शायरी कविताएँ - गम यादें : sweet sad fun dard poem sms for friends girlfriend wife for every occassion -morning evening and night
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रविवार, 16 अगस्त 2015
परी हो तुम गुजरात की
15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के लिए बेस्ट कविता| Best poem for Independence day 15 August
परी हो तुम गुजरात की, रूप तेरा मद्रासी !
सुन्दरता कश्मिर की तुममे ,सिक्किम जैसा शर्माती !!
खान-पान पंजाबी जैसा, बंगाली जैसी बोली !
केरल जैसा आंख तुम्हारा ,है दिल तो तुम्हारा दिल्ली !!
महाराष्ट्र तुम्हारा फ़ैशन है, तो गोवा नया जमाना !
खुशबू हो तुम कर्नाटक कि,बल तो तेरा हरियाना !!
सिधी-सादी ऊड़ीसा जैसी,एम.पी जैसा मुस्काना !
दुल्हन तुम राजस्थानी जैसी ,त्रिपुरा जैसा इठलाना !!
झारखन्ड तुम्हारा आभूषण,तो मेघालय तुम्हारी बिन्दीया है !
सीना तो तुम्हारा यू.पी है तो ,हिमांचल तुम्हारी निन्दिया है !!
कानों का कुन्डल छत्तीसगढ़ ,तो मिज़ोरम तुम्हारा पायल है !
बिहार गले का हार तुम्हारा ,तो आसाम तुम्हारा आंचल है !!
नागालैन्ड- आन्ध्र दो हाथ तुम्हारे, तो ज़ुल्फ़ तुम्हारा अरुणांचल
है !
नाम तुम्हारा भारत माता, तो पवित्रता तुम्हारा ऊत्तरांचल है !!
सागर है परिधान तुम्हारा,तिल जैसे है दमन- द्वीव !
मोहित हो जाता है सारा जग,रहती हो तुम कितनी सजीव !!
अन्डमान और निकोबार द्वीप,पुष्पों का गुच्छ तेरे बालों में !
झिल-मिल,झिल-मिल से लक्षद्वीप, जो चमक रहे तेरे गालों में !!
ताज तुम्हारा हिमालय है ,तो गंगा पखारती चरण तेरे !
कोटि-कोटि हम भारत वासियों का ,स्वीकारो तुम नमन मेरे !!
Happy Independence Day ...
एक नाराज गुरुदेव की चंद पंक्तियाँ...........
एक नाराज गुरुदेव की चंद पंक्तियाँ...................
राजनेताओं की बिरादरी तो चोरो की सिरमौर है,,,
पर कहते फिरते है यूं कि शिक्षक सारे चोर है।।
खुद की नाकामियों को तुम अपने
हाथों बांट रहे,,,
जिस डाली पर बैठे हो उसी डाली को काट रहे।।
सत्ता का असली घमंड तुम्हारे अन्दर छाया है,,
शिक्षा मंदिरों का मान तुम नीचों ने ही घटाया है।।
तोप, चारा, टैंक, क्या तुम कफऩ तक को खा गए,,,
भ्रष्टाचार के पितामह तुम वतन तक को पचा गए।।
राष्ट्र मर्यादाओं को तुमने कदम कदम पर तोड़ा है,,,
जिस महकमें के तुम रखवाले उस तक को तो नहीं छोड़ा है।।
तुम्हारें जैसो की इज्जत चौराहों पर उतारी जाती है,,,
पागल कुत्तों को सरेआम गोली मारी जाती है।।
कुंडली मार बैठे हो पदों पर फूट गई तकदीर यहीं,,,
राजनीति के आक्टोपसों! स्कूल तुम्हारी जागीर नहीं।।
गंदी राजनीति के अखाड़े तुमनेे विद्यालयों में खोल दिए,,,
विष भरे बोल तो खुद के सड़े मुँह से बोल दिए।।
शिक्षक थे तुम भी कैसे अपनी मर्यादा भूल गए,,,
राजनीतिक सिंहासन पर औकात
अपनी भूल गए।।
पहली शिक्षक माँ थी तुम्हारी कह
दो वो भी चोर है,,,
बाप चाचा ताऊ ने जो भी सिखाया कह दो सभी हरामखोर है।।
खुद को तुमने स्वयंभू राजा की छवि में जा कर कैद किया,,,
जिस थाली में खाया था उस थाली में जाकर छेद किया।।
करते फिरते हो जाकर गली गली जो शोर है,,,
कहते फिरते हो यूं कि शिक्षक सारे चोर है।।
गुरूजनों की पदरज का जिसने भी माथे पर चंदन कर डाला,,,
शिक्षक समाज ने उसका तन मन से अभिनंदन कर डाला।।
जब जब हमारे राष्ट्र पर संकट छाया है,,,
शिक्षक ने अपना दायित्व निभाया है।।
सोने की चिड़िया बनाने को सदियों से हमने जतन किए,,,
एक से बढकर एक राष्ट्र को हमने ही तो रतन दिए।।
जोतिबाफूले कहू, चाणक्य कहूं समर्थ गुरू रामदास
या कहूं राधाकृष्णन,,,
द्रोण वशिष्ठ बाल्मीकी।
विद्यालयों में माँ बाप का किरदार
निभाता हूं,,,
इसीलिए सदियों से हर युग में पूजा जाता हूं।।
पर तुमने कभी मुझे डाकिया तो कभी मुझसे जनगणना करवाई है,
पोषाहार बनवा कर मुझ से
कभी पोलियो की दवा पिलवाई है।।
पर राष्ट्र हित में ये सारे काम जरूरी है,,,
पर तुमको लगता है ये हमारी मजबूरी है।।
शैक्षणिक कार्यों के अलावा कितने काम करवाते हो,,,
ट्रांसफर के नाम पर तुम ही हमारी तनख्वाह तक हड़प कर
जाते हो।।
मकड़जाल में उलझाकर
विद्यालयों को मकड़ी का जाला बना दिया,,,
एकीकरण समानीकरण के नाम पर शिक्षा को प्रयोगशाला बना दिया।।
बिना गुरू एक कदम भी चल दिए तो हाहाकार मच जायेगा,,,
शिक्षक सम्मानित नहीं होगा तो राष्ट्र में अँधकार मच जायेगा।।
कुछ भी बोलोगे तो सुन लें हम ऐसे भी मजबूर नहीं,,,
राष्ट्र निर्माता है हम कोई बँधुआ
मजदूर नहीं।।
शिक्षक के चरणों में गिरकर माफी मांगोेगे
तो वो तुम्हें माफ कर देगा,,,
नहीं तो इतिहास उठाकर देखो अगले चुनावों में फिर से वो पते साफ कर देगा।।
अरे इस जगत की तो शिक्षक एक सुनहरी भोर है,,,
भूल कर भी मत कहना अब कि शिक्षक सारे चोर है।।।।।
प्यास लगी थी गजब की...
प्यास लगी थी गजब की...
प्यास लगी थी गजब की...मगर पानी मे जहर था...
पीते तो मर जाते और ना पीते तो भी मर जाते...
बस यही दो मसले, जिंदगीभर ना हल हुए!!!
ना नींद पूरी हुई, ना ख्वाब मुकम्मल हुए!!!
वक़्त ने कहा.....काश थोड़ा और सब्र होता!!!
सब्र ने कहा....काश थोड़ा और वक़्त होता!!!
सुबह सुबह उठना पड़ता है कमाने के लिए साहेब...।।
आराम कमाने निकलता हूँ आराम छोड़कर।।
"हुनर" सड़कों पर तमाशा करता है और
"किस्मत" महलों में राज करती है!!
"शिकायते तो बहुत है तुझसे ऐ जिन्दगी,
पर चुप इसलिये हु कि, जो दिया तूने,
वो भी बहुतो को नसीब नहीं होता"...
शुक्रवार, 14 अगस्त 2015
गलत सुना था कि,
गलत सुना था कि,
गलत सुना था कि,
इश्क आँखों से होता है....
दिल तो वो भी ले जाते है,
जो पलकें तक नही उठाते....!!!!
गुरुवार, 13 अगस्त 2015
नफरतों का असर देखो, जानवरों का बटंवारा हो गया,
नफरतों का असर देखो,जानवरों का बटंवारा हो गया,
मालूम नही किसने लिखा है, पर क्या खूब लिखा है..
नफरतों का असर देखो,
जानवरों का बटंवारा हो गया,
गाय हिन्दू हो गयी ;
और बकरा मुसलमान हो गया.
मंदिरो मे हिंदू देखे,
मस्जिदो में मुसलमान,
शाम को जब मयखाने गया ;
तब जाकर दिखे इन्सान.
ये पेड़ ये पत्ते ये शाखें भी परेशान हो जाएं
अगर परिंदे भी हिन्दू और मुस्लमान हो जाएं
सूखे मेवे भी ये देख कर हैरान हो गए
न जाने कब नारियल हिन्दू और
खजूर मुसलमान हो गए..
न मस्जिद को जानते हैं , न शिवालों को जानते हैं
जो भूखे पेट होते हैं, वो सिर्फ निवालों को जानते हैं.
अंदाज ज़माने को खलता है.
की मेरा चिराग हवा के खिलाफ क्यों जलता है......
मैं अमन पसंद हूँ , मेरे शहर में दंगा रहने दो...
लाल और हरे में मत बांटो, मेरी छत पर तिरंगा रहने दो....
