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शुक्रवार, 24 अप्रैल 2015

प्रेम पथिक पगुराता चल

प्रेम पथिक पगुराता चल
तरुण तृषा तरसाता चल
प्रेम........................

         लसत लोल लोचन ललित
         सहज सरल संकुचाता चल
         प्रेम................

चपल चारु चंचल चितवन
बाण बंकिम बरसाता चल
प्रेम .......................

       अलस अलक आतुर अधर
        मादक मधु महकाता चल
       प्रेम........................

उर उमंग अतिरेक अनंग
मन मयूर मदमाता चल
प्रेम..........

      .विरह विकल व्याकुल व्यथित
       देह  दाह  दहकाता   चल
       प्रेम...................

प्रेम प्रभू पावन प्रसाद
दिव्य दरस दरसाता चल
प्रेम.....................
( RATAN SINGH CHAMPAWAT )

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