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मंगलवार, 24 फ़रवरी 2015

दर्द ए दिल

अक्स चेहरे पे आफताब का है.
किस इलाके में घर जनाब का है !

जिस जमाने में मै हुआ पागल.
वो जमाना तेरे शबाब का है !

मेरी नजरें भी हैं कुछ आवारा.
कुछ इशारा तेरी नकाब का है !

तुमने अच्छा किया कि दिल तोड़ा.
ये जमाना ही इंकलाब का है !

यूँ तो गलत नही होते अंदाज चेहरो के ,,
लेकिन लोग वैसे भी नही होते जैसे नजर आते है

"मुझे छोड़कर गर वो ख़ुश हैं, तो शिकायत कैसी,
और मैं उन्हे ख़ुश भी न देख सकुं...तो महोब्बत कैसी...।"

बहुत ही आसान है जमीं पर
आलिशान भवनो को बना लेना

दिल में जगह बनाने में .....
ज़िन्दगी गुजर जाया करती है...

सियासी ईट से वो रिश्तों की दीवारे बनाता है/ मोहब्बत का सबक़ देता है और तलवारे बनाता है

वो हमारे नहीं तो क्या गम है,
हम तो उन्हीं के है ये क्या कम है,
ना गम कम है ना आँसू कम हैं, देखते है रूलाने वाले में कितना दम है..???

�� ना ज़ख्म भरे,ना शराब सहारा हुई..!!    ना वो वापस लौटीं,ना मोहब्बत दोबारा हुई..!!��

तू रूठा रूठा सा लगता है...
कोई तरकीब बता मानाने की !

मैं ज़िन्दगी गिरवी रख दूंगा...
तू क़ीमत बता मुस्कुराने की !!

हमें स्कूल में त्रिकोण, चौकोण, लघुकोण, काटकोण, विशालकोण इत्यादी सब पढ़ाया जाता है!!
पर
जो जीवन में हमेशा उपयोगी  हैं  जो कभी पढ़ाया नाही जाता....
वो है"दृष्टिकोण."

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