जिस तरह से धर्म मजहब के नाम पे हम रंगों को भी बांटते जा रहे है
कि हरा मुस्लिम का है
और लाल हिन्दू का रंग है
तो वो दिन दूर नही
जब सारी की सारी हरी सब्ज़ियाँ मुस्लिमों की हों जाएँगी
और
हिंदुओं के हिस्से बस टमाटर,गाजर और चुकुन्दर ही आएंगे!
अब ये समझ नहीं आ रहा कि ये तरबूज किसके हिस्से में आएगा ?
ये तो बेचारा ऊपर से मुस्लमान और अंदर से हिंदू ही रह जायेगा...
जलते हुए दिए को परवाने क्या बुझायेंगे,
जलते हुए दिएको परवाने क्या बुझायेंगे
पाकिस्तानी बोलते है
कि
हम हिंदुस्तानिओ
को जिंदा जला देंगे...
.
उन के लिए 2 लाईन पेश
कर रहा हु -
.
"जलते हुए दिए
को परवाने
क्या बुझायेंगे,
जो मुर्दों को नही जलाते
वो जिन्दो को क्या जलाएंगे........
.
ना हम शैतान से हारे,
ना हम हैवान से हारे,
कश्मीर में
जो आया तूफान ,
ना हम उस तूफान से
हारे,
.
यही सोच कर ऐ
पाकिस्तान,
हमने तेरी जान
बक्शी है,
शिकारी तो हम है
मगर,
हमने कभी कुत्ते
नहीं मारे...।
.
वन्देमातरम !
मंगलवार, 11 अगस्त 2015
ये चाहतें, ये रौनकें, पाबन्द है मेरे जीने तक
ये चाहतें, ये रौनकें, पाबन्द है मेरे जीने तक
ये चाहतें, ये रौनकें, पाबन्द है मेरे जीने तक;
बिना रूह के नहीं रखते, घर वाले भी ज़िस्म को।
बहुत दिल दिखाया है लोगों ने मेरा
"ऐ - मौत"
अगर तू साथ दे तो सबको रुला सकता हूँ में.
ये कलम भी कमबख्त बहुत दिल जली है.....
जब जब भी मुझे दर्द हुआ ये खूब चली है....
सोमवार, 10 अगस्त 2015
रहने दे आसमाँ ज़मीन की तलाश ना कर,
रहने दे आसमाँ ज़मीन की तलाश ना कर
रहने दे आसमाँ ज़मीन की तलाश ना कर,
सब कुछ यहीं है,कहीं और तलाश ना कर,
हरआरज़ू पूरी हो,तो जीने का क्या मज़ा,
जीने के लिए बस एक खूबसूरत वजह की तलाश कर,
ना तुम दूर जाना ना हम दूर जायेंगे,
अपनेअपने हिस्से की "दोस्ती" निभाएंगे,
बहुतअच्छा लगेगा ज़िन्दगी का ये सफ़र,
आप वहा से याद करना, हम यहाँ से मुस्कुराएंगे,
क्या भरोसा है.जिंदगी का,
इंसान बुलबुला है पानी का,
जी रहे है कपङे बदल बदल कर,
एक दिन एक "कपङे"में ले जायेंगे कंधे बदल बदल कर.
रविवार, 9 अगस्त 2015
मेरा दर्द ना जाने कोई..... By a soldier..
मेरा दर्द ना जाने कोई.....
By a soldier..ए भीड में रहने वाले इन्सान
एक बार वर्दी पहन के दिखा
ऑर्डर के चक्रव्यूह में से
छुटी काट कर के तो दिखा
रात के घुप्प अँधेरे में जब दुनिया सोती है
तू मुस्तैद खड़ा जाग के तो दिखा
बाॅर्डर की ठंडी हवा में चलकर
घर की तरफ मुड़ के तो दिखा
घर से चलने ले पहले वाइफ को
अगली छुट्टी के सपने तो दिखा
कल छुट्टी आउंगा बोलके
बच्चों को फोन पे ही चाॅकलेट खिला के तो दिखा
थकी हुई आखों से याद करने वाले
मां बाप को अपना मुस्कुराता चेहरा तो दिखा
ये सब करते समय
दुश्मनकी गोली सीने पर लेकर तो दिखा
आखिरी सांस लेते समय
तिरंगे को सलाम करके तो दिखा
छुट्टी से लौटते वक्त बच्चों के आंसू, माँ बाप की बेबसी, पत्नी की लाचारी को नज़रअंदाज कर के तो दिखा
सरकार कहती है शहीद की परिभाषा नही है
दम है तो भगत सिंह बन के तो दिखा
बेबस लाचार बना दिया है देश के सैनिक को
विपति के अलावा कभी उसको याद करके तो दिखा
रेगिस्तान की गर्मी, हिमालय की ठंड
क्या होती है वहां आकर तो दिखा
जगलं में दगंल, नक्सलियों का मगंल
कभी अम्बुश में एक रात बैठ कर तो दिखा
यह वर्दी मेरी आन बान और शान है
मेरी पहचान का तमाशा दुनियां को ना दिखा
देश पर मर मिट कर भी मुझे शहीद न कहने वाले,
अगर दम है तो एक बार वर्दी पहन के तो दिखा....
एक सैनिक की अपनी पहचान के लिए जंग जारी.....
गुरुवार, 6 अगस्त 2015
कुछ दिन से.
कुछ दिन से...............
कुछ दिन से कुछ ठीक नहीं है
बातें हैं पर चीत नहीं है
हैरां हूं मैं देख के दुनिया
दुश्मन है सब मीत नहीं है
कुछ दिन से कुछ ठीक नहीं है
हंसों में है मारामारी..
लछन इनके ठीक नहीं है
पंछी का मन आकुल व्याकुल
मुख पर मीठे गीत नहीं है
कुछ दिन से कुछ ठीक नहीं है
मानसरोवर हूवा पराया
यहां कोई मन मीत नहीं है
हंसो का कलरव है गुपचुप
अब वह मधुर संगीत नही है
कुछ दिन से कुछ ठीक नहीं है
मिले प्रेम का प्रेम ही प्रतिफल
जग की एेसी रीत नहीं है
सब के सब रूठे बैढे हैं
अपनो में वह प्रीत नहीं है
कुछ दिन से कुछ ठीक नहीं है.............
सरदार सिंह सांदू "रचित"
जी नही चाहता कि , नेट बंद करू !!
जी नही चाहता कि ,
नेट बंद करू !!
अच्छी चलती दूकान का ,
गेट बंद करू !!
हर पल छोटे - बड़े ,
प्यारे-प्यारे मैसेज ,
आते है !!
कोई हंसाते है ,
कोई रूलाते है !!
रोजाना हजारों ,
मैसेज की भीड़ में ,
कभी-कभी अच्छे ,
मैसेज भी छूट जाते है !!
मन नही मानता कि ,
दोस्तो पर कमेंट बंद करू !!
जी नही चाहता कि ,
नेट बंद करू !!
प्रात: सायं करते है ,
सब दोस्त नमस्कार !!
बिना स्वार्थ करते है ,
एक दूजे से प्यार !!
हर तीज त्यौहार पर ,
मिलता फूलो का उपहार !!
नेट बंद करने की ,
सोच है बेकार !!
दिल नही करता कि ,
दोस्तो की ये भेट बंद करू !!
जी नही चाहता कि ,
नेट बंद करू !!!!
बुधवार, 5 अगस्त 2015
ना मस्जिद आजान देती ना मंदिर के घंटे बजते
ना मस्जिद आजान देती ना मंदिर के घंटे बजते
ना मस्जिद आजान देती ना मंदिर के घंटे बजते
ना अल्ला का शोर होता ना राम नाम भजते
ना हराम होती रातों की नींद अपनी
मुर्गा हमें जगाता सुबह के पांच बजते
ना दीवाली होती और ना पठाखे बजते
ना ईद की अलामत ना बकरे शहीद होते
तू भी इन्सान होता मैं भी इन्सान होता
काश कोई धर्म ना होता.
काश कोई मजहब ना होता.
ना अर्ध देते ना स्नान होता
ना मुर्दे बहाए जाते ना विसर्जन होता
जब भी प्यास लगती नदिओं का पानी पीते
पेड़ों की छाव होती नदिओं का गर्जन होता
ना भगवानों की लीला होती ना अवतारों
का
नाटक होता
ना देशों की सीमा होती ना दिलों का
फाटक
होता
तू भी इन्सान होता मैं भी इन्सान होता
काश कोई धर्म ना होता
काश कोई मजहब ना होता
कोई मस्जिद ना होती कोई मंदिर ना होता
कोई दलित ना होता कोई काफ़िर ना
होता
कोई बेबस ना होता कोई बेघर ना होता
किसी के दर्द से कोई बेखबर ना होता
ना ही गीता होती और ना कुरान होता
ना ही अल्ला होता ना भगवान होता
तुझको जो जख्म होता मेरा दिल तड़पता
ना मैं हिन्दू होता ना तू मुसलमान होता
तू भी इन्सान होता मैं भी इन्सान होता.......
मंगलवार, 4 अगस्त 2015
हास्य कविता: सभी गर्ल्स को सलाम | Salute to all girls
हास्य कविता: सभी गर्ल्स को सलाम | Salute to all girls
देह मेरी ,
हल्दी तुम्हारे नाम की ।
हथेली मेरी ,
मेहंदी तुम्हारे नाम की ।
सिर मेरा ,
चुनरी तुम्हारे नाम की ।
मांग मेरी ,
सिन्दूर तुम्हारे नाम का ।
माथा मेरा ,
बिंदिया तुम्हारे नाम की ।
नाक मेरी ,
नथनी तुम्हारे नाम की ।
गला मेरा ,
मंगलसूत्र तुम्हारे नाम का ।
कलाई मेरी ,
चूड़ियाँ तुम्हारे नाम की ।
पाँव मेरे ,
महावर तुम्हारे नाम की ।
उंगलियाँ मेरी ,
बिछुए तुम्हारे नाम के ।
बड़ों की चरण-वंदना
मै करूँ ,
और 'सदा-सुहागन' का आशीष
तुम्हारे नाम का ।
और तो और -
करवाचौथ/बड़मावस के व्रत भी
तुम्हारे नाम के ।
यहाँ तक कि
कोख मेरी/ खून मेरा/ दूध मेरा,
और बच्चा ?
