एक पिता की प्रार्थना अपनी बेटी की शादी में अपने दामाद से
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माँ की ममता का सागर ये,
मेरी आँखों का तारा है !
कैसे बतलाऊँ तुमको ,
किस लाड प्यार से पाला है !!
तुम द्वारे मेरे आए हो,
मैं क्या सेवा कर सकता हूँ !
ये कन्या रूपी नवरत्न तुम्हें,
मैं आज समर्पित करता हूँ !!
मेरे ह्रदय के नील गगन का,
ये चाँद सितारा है !
मैं अब तक जान ना पाया था,
इस पर अधिकार तुम्हारा है !!
ये आज अमानत लो अपनी,
करबद्ध निवेदन करता हूँ !
ये कन्या रूपी नवरत्न तुम्हें,
मैं आज समर्पित करता हूँ !!
इससे कोई भूल होगी,
ये सरला है , सुकुमारी है !
इसकी हर भूल क्षमा करना ,
ये मेरे घर की राजदुलारी है !!
मेरी कुटिया की शोभा है,
जो तुमको अर्पण करता हूँ !
ये कन्या रूपी नवरत्न तुम्हें ,
मैं आज समर्पित करता हूँ !!
भाई से आज बहन बिछ्ड़ी ,
माँ से बिछ्ड़ी उसकी ममता !
बहनों से आज बहन बिछ्ड़ी ,
लो तुम्हीं इसके आज सखा !!
मैं आज पिता कहलाने का,
अधीकर समर्पित करता हूँ !
ये कन्या रूपी नवरत्न तुम्हें,
मैं आज समर्पित करता हूँ !!
जिस दिन था इसका जन्म हुआ,
ना गीत हुए ना बजी शहनाई !
पर आज विदाई के अवसर पर,
मेरे घर बजती खूब शहनाई !!
यह बात समझकर मैं,
मन ही मन रोया करता हूँ !
ये गौकन्या रूपी नवरत्न तुम्हें,
मैं आज समर्पित करता हूँ !!
ये गौकन्या रूपी नवरत्न तुम्हें,
मैं आज समर्पित करता हूं .....
बहुत सुन्दर लाईन
दहेज़ में बहु क्या लायी...
ये सबने पूछा...
लेकिन एक बेटी क्या क्या छोड़ आई...
किसी ने सोचा ही नहीं...
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