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शनिवार, 11 अप्रैल 2015

कोई ना दे हमें खुश रहने की दुआ

कोई ना दे हमें खुश रहने की दुआ, तो भी कोई बात
नहीं वैसे भी हम खुशियाँ रखते नहीं, बाँट दिया करते
है...!!!..............।
मोहब्बत को जो निभाते हैं उनको मेरा सलाम है,
और जो बीच रास्ते में छोड़ जाते हैं उनको, हुमारा ये पैगाम
हैं,
“वादा-ए-वफ़ा करो तो फिर खुद को फ़ना करो,
वरना खुदा के लिए किसी की ज़िंदगी ना तबाह करो..............।
तक़दीर ने चाहा जैसे ढल गए हम
बहुत सँभल के चले फिर भी फिसल गए हम
किसी ने विश्वास तोड़ा किसी ने दिल
और लोगों को लगता है के बदल गए हम..................।
छुपा लूंगा तुझे इसतरह से बाहों में;हवा भी गुज़रने
के लिए इज़ाज़त मांगे;हो जाऊं तेरे इश्क़ में मदहोश
इस तरह;कि होश भी वापस आने के इज़ाज़त
मांगे....................।
ख्वाइश बस इतनी सी है की तुम मेरे
लफ़्ज़ों को समझो,
आरज़ू ये नही की लोग वाह वाह करें!.................।
अगर दीदार की तम्मन्ना हो तो नजरें जमाये रख.
चिलमन हो या नक़ाब सरकती जरूर है...................।
अंदाज़ कुछ अलग हैं मेरे सोचने का,,
सब को मंजिल का शौक है और मुझे
रास्तों का
ये दुनिया इसलिए बुरी नही के यहाँ बुरे
लोग ज्यादा है।
बल्कि इसलिए बुरी है कि यहाँ अच्छे
लोग खामोश है......

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