बच्चा तुम्हारे नाम का ।
घर के दरवाज़े पर लगी
'नेम-प्लेट' तुम्हारे नाम की ।
और तो और -
मेरे अपने नाम के सम्मुख
लिखा गोत्र भी मेरा नहीं,
तुम्हारे नाम का ।
सब कुछ तो
तुम्हारे नाम का...
Namrata se puchti hu?
आखिर तुम्हारे पास...
क्या है मेरे नाम का?
एक लड़की ससुराल चली गई।
कल की लड़की आज बहु बन गई.
कल तक मौज करती लड़की,
अब ससुराल की सेवा करना सीख गई.
कल तक तो टीशर्ट और जीन्स पहनती लड़की,
आज साड़ी पहनना सीख गई.
पिहर में जैसे बहती नदी,
आज ससुराल की नीर बन गई.
रोज मजे से पैसे खर्च करती लड़की,
आज साग-सब्जी का भाव करना सीख गई.
कल तक FULL SPEED स्कुटी चलाती लड़की,
आज BIKE के पीछे बैठना सीख गई.
कल तक तो तीन वक्त पूरा खाना खाती लड़की,
आज ससुराल में तीन वक्त
का खाना बनाना सीख गई.
हमेशा जिद करती लड़की,
आज पति को पूछना सीख गई.
कल तक तो मम्मी से काम करवाती लड़की,
आज सासुमां के काम करना सीख गई.
कल तक भाई-बहन के साथ
झगड़ा करती लड़की,
आज ननद का मान करना सीख गई.
कल तक तो भाभी के साथ मजाक करती लड़की,
आज जेठानी का आदर करना सीख गई.
पिता की आँख का पानी,
ससुर के ग्लास का पानी बन गई.
फिर लोग कहते हैं कि बेटी ससुराल जाना सीख
गई.
(यह बलिदान केवल लड़की ही कर
सकती है,इसिलिए हमेशा लड़की की झोली
वात्सल्य से भरी रखना...)
बात निकली है तो दूर तक जानी चाहिये!!!
शेयर जरुर करें और लड़कियो को सम्मान दे!
Salute to all girls
..
रिश्ता दिल से होना चाहिए, शब्दों से नहीं
रिश्ता दिल से होना चाहिए, शब्दों से नहीं
"नाराजगी" शब्दों में होनी चाहिए दिल में नहीं!
सड़क कितनी भी साफ हो
"धुल" तो हो ही जाती है,
इंसान कितना भी अच्छा हो
"भूल" तो हो ही जाती है!!!
आइना और परछाई के
जैसे मित्र रखो क्योकि
आइना कभी झूठ नही बोलता और परछाई कभी साथ नही छोङती......
खाने में कोई 'ज़हर' घोल दे तो
एक बार उसका 'इलाज' है..
लेकिन 'कान' में कोई 'ज़हर' घोल दे तो,
उसका कोई 'इलाज' नहीं है।
"मैं अपनी 'ज़िंदगी' मे हर किसी को
'अहमियत' देता हूँ...क्योंकि
जो 'अच्छे' होंगे वो 'साथ' देंगे...
और जो 'बुरे' होंगे वो 'सबक' देंगे...!!
अगर लोग केवल जरुरत पर
ही आपको याद करते है तो
बुरा मत मानिये बल्कि
गर्व कीजिये क्योंकि "
मोमबत्ती की याद तभी आती है,
जब अंधकार होता है।"
सोमवार, 3 अगस्त 2015
Friendship shayari: अपनी तो दुनिया ही दोस्तो से है
Friendship shayari: अपनी तो दुनिया ही दोस्तो से है
खुशी भी दोस्तो से है
गम भी दोस्तो से है
तकरार भी दोस्तो से है
प्यार भी दोस्तो से है
रुठना भी दोस्तो से है
मनाना भी दोस्तो से है
बात भी दोस्तो से है
मिसाल भी दोस्तो से है
नशा भी दोस्तो से है
शाम भी दोस्तो से है
मौहब्बत भी दोस्तो से है
❤ इनायत भी दोस्तो से है ♥
काम भी दोस्तो से है
नाम भी दोस्तो से है
ख्याल भी दोस्तो से है
अरमान भी दोस्तो से है
ख्वाब भी दोस्तो से है
माहौल भी दोस्तो से है
यादे भी दोस्तो से है
सपने भी दोस्तो से है
अपने भी दोस्तो से है
❤ या यूं कहो यारो ♥
अपनी तो दुनिया ही दोस्तो से है
ज़िन्दगी यादों की किताब बन जाती है. ...
ज़िन्दगी यादों की किताब बन जाती है. ...
धीरे धीरे उम्र कट
जाती है. ...
ज़िन्दगी यादों की किताब बन
जाती है. ...
कभी किसी की याद बहुत
तड़पाती है. ..
और कभी यादों के सहरे ज़िन्दगी कट
जाती है....
किनारो पे सागर के खजाने
नहीं आते,
फिर जीवन में दोस्त पुराने नहीं आते....
जी लो इन पलों को हस के जनाब..
फिर लौट के
दोस्ती के जमाने नहीं आते....
जब मुझे यकीन है के भगवान मेरे साथ है: Poem by Harivansh rai Bachchan
-हरिवंशराय बच्चन की बहुत ही अच्छी पंक्तियाँ-
"जब मुझे यकीन है के भगवान मेरे साथ है।
तो इस से कोई फर्क नहीं पड़ता के कौन कौन मेरे खिलाफ है।।"
+
तजुर्बे ने एक बात सिखाई है...
एक नया दर्द ही...
पुराने दर्द की दवाई है...!
+
हंसने की इच्छा ना हो...
तो भी हसना पड़ता है...
कोई जब पूछे कैसे हो...??
तो मजे में हूँ कहना पड़ता है
+
ये ज़िन्दगी का रंगमंच है दोस्तों....
यहाँ हर एक को नाटक करना पड़ता है.
"माचिस की ज़रूरत यहाँ नहीं पड़ती..
यहाँ आदमी आदमी से जलता है...!
+
जल जाते हैं मेरे अंदाज़ से मेरे दुश्मन
क्यूंकि एक मुद्दत से मैंने न मोहब्बत बदली और न दोस्त बदले .!!.
+
एक घड़ी ख़रीदकर हाथ मे क्या बाँध ली..
वक़्त पीछे ही पड़ गया मेरे..!!
+
सोचा था घर बना कर बैठुंगा सुकून से..
पर घर की ज़रूरतों ने मुसाफ़िर बना डाला !!!
+
सुकून की बात मत कर ऐ ग़ालिब....
बचपन वाला 'इतवार' अब नहीं आता |
+
जीवन की भाग-दौड़ में -
क्यूँ वक़्त के साथ रंगत खो जाती है ?
हँसती-खेलती ज़िन्दगी भी आम हो जाती है..
+
एक सवेरा था जब हँस कर उठते थे हम
और
आज कई बार
बिना मुस्कुराये ही शाम हो जाती है..
+
कितने दूर निकल गए,
रिश्तो को निभाते निभाते..
खुद को खो दिया हमने,
अपनों को पाते पाते..
+
लोग कहते है हम मुस्कुराते बहोत है,
और हम थक गए दर्द छुपाते छुपाते..
+
"खुश हूँ और सबको खुश रखता हूँ,
लापरवाह हूँ फिर भी सबकी परवाह
करता हूँ..
+
चाहता तो हु की ये दुनिया बदल दूं ....
पर दो वक़्त की रोटी के जुगाड़ में फुर्सत नहीं मिलती दोस्तों
+
यूं ही हम दिल को साफ़ रखा करते थे
पता नही था की, 'कीमत चेहरों की होती है!!'
+
"दो बातें इंसान को अपनों से दूर कर देती हैं,
एक उसका 'अहम' और दूसरा उसका 'वहम'
+
" पैसे से सुख कभी खरीदा नहीं जाता और दुःख का कोई खरीदार नहीं होता।"
+
किसी की गलतियों को बेनक़ाब ना कर,
'ईश्वर' बैठा है, तू हिसाब ना कर
रविवार, 2 अगस्त 2015
जाके हाल पूछ ले माँ का
जाके हाल पूछ ले माँ का
तू खबरी है, तुझे जमाने की खबर रहती है....!
जाके हाल पूछ ले माँ का, बगल के कमरे में रहती है....!!
“बीच में आ चुके फासलों का एहसास तब हुआ....,
जब हमने कहा ‘हम ठीक है’...
... और उसने मान भी लिया...।”
किसी को मिल गया मौका बुलंदियों को छुने का
मेरा नाकाम होना भी किसी के काम तो आया
तुम्हारी सुन्दर आँखों का मकसद कहीं ये तो नहीं,
कि जिसको देख लें उसे बरबाद कर दें...!!!
