कुल पेज दृश्य

मंगलवार, 24 फ़रवरी 2015

मुलाकात पूरी है और मैं हूँ

मुलाकात  पूरी है  और  मैं  हूँ
मगर बात अधूरी है और मैं हूँ

सफर तो कब का पूरा हो गया मगर
वही की वही दूरी है और मैं हूँ

ताब मेरे जुनूँ की केसे बयाँ करुँ         
एक अजब बेखुदी है और मैं हूँ 

सन्नाटोँ का शोर भी कब का थम गया
बस भीतर तक खामोशी है और मैं हूँ

न पूछ कि हादसो ने केसे संवारा मुझको
आंख भरी भरी सी है और मैं हूँ

फक़त तेरे एतबार पे जिंदा हूँ या रब
एक तेरा ही यकीं है और .....

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें