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शनिवार, 21 फ़रवरी 2015

मुद्दत का सफर

मुद्दत का सफर भी था और बरसों की चाहत भी थी,रुकते तो बिखर जाते और चलते तो दिल टूट जाते,
यूं समझ लो कि,
लगी प्यास गज़ब की थी और पानी में भी जहर था,
पीते तो मर जाते और न पीते तो भी मर जाते।..................।
जनाजा रोक कर वो मेरा कुछ इस अन्दाज़ मे बोले;
गली छोड्ने को कहा था, तुमने तो दुनियां ही छोड दी।...............।
कतल ऐसा हुआ किस्तो मे मेरा,
कभी बदला खंजर तो कभी कातिल बदल गया...............।
कुछ लम्हे गुजारे तूने मेरे साथ,
तुम उन्हें वक्त कहेते हो;
और हम उन्हें जिंदगी कहेते हे...!!!..............।
आशिक़ बनाया आप ने
कलम थी हाथ मै लिखना सिखाया अपने,
ताक़त थी हाथ मै होसला दिलाया अपने,
मंज़िल थी सामने रास्ता दिखाया अपने,
हम तो सिर्फ़ दोस्त थे,
आशिक़ बनाया आप ने...................।
जब मिलो किसी से तो जरा दूरका रिश्ता रखना,
बहुत तङपाते हैँ अक्सरसीने से लगाने वाले ................।
नफरत करोगे तो अधुरा किस्सा हूँ मै,
   मुहब्बत करोगे तो तुम्हारा ही हिस्सा हु  मैं.......

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