शनिवार, 1 अगस्त 2015
Gurupurnima par special dohe: गुरु पूर्णिमा पर विशेष दोहे
Gurupurnima par special dohe: गुरु पूर्णिमा पर विशेष दोहे
(1)
गुरु गोबिंद दोऊ खड़े, का के लागूं पाय।
बलिहारी गुरु आपणे, गोबिंद दियो मिलाय॥
(2)
गुरु कीजिए जानि के, पानी पीजै छानि ।
बिना विचारे गुरु करे, परे चौरासी खानि॥
(3)
सतगुरू की महिमा अनंत, अनंत किया उपकार।
लोचन अनंत उघाडिया, अनंत दिखावणहार॥
(4)
गुरु किया है देह का, सतगुरु चीन्हा नाहिं ।
भवसागर के जाल में, फिर फिर गोता खाहि॥
(5)
शब्द गुरु का शब्द है, काया का गुरु काय।
भक्ति करै नित शब्द की, सत्गुरु यौं समुझाय॥
(6)
बलिहारी गुर आपणैं, द्यौंहाडी कै बार।
जिनि मानिष तैं देवता, करत न लागी बार।।
(7)
कबीरा ते नर अन्ध है, गुरु को कहते और ।
हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रुठै नहीं ठौर ॥
(8)
जो गुरु ते भ्रम न मिटे, भ्रान्ति न जिसका जाय।
सो गुरु झूठा जानिये, त्यागत देर न लाय॥
(9)
यह तन विषय की बेलरी, गुरु अमृत की खान।
सीस दिये जो गुरु मिलै, तो भी सस्ता जान॥
(10)
गुरु लोभ शिष लालची, दोनों खेले दाँव।
दोनों बूड़े बापुरे, चढ़ि पाथर की नाँव॥
कबीर
बुधवार, 29 जुलाई 2015
प्यारी सी मुस्कान चाहिये
प्यारी सी मुस्कान चाहिये
ना कोई राह़ आसान चाहिए,,,
ना ही हमें कोई पहचान चाहिए,,,
एक चीज माँगते रोज भगवान से,,,
अपनों के चेहरे पे हर पल,,,
प्यारी सी मुस्कान चाहिये !!!
हर रिश्ते में विश्वास रहने दो
हर रिश्ते में विश्वास रहने दो
आँखे' कितनी अजीब होती है,
जब उठती है तो दुआ बन जाती है,
जब झुकती है तो हया बन जाती है,
उठ के झुकती है तो अदा बन जाती है
झुक के उठती है तो खता बन जाती है,
जब खुलती है तो दुनिया इसे रुलाती है,
जब बंद होती है तो दुनिया को ये रुलाती है...!!
"हर रिश्ते में विश्वास रहने दो;
जुबान पर हर वक़्त मिठास रहने दो;
यही तो अंदाज़ है जिंदगी जीने का;
न खुद रहो उदास, न दूसरों को रहने दो.
मंगलवार, 28 जुलाई 2015
श्रद्धेय स्व. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को समर्पित लाइने
श्रद्धेय स्व. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को समर्पित लाइने
आमर सी आशा करो भलो दियो सन्देश।
आज आमर पठाविया झूर झूर रोवे देश।।
सेवा तो इण देश री, करी घणी कलाम।
जातोङा हंसला तनै, भारत करै सलाम।।
लिखता तो रोवै कलम, कठै गयो कलाम।
आखर संग कागद करै, आँसू भरया सलाम।।
भारत माता भाल ने कियो ऊंचो कलाम।
फेरु पाछो आवज्ये सादर करूँ सलाम।।
नेह समेत करू नमन मानो मिसाइल मैन।
शब्दा री श्रद्धांजलि टपकन लाग्या नैन।।
आमर सी आशा करो भलो दियो सन्देश।
आज आमर पठाविया झूर झूर रोवे देश।।
धरम जात सूं उपरे मानव मोटो एक।
आज छोड़ चाल्यो अबे नर घणो ओ नेक।।
सीधो सरल सुभाव रो एहडो नर नह और।
करूँ विदा कलाम जी छलकी नैना कौर।।
सोमवार, 27 जुलाई 2015
वक़्त नहीं
. . . . . एक प्यारी सी कविता . . . . .
" वक़्त नहीं "
हर ख़ुशी है लोंगों के दामन में,
पर एक हंसी के लिये वक़्त नहीं....
दिन रात दौड़ती दुनिया में,
"ज़िन्दगी" के लिये ही वक़्त नहीं......
सारे रिश्तों को तो हम मार चुके,
अब उन्हें दफ़नाने का भी वक़्त नहीं .....
सारे नाम मोबाइल में हैं ,
पर "दोस्ती" के लिये वक़्त नहीं .....
गैरों की क्या बात. करें ,
जब अपनों के लिये ही वक़्त नहीं......
आखों में है नींद. भरी ,
पर सोने का वक़्त नहीं......
"दिल" है ग़मो से भरा हुआ ,
पर रोने का भी वक़्त नहीं .
पैसों की दौड़ में ऐसे दौड़े, की,,
थकने का भी वक़्त नहीं ....
पराये एहसानों की क्या कद्र करें ,
जब अपने सपनों के लिये ही वक़्त नहीं.......
तू ही बता दे ऐ ज़िन्दगी ,
इस ज़िन्दगी का क्या होगा,
की हर पल मरने वालों को,,
जीने के लिये। भी वक़्त नहीं.... ....
रविवार, 26 जुलाई 2015
चना ज़ोर गरम और पकोडे प्याज़ के
चना ज़ोर गरम और पकोडे प्याज़ के
चना ज़ोर गरम और पकोडे प्याज़ के ...
चार दिन मे सूखेंगे कपड़े ये आज के ...
आलस और खुमारी बिना किसी काज के ...
टर्राएँगे मेंढक फिर बिना किसी साज़ के ...
बिजली की कटौती का ये मौसम आया है ...
हमारे घर आँगन आज सावन आया है ...
भीगे बदन और गरम चाय की प्याली ...
धमकी सी गरजती बदली वो काली ...
नदियों सी उफनती मुहल्ले की नाली ...
नयी सी लगती वो खिड़की की जाली ...
छतरी और थैलियों का मौसम आया है ...
हमारे घर आँगन आज सावन आया है ...
निहत्थे से पौधो पे बूँदो का वार ...
हफ्ते मे आएँगे अब दो-तीन इतवार ...
पानी के मोतियों से लदा वो मकड़ी का तार...
मिट्टी की खुश्बू से सौंधी वो फुहार ...
मोमबत्तियाँ जलाने का मौसम आया है...
हमारे घर आँगन आज सावन आया है ...
शनिवार, 25 जुलाई 2015
शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर
शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर
एक ही विषय पर 5 महान शायरों का नजरिया....
.1- Mirza Galib :
"शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर,
या वो जगह बता जहाँ ख़ुदा नहीं।"
.
2- Iqbal
"मस्जिद ख़ुदा का घर है, पीने की जगह नहीं ,
काफिर के दिल में जा, वहाँ ख़ुदा नहीं।"
.
3- Ahmad Faraz
"काफिर के दिल से आया हूँ मैं ये देख कर, खुदा मौजूद है वहाँ, पर उसे पता नहीं।"
.
4- Wasi
"खुदा तो मौजूद दुनिया में हर जगह है,
तू जन्नत में जा वहाँ पीना मना नहीं।"
.
5- Saqi
"पीता हूँ ग़म-ए-दुनिया भुलाने के लिए,
जन्नत में कौन सा ग़म है इसलिए वहाँ पीने में मजा नही।"
शुक्रवार, 24 जुलाई 2015
निज पथ की बाधा को
निज पथ की बाधा को
निज पथ की बाधा को
सहर्ष स्वीकार करो।
हे जीवकुल श्रेष्ठ तुम
स्वयं का उद्धार करो।
अभिनन्दन कर रहा है
नव्उदित सूर्य तुम्हारा।
पर जीवनरूपी सागर को
पहले तुम पार करो।
हे जीवकुल श्रेष्ठ तुम
स्वयं का उद्धार करो।
आलस्य,अभिमान,निद्रा का
परित्याग करो तुम ।
प्रेम,मानवता,ईश्वर से
अनुराग करो तुम ।
जग की क्षुद्र वासनाओ का
तुम तिरस्कार करो।
हे जीवकुल श्रेष्ठ तुम
स्वयं का उद्धार करो।
तुम दिव्यपुरूष हो
निडर,निर्भीक,नि:स्वार्थ बनो।
जीवन रण के अर्जुन तुम
कर्तव्य के परमार्थ बनो।
अपने उद्देश्यो का स्वयं ही
तुम परिष्कार करो।
हे जीवकुल श्रेष्ठ तुम
स्वयं का उद्धार करो।
जिम्मेदारियां ओढ़ के निकलता हूँ घर से यारो...
जिम्मेदारियां ओढ़ के निकलता हूँ घर से यारो
जिम्मेदारियां ओढ़ के निकलता हूँ घर से यारो...
वरना, बारिशों में भीगने का शौक तो अब भी है....!!
वो बचपन के दिन लौटा दे ऐ खुदा.....
जहाँ न दोस्त का मतलब पता था और न मतलब की दोस्ती....
"उम्र" और "ज़िन्दगी" में बस फर्क "इतना"
जो "दोस्तों" के बिन बीति वो "उम्र"
और जो दोस्तों के "साथ" "गुज़री" वो "ज़िन्दगी..
गुरुवार, 23 जुलाई 2015
रोज तारीख बदलती. है,
रोज तारीख बदलती. है,
रोज. दिन. बदलते. हैं....रोज. अपनी. उमर. भी बदलती. है.....
रोज. समय. भी बदलता. है...
