तू रख हौसला वो मंजर भी आएगा
प्यासे के पास चलकर समंदर भी आएगा
थक हार के ना रुकना ऐ मंजिल के मुसाफिर
मंज़िल भी मिलेगी मिलने का मज़ा भी आएगा
परिंदो को मिलेगी मंज़िल एक दिन
ये फैले हुए उनके पर बोलते है
और वही लोग रहते है खामोश अक्सर
ज़माने में जिनके हुनर बोलते है
बेहतर से बेहतर कि तलाश करो
मिल जाये नदी तो समंदर कि तलाश करो
टूट जाता है शीशा पत्थर कि चोट से
टूट जाये पत्थर ऐसा शीशा तलाश करो
ज़िन्दगी हसीं है ज़िन्दगी से प्यार करो
हो रात तो सुबह का इंतज़ार करो
वो पल भी आएगा जिस पल का इंतज़ार है आपको
बस खुदा पे भरोसा और वक़्त पे ऐतबार करो
कश्ती डूब कर निकल सकती है
शमा बुझ कर भी जल सकती है
मायूस ना हो इरादे ना बदल
किस्मत किसी भी वक़्त बदल सकती है
आज बादलों ने फिर साज़िश की
जहाँ मेरा घर था वहीं बारिश की
अगर फलक को जिद है ,बिजलियाँ गिराने की
तो हमें भी ज़िद है ,वहि पर आशियाँ बनाने की
तारों में अकेला चाँद जगमगाता है
मुश्किलों में अकेला इंसान डगमगाता है
काटों से घबराना मत मेरे दोस्त
क्योंकि काटों में ही अकेला गुलाब मुस्कुराता है
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