाते छुपाते..
+
"खुश हूँ और सबको खुश रखता हूँ,
लापरवाह हूँ फिर भी सबकी परवाह
करता हूँ..
+
चाहता तो हु की ये दुनिया बदल दूं ....
पर दो वक़्त की रोटी के जुगाड़ में फुर्सत नहीं मिलती दोस्तों
+
यूं ही हम दिल को साफ़ रखा करते थे
पता नही था की, 'कीमत चेहरों की होती है!!'
+
"दो बातें इंसान को अपनों से दूर कर देती हैं,
एक उसका 'अहम' और दूसरा उसका 'वहम'
+
" पैसे से सुख कभी खरीदा नहीं जाता और दुःख का कोई खरीदार नहीं होता।"
+
किसी की गलतियों को बेनक़ाब ना कर,
'ईश्वर' बैठा है, तू हिसाब ना कर
रविवार, 2 अगस्त 2015
जाके हाल पूछ ले माँ का
जाके हाल पूछ ले माँ का
तू खबरी है, तुझे जमाने की खबर रहती है....!
जाके हाल पूछ ले माँ का, बगल के कमरे में रहती है....!!
“बीच में आ चुके फासलों का एहसास तब हुआ....,
जब हमने कहा ‘हम ठीक है’...
... और उसने मान भी लिया...।”
किसी को मिल गया मौका बुलंदियों को छुने का
मेरा नाकाम होना भी किसी के काम तो आया
तुम्हारी सुन्दर आँखों का मकसद कहीं ये तो नहीं,
कि जिसको देख लें उसे बरबाद कर दें...!!!
शनिवार, 1 अगस्त 2015
Gurupurnima par special dohe: गुरु पूर्णिमा पर विशेष दोहे
Gurupurnima par special dohe: गुरु पूर्णिमा पर विशेष दोहे
(1)
गुरु गोबिंद दोऊ खड़े, का के लागूं पाय।
बलिहारी गुरु आपणे, गोबिंद दियो मिलाय॥
(2)
गुरु कीजिए जानि के, पानी पीजै छानि ।
बिना विचारे गुरु करे, परे चौरासी खानि॥
(3)
सतगुरू की महिमा अनंत, अनंत किया उपकार।
लोचन अनंत उघाडिया, अनंत दिखावणहार॥
(4)
गुरु किया है देह का, सतगुरु चीन्हा नाहिं ।
भवसागर के जाल में, फिर फिर गोता खाहि॥
(5)
शब्द गुरु का शब्द है, काया का गुरु काय।
भक्ति करै नित शब्द की, सत्गुरु यौं समुझाय॥
(6)
बलिहारी गुर आपणैं, द्यौंहाडी कै बार।
जिनि मानिष तैं देवता, करत न लागी बार।।
(7)
कबीरा ते नर अन्ध है, गुरु को कहते और ।
हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रुठै नहीं ठौर ॥
(8)
जो गुरु ते भ्रम न मिटे, भ्रान्ति न जिसका जाय।
सो गुरु झूठा जानिये, त्यागत देर न लाय॥
(9)
यह तन विषय की बेलरी, गुरु अमृत की खान।
सीस दिये जो गुरु मिलै, तो भी सस्ता जान॥
(10)
गुरु लोभ शिष लालची, दोनों खेले दाँव।
दोनों बूड़े बापुरे, चढ़ि पाथर की नाँव॥
कबीर
बुधवार, 29 जुलाई 2015
प्यारी सी मुस्कान चाहिये
प्यारी सी मुस्कान चाहिये
ना कोई राह़ आसान चाहिए,,,
ना ही हमें कोई पहचान चाहिए,,,
एक चीज माँगते रोज भगवान से,,,
अपनों के चेहरे पे हर पल,,,
प्यारी सी मुस्कान चाहिये !!!
हर रिश्ते में विश्वास रहने दो
हर रिश्ते में विश्वास रहने दो
आँखे' कितनी अजीब होती है,
जब उठती है तो दुआ बन जाती है,
जब झुकती है तो हया बन जाती है,
उठ के झुकती है तो अदा बन जाती है
झुक के उठती है तो खता बन जाती है,
जब खुलती है तो दुनिया इसे रुलाती है,
जब बंद होती है तो दुनिया को ये रुलाती है...!!
"हर रिश्ते में विश्वास रहने दो;
जुबान पर हर वक़्त मिठास रहने दो;
यही तो अंदाज़ है जिंदगी जीने का;
न खुद रहो उदास, न दूसरों को रहने दो.
मंगलवार, 28 जुलाई 2015
श्रद्धेय स्व. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को समर्पित लाइने
श्रद्धेय स्व. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को समर्पित लाइने
आमर सी आशा करो भलो दियो सन्देश।
आज आमर पठाविया झूर झूर रोवे देश।।
सेवा तो इण देश री, करी घणी कलाम।
जातोङा हंसला तनै, भारत करै सलाम।।
लिखता तो रोवै कलम, कठै गयो कलाम।
आखर संग कागद करै, आँसू भरया सलाम।।
भारत माता भाल ने कियो ऊंचो कलाम।
फेरु पाछो आवज्ये सादर करूँ सलाम।।
नेह समेत करू नमन मानो मिसाइल मैन।
शब्दा री श्रद्धांजलि टपकन लाग्या नैन।।
आमर सी आशा करो भलो दियो सन्देश।
आज आमर पठाविया झूर झूर रोवे देश।।
धरम जात सूं उपरे मानव मोटो एक।
आज छोड़ चाल्यो अबे नर घणो ओ नेक।।
सीधो सरल सुभाव रो एहडो नर नह और।
करूँ विदा कलाम जी छलकी नैना कौर।।