हमारे नजरिये. भी. वक्त. के साथ. बदलते. हैं.....
बस एक. ही. चीज. है. जो नहीं. बदलती...
और वो हैं "हम खुद"....
और बस ईसी. वजह से हमें लगता है. कि. अब "जमाना" बदल गया. है........
किसी शायर ने खूब कहा है,,
रहने दे आसमा. ज़मीन कि तलाश. ना कर,,
सबकुछ। यही। है, कही और तलाश ना कर.,
हर आरज़ू पूरी हो, तो जीने का। क्या। मज़ा,,,
जीने के लिए बस। एक खूबसूरत वजह। कि तलाश कर,,,
ना तुम दूर जाना ना हम दूर जायेंगे,,
अपने अपने हिस्से कि। "दोस्ती" निभाएंगे,,,
बहुत अच्छा लगेगा ज़िन्दगी का ये सफ़र,,,
आप वहा से याद करना, हम यहाँ से मुस्कुराएंगे,,,
क्या भरोसा है. जिंदगी का,
इंसान. बुलबुला. है पानी का,
जी रहे है कपडे बदल बदल कर,,
एक दिन एक "कपडे" में ले जायेंगे कंधे बदल बदल कर,,
इंसान जाने कहां खो गये है
इंसान जाने कहां खो गये है
अब शर्म से,चेहरे गुलाब नही होते।
जाने क्यूं
अब मस्त मौला मिजाज नही होते।
पहले बता दिया करते थे, दिल की बातें।
जाने क्यूं
अब चेहरे,
खुली किताब नही होते।
सुना है
बिन कहे
दिल की बात
समझ लेते थे।
गले लगते ही
दोस्त हालात
समझ लेते थे।
तब ना फेस बुक
ना स्मार्ट मोबाइल था
ना फेसबुक
ना ट्विटर अकाउंट था
एक चिट्टी से ही
दिलों के जज्बात
समझ लेते थे।
सोचता हूं
हम कहां से कहां आ गये,
प्रेक्टीकली सोचते सोचते
भावनाओं को खा गये।
अब भाई भाई से
समस्या का समाधान
कहां पूछता है
अब बेटा बाप से
उलझनों का निदान
कहां पूछता है
बेटी नही पूछती
मां से गृहस्थी के सलीके
अब कौन गुरु के
चरणों में बैठकर
ज्ञान की परिभाषा सीखे।
परियों की बातें
अब किसे भाती है
अपनो की याद
अब किसे रुलाती है
अब कौन
गरीब को सखा बताता है
अब कहां
कृण्ण सुदामा को गले लगाता है
जिन्दगी मे
हम प्रेक्टिकल हो गये है
मशीन बन गये है सब
इंसान जाने कहां खो गये है!
इंसान जाने कहां खो गये है
इंसान जाने कहां खो गये है....!!!!
मंगलवार, 21 जुलाई 2015
रिश्ता वो नहीं होता
रिश्ता वो नहीं होता
रिश्ता वो नहीं होता जो
दुनिया को दिखाया जाता है!
रिश्ता वह होता है,जिसे
दिल से निभाया जाता है!!
अपना कहने से कोई
अपना नहीं होताव्,
अपना वो होता है जिसे
दिल से अपनाया जाता है !
शनिवार, 18 जुलाई 2015
बेटी की विदाई
बेटी की विदाई
कन्यादान हुआ जब पूरा,आया समय विदाई का ।।
हँसी ख़ुशी सब काम हुआ था,सारी रस्म अदाई का ।
बेटी के उस कातर स्वर ने,बाबुल को झकझोर दिया ।।
पूछ रही थी पापा तुमने,क्या सचमुच में छोड़ दिया ।।
अपने आँगन की फुलवारी,मुझको सदा कहा तुमने ।।
मेरे रोने को पल भर भी ,बिल्कुल नहीं सहा तुमने ।।
क्या इस आँगन के कोने में, मेरा कुछ स्थान नहीं ।।
अब मेरे रोने का पापा,तुमको बिल्कुल ध्यान नहीं ।।
देखो अन्तिम बार देहरी,लोग मुझे पुजवाते हैं ।।
आकर के पापा क्यों इनको,आप नहीं धमकाते हैं।।
नहीं रोकते चाचा ताऊ,भैया से भी आस नहीं।।
ऐसी भी क्या निष्ठुरता है,कोई आता पास नहीं।।
बेटी की बातों को सुन के ,पिता नहीं रह सका खड़ा।।
उमड़ पड़े आँखों से आँसू,बदहवास सा दौड़ पड़ा ।।
कातर बछिया सी वह बेटी,लिपट पिता से रोती थी ।।
जैसे यादों के अक्षर वह,अश्रु बिंदु से धोती थी ।।
माँ को लगा गोद से कोई,मानो सब कुछ छीन चला।।
फूल सभी घर की फुलवारी से कोई ज्यों बीन चला।।
छोटा भाई भी कोने में,बैठा बैठा सुबक रहा ।।
उसको कौन करेगा चुप अब,वह कोने में दुबक रहा।।
बेटी के जाने पर घर ने,जाने क्या क्या खोया है।।
कभी न रोने वाला बापू,फूट फूट कर रोया है ।।
खवाहिश नही मुझे मशहुर होने की
एक सुंदर कविता - खवाहिश नही मुझे मशहुर होने की
खवाहिश नही मुझे मशहुर होने की।
आप मुझे पहचानते हो बस इतना ही काफी है।
अच्छे ने अच्छा और बुरे ने बुरा जाना मुझे।
क्यों की जीसकी जीतनी जरुरत थी उसने उतना ही पहचाना मुझे।
ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा भी कितना अजीब है,
शामें कटती नहीं, और साल गुज़रते चले जा रहे हैं....!!
एक अजीब सी दौड़ है ये ज़िन्दगी,
जीत जाओ तो कई अपने पीछे छूट जाते हैं,
और हार जाओ तो अपने ही पीछे छोड़ जाते हैं।
बीड़ी अब CIGARETTE बन गयी,
बीड़ी अब CIGARETTE बन गयी
बीड़ी अब
CIGARETTE
बन गयी,
चटाई
CARPET बन गयी,
मुक्केबाजी
BOXING बन गयी,
कुश्ती हमारी
WRESLING बन गयी,
गिल्ली डंडा
CRICKET बन गया,
..हमारा भारत
GREAT बन गया..
गाय हमारी
COW बन गयी,
शर्म हया अब
WOW बन गयी,
काढ़ा हमारा
CHAI बन गया,
छोरा बेचारा
GUY बन गया,
कठपुतली अब
PUPPET बन गया,
..हमारा भारत
GREAT बन गया..
हल्दी अब
TURMERIC बन गयी,
ग्वारपाठा
ALOVIRA बन गया,
योग हमारा
YOGA बन गया,
घर का जोगी
JOGA बन गया,
भोजन 100 रु.
PLATE बन गया,
..हमारा भारत
GREAT बन गया..
घर की दीवारेँ
WALL बन गयी,
दुकानेँ
SHOPING MALLबन गयीँ,
गली मोहल्ला
WARD बन गया,
ऊपरवाला
LORD बन गया,
रक्षाकवच
HELMET बन गया,
..हमारा भारत
GREAT बन गया..
माँ हमारी
MOM बन गयी,
छोरियाँ
ITEM BOMB बन गयीँ,
पिताजी अब
DAD बन गये,
घर के मालिक
HEAD बन गये,
..हमारा भारत
GREAT हो गया..
मनमोहन बिलकुल fail हो गया
केजरीवाल भी खेल हो गया
आडवाणी हमेशा के लिए
P.M. in wait हो गया
क्यों की MODI बीजेपी में
Heavy wait हो गया.
अच्छे दिनों का सपना
फिलहाल LATE हो गया,
MODI फिर भी
GREAT हो गया..
तुलसी की जगह
मनी प्लांट ने ले ली..!
चाची की जगह
आंटी ने ले ली..!
पिता जी डेड हो गये..!
भाई तो अब ब्रो हो गये..!
बेचारी बेहन भी अब
सिस हो गयी..!
दादी की लोरी तो अब
टांय टांय फिस्स हो गयी..!
टी वी के सास बहू में भी
अब साँप नेवले का रिश्ता है..!
पता नहीं एकता कपूर
औरत है या फरिश्ता है..!!!
जीती जागती माँ बच्चों के
लिए ममी हो गयी..!
रोटी अब अच्छी कैसे लगे
मैग्गी जो इतनी यम्मी हो गयी..!
गाय का आशियाना अब
शहरों की सड़कों पर बचा है..!
विदेशी कुत्तों ने लोगों के
कंधों पर बैठकर इतिहास रचा है..!
बहुत दुखी हूँ ये सब देखकर
दिल टूट रहा है..!
हमारे द्वारा ही हमारी
भारतीय सभ्यता का
साथ छूट रहा है.....
एक मेसेज
भारतीय सभ्यता के नाम....
शुक्रवार, 17 जुलाई 2015
बेवफाई
बेवफाई
अर्ज़ किया है....युं ना किसी के दिल के साथ खेलो.....
युं ना किसी के दिल के साथ खेलो.....
जब ग्रुप में मैसेज ही नहीं करना है तो....
