कुल पेज दृश्य

सोमवार, 23 फ़रवरी 2015

धूल चहेरे पे थी और आयना साफ करता रहा


" इन्सान ,
   घर बदलता है ...
   लिबास बदलता है ...
   रिश्ते बदलता है ...
   दोस्त बदलता है ...
   फिर भी परेशान क्यों रहेता है ....
   क्योकि वो खुद को नहीं बदलता ...  "

  इसलिए मिर्ज़ा ग़ालिब ने कहा था  :
  " उमर भर ग़ालिब यही भूल करता रहा  ,
   धूल चहेरे पे थी और आयना साफ करता रहा  !!! "

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें