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गुरुवार, 2 अप्रैल 2015

ए दोस्त तू जिंदगी को जी

"ए दोस्त तू जिंदगी को जी,
उसे समझने की कोशिश न कर।

सुन्दर सपनो के ताने बाने बुन,
उसमे उलझने की कोशिश न कर।

चलते वक़्त के साथ तू भी चल,
उसमे सिमटने की कोशिश न कर।

अपने हाथो को फैला,
खुल कर साँस ले,
अंदर ही अंदर घुटने की कोशिश न कर।

मन में चल रहे युद्ध को विराम दे,
खामख्वाह खुद से लड़ने की कोशिश न कर।

कुछ बाते भगवान् पर छोड़ दे,
सब कुछ खुद सुलझाने की कोशिश न कर।

जो मिल गया उसी में खुश रह,
जो सकून छीन ले वो पाने की कोशिश न कर।

रास्ते की सुंदरता का लुत्फ़ उठा,
मंजिल पर जल्दी पहुचने की कोशिश ना कर ।

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