स्मार्टफोन बेच कर रेडियो लेलो
Funny poem: पढ़े फ़ारसी बेचें तेल
Funny poem: पढ़े फ़ारसी बेचें तेल
कलम बुद्दका आले में
टाट-पट्टिका ताले में ।।
ढाबा है विद्यालय में ,
ध्यान बंद शौचालय में ।।
मास्टर जी झमेले में
दिखते खड़े तबेले में ।।
भूसा-चूनी ,चारा काटें
अधिकारी जी ,फ़िर भी डाँटें ।।
सब्ज़ी-चावल रोटी परसें ,
बच्चे पढ़ने को हैं तरसें ।।
आया सरकारी फ़रमान
मास्टर है अवगुण की खान ।।
पड़ा निकम्मा कुर्सी तोड़े
चलो इसे कोल्हू से जोड़ें ।।
बेग़ारी करवाओ इससे
बच्चे न पढ़ पाएँ जिससे ।।
वोट बैंक तैयार रहे
होता अत्याचार रहे ।।
मुँह खोले तो भेजो जेल
शिक्षा के सँग होता खेल ।।
कैसे चले ज्ञान की रेल ।
पढ़े फ़ारसी बेचें तेल ।।
Poem on Wife: वह लड़की जिसे मैं ब्याह के लाया था
मित्रों जीवन की इस तेज रफ्तार व आपाधापी में बहुत कुछ छूट जाता है, जिसे मैं आज आपके साथ साझा कर रहा हूं - - -
वह लड़की जिसे मैं ब्याह के लाया था -
-----------------------------------------नहीं मिलती है।
ढूंढता हूँ तो भी,
और नहीं तो भी,
वो लड़की जिसे मैं ब्याह के लाया था
घिरी रहती है तेल नून के चक्करों में।
बच्चों की पढाई या उनकी दवाइयों के schedule में,
मसरूफ सी कोई मिलती तो ज़रूर है
पर नहीं मिलती मुझे वो लड़की जिसे मैं ब्याह के लाया था
जो बिना बात किये रह न पाती थी,
आज कल सिर्फ एक ही सवाल पूछती 'कल tiffin में क्या ले जाओगे?
याद है मुझे वह बातूनी
पर नहीं मिलती मुझे वो लड़की जिसे से मैं ब्याह के लाया था
कतई ऐतियात से काजल लगाने का था शौक़ जिसे,
आजकल दिनों तक बालों के गिरहन भी नहीं सुलझाती,
याद है मुझे वह अल्ल्हड़
पर नहीं मिलती मुझे वो लड़की जिसे से मैं ब्याह के लाया था
नए जूते की मामुली सी खारिश ने रुलाया था जिसे घंटो,
बेपरवाह लेकर घूमती है हाथों पर, रसोई के छाले वह आज,
याद है मुझे वह नाज़ो से पली
पर नहीं मिलती मुझे वो लड़की जिसे से मैं ब्याह के लाया था
लेकिन यह देखा है मैंने,
की ज़िंदगी की हर चीज़ में अपवाद होता है
इतवार की शाम चौक से गुज़रते समय,
जब पानी के बताशों के ठेलों की तरफ देखती है
तो उसकी लालची निगाहों में,
दिख जाती है वो लड़की जिसे मैं ब्याह के लाया था
मैं आज भी अक्सर बैठक के सोफे, पर ही पसर जाता हूँ ।
रात भर ठण्ड में ठिठुरता हूँ,
और सुबह अपने को, ख्याल से डाले हुए कम्बल में ढका पाता हुँ.
सुबह की हड़बड़ी में शरारत से ही सही पर पूछता ज़रूर हूँ
आखिर पिछली रात किसने की थी मेहरबानी;
और फिर उसकी दबी सी लज भरी हंसी में आखिर
पा ही जाता हूँ वो लड़की जिसे मैं ब्याह के लाया था
गुरुवार, 16 जुलाई 2015
अंतिम यात्रा
अंतिम यात्रा
किसी शायर ने अंतिम यात्रा
का क्या खूब वर्णन किया है.....
था मैं नींद में और.
मुझे इतना
सजाया जा रहा था....
बड़े प्यार से
मुझे नहलाया जा रहा
था....
ना जाने
था वो कौन सा अजब खेल
मेरे घर
में....
बच्चो की तरह मुझे
कंधे पर उठाया जा रहा
था....
था पास मेरा हर अपना
उस
वक़्त....
फिर भी मैं हर किसी के
मन
से
भुलाया जा रहा था...
जो कभी देखते
भी न थे मोहब्बत की
निगाहों
से....
उनके दिल से भी प्यार मुझ
पर
लुटाया जा रहा था...
मालूम नही क्यों
हैरान था हर कोई मुझे
सोते
हुए
देख कर....
जोर-जोर से रोकर मुझे
जगाया जा रहा था...
काँप उठी
मेरी रूह वो मंज़र
देख
कर....
.
जहाँ मुझे हमेशा के
लिए
सुलाया जा रहा था....
.
मोहब्बत की
इन्तहा थी जिन दिलों में
मेरे
लिए....
.
उन्हीं दिलों के हाथों,
आज मैं जलाया जा रहा था!!!
लाजवाब लाईनें
इस दुनिया मे कोई किसी का
हमदर्द नहीं होता,
लाश को शमशान में रखकर अपने लोग ही पुछ्ते हैं।
पलकों तले भी दिल धड़कता है
पलकों तले भी दिल धड़कता है
लोगों ने रोज़ ही नया कुछ माँगा खुदा से
एक हम ही हैं तेरे ख्याल से आगे न गये............
तुम्हारे भरोसे से ही चलती हे मेरी साँसे
हो सके तो तुम मेरी साँसों का ख्याल रखना............
⚽उल्फत का अक्सर यही दस्तूर होता है!
जिसे चाहो वही अपने से दूर होता है!
दिल टूटकर बिखरता है इस कदर
जैसे कोई कांच का खिलौना चूर-चूर होता है.............
काटो के बदले फूल क्या दोगे आँसू के बदले खुशी क्या दोगे हम चाहते है आप से उमर भर की दोस्ती हमारे इस शायरी का जवाब क्या दोगे...........
❤ अरमान था तेरे साथ जिंदगी बिताने का शिकवा है खुद के खामोश रह जाने का दीवानगी इस से बढकर और क्या होगी आज भी इंतजार है तेरे आने का............
बस जीने ही तो नहीं
देगी,
और कया कर लेगी याद तेरी..........
⚫आँसुओँ का कोई वजन नही होता दोस्त.पर ना जाने इनके गीर जाने से मन हल्का क्युँ होजाता है............
कितने आंसू बहूँगा उस बेवफा के लिए
जिसको खुदा ने मेरे नसीब मैं लिखा ही नहीं….........
☝तेरा नाम लिखने की इजाज़त छिन गई जब से☝कोई भी लफ्ज़ लिखता हूँ तो आँखें भीग जाती हैं........
मुझे ये दिल की बीमारी ना होती
अगर तू इतनी प्यारी नहीं होती...........
बस यही दो मसले ज़िन्दगी भर ना हल हुए।
ना नींद पूरी हुई ना ख्वाब मुकम्मल हुए।
वक़्त ने कहा, काश थोड़ा और सब्र होता। सब्र ने कहा काश थोड़ा और वक़्त होता.........
मेरी हर गलती ये सोच कर माफ़ कर देना दोस्तों
कि तुम कोन से शरीफ़ हो...........
कभी फुरसत मिलें तो सोचना जरूर की ऐक लापरवाह लड़का क्यों तेरी परवाह करता था..!!........
हर दिन अपनी ज़िन्दगी को एकनया ख्वाब दो
चाहे पूरा ना हो पर आवाज़ तो दो
पूरे हो जायेंगे सारे ख्वाब तुम्हारे
सिर्फ एक शुरुआत तो दो...........
मैं जब सो जाऊं इन आँखों पे अपने होंठ रख देना यकीं आ
जाएगा पलकों तले भी दिल धड़कता है....
बुधवार, 15 जुलाई 2015
आगे सफर था और पीछे हमसफर था....
आगे सफर था और पीछे हमसफर था
आगे सफर था और पीछे हमसफर था....
रूकते तो सफर छूट जाता और चलते तो हम सफर छूट जाता...
मंजिल की भी हसरत थी और उनसे भी मोहब्बत थी..
ए दिल तू ही बता...उस वक्त मैं कहाँ जाता...
मुद्दत का सफर भी था और बरसो का हम सफर भी था
रूकते तो बिछड जाते और चलते तो बिखर जाते....
यूँ समँझ लो....
प्यास लगी थी गजब की...मगर पानी मे जहर था...
पीते तो मर जाते और ना पीते तो भी मर जाते...
बस यही दो मसले, जिंदगीभर ना हल हुए!!!
ना नींद पूरी हुई, ना ख्वाब मुकम्मल हुए!!!
वक़्त ने कहा.....काश थोड़ा और सब्र होता!!!
सब्र ने कहा....काश थोड़ा और वक़्त होता!!!
सोमवार, 13 जुलाई 2015
सौ गुना बढ़ जाती है खूबसूरती,
सौ गुना बढ़ जाती है खूबसूरती
सौ गुना बढ़ जाती है खूबसूरती,
महज़ मुस्कराने से,
फिर भी बाज नही आते लोग,
मुँह फुलाने से ।
ज़िन्दगी एक हसीन ख़्वाब है ,
जिसमें जीने की चाहत होनी चाहिये,
ग़म खुद ही ख़ुशी में बदल जायेंगे,
सिर्फ मुस्कुराने की आदत होनी चाहीये।
रविवार, 12 जुलाई 2015
नाम छोटा है मगर दिल बडा रखता हूँ
नाम छोटा है मगर दिल बडा रखता हूँ
नाम छोटा है मगर दिल बडा रखता हूँ|
पैसो से उतना अमीर नही हूँ,
मगर अपने यारो के गम खरिदने की हैसयत रखता हूँ|
मुझे ना हुकुम का ईक्का बनना है
ना रानी का बादशाह, हम जोकर ही अच्छे हैं,
जिस के नसीब में आऐंगे बाज़ी पलट देंगे।
किसी रोज़ याद न कर पाऊँ तो खुदग़रज़ ना समझ लेना दोस्तो,
दरअसल छोटी सी इस उम्र मैं परेशानियां बहुत हैं...!!
मैं भूला नहीं हूँ किसी को...
मेरे बहुत कम दोस्त है ज़माने में.........
बस थोड़ी जिंदगी उलझी पड़ी है.....
2 वक़्त की रोटी कमाने में....
शनिवार, 11 जुलाई 2015
शब्द जब काटते है
शब्द जब काटते है
शब्दों के दांत नहीं होते है
लेकिन शब्द जब काटते है
तो दर्द बहुत होता है
और
कभी कभी घाव इतने गहरे हो जाते है की
जीवन समाप्त हो जाता है
परन्तु घाव नहीं भरते.............
इसलिए जीवन में जब भी बोलो मीठा बोलो मधुर बोलों
'शब्द' 'शब्द' सब कोई कहे,
'शब्द' के हाथ न पांव;
एक 'शब्द' 'औषधि" करे,
और एक 'शब्द' करे 'सौ' 'घाव"...!
"जो 'भाग्य' में है वह भाग कर आएगा..,
जो नहीं है वह आकर भी भाग 'जाएगा"..!
प्रभू' को भी पसंद नहीं
'सख्ती' 'बयान' में,
इसी लिए 'हड्डी' नहीं दी, 'जबान' में...!
जब भी अपनी शख्शियत पर अहंकार हो,
एक फेरा शमशान का जरुर लगा लेना।
और....
जब भी अपने परमात्मा से प्यार हो,
किसी भूखे को अपने हाथों से खिला देना।
जब भी अपनी ताक़त पर गुरुर हो,
एक फेरा वृद्धा आश्रम का लगा लेना।
और….
जब भी आपका सिर श्रद्धा से झुका हो,
अपने माँ बाप के पैर जरूर दबा देना।
जीभ जन्म से होती है और मृत्यु तक रहती है क्योकि वो कोमल होती है.
दाँत जन्म के बाद में आते है और मृत्यु से पहले चले जाते हैं...
क्योकि वो कठोर होते है।
छोटा बनके रहोगे तो मिलेगी हर
बड़ी रहमत...
बड़ा होने पर तो माँ भी गोद से उतार
देती है..
किस्मत और पत्नी
भले ही परेशान करती है लेकिन
जब साथ देती हैं तो
ज़िन्दगी बदल देती हैं.।।
"प्रेम चाहिये तो समर्पण खर्च करना होगा।
विश्वास चाहिये तो निष्ठा खर्च करनी होगी।
साथ चाहिये तो समय खर्च करना होगा।
किसने कहा रिश्ते मुफ्त मिलते हैं ।
मुफ्त तो हवा भी नहीं मिलती ।
एक साँस भी तब आती है,
जब एक साँस छोड़ी जाती है!!"
शुक्रवार, 10 जुलाई 2015
मंजिल ना मिले
मंजिल ना मिले
मंजिल ना मिले वंहा तक
हिम्मत मत हारो और ना ही ठहरो...
क्यों की पहाड़ से निकलने वाली नदियों ने
आज तक रास्ते में किसीको नहीं पूछा के
भाई समन्दर कितना दूर है?
आगे सफर था और पीछे हमसफर था..
आगे सफर था और पीछे हमसफर था
आगे सफर था और पीछे हमसफर था..
रूकते तो सफर छूट जाता और चलते तो हमसफर छूट जाता..
मंजिल की भी हसरत थी और उनसे भी मोहब्बत थी..
ए दिल तू ही बता,उस वक्त मैं कहाँ जाता...
मुद्दत का सफर भी था और बरसो का हमसफर भी था
रूकते तो बिछड जाते और चलते तो बिखर जाते....
यूँ समँझ लो,
प्यास लगी थी गजब की...
मगर पानी मे जहर था...
पीते तो मर जाते और ना पीते तो भी मर जाते.
गुरुवार, 9 जुलाई 2015
शरीर को चंगा रखो
शरीर को चंगा रखो
शरीर को चंगा रखो
दिमाग़ को ठंडा रखो
जेब को गरम रखो
आँखों में शरम रखो
जुबान को नरम रखो
दिल में रहम रखो
क्रोध पर लगाम रखो
व्यवहार को साफ़ रखो
होटो पर मुस्कुराहट रखो
फिर स्वर्ग मे जाने की
क्या जरूरत, यहीं स्वर्ग है
स्वस्थ रहो......व्यस्त रहो.
....अपने ग्रुप मे... मस्त रहो.....
यह रिश्ता बड़ा निराला
यह रिश्ता बड़ा निराला
..........पत्नी और पति का
..........यह रिश्ता बड़ा निराला
एक को है किसी ने
दूजे को किसी ने पाला
फिर भी दोनों संग है रहते
संग हँसते हैं संग रोते हैं
दुनिया में यह दस्तूर
है किस ने निकाला
..........पत्नी और पति का
..........यह रिश्ता बड़ा निराला
इक दूजे को प्यार है करते
कभी कभी तकरार भी करते
छोड़ जाने की बात भी करते
बच्चों की दुहाई देते
पर न निकले पति ही घर से
न पत्नी को किसी ने निकाला
..........पत्नी और पति का
..........यह रिश्ता बड़ा निराला
रिश्ता है यह सब से ऊपर
सब रिश्ते में यह है सुपर
पति बिन पत्नी न रहती
उसकी न जुदाई सहती
पत्नी बिन भी पति न रहता
सुख दुःख उस के संग है सहता
रिश्ता उस का चले उम्र भर
जिसने इसे संभाला
..........पत्नी और पति का
..........यह रिश्ता बड़ा निराला
मंगलवार, 7 जुलाई 2015
बस यही दो मसले, जिंदगीभर ना हल हुए!!
बस यही दो मसले, जिंदगीभर ना हल हुए
बस यही दो मसले, जिंदगीभर ना हल हुए!!!
ना नींद पूरी हुई, ना ख्वाब मुकम्मल हुए!!!
वक़्त ने कहा.....काश थोड़ा और सब्र होता!!!
सब्र ने कहा....काश थोड़ा और वक़्त होता!!!
सुबह सुबह उठना पड़ता है कमाने के लिए साहेब...।।
आराम कमाने निकलता हूँ आराम छोड़कर।।
"हुनर" सड़कों पर तमाशा करता है
और "किस्मत" महलों में राज करती है!!
"शिकायते तो बहुत है तुझसे ऐ जिन्दगी,
पर चुप इसलिये हु कि, जो दिया तूने,
वो भी बहुतो को नसीब नहीं होता"...
रविवार, 5 जुलाई 2015
तजुर्बे ने हमको खामोश रहना सिखाया
तजुर्बे ने हमको खामोश रहना सिखाया
तजुर्बे ने हमको खामोश रहना सिखाया
क्योंकि दहाड़ कर शिकार नहीं किया जाता...
“ कुत्ते भोंकते है अपने जिंदा होने का एहसास दिलाने के लिए,
मगऱ..
जंगल का सन्नाटा शेर की मौजूदगी बंयाँ करता है ”
हँसना और हँसाना कोशिश है मेरी
हँसना और हँसाना कोशिश है मेरी,
हर कोई खुश रहे, यह चाहत है मेरी,
भले ही मुझे कोई याद करे या ना करे,
लेकिन हर अपने को याद करना आदत है मेरी.
दिलकी देहरी से
❤❤ दिलकी देहरी से ❤
सफल इनके वो सारे प्रयास हो गये
कुछ चेहरे और ज्यादा उदास हो गये
जो कर रहे थे हमसे बातें आम की
लोग वही सबसे पहले खास हो गये
नींद रात भर आँखों से छिपती फिरी
सपने भी सुबह तक निराश हो गये
जब देखी उसके हाथ में दियासलाई
हम खुशी खुशी से सूखी घास होे गये
ऐ जिन्दगी ! तेरी इस ज़द्दोज़हद में
कितने ही लोग बेवक्त लाश हो गये
सच कहूँ भी तो बताओ कैसे कहूँ
लफ़्ज़ तमाम मेरे लबतराश हो गये
दिल की बात दिल तक कहाँ जाती है
पत्थरों से सख्त सब अहसास हो गये
रतनसिहं चम्पावत कृत
शनिवार, 4 जुलाई 2015
जाने क्यूं
जाने क्यूं - अब शर्म से, चेहरे गुलाब नही होते।
जाने क्यूं
अब मस्त मौला मिजाज नही होते।
पहले बता दिया करते थे, दिल की बातें।
जाने क्यूं
अब चेहरे, खुली किताब नही होते।
सुना है
बिन कहे
दिल की बात समझ लेते थे।
गले लगते ही
दोस्त हालात समझ लेते थे।
जब ना फेस बुक थी
ना व्हाटस एप था
ना मोबाइल था
एक चिट्ठी से ही
दिलों के जज्बात समझ लेते थे।
सोचता हूं
हम कहां से कहां आ गये।
प्रेक्टीकली सोचते सोचते
भावनाओं को खा गये।
अब भाई भाई से
समस्या का समाधान कहां पूछता है
अब बेटा बाप से
उलझनों का निदान कहां पूछता है
बेटी नही पूछती
मां से गृहस्थी के सलीके।
अब कौन गुरु के चरणों में बैठकर
ज्ञान की परिभाषा सीखे।
परियों की बातें
अब किसे भाती है
अपनो की याद
अब किसे रुलाती है
अब कौन
गरीब को सखा बताता है
अब कहां
कृष्ण सुदामा को गले लगाता है
जिन्दगी मे
हम प्रेक्टिकल हो गये है
रोबोट बन गये है सब
इंसान जाने कहां खो गये है.......!!!
शुक्रवार, 3 जुलाई 2015
हिंदी बोलने का शौक
मुझे भी आज
हिंदी बोलने का शौक हुआ,
घर से निकला और
एक ऑटो वाले से पूछा,
"त्री चक्रीय चालक
पूरे नगर के परिभ्रमण में
कितनी मुद्रायें व्यय होंगी ?"
ऑटो वाले ने कहा,
"अबे हिंदी में बोल रे.."
मैंने कहा,
"श्रीमान
मै हिंदी में ही
वार्तालाप कर रहा हूँ।"
ऑटो वाले ने कहा,
"मोदी जी
पागल करके ही मानेंगे ।
चलो बैठो
कहाँ चलोगे ?"
मैंने कहा,
"परिसदन चलो"
ऑटो वाला फिर
चकराया !
"अब ये
परिसदन क्या है ?
बगल
वाले श्रीमान ने कहा,
"अरे
सर्किट हाउस जाएगा"
ऑटो वाले ने
सर खुजाया बोला,
"बैठिये प्रभु"
रास्ते में मैंने पूछा,
"इस नगर में
कितने छवि गृह हैं ??"
ऑटो वाले ने कहा,
"छवि गृह मतलब ??"
मैंने कहा,
"चलचित्र मंदिर"
उसने कहा,
"यहाँ बहुत मंदिर हैं ...
राम मंदिर,
हनुमान मंदिर,
जगन्नाथ मंदिर,
शिव मंदिर"
मैंने कहा,
"भाई
में तो चलचित्र मंदिर की
बात कर रहा हूँ
जिसमें
नायक तथा नायिका
प्रेमालाप करते हैं ..."
ऑटो वाला
फिर चकराया,
"ये चलचित्र मंदिर
क्या होता है ??"
यही सोचते सोचते
उसने सामने वाली गाडी में
टक्कर मार दी
ऑटो का
अगला चक्का
टेढ़ा हो गया
मैंने कहा,
"त्री चक्रीय चालक
तुम्हारा अग्र चक्र तो
वक्र हो गया ..."
ऑटो वाले ने
मुझे घूर कर देखा
और कहा,
"उतर जल्दी उतर !
चल ...
भाग यहाँ से"
तब से
यही सोच रहा हूँ
अब और
हिंदी बोलूं
या नहीं ... ???
|| हिंदी पखवाड़ा ||
सौ गुना बढ़ जाती है खूबसूरती
सौ गुना बढ़ जाती है खूबसूरती,
महज़ मुस्कराने से,
फिर भी बाज नही आते लोग,
मुँह फुलाने से ।
ज़िन्दगी एक हसीन ख़्वाब है ,
जिसमें जीने की चाहत होनी चाहिये,
ग़म खुद ही ख़ुशी में बदल जायेंगे,
सिर्फ मुस्कुराने की आदत होनी चाहीये.
कोर्ट मार्शल
कोर्ट मार्शल"
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आर्मी कोर्ट रूम में आज एक
केस अनोखा अड़ा था
छाती तान अफसरों के आगे
फौजी बलवान खड़ा था
बिन हुक्म बलवान तूने ये
कदम कैसे उठा लिया
किससे पूछ उस रात तू
दुश्मन की सीमा में जा लिया
बलवान बोला सर जी! ये बताओ
कि वो किस से पूछ के आये थे
सोये फौजियों के सिर काटने का
फरमान कोन से बाप से लाये थे
बलवान का जवाब में सवाल दागना
अफसरों को पसंद नही आया
और बीच वाले अफसर ने लिखने
के लिए जल्दी से पेन उठाया
एक बोला बलवान हमें ऊपर
जवाब देना है और तेरे काटे हुए
सिर का पूरा हिसाब देना है
तेरी इस करतूत ने हमारी नाक कटवा दी
अंतरास्ट्रीय बिरादरी में तूने थू थू करवा दी
बलवान खून का कड़वा घूंट पी के रह गया
आँख में आया आंसू भीतर को ही बह गया
बोला साहब जी! अगर कोई
आपकी माँ की इज्जत लूटता हो
आपकी बहन बेटी या पत्नी को
सरेआम मारता कूटता हो
तो आप पहले अपने बाप का
हुकमनामा लाओगे ?
या फिर अपने घर की लुटती
इज्जत खुद बचाओगे?
अफसर नीचे झाँकने लगा
एक ही जगह पर ताकने लगा
बलवान बोला साहब जी गाँव का
ग्वार हूँ बस इतना जानता हूँ
कौन कहाँ है देश का दुश्मन सरहद
पे खड़ा खड़ा पहचानता हूँ
सीधा सा आदमी हूँ साहब !
मै कोई आंधी नहीं हूँ
थप्पड़ खा गाल आगे कर दूँ
मै वो गांधी नहीं हूँ
अगर सरहद पे खड़े होकर गोली
न चलाने की मुनादी है
तो फिर साहब जी ! माफ़ करना
ये काहे की आजादी है
सुनों साहब जी ! सरहद पे
जब जब भी छिड़ी लडाई है
भारत माँ दुश्मन से नही आप
जैसों से हारती आई है
वोटों की राजनीति साहब जी
लोकतंत्र का मैल है
और भारतीय सेना इस राजनीति
की रखैल है
ये क्या हुकम देंगे हमें जो
खुद ही भिखारी हैं
किन्नर है सारे के सारे न कोई
नर है न नारी है
ज्यादा कुछ कहूँ तो साहब जी
दोनों हाथ जोड़ के माफ़ी है
दुश्मन का पेशाब निकालने को
तो हमारी आँख ही काफी है
और साहब जी एक बात बताओ
वर्तमान से थोडा सा पीछे जाओ
कारगिल में जब मैंने अपना पंजाब
वाला यार जसवंत खोया था
आप गवाह हो साहब जी उस वक्त
मै बिल्कुल भी नहीं रोया था
खुद उसके शरीर को उसके गाँव
जाकर मै उतार कर आया था
उसके दोनों बच्चों के सिर साहब जी
मै पुचकार कर आया था
पर उस दिन रोया मै जब उसकी
घरवाली होंसला छोड़ती दिखी
और लघु सचिवालय में वो चपरासी
के हाथ पांव जोड़ती दिखी
आग लग गयी साहब जी दिल
किया कि सबके छक्के छुड़ा दूँ
चपरासी और उस चरित्रहीन
अफसर को मै गोली से उड़ा दूँ
एक लाख की आस में भाभी
आज भी धक्के खाती है
दो मासूमो की चमड़ी धूप में
यूँही झुलसी जाती है
और साहब जी ! शहीद जोगिन्दर
को तो नहीं भूले होंगे आप
घर में जवान बहन थी जिसकी
और अँधा था जिसका बाप
अब बाप हर रोज लड़की को
कमरे में बंद करके आता है
और स्टेशन पर एक रूपये के
लिए जोर से चिल्लाता है
पता नही कितने जोगिन्दर जसवंत
यूँ अपनी जान गवांते हैं
और उनके परिजन मासूम बच्चे
यूँ दर दर की ठोकरें खाते हैं..
भरे गले से तीसरा अफसर बोला
बात को और ज्यादा न बढाओ
उस रात क्या- क्या हुआ था बस
यही अपनी सफाई में बताओ
भरी आँखों से हँसते हुए बलवान
बोलने लगा
उसका हर बोल सबके कलेजों
को छोलने लगा
साहब जी ! उस हमले की रात
हमने सन्देश भेजे लगातार सात
हर बार की तरह कोई जवाब नही आया
दो जवान मारे गए पर कोई हिसाब नही आया
चौंकी पे जमे जवान लगातार
गोलीबारी में मारे जा रहे थे
और हम दुश्मन से नहीं अपने
हेडक्वार्टर से हारे जा रहे थे
फिर दुश्मन के हाथ में कटार देख
मेरा सिर चकरा गया
गुरमेल का कटा हुआ सिर जब
दुश्मन के हाथ में आ गया
फेंक दिया ट्रांसमीटर मैंने और
कुछ भी सूझ नहीं आई थी
बिन आदेश के पहली मर्तबा सर !
मैंने बन्दूक उठाई थी
गुरमेल का सिर लिए दुश्मन
रेखा पार कर गया
पीछे पीछे मै भी अपने पांव
उसकी धरती पे धर गया
पर वापिस हार का मुँह देख के
न आया हूँ
वो एक काट कर ले गए थे
मै दो काटकर लाया हूँ
इस ब्यान का कोर्ट में न जाने
कैसा असर गया
पूरे ही कमरे में एक सन्नाटा
सा पसर गया
पूरे का पूरा माहौल बस एक ही
सवाल में खो रहा था
कि कोर्ट मार्शल फौजी का था
या पूरे देश का हो रहा था ?
Dosto, Ek Baar.. इसे इतना फैला दो की सारे नेता को कुछ शर्म आयेे की फौजियों का आत्मविश्वास न गिराए
friends प्यार की शेर शयरी बहुत शेयर किया हैं.... जरा इसे भी इतना शेयर कर दो की
जाग उठे आज के नेता और जवान की रूह देश के लिए।।
जय हिन्